"दुश्मन (सूक्तियाँ)": अवतरणों में अंतर

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13:36, 1 अक्टूबर 2012 के समय का अवतरण

क्रमांक सूक्तियाँ सूक्ति कर्ता
(1) अहिंसा अच्छी चीज़ है, लेकिन शत्रुहीन होना अच्छी बात है। विमल मित्र
(2) दुश्मन का लोहा गर्म भले ही हो ,पर हथौड़ा तो ठंडा ही काम दे सकता है। सरदार पटेल
(3) अवसर पर दुश्मन को न लगाया हुआ थप्पड़ अपने मुह पर लगता है। फारसी कहावत
(4) वीर का असली दुश्मन उसका अहंकार है। अज्ञात
(5) आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन गरूर है। प्रेमचन्द
(6) अपने दोषों से सावधान रहो; क्योंकि यही ऐसे दुश्मन है, जो छिपकर वार करते हैं।
(7) क्षमा कर देना दुश्मन पर विजय पा लेना है। हज़रत अली
(8) आदमी की दुर्भावना उसके दुश्मन के बजाय उसे ही अधिक दुःख देती है। चार्ल बक्सटन
(9) समय तब तक दुश्मन नहीं बनता जब तक आप इसे व्यर्थ गंवाने का प्रयास नहीं करते हैं। अज्ञात
(10) यह व्यक्ति की स्वयं सोच ही होती है जो उस बुराईयों की तरफ ले जाती हैं न कि उसके दुश्मन। बुद्ध
(11) अपने दुश्मनों पर विजय पाने वाले की तुलना में मैं उसे शूरवीर मानता हूं जिसने अपनी इच्छाओं पर विजय प्राप्त कर ली है; क्योंकि सबसे कठिन विजय अपने आप पर विजय होती है। अरस्तु
(12) कभी भी सफाई नहीं दें। आपके दोस्तों को इसकी आवश्यकता नहीं है और आपके दुश्मनों को विश्वास ही नहीं होगा। अलबर्ट हब्बार्ड
(13) अपने दुश्मनों को माफ कर दें, लेकिन उनके नाम कभी न भूलें। जॉन एफ कैनेडी
(14) लोग इसलिए अकेले होते हैं क्योंकि वह मित्रता का पुल बनाने की बजाय दुश्मनी की दीवारें खड़ी कर लेते हैं। जोसेफ फोर्ट न्यूटन
(15) अवसर पर दुश्मन को न लगाया हुआ थप्पड़ अपने मुह पर लगता है। फ़ारसी कहावत
(16) ऐसा पैसा जो बहुत तकलीफ के बाद मिले, अपना धर्म-ईमान छोड़ने पर मिले या दुश्मनों की चापलूसी से, उनकी सत्ता स्वीकारने से मिले, उसे स्वीकार नहीं करना चाहिए।
(17) बुरे विचार ही हमारी सुख-शांति के दुश्मन हैं। स्वेट मॉर्डन
(18) कठिनाइयों का मुकाबला करो, चाहे सारी दुनिया दुश्मन ही क्यों न बन जाए। मैजिनी

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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