"फ़र्रुख़सियर" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replace - "महत्वपूर्ण" to "महत्त्वपूर्ण")
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
[[चित्र:Farrukhsiyar.jpg|thumb|फ़र्रुख़सियर<br />Farrukhsiyar]]
 
[[चित्र:Farrukhsiyar.jpg|thumb|फ़र्रुख़सियर<br />Farrukhsiyar]]
*[[सैयद बन्धु]] अब्दुल्ला ख़ाँ और हुसैन अली ख़ाँ की मदद से '''फ़र्रुख़सियर''' [[11 जनवरी]], 1713 को [[मुग़ल]] राजसिंहासन पर बैठा।
+
'''फ़र्रुख़सियर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Farrukhsiyar'') [[मुग़ल वंश]] के [[अजीमुश्शान]] का पुत्र था। [[सैयद बन्धु]] अब्दुल्ला ख़ाँ और हुसैन अली ख़ाँ की मदद से '''फ़र्रुख़सियर''' [[11 जनवरी]], 1713 को [[मुग़ल]] राजसिंहासन पर बैठा।
*फ़र्रुख़सियर [[मुग़ल वंश]] के [[अजीमुश्शान]] का पुत्र था।
 
 
*उसने अब्दुल्ला ख़ाँ को वज़ीर का पद एवं 'कुतुबुलमुल्क' की उपाधि तथा हुसैन अली ख़ाँ को 'अमीर-उल-उमरा' तथा 'मीर बख़्शी' का पद दिया।
 
*उसने अब्दुल्ला ख़ाँ को वज़ीर का पद एवं 'कुतुबुलमुल्क' की उपाधि तथा हुसैन अली ख़ाँ को 'अमीर-उल-उमरा' तथा 'मीर बख़्शी' का पद दिया।
*सिंहासन पर बैठने के बाद फ़र्रुख़सियर ने जुल्फिकार ख़ाँ की हत्या करवा दी और साथ ही उसके पिता असद ख़ाँ को क़ैद कर लिया।
+
*सिंहासन पर बैठने के बाद फ़र्रुख़सियर ने [[ज़ुल्फ़िक़ार ख़ाँ]] की हत्या करवा दी और साथ ही उसके पिता असद ख़ाँ को क़ैद कर लिया।
 
*इसके काल में मुग़ल सेना ने [[17 दिसम्बर]], 1715 को [[सिक्ख]] नेता [[बन्दा बहादुर|बन्दा सिंह]] को उसके 740 समर्थकों के साथ बन्दी बना लिया।
 
*इसके काल में मुग़ल सेना ने [[17 दिसम्बर]], 1715 को [[सिक्ख]] नेता [[बन्दा बहादुर|बन्दा सिंह]] को उसके 740 समर्थकों के साथ बन्दी बना लिया।
 
*बाद में [[इस्लाम धर्म]] स्वीकार न करने के कारण इन सबकी निर्दयतापूर्वक हत्या कर दी गई।
 
*बाद में [[इस्लाम धर्म]] स्वीकार न करने के कारण इन सबकी निर्दयतापूर्वक हत्या कर दी गई।
पंक्ति 15: पंक्ति 14:
 
*दैवयोग से [[सैयद बन्धु|सैयद बन्दुओं]] को सम्राट के षड़यंत्र का पता चल गया और उन्होंने पहले ही उसको अपदस्थ कर दिया और बाद को आँखें निकलवा कर मरवा डाला।
 
*दैवयोग से [[सैयद बन्धु|सैयद बन्दुओं]] को सम्राट के षड़यंत्र का पता चल गया और उन्होंने पहले ही उसको अपदस्थ कर दिया और बाद को आँखें निकलवा कर मरवा डाला।
  
{{प्रचार}}
+
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
{{लेख प्रगति
 
|आधार=
 
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
 
|माध्यमिक=
 
|पूर्णता=
 
|शोध=
 
}}
 
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
{{मुग़ल साम्राज्य}}
+
{{मुग़ल साम्राज्य}}{{मुग़ल काल}}
{{मुग़ल काल}}
 
 
[[Category:इतिहास कोश]]
 
[[Category:इतिहास कोश]]
 
[[Category:मुग़ल साम्राज्य]]
 
[[Category:मुग़ल साम्राज्य]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

06:22, 20 जनवरी 2015 का अवतरण

फ़र्रुख़सियर
Farrukhsiyar

फ़र्रुख़सियर (अंग्रेज़ी: Farrukhsiyar) मुग़ल वंश के अजीमुश्शान का पुत्र था। सैयद बन्धु अब्दुल्ला ख़ाँ और हुसैन अली ख़ाँ की मदद से फ़र्रुख़सियर 11 जनवरी, 1713 को मुग़ल राजसिंहासन पर बैठा।

  • उसने अब्दुल्ला ख़ाँ को वज़ीर का पद एवं 'कुतुबुलमुल्क' की उपाधि तथा हुसैन अली ख़ाँ को 'अमीर-उल-उमरा' तथा 'मीर बख़्शी' का पद दिया।
  • सिंहासन पर बैठने के बाद फ़र्रुख़सियर ने ज़ुल्फ़िक़ार ख़ाँ की हत्या करवा दी और साथ ही उसके पिता असद ख़ाँ को क़ैद कर लिया।
  • इसके काल में मुग़ल सेना ने 17 दिसम्बर, 1715 को सिक्ख नेता बन्दा सिंह को उसके 740 समर्थकों के साथ बन्दी बना लिया।
  • बाद में इस्लाम धर्म स्वीकार न करने के कारण इन सबकी निर्दयतापूर्वक हत्या कर दी गई।
  • फ़र्रुख़सियर के समय में ही 1716 ई. बन्दा बहादुर को दिल्ली में फाँसी दे दी गयी।
  • इस प्रकार फ़र्रुख़सियर के समय की महत्त्वपूर्ण घटना 'सिक्ख विद्रोह' की समाप्ति थी।
  • 1717 ई. में फर्रूखसियर के दरबार में एक दूतमण्डल भेजा गया, यह दूतमण्डल कलकत्ते से 'जॉन सरमन' द्वारा ले जाया गया, जिसकी सहायता 'एडवर्ड स्टिफेन्सन' कर रहा था।
  • इस दूतमण्डल में 'विलियम हैमिल्ट' नामक सर्जन तथा 'ख़्वाजा सेहूर्द' नामक एक आर्मीनियाई दुभाषिया भी थे।
  • हैमिल्टन ने बादशाह फ़र्रुख़सियर की एक ख़तरनाक बीमारी से छुटकारा दिलाने में सफलता प्राप्त कर ली, जिससे सम्राट ने अंग्रेज़ों से प्रसन्न होकर 1717 में एक शाही फ़रमान जारी किया।
  • इस फ़रमान के अन्तर्गत अंग्रेज़ों को तीन हज़ार रुपये वार्षिक कर के बदले बंगाल में व्यापार करने का जो विशेषाधिकार मिला था, वह पुष्ट हो गया।
  • फ़र्रुख़सियर दिमाग़ का कमज़ोर था, इसीलिए वह सैयद बन्दुओं के नियंत्रण से मुक्त होना चाहता था।
  • दैवयोग से सैयद बन्दुओं को सम्राट के षड़यंत्र का पता चल गया और उन्होंने पहले ही उसको अपदस्थ कर दिया और बाद को आँखें निकलवा कर मरवा डाला।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख