मुरलीकांत पेटकर

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मुरलीकांत पेटकर
मुरलीकांत पेटकर
मुरलीकांत पेटकर
पूरा नाम मुरलीकांत पेटकर
जन्म 1 नवंबर, 1947
जन्म भूमि सांगली, महाराष्ट्र
संतान पुत्र- अर्जुन
कर्म भूमि भारत
खेल-क्षेत्र तैराकी, भाला फेंक, टेबल टेनिस, शॉट पुट
पुरस्कार-उपाधि पद्मश्री, 2018
प्रसिद्धि भारतीय पैरा एथलीट
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी मुरलीकांत पेटकर ने बंबई में आयोजित विकलांग सम्मेलन के 15वें विश्व दिवस पर फ्री स्टाइल स्विमिंग, शॉटपुट और डिस्कस थ्रो के लिए तीन स्वर्ण जीते थे।
अद्यतन‎

मुरलीकांत पेटकर (अंग्रेज़ी: Murlikant Petkar, जन्म- 1 नवंबर, 1947, सांगली, महाराष्ट्र) भारतीय पैरा एथलीट रहे हैं। वह पैरालंपिक ही नहीं ओलंपिक के इतिहास में भारत को पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जिताने वाले एथलीट थे। उन्होंने जर्मनी में आयोजित हुए पैरालंपिक में स्वीमिंग के 50 मी. फ्री स्टाइल में रिकार्ड 37.33 सैकेंड में स्वर्ण पदक अपने नाम किया था।

परिचय

मुरलीकांत पेटकर का जन्म 1 नवंबर 1947 को महाराष्ट्र के सांगली के पेठ इस्लामपुर क्षेत्र में हुआ था। स्कूल के दिनों से ही मुरलीकांत पेटकर ने खेलों में रुचि विकसित की। वह कुश्ती, एथलेटिक्स और हॉकी में विशेष रूप से अच्छे थे। उन्होंने ग्राम प्रधान के बेटे को कुश्ती में हरा दिया था, जिसके बाद सभी ग्रामीणों के क्रोध का सामना करना पड़ा। इसलिए वह पुणे भाग आये। यहाँ उन्होंने भारतीय सेना के लड़कों की बटालियन में दाखिला लिया और हर खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। समय के साथ वह एक प्रतिभाशाली मुक्केबाज बन गये।

रियो पैरालंपिक में हाई जंप में भारतीय पैरा एथलीट मरियप्पन थंगावेलु ने देश को स्वर्ण जिताकर इतिहास रचा। लेकिन क्या देश के लिए पहला व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण जीतने वाले का नाम किसी को याद है। शायद सभी को अभिनव बिंद्रा ही याद आएंगे, लेकिन उनसे भी 36 साल पहले यह कारनामा मुरलीकांत पेटकर ने कर दिखाया था। मुरलीकांत पेटकर का स्वर्ण ओलंपिक नहीं पैरालंपिक में आया। मुरलीकांत पेटकर सेना में जवान थे। बात 1965 की है, पाकिस्तान से युद्ध के समय मुरलीकांत ने अपना पैर गंवा दिया था। मुरलीकांत भारत के प्रोफेशनल बॉक्सर थे। उन्हें 1968 ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करना था। लेकिन पैर गंवाने के बाद उनका 1968 ओलंपिक में भाग लेने का सपना टूट गया। हालांकि जीवटता के धनी पेटकर ने इसके बावजूद 1968 के पैरालंपिक में उतरकर अपना सपना पूरा किया।

खुद को मजबूती से उभारा

विकलांग होने के बाद भी मुरलीकांत पेटकर ने अपने को मजबूती से उभारा। उन्होंने पैरालंपिक खेलों में जगह बनाने के लिए जीतोड़ मेहनत की। उन्होंने टेबिल टेनिस में 1968 पैरालंपिक में भाग लिया और दूसरे राउंड तक भी पहुंचे। बाद में उन्होंने स्वीमिंग और दूसरे खेलों की ओर ध्यान लगाया। उन्होंने इंटरनेशनल स्वीमिंग में 4 मेडल तक जीत लिए।

