अत्याचार (सूक्तियाँ)
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क्रमांक | सूक्तियाँ | सूक्ति कर्ता |
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(1) | अत्याचारी से बढ़कर अभागा कोई दूसरा नहीं क्योंकि विपत्ति के समय उसका कोई मित्र नहीं होता। | शेख सादी |
(2) | ग़ुलामों की अपेक्षा उनपर अत्याचार करनेवाले की हालत ज़्यादा ख़राब होती है। | महात्मा गाँधी |
(3) | अत्याचार करने वाला उतना ही दोषी होता है जितना उसे सहन करने वाला। | तिलक |
(4) | अत्याचार और अनाचार को सिर झुकाकर वे ही सहन करते हैं जिनमें नैतिकता और चरित्र का अभाव होता है। | कमलापति त्रिपाठी |
(5) | जो असहायों पर दया नहीं करता, उसे शक्तिशालियों के अत्याचार सहने पड़ते हैं। | शेख सादी |
(6) | अत्याचार और भय दोनों कायरता के दो पहलू हैं। | अज्ञात |
(7) | अत्याचारी से बढ़कर अभागा व्यक्ति दूसरा नहीं, क्योंकि विपत्ति के समय कोई उसका मित्र नहीं होता। | |
(8) | यह लौकिक पुरुष के अत्याचार का बहुत निर्बल बहाना है कि नारी का सद्गुण सच्चरित्रता और आज्ञाकारिता है। | राधाकृष्णन |
(9) | शत्रु की कृपा से मित्र का अत्याचार अधिक अच्छा है। | हाफिज |
(10) | पापी की परिभाषा व्यक्ति के आचरण पर निर्भर करती है। अत्याचार करने वाले से सहने वाला अधिक पापी है। | कंचनलता सब्बरवाल |
(11) | प्रशासन की जन के प्रति दुर्भावना भी एक प्रकार का अत्याचार ही है। जनतंत्र में जन से ऊपर कुछ नहीं। | भगवतीचरण वर्मा |
(12) | बुरों पर दया करना भलों पर अत्याचार है, और अत्याचारियों को क्षमा करना पीड़ितों पर अत्याचार है। | शेख सादी |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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