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*ऐसे ही फिजी की अपनी भाषा के भी तत्त्व हैं। जैसे- मोतो माला<ref>माला</ref>, नगोना एक स्थानीय पेय<ref>एक स्थानीय पेय</ref>। | *ऐसे ही फिजी की अपनी भाषा के भी तत्त्व हैं। जैसे- मोतो माला<ref>माला</ref>, नगोना एक स्थानीय पेय<ref>एक स्थानीय पेय</ref>। | ||
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*जोगिन्दर सिंह कँवल वहाँ के '[[प्रेमचन्द]]' कहे जाते हैं। | *जोगिन्दर सिंह कँवल वहाँ के '[[प्रेमचन्द]]' कहे जाते हैं। | ||
*यहाँ कुछ हिन्दी पत्रिकाएँ भी निकलती रही हैं। जैसे- 'जय फिजी' तथा 'शांति- दूत'।{{प्रचार}} | *यहाँ कुछ हिन्दी पत्रिकाएँ भी निकलती रही हैं। जैसे- 'जय फिजी' तथा 'शांति- दूत'।{{प्रचार}} | ||
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12:38, 29 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण
- फिजी में इस समय पौने तीन लाख से कुछ अधिक लोग हिन्दी बोलते हैं।
- इनके पूर्वज 1879 -1920 के बीच प्राय: पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा पश्चिमी बिहार से आए थे।
- कुछ लोग यहाँ गुजरात, आंध्र तथा तमिलनाडु से भी आए थे, किंतु बहुसंख्यक हिन्दी- भाषियों में घुल- मिल जाने के कारण वे भी प्राय: हिन्दी ही बोलतेहैं।
- फिजी में मुख्य द्वीप 'विती लेवू' तथा 'वनुआ लेवू' हैं। इन दोनों की हिन्दी में थोड़ा ही अंतर है।
- फिजी हिन्दी में भोजपुरी, अवधी तथा अंग्रेज़ी के तत्त्व तो हैं ही तथाकथित शब्द हिन्दी के भी प्रयोग होते हैं। जैसे -ऊ, लोगन, जाए, माँगता।
- ऐसे ही फिजी की अपनी भाषा के भी तत्त्व हैं। जैसे- मोतो माला[1], नगोना एक स्थानीय पेय[2]।
- फिजी में इधर काफ़ी हिन्दी साहित्य की रचना हुई है।
- जोगिन्दर सिंह कँवल वहाँ के 'प्रेमचन्द' कहे जाते हैं।
- यहाँ कुछ हिन्दी पत्रिकाएँ भी निकलती रही हैं। जैसे- 'जय फिजी' तथा 'शांति- दूत'।
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