स्वर्णिम मुकाम

सन 1972 पैरालंपिक में आखिरकार मुरलीकांत पेटकर को मुकाम मिल गया। उन्होंने जर्मनी में आयोजित हुए इन पैरालंपिक में स्वीमिंग के 50मी फ्री स्टाइल में रिकार्ड 37.33 सैकेंड में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। मुरलीकांत पेटकर ने जैवलीन थ्रो और सलालोम में भी भाग लिया। खास बात ये रही कि इन तीनों ही खेलों में मुरलीकांत फाइनलिस्ट रहे थे।

पद्मश्री

वर्षों की कड़ी मेहनत वर्ष 2018 में मुरलीकांत पेटकर को पद्मश्री से सम्मानित किया गया। पेटकर ने कहा था, "मैंने विश्व रिकॉर्ड तोड़ा, लेकिन मैंने अर्जुन पुरस्कार के लिए भीख नहीं मांगी। अब, सरकार का नियम आवेदन दाखिल करना और पुलिस सत्यापन और सभी करना है। मैंने विश्व रिकॉर्ड तोड़ा है और सरकार मेरे बारे में सब कुछ जानती है। सरकार को मेरे पास आना चाहिए और मुझसे मेरा ब्योरा मांगना चाहिए। मैं उनके पास क्यों जाऊं?

