व्यापार (सूक्तियाँ)

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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क्रमांक सूक्तियाँ सूक्ति कर्ता
(1) व्यापारे वसते लक्ष्मी । (व्यापार में ही लक्ष्मी वसती हैं) महाजनो येन गतः स पन्थाः । (महापुरुष जिस मार्ग से गये है, वही ( उत्तम) मार्ग है) (व्यापारी वर्ग जिस मार्ग से गया है, वही ठीक रास्ता है)
(2) जब ग़रीब और धनी आपस में व्यापार करते हैं तो धीरे-धीरे उनके जीवन-स्तर में समानता आयेगी। आदम स्मिथ, 'द वेल्थ आफ नेशन्स' में
(3) तकनीक और व्यापार का नियंत्रण ब्रिटिश साम्राज्य का अधारशिला थी।
(4) राष्ट्रों का कल्याण जितना मुक्त व्यापार पर निर्भर है उतना ही मैत्री, इमानदारी और बराबरी पर। कार्डेल हल्ल
(5) व्यापारिक युद्ध, विश्व युद्ध, शीत युद्ध : इस बात की लडाई कि “गैर-बराबरी पर आधारित व्यापार के नियम” कौन बनाये।
(6) इससे कोई फ़र्क़ नहीं पडता कि कौन शाशन करता है, क्योंकि सदा व्यापारी ही शाशन चलाते हैं। थामस फुलर
(7) आज का व्यापार सायकिल चलाने जैसा है - या तो आप चलाते रहिये या गिर जाइये।
(8) कार्पोरेशन : व्यक्तिगत उत्तर्दायित्व के बिना ही लाभ कमाने की एक चालाकी से भरी युक्ति। द डेविल्स डिक्शनरी
(9) अपराधी, दस्यु प्रवृत्ति वाला एक ऐसा व्यक्ति है जिसके पास कारपोरेशन शुरू करने के लिये पर्याप्त पूँजी नहीं है।
(10) चरित्रहीन शिक्षा, मानवता विहीन विज्ञान और नैतिकता विहीन व्यापार ख़तरनाक होते हैं। सत्यसाई बाबा
(11) उच्च खेती, मध्यम व्यापार और नीच नौकरी। भारत की कहावत
(12) इस संसार को व्यापार समझो। यहां सभी आदमी व्यापारी है। जो जैसा व्यापार करता है, वैसा फल पाता हैं। विद्यापति
(13) इस संसार को बाज़ार समझो। यहां सभी आदमी व्यापारी हैं। जो जैसा व्यापार करता है, वैसा फल पाता है। मूर्ख और गंवार व्यर्थ ही मर जाते हैं, लाभ नहीं पाते। विद्यापति