"व्यापार (सूक्तियाँ)": अवतरणों में अंतर
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09:17, 12 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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(1) | व्यापारे वसते लक्ष्मी । (व्यापार में ही लक्ष्मी वसती हैं) महाजनो येन गतः स पन्थाः । (महापुरुष जिस मार्ग से गये है, वही ( उत्तम) मार्ग है) (व्यापारी वर्ग जिस मार्ग से गया है, वही ठीक रास्ता है) | |
(2) | जब ग़रीब और धनी आपस में व्यापार करते हैं तो धीरे-धीरे उनके जीवन-स्तर में समानता आयेगी। | आदम स्मिथ, 'द वेल्थ आफ नेशन्स' में |
(3) | तकनीक और व्यापार का नियंत्रण ब्रिटिश साम्राज्य का अधारशिला थी। | |
(4) | राष्ट्रों का कल्याण जितना मुक्त व्यापार पर निर्भर है उतना ही मैत्री, इमानदारी और बराबरी पर। | कार्डेल हल्ल |
(5) | व्यापारिक युद्ध, विश्व युद्ध, शीत युद्ध : इस बात की लडाई कि “गैर-बराबरी पर आधारित व्यापार के नियम” कौन बनाये। | |
(6) | इससे कोई फ़र्क़ नहीं पडता कि कौन शाशन करता है, क्योंकि सदा व्यापारी ही शाशन चलाते हैं। | थामस फुलर |
(7) | आज का व्यापार सायकिल चलाने जैसा है - या तो आप चलाते रहिये या गिर जाइये। | |
(8) | कार्पोरेशन : व्यक्तिगत उत्तर्दायित्व के बिना ही लाभ कमाने की एक चालाकी से भरी युक्ति। | द डेविल्स डिक्शनरी |
(9) | अपराधी, दस्यु प्रवृत्ति वाला एक ऐसा व्यक्ति है जिसके पास कारपोरेशन शुरू करने के लिये पर्याप्त पूँजी नहीं है। | |
(10) | चरित्रहीन शिक्षा, मानवता विहीन विज्ञान और नैतिकता विहीन व्यापार ख़तरनाक होते हैं। | सत्यसाई बाबा |
(11) | उच्च खेती, मध्यम व्यापार और नीच नौकरी। | भारत की कहावत |
(12) | इस संसार को व्यापार समझो। यहां सभी आदमी व्यापारी है। जो जैसा व्यापार करता है, वैसा फल पाता हैं। | विद्यापति |
(13) | इस संसार को बाज़ार समझो। यहां सभी आदमी व्यापारी हैं। जो जैसा व्यापार करता है, वैसा फल पाता है। मूर्ख और गंवार व्यर्थ ही मर जाते हैं, लाभ नहीं पाते। | विद्यापति |