के.एम. बीनामोल
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जन्म | 15 अगस्त, 1975 |
जन्म भूमि | गांव कंबोडिंजल, ज़िला इडुकी, केरल |
अभिभावक | पिता- मैथ्यू, माता- कुंजम्मा |
कर्म भूमि | भारत |
खेल-क्षेत्र | दौड़ |
पुरस्कार-उपाधि | अर्जुन पुरस्कार (2000), 'राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार' (2002-2003), 'पद्मश्री' (2004) |
प्रसिद्धि | भारतीय महिला धावक |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | के.एम. बीनामोल ने जकार्ता में स्प्रिंट क्वीन पी.टी. उषा का 400 मीटर का रिकॉर्ड तोड़ दिया। इसके पश्चात बुसान एशियाई खेलों में दो स्वर्ण, एक रजत पदक जीतकर ख्याति अर्जित की। |
अद्यतन | 15:58, 17 अप्रॅल 2018 (IST)
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के.एम. बीनामोल (अंग्रेज़ी: K. M. Beenamol, जन्म- 15 अगस्त, 1975) भारत की प्रसिद्ध महिला एथलीट हैं, जिन्होंने दौड़ में कई पुरस्कार प्राप्त करके देश का मान बढ़ाया है। उनका पूरा नाम 'कल्याथुसुखी मैथ्यूज' है। उनका नाम तब चर्चा में आया, जब उन्होंने अक्टूबर 2002 में होने वाले बुसान एशियाई खेलों में दो स्वर्ण व एक रजत पदक जीता। बीनामोल ने 800 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता। इसके अतिरिक्त 400 मीटर की रिले दौड़ में भी स्वर्ण पदक प्राप्त किया। 4x400 मीटर की दौड़ में बीनामोल ने रजत पदक जीतकर खेल जगत में अपना नाम रोशन किया। उन्हें सन 2002-2003 के लिए 'राजीव गांधी खेल पुरस्कार' दिया गया और 'पद्मश्री' से 2004 में सम्मानित किया गया था।
परिचय
के.एम. बीनामोल केरल के इडुकी ज़िले के छोटे से गांव कंबोडिंजल से हैं। वह मध्यम दर्जे के किसान परिवार से हैं। कंबोडिंजल गांव इडुकी ज़िले में आदिमली से 20 किलोमीटर दूर पहाड़ियों पर स्थित है। यहां अधिकांश लोग किसान हैं और मैदानी भागों से कुछ दशक पूर्व आकर बसे हैं। बीनामोल की माता का नाम कुंजम्मा और पिता का नाम मैथ्यू है। वीना ने बहुत छोटी सी उम्र में खेलों में भाग लेना शुरू कर दिया था। जब वह पाराथोड़ हाईस्कूल में पढ़ती थीं, तब कोच राजू ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उनकी प्रतिभा को कड़ी मेहनत और अभ्यास के द्वारा निखारने का प्रयास आरंभ हो गया। 1990 से 1996 तक तिरुअनंतपुरम के जी.वी. राजा स्पोर्ट्स स्कूल में वह कोच पुरुषोत्तम मन से ट्रेनिंग लेती रहीं।
कीर्तिमान
1991 की राष्ट्रीय स्कूल मीट तथा 1992 की एशियन जूनियर मीट में भाग लेकर आए लोगों की नजरों में वे आईं। फिर उन्होंने राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया और वर्ष 2000 में सिडनी ओलंपिक में जाने के लिए चुनी गईं। वहां सेमीफाइनल तक पहुंचने में सफलता हासिल की। जकार्ता में उन्होंने स्प्रिंट क्वीन पी.टी. उषा का 400 मीटर का रिकॉर्ड तोड़ दिया। इसके पश्चात बुसान एशियाई खेलों में दो स्वर्ण, एक रजत पदक जीतकर ख्याति अर्जित की। बीनामोल की जीत पर पूरे गांव में मिठाइयां बांटी गईं। उनके घर जाने वाली सड़क को लोग 'बीनामोल रोड' कहकर पुकारने लगे हैं। इन्हीं एशियाई खेलों में बीनामोल के भाई के.एम. बीनू ने भी 800 मीटर दौड़ में रजत पदक प्राप्त किया था।
पुरस्कार
एशियाई खेलों के बाद के.एम. बीनामोल को सैंमसंग मोस्ट वैल्यूड पर्फॉर्मेंस पुरस्कार के लिए चुना गया और उसे इसके फलस्वरुप सैमसंग उत्पादों की पूरी रेंज दी गई। इस पुरस्कार के लिए बीनामोल का चयन बुसान एशियाई खेलों की कवरेज करने गए पांच पत्रकारों की ज्यूरी ने किया था। एथलेटिक के क्षेत्र में के.एम. बीनामोल की उलब्धियों को देखते हुए उन्हें 2000 में अर्जुन पुरस्कार प्रदान किया था। वह 2002-2003 में अंजलि वेद पाठक भागवत के साथ भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान 'राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार' की संयुक्त विजेता भी रहीं। इसके बाद 2004 में उन्हें 'पद्मश्री' से सम्मानित किया गया।
के.एम. बीनामोल 2004 में एजेंट ओलंपिक में 4X 400 मीटर रिले में थीं। हीट में राजविंदर कौर, चित्रा सोमेन, मनजीत कौर और बीनामोल थीं। उन्होंने रिले हीट में जीतकर फाइनल में जगह बनाई। इस टीम ने यहां पर अंत में सातवां स्थान प्राप्त किया था, जबकि कोलंबो में यह टीम बारहवें स्थान पर थी। के.एम. बीनामोल के भाई के.एम. बीनू ने फ्रेंड्स में 400 मीटर में बेहतर दौड़ लगाई और सेमीफाइनल तक जा पहुंचे। वह एशिया से बाहर अपनी पहली दौड़ लगा रहे थे। बीनू ने मिल्खा सिंह का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया।
उपलब्धियाँ
- के.एम. बीनामोल 1991 में राष्ट्रीय स्कूल मीट में भाग लेकर चर्चा में आयीं।
- 1992 की एशियाई जूनियर मीट में उन्होंने भाग लिया।
- 2000 में सिडनी ओलंपिक में जाने के लिए के.एम. बीनामोल चुनी गई। वहां उन्होंने सेमीफाइनल तक पहुंचने में सफलता प्राप्त की और पी.टी. उषा का 400 मीटर का रिकॉर्ड तोड़ दिया।
- 2002 में हुए बुसान एशियाई खेलों में बीनामोल ने दो स्वर्ण पदक और एक रजत पदक जीता।
- उन्हें 'राजीव गांधी खेल पुरस्कार' 2002-2003 के लिए प्रदान किया गया।
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