"महासांघिक निकाय": अवतरणों में अंतर

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*मृत्युभव और उपपत्तिभव के बीच में एक अन्तराभव होता है, जहाँ सत्त्व मरने के बाद और पुनर्जन्म ग्रहण करने के बीच कुछ दिनों के लिए रहता है।  
*मृत्युभव और उपपत्तिभव के बीच में एक अन्तराभव होता है, जहाँ सत्त्व मरने के बाद और पुनर्जन्म ग्रहण करने के बीच कुछ दिनों के लिए रहता है।  
*कुछ सर्वास्तिवादी आदि बौद्ध उस अन्तराभव का अस्तित्व स्वीकार करते हैं और कुछ बौद्ध निकाय उसे नहीं मानते।  
*कुछ सर्वास्तिवादी आदि बौद्ध उस अन्तराभव का अस्तित्व स्वीकार करते हैं और कुछ बौद्ध निकाय उसे नहीं मानते।  
*भोट विद्वान पद्म-ग्यल-छन का कहना है कि महासांघिक अन्तराभव के अस्तित्व को नहीं मानते।  
*भोट विद्वान् पद्म-ग्यल-छन का कहना है कि महासांघिक अन्तराभव के अस्तित्व को नहीं मानते।  
*वसुबन्धु के अभिधर्म-कोश-स्वभाष्य में ऐसा उल्लेख मिलता है कि दूसरे कुछ नैकायिक अन्तराभव नहीं मानते<ref>अभिधर्मकोशभाष्य, पृ. 405-406 (बौद्ध भारती संस्करण</ref>।  
*वसुबन्धु के अभिधर्म-कोश-स्वभाष्य में ऐसा उल्लेख मिलता है कि दूसरे कुछ नैकायिक अन्तराभव नहीं मानते<ref>अभिधर्मकोशभाष्य, पृ. 405-406 (बौद्ध भारती संस्करण</ref>।  
*यह सम्भव है कि महासांघिक ही उनके अन्तर्गत आते हों और इसीलिए पद्म-ग्यल-छन ने वैसा कहा हो।  
*यह सम्भव है कि महासांघिक ही उनके अन्तर्गत आते हों और इसीलिए पद्म-ग्यल-छन ने वैसा कहा हो।  

14:30, 6 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

बौद्ध धर्म में महासांघिक निकाय अठारह निकायों में से एक है:-

  • मृत्युभव और उपपत्तिभव के बीच में एक अन्तराभव होता है, जहाँ सत्त्व मरने के बाद और पुनर्जन्म ग्रहण करने के बीच कुछ दिनों के लिए रहता है।
  • कुछ सर्वास्तिवादी आदि बौद्ध उस अन्तराभव का अस्तित्व स्वीकार करते हैं और कुछ बौद्ध निकाय उसे नहीं मानते।
  • भोट विद्वान् पद्म-ग्यल-छन का कहना है कि महासांघिक अन्तराभव के अस्तित्व को नहीं मानते।
  • वसुबन्धु के अभिधर्म-कोश-स्वभाष्य में ऐसा उल्लेख मिलता है कि दूसरे कुछ नैकायिक अन्तराभव नहीं मानते[1]
  • यह सम्भव है कि महासांघिक ही उनके अन्तर्गत आते हों और इसीलिए पद्म-ग्यल-छन ने वैसा कहा हो।
  • वैसे स्थविरवादी बौद्ध भी अन्तराभव नहीं मानते।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अभिधर्मकोशभाष्य, पृ. 405-406 (बौद्ध भारती संस्करण

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