उपलब्धियां

पुरस्कार[1]
  • 1981 - उत्कृष्ट खिलाड़ी पुरस्कार, पुणे के मेयर।
  • 1979 - श्री विजय मर्चेंट द्वारा बॉम्बे में क्रीड़ा प्रतिष्ठान, उत्कृष्ट खिलाड़ी।
  • 1976 - अखिल भारतीय महापौर परिषद के अध्यक्ष श्री थोराट ने उन्हें सम्मानित किया।
  • 1976 - राष्ट्रीय चैंपियन (1968-76)।
  • 1975 - महाराष्ट्र सरकार द्वारा शिव छत्रपति पुरस्कार।
  • 1975 - पुणे जयसी द्वारा उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए विशेष पुरस्कार।
  • 1973 - गौरव पदक पुणे के तत्कालीन मेयर एनबी लिमये द्वारा।
  • 1971 - जनरल मानेकशॉ द्वारा सर्वश्रेष्ठ तैराक शील्ड।
  • 1965 - रक्षा पदक।
राष्ट्रीय
  • 1988 - नेशनल व्हीलचेयर स्पोर्ट्स में 30 मीटर फ्रीस्टाइल स्विमिंग में सिल्वर।
  • 1985 - चौथे राष्ट्रीय खेल में शॉटपुट में दो स्वर्ण और 50 मीटर फ्रीस्टाइल तैराकी में।
  • 1985 - नई दिल्ली (नेहरू स्टेडियम) में आयोजित विकलांगों के लिए।
  • 1984 - तैराकी और भाला फेंक में दो स्वर्ण, विकलांगों का विश्व दिवस।
  • 1983 - स्वीमिंग और शॉटपुट में क्रमश: दो गोल्ड स्वर्ण।
  • 1983 - चंडीगढ़ राष्ट्रीय विकलांग खेल प्रतियोगिता।
  • 1981 - 50 मीटर फ्रीस्टाइल स्विमिंग और शॉटपुट में दो गोल्ड।
  • 1981 - महाराष्ट्र एथलेटिक स्पोर्ट्स मीट में शॉट-पुट और व्हीलचेयर रेस में दो गोल्ड।
  • 1980 - पुणे में पैराप्लेजिक के लिए राष्ट्रीय खेल में 50 मीटर फ्रीस्टाइल तैराकी, शॉटपुट और तैराकी रिले में तीन स्वर्ण, भाला फेंक में एक रजत और व्हीलचेयर दौड़ में एक कांस्य।
  • 1979 - विकलांगों के 50 मीटर फ्रीस्टाइल तैराकी और शॉट-पुट 20वें विश्व दिवस में दो स्वर्ण स्वर्ण।
  • 1978 - पैराप्लेजिक होम किरकी, पुणे में आयोजित नेशनल पैराप्लेजिक स्पोर्ट्स में चार गोल्ड।
  • 1977 - विकलांग खेल प्रतियोगिता के 50वें विश्व दिवस पर 50 मीटर फ्रीस्टाइल तैराकी, 18 मीटर ब्रेस्ट स्ट्रोक, शॉटपुट और भाला फेंक में चार स्वर्ण क्रमशः
  • 1976 - विकलांग खेल प्रतियोगिता के 17वें विश्व दिवस में भाग लिया।
  • 1975 - विकलांगों के लिए बैंगलोर में आयोजित पहले राष्ट्रीय खेल में 50 मीटर फ्रीस्टाइल तैराकी, भाला फेंक और शॉट पुट में तीन स्वर्ण।
  • 1974 - बंबई में आयोजित विकलांग सम्मेलन के 15वें विश्व दिवस पर फ्री स्टाइल स्विमिंग, शॉटपुट और डिस्कस थ्रो के लिए तीन स्वर्ण, एक-एक स्वर्ण।
  • 1973 - बंगलौर में 2वें विश्व विकलांग दिवस के अवसर पर विकलांगों के लिए तीसरे खेल महोत्सव में तैराकी में दो स्वर्ण, शॉट-पुट, भाला फेंक और डिस्कस थ्रो में एक-एक स्वर्ण, टेबल टेनिस और बाधा दौड़ में दूसरा स्थान।
  • 1973 - पूना रीजन एमेच्योर एथलेटिक एसोसिएशन मीट में 4x400mt फ्रीस्टाइल रिले में कांस्य।
  • 1973 - बंगलौर में 2वें विश्व विकलांग दिवस के अवसर पर विकलांगों के लिए तीसरे खेल महोत्सव में तैराकी में दो स्वर्ण, शॉट-पुट, भाला फेंक और डिस्कस थ्रो में एक-एक स्वर्ण, टेबल टेनिस और बाधा दौड़ में दूसरा स्थान।
  • 1969 - विकलांग खेल प्रतियोगिता के 10वें विश्व दिवस पर ओवरऑल चैंपियन, शॉटपुट, भाला फेंक, डिस्कस थ्रो, भारोत्तोलन, टेबल टेनिस और तीरंदाजी में उत्कृष्ट प्रदर्शन।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर
  • 1982 - हांगकांग में अंतर्राष्ट्रीय FESPIC खेलों में 50 मीटर तैराकी में स्वर्ण और एक अन्य विश्व रिकॉर्ड के साथ-साथ भाला फेंक में कांस्य पदक भी।
  • 1976 - अगस्त 1976 में टोरंटो कनाडा में आयोजित पैरालंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
  • 1975 - शॉट-पुट में स्टोक मैंडविल इंटरनेशनल पैराप्लेजिक मीट, यूकेसिल्वर में तैराकी में स्वर्ण और दूसरा विश्व रिकॉर्ड।
  • 1972 - जर्मनी के हीडलबर्ग में आयोजित ग्रीष्मकालीन पैरालिंपिक में 37.33 मीटर तैराकी में स्वर्ण पदक, साथ ही एक नया विश्व रिकॉर्ड (50 सेकंड)।
  • 1971 - इंग्लैंड के स्टोक मैंडविल में 50 मीटर फ्रीस्टाइल स्विमिंग में गोल्ड और जेवलिन थ्रो में सिल्वर।
  • 1970 - स्कॉटलैंड के एडिनबर्ग में आयोजित तीसरे कॉमनवेल्थ पैराप्लेजिक गेम्स में 50 मीटर फ्रीस्टाइल स्विमिंग में गोल्ड, जेवलिन थ्रो में सिल्वर और शॉट-पुट में ब्रॉन्ज। इंग्लैंड के तत्कालीन प्रधान मंत्री एडवर्ड हीथ द्वारा सम्मानित किया गया।
  • 1969 - स्टोक मैंडविल इंटरनेशनल पैराप्लेजिक मीट (इंग्लैंड) में 50 मीटर फ्रीस्टाइल स्विमिंग में गोल्ड। श्री पेटकर ने 1969-73 से सीधे 5 वर्षों के लिए जनरल चैम्पियनशिप कप भी जीता।
  • 1968 - मास्को में अंतरराष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण, 50 मीटर तैराकी
  • 1964 - टोक्यो, जापान में सर्विस स्पोर्ट्स मीट में फ्लाईवेट बॉक्सिंग में भाग लिया


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मुरलीकांत पेटकर की जीवनी (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 01 सितंबर, 2021।

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