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}}'''सैयद शाहिद हाकिम''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Syed Shahid Hakim'', जन्म- [[23 जून]], [[1939]]; मृत्यु- [[22 अगस्त]], [[2021]]) पूर्व भारतीय फुटबॉलर थे, जिन्होंने [[1960]] के रोम ओलंपिक में भाग लिया था। वह 'हकीम साब' नाम से लोकप्रिय थे। सैयद शाहिद हाकिम 5 दशक तक भारतीय [[फ़ुटबॉल]] से जुड़े रहे। बाद में वह कोच बने और उन्हें '[[द्रोणाचार्य पुरस्कार]]' से भी सम्मानित किया गया। वह एशियाई खेल, [[1982]] में पी.के. बनर्जी के साथ सहायक कोच थे और बाद में मर्डेका कप के दौरान राष्ट्रीय टीम के मुख्य कोच बने।
 
==परिचय==
 
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सैयद शाहिद हाकिम का जन्म [[1939]] में [[हैदराबाद]] में हुआ था। उन्होंने [[भारतीय वायुसेना]] और भारतीय फुटबॉल दोनों के लिए तकरीबन अपने जीवन के 50 वर्ष दिए। उन्होंने 5 दशक तक भारतीय फुटबॉल की सेवा की। इस दौरान उन्होंने खिलाड़ी, सहायक कोच, मुख्य कोच, रेफरी, मैनेजर कई भूमिकाएं निभाईं। भारतीय वायुसेना में वे स्क्वाड्रन लीडर के पद पर तैनात थे।<ref name="pp">{{cite web |url=https://www.jansatta.com/khel/former-indian-footballer-and-olympian-syed-shahid-hakim-passed-away-also-served-in-indian-airforce/1792781/ |title=रोम ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले भारतीय फुटबॉलर नहीं रहे|accessmonthday=06 अक्टूबर|accessyear=2021 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=jansatta.com |language=हिंदी}}</ref>
 
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==कोच==
 
==कोच==
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इसके अलावा वह 'फीफा' के अंतरराष्ट्रीय रेफरी भी रहे। उन्हें प्रतिष्ठित '[[ध्यानचंद पुरस्कार]]' ([[2017]]) से सम्मानित किया गया था। वायु सेना के पूर्व स्क्वाड्रन लीडर शाहिद भारतीय खेल प्राधिकरण के क्षेत्रीय निदेशक के पद पर भी रह चुके थे।<ref name="pp"/>
  
 
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12:12, 6 अक्टूबर 2021 के समय का अवतरण

सैयद शाहिद हाकिम
सैयद शाहिद हाकिम
पूरा नाम सैयद शाहिद हाकिम
अन्य नाम हाकिम साब
जन्म 23 जून, 1939
जन्म भूमि हैदराबाद, आंध्र प्रदेश
मृत्यु 22 अगस्त, 2021
कर्म भूमि भारत
खेल-क्षेत्र फ़ुटबॉल
पुरस्कार-उपाधि ध्यानचंद पुरस्कार (2017), द्रोणाचार्य पुरस्कार
प्रसिद्धि भारतीय फ़ुटबॉल खिलाड़ी
नागरिकता भारतीय

सैयद शाहिद हाकिम (अंग्रेज़ी: Syed Shahid Hakim, जन्म- 23 जून, 1939; मृत्यु- 22 अगस्त, 2021) पूर्व भारतीय फुटबॉलर थे, जिन्होंने 1960 के रोम ओलंपिक में भाग लिया था। वह 'हकीम साब' नाम से लोकप्रिय थे। सैयद शाहिद हाकिम 5 दशक तक भारतीय फ़ुटबॉल से जुड़े रहे। बाद में वह कोच बने और उन्हें 'द्रोणाचार्य पुरस्कार' से भी सम्मानित किया गया। वह एशियाई खेल, 1982 में पी.के. बनर्जी के साथ सहायक कोच थे और बाद में मर्डेका कप के दौरान राष्ट्रीय टीम के मुख्य कोच बने।

परिचय

सैयद शाहिद हाकिम का जन्म 1939 में हैदराबाद में हुआ था। उन्होंने भारतीय वायुसेना और भारतीय फुटबॉल दोनों के लिए तकरीबन अपने जीवन के 50 वर्ष दिए। उन्होंने 5 दशक तक भारतीय फुटबॉल की सेवा की। इस दौरान उन्होंने खिलाड़ी, सहायक कोच, मुख्य कोच, रेफरी, मैनेजर कई भूमिकाएं निभाईं। भारतीय वायुसेना में वे स्क्वाड्रन लीडर के पद पर तैनात थे।[1]

सैयद शाहिद हाकिम सेंट्रल मिडफील्डर के रूप में खेला करते थे लेकिन सच्चाई यह है कि उन्हें 1960 के रोम ओलिंपिक में खेलने का मौका नहीं मिला था। संयोग से तब कोच उनके पिता सैयद अब्दुल रहीम थे। इसके बाद वह एशियाई खेल, 1962 में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम में जगह बनाने से चूक गए थे।[2]

कोच

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से ध्यानचंद पुरस्कार प्राप्त करते सैयद शाहिद हाकिम

हकीम साब का भारतीय फुटबॉल से 5 दशक तक का नाता रहा। वह रिटायर होने के बाद कोच बने और उन्हें 'द्रोणाचार्य पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। वह 1982 एशियन गेम्स में पी.के. बनर्जी के साथ सहायक कोच थे और बाद में मर्डेका कप के दौरान राष्ट्रीय टीम के मुख्य कोच बने। घरेलू स्तर पर कोच के रूप में उनका सबसे अच्छा प्रदर्शन महिंद्रा एंड महिंद्रा (अब महिंद्रा यूनाईटेड) की तरफ से रहा, जबकि उनके रहते हुए टीम ने 1988 में ईस्ट बंगाल की मजबूत टीम को हराकर डूरंड कप जीता था।


इसके अलावा वह 'फीफा' के अंतरराष्ट्रीय रेफरी भी रहे। उन्हें प्रतिष्ठित 'ध्यानचंद पुरस्कार' (2017) से सम्मानित किया गया था। वायु सेना के पूर्व स्क्वाड्रन लीडर शाहिद भारतीय खेल प्राधिकरण के क्षेत्रीय निदेशक के पद पर भी रह चुके थे।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 रोम ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले भारतीय फुटबॉलर नहीं रहे (हिंदी) jansatta.com। अभिगमन तिथि: 06 अक्टूबर, 2021।
  2. भारत के दिग्गज फुटबॉलर का निधन (हिंदी) tv9hindi.com। अभिगमन तिथि: 06 अक्टूबर, 2021।

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