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'''धम्मपद''' एक [[पालि भाषा|पालि]] शब्द है जिसका अर्थात "सिद्धांत के शब्द" या "सत्य का मार्ग" है।  
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*धम्मपद संभवत: पालि [[बौद्ध]] धार्मिक [[ग्रंथ|ग्रंथों]] में सर्वाधिक प्रसिद्ध पुस्तक है, जिसे अन्य बौद्ध लेखों में उद्धत किया जाता है।
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*धम्मपद मूल बौद्ध शिक्षाओं<ref>मूलत: नीतिगत शिक्षा</ref> का संग्रह है, जो आसान सूक्तियों की शैली में हैं।  
 
*धम्मपद मूल बौद्ध शिक्षाओं<ref>मूलत: नीतिगत शिक्षा</ref> का संग्रह है, जो आसान सूक्तियों की शैली में हैं।  
 
*[[सुत्तपिटक]]<ref>प्रवचन समूह</ref> के [[खुद्दकनिकाय]]<ref>लघु संकलन</ref> के दूसरे पाठ के रूप में धम्मपद में 26 अध्यायों में 423 पद हैं।  
 
*[[सुत्तपिटक]]<ref>प्रवचन समूह</ref> के [[खुद्दकनिकाय]]<ref>लघु संकलन</ref> के दूसरे पाठ के रूप में धम्मपद में 26 अध्यायों में 423 पद हैं।  
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*इनके लिये भारतीय साहित्य की सारगर्भित कहावतों के भंडार से भी सामग्री ली गई है।
 
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06:33, 9 अक्टूबर 2011 का अवतरण

धम्मपद एक पालि शब्द है जिसका अर्थात "सिद्धांत के शब्द" या "सत्य का मार्ग" है।

  • धम्मपद संभवत: पालि बौद्ध धार्मिक ग्रंथों में सर्वाधिक प्रसिद्ध पुस्तक है, जिसे अन्य बौद्ध लेखों में उद्धत किया जाता है।
  • धम्मपद मूल बौद्ध शिक्षाओं[1] का संग्रह है, जो आसान सूक्तियों की शैली में हैं।
  • सुत्तपिटक[2] के खुद्दकनिकाय[3] के दूसरे पाठ के रूप में धम्मपद में 26 अध्यायों में 423 पद हैं।
  • कतिपय अंतर के साथ इसके प्राकृत, संस्कृत और चीनी भाषा में संस्करण और अन्य भाषाओं में अनुवाद भी उपलब्ध हैं।
  • आधे से अधिक पद अन्य धार्मिक ग्रंथों से लिए गए है और इनमें अधिकांश बौद्ध नीति-वाक्य सम्मिलित हैं।
  • इनके लिये भारतीय साहित्य की सारगर्भित कहावतों के भंडार से भी सामग्री ली गई है।
  • धम्मपद पुस्तक थेरवाद और महायान, दोनों परंपराओं को मानने वाले बौद्ध देशों में लोकप्रिय है।
  • श्रीलंका में धम्मपद को शताब्दियों से नवदीक्षित भिक्षुओं के मार्गदर्शन के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है और कहा जाता है कि प्रत्येक भिक्षु को यह कंठस्थ है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मूलत: नीतिगत शिक्षा
  2. प्रवचन समूह
  3. लघु संकलन

बाहरी कड़ियाँ

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