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याजूज और माजूज अथवा याजूजोमाजूज यायूज और माजूज दो प्राचीन जातियाँ थीं। इनके भयंकर आक्रमणों से बचने के लिए चीन में दीवारें बनाई गयीं। क़ुरान में भी इनका ज़िक्र है।
इस्लामी धार्मिक मान्यतानुसार 'याजूज और माजूज' इस्लामी युगांत विज्ञान में दो प्रतिकूल ताक़तें, जो विश्व के अंत से पहले पृथ्वी का विनाश करेंगी। क़ुरान में कहा गया है कि याजूज और माजूज से प्रताड़ित कुछ लोगों ने सिकंदर महान को उनके बीच दीवार बनाने के लिए प्रेरित किया। इस तरह क़यामत तक दो पहाड़ों के बीच फँसे याजूज और माजूज बाहर निकलने के लिए हर रात दीवार के नीचे ख़ुदाई करते हैं, लेकिन हर सुबह उन्हें अल्लाह द्वारा पुनर्निर्मित दीवार मिलती है।
अनुश्रुति
अनुश्रुतियों में याजूज और माजूज के कई वर्णन मिलते हैं, जो बाइबिल में वर्णित गॉग और मैगॉग के मुस्लिम प्रतिरूप हैं। कुछ देवदार की तरह लंबे और उतने ही चौड़े हैं; एक स्वरूप पूरा का पूरा कानों से भरा है। ये ताक़तें भारी संख्या में अंत के अपशकुन बनकर प्राचीन विश्व के पूर्वोत्तर में प्रकट होंगी और दक्षिण दिशा में टिग्रिस और यूफ्रेटीज़ नदियों या गैलिली सागर का पानी पीती हुई तथा रास्ते में सभी को मारते हुए इज़राइल की ओर बढ़ेंगी। जब उनके बाणों के लिए कोई मानव बचा नहीं रह जाएगा, तो याजूज और माजूज आकाश पर तीर चलाएँगे, लेकिन अल्लाह या तो उनके कान, नाक और गले को कीड़ों से भर देंगे और एक रात में उन्हें मार डालेंगे या उन्हें समुद्र में डुबाने के लिए पक्षियों का एक झुंड भेजेंगे।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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