प्लक्षगुहा या 'पिलक्ख गुहा' कौशाम्बी के घोसिताराम के पास स्थित थी। प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षुक तथा महात्मा बुद्ध के शिष्य आनन्द भी इस गुफ़ा के दर्शनों के लिए आये थे। प्लक्षगुहा कि आधुनिक प्रभास (पमोसा) के नाम से भी पौराणिक ख्याति है।
- प्लक्षगुहा में भगवान बुद्ध के जीवन काल में 'संदक' नाम का एक परिव्राजक निवास करता था।
- यहीं देवकट सोब्म (देवकट शोभा) नामक एक प्राकृतिक जलकुण्ड भी था।
- इस गुफ़ा को देखने के लिए आनन्द कुछ भिक्षुओं सहित यहाँ आये थे।
- संदक से इनका संलाप इसी स्थान पर हुआ था, जिसका विवरण 'मज्झिमनिकाय' के 'संदक सुतंत' में निहित है।
- 'पिलक्ख' (प्लक्षगुहा) का बुद्ध घोष के मतानुसार इसलिए नाम पड़ा, कि इसके समीप पिलक्ख (प्लक्ष) या पाकड़ के बहुत-से पेड़ लगे थे।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय संस्कृति कोश, भाग-2 |प्रकाशक: यूनिवर्सिटी पब्लिकेशन, नई दिल्ली-110002 |संपादन: प्रोफ़ेसर देवेन्द्र मिश्र |पृष्ठ संख्या: 520 |
- ↑ बु.भा.भू., पृष्ठ 273