दाँत का मंदिर, कैंडी
दाँत का मंदिर (अंग्रेज़ी: Temple of the Tooth) श्रीलंका के शहर कैंडी में स्थित है, जो कि एक बौद्ध मंदिर है। कैंडी की पूर्व राजशाही के शाही महल परिसर में स्थित इस मंदिर में महात्मा बुद्ध के दांत रखे गये हैं। प्राचीन काल से ही इन पवित्र अवशेषों ने स्थानीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, क्योंकि यह माना जाता है कि यह अवशेष जिसके भी पास होते हैं, वही इस देश पर शासन करता है। कैंडी श्रीलंका के राजाओं की अंतिम राजधानी थी और मुख्य रूप से इस मंदिर की वजह से यूनेस्को द्वारा इसे 'विश्व विरासत स्थल' घोषित किया गया है। कैंडी में हर साल जुलाई और अगस्त के महिने में 'कैंडी पेराहेरा' नाम का एक उत्सव मनाया जाता है। इस दौरान भगवान बुद्ध के दांत की यह डिबिया पूरे शहर में घुमाई जाती है। बुद्ध के दांत का यह मंदिर 1998 में यूनेस्को ने विश्व विरासत में शामिल किया था।
धार्मिक महत्त्व
कैंडी कभी श्रीलंका की राजधानी हुआ करता था। श्रीलंका के राजा यहां रहते थे। जब राजशाही का अंत हुआ तब कैंडी में औपनिवेशीक आवाजाही बढ़ी। कैंडी का धार्मिक महत्व भी बहुत ज्यादा है, क्योंकि यहां अनेक महत्वपूर्ण बौद्ध मंदिर है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान बुद्ध के देह त्यागने के बाद उनका अंतिम संस्कार वर्तमान में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में हुआ था, लेकिन भगवान बुद्ध के एक अनुयायी ने उनकी चिता में से उनका दांत निकाल लिया और राजा ब्रह्मदत्त को दे दिया।
राजा ब्रह्मदत्त के पास गौतम बुद्ध के प्रतीक का वह दांत शासन करने के अधिकार के रूप में रहा। उस दांत के लिए अनेक लड़ाईयां लड़ी गई। इसी बीच भगवान बुद्ध का वह दांत उनके अनुयायी ने चोरी-छुपे श्रीलंका पहुंचा दिया। ऐसा कहा जाता है कि यह घटना सन् 301 से 328 के बीच की है। वह दांत श्रीलंका के ही अनुराधपुर, पोरोनारुआ, दम्बादेनिया, यापाहुआ, कुरुनेगाला और रत्नद्वीप होता हुआ कैंडी पहुंच गया। कैंडी के तत्कालीन राजा ने अपने महल के पास उस दांत के लिए एक विशाल भव्य मंदिर बनाया। तब से वह दांत एक भव्य मंदिर में रखा हुआ है और उसे दांत का मंदिर के नाम से ही लोग जानते है।[1]
पेराहेरा उत्सव
सन् 1603 में पुर्तगालियों ने श्रीलंका पर हमला किया, तब इस दांत को रक्षा के लिए दुम्बारा ले जाया गया, लेकिन बाद में फिर उसे कैंडी लाया गया। यह दांत एक छोटी डिबिया में रखा हुआ है और मंदिर के भीतर जाने वाले लोगों को उस डिबिया के दर्शन कराए जाते है। डिबिया खोलकर दांत दिखाने का कोई रिवाज नहीं है। यह कुछ-कुछ वैसा ही है जैसे हजरत बल दरगाह में हजरत साहब का बाल रखा हुआ है। कैंडी में हर साल जुलाई और अगस्त के महिने में कैंडी पेराहेरा नाम का एक उत्सव मनाया जाता है। इस दौरान भगवान बुद्ध के दांत की यह डिबिया पूरे शहर में घुमाई जाती है।
विश्व विरासत स्थल
बुद्ध के दांत का यह मंदिर 1998 में यूनेस्को ने विश्व विरासत में शामिल किया। आज यह मंदिर श्रीलंका का सबसे लोकप्रिय पर्यटन केन्द्र भी है। इस मंदिर के साथ में मौजूद महल का हिस्सा अब पुरातत्व संग्राहलय बना दिया गया है। इसी के पास एक झील है। झील के दक्षिणी किनारे पर मलवत्ते विहार है। यहां इस इलाके की अनेक दुर्लभ पांडुलिपियां भी सुरक्षित रखी है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कैंडी का अद्भुत दांत मंदिर (हिंदी) prakashhindustani.com। अभिगमन तिथि: 07 जुलाई, 2020।