शाक्यमुनि
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शाक्यमुनि
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अन्य नाम | सिद्धार्थ, गौतम बुद्ध, महात्मा बुद्ध, शाक्य मुनि |
अवतार | भगवान विष्णु के दस अवतारों में नौवें अवतार |
पिता | राजा शुद्धोदन |
माता | रानी महामाया |
जन्म विवरण | 563 ईसा पूर्व, लुम्बिनी (कपिलवस्तु) |
धर्म-संप्रदाय | बौद्ध धर्म- 'थेरवाद', 'महायान', 'वज्रयान' |
विवाह | यशोधरा |
संतान | राहुल |
शासन-राज्य | शाक्य गणराज्य |
अन्य विवरण | बौद्ध धर्म को पैंतीस करोड़ से अधिक लोग मानते हैं और यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म है। |
मृत्यु | 483 ईसा पूर्व, कुशीनगर (आयु- 80 वर्ष) |
संबंधित लेख | सारनाथ, सांकाश्य, कौशांबी, वैरंजा, कान्यकुब्ज |
जयंती | वैशाख की पूर्णिमा (बुद्ध पूर्णिमा) |
अंतिम शब्द | "हे भिक्षुओं, इस समय आज तुमसे इतना ही कहता हूँ कि जितने भी संस्कार हैं, सब नाश होने वाले हैं, प्रमाद रहित हो कर अपना कल्याण करो।"[1] |
अन्य जानकारी | मथुरा में अनेक बौद्ध कालीन मूर्तियाँ मिली हैं। जो मौर्य काल और कुषाण काल में मथुरा की अति उन्नत मूर्ति कला की अमूल्य धरोहर हैं। |
गौतम बुद्ध का मूल नाम 'सिद्धार्थ' था। सिंहली, अनुश्रुति, खारवेल के अभिलेख, अशोक के सिंहासनारोहण की तिथि, कैण्टन के अभिलेख आदि के आधार पर महात्मा बुद्ध की जन्म तिथि 563 ई.पूर्व स्वीकार की गयी है। इनका जन्म शाक्यवंश के राजा शुद्धोदन की रानी महामाया के गर्भ से लुम्बिनी में वैशाख पूर्णिमा के दिन हुआ था। शाक्य गणराज्य की राजधानी कपिलवस्तु के निकट लुम्बिनी में उनका जन्म हुआ। सिद्धार्थ के पिता शाक्यों के राजा शुद्धोधन थे। बुद्ध को शाक्य मुनि भी कहते हैं।
बुद्ध के अन्य नाम
इन्हें भी देखें: साँची, वैशाली, सारनाथ, कपिलवस्तु, कुशीनगर, सांकाश्य, स्तूप एवं बौद्ध धर्म
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हदं हानि भिक्खये, आमंतयामि वो, वयध्म्मा संखारा, अप्पमादेन सम्पादेया -महापरिनिब्वान सुत्त, 235 (यह 483 ई. पू. की घटना है। वे अस्सी वर्ष के थे।)
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