महाबोधि समाज
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महाबोधि समाज एक संगठन है, जिसकी स्थापना भारत एवं विदेश में बौद्ध अध्ययनों को प्रोत्साहन देने के लिए की गई थी।[1]
- इस समाज को 1891 में श्रीलंका (भूतपूर्ण सीलोन) में एक भिक्षु अंगरिका धर्मपाल ने स्थापित किया था।
- इसके मूल उद्देश्यों में से एक बोधगया (बिहार राज्य, भारत) में महाबोधि मंदिर का पुनरुद्धार करना था, जो बुद्ध की ज्ञान प्राप्ति का स्थान था और उस समय एक हिन्दू ज़मींदार के कब्ज़े में था।
- वर्ष 1949 में बिहार सरकार ने 'बोधगया मंदिर अधिनियम पारित' किया था, जिसने एक समिति को मंदिर का प्रबंध सौंपा, जिसमें हिन्दुओं एवं बौद्ध धर्म के मानने वालों की संख्या बराबर थी।
- महाबोधि समाज का मुख्यालय कोलकाता में है और भारत के कई शहरों एवं अनुराधापुर, श्रीलंका में केंद्रों का संचालन होता है। संस्था अंग्रेज़ी भाषा की पत्रिका 'द महाबोधि' प्रकाशित करती है।
- यह बौद्ध धर्म के थेरवाद मत पर मुख्य रूपे से ज़ोर देता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारत ज्ञानकोश, खण्ड-4 |लेखक: इंदु रामचंदानी |प्रकाशक: एंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली और पॉप्युलर प्रकाशन, मुम्बई |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 312 |