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♦ विश्‍व का सातवाँ बड़ा देश होने के नाते भारत शेष एशिया से अलग दिखता है जिसकी विशेषता पर्वत और समुद्र ने तय की है और ये इसे विशिष्‍ट भौगोलिक पहचान देते हैं। <br />
* यहाँ हम भारतीय संस्कृति से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। भारतीय संस्कृति विश्व की प्रधान संस्कृति है, यह कोई गर्वोक्ति नहीं, बल्कि वास्तविकता है। भारतीय संस्कृति को देव संस्कृति कहकर सम्मानित किया गया है। 
♦ उत्तर में विशाल पर्वत श्रृंखला हिमालय से घिरा यह कर्क रेखा से आगे संकरा होता जाता है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर तथा दक्षिण में हिन्‍द महासागर इसकी सीमा निर्धारित करते हैं।
* भारत के अनेकों धर्मों तथा परम्पराओं और उनका आपस में संमिश्रण ने विश्व के अनेकों स्थानों को भी प्रभावित किया है। हजारों वर्षों से भारत की सांस्कृतिक प्रथाओं, भाषाओं, रीति-रिवाजों आदि में विविधता बनी रही है जो कि आज भी विद्यमान है, और यही अनेकता में एकता भारतीय संस्कृति की महान विशेषता है।
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{{प्रांगण नोट}}
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{{Headnote2|मुख्य आकर्षण- [[:श्रेणी:संस्कृति कोश|संस्कृति कोश]] '''·''' [[भारतीय संस्कृति]]}}
<div style=text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;><h2>संस्कृति मुखपृष्ठ</h2></div>
[[चित्र:Geo-menu7.jpg|center|70px]]
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भारत कृषि में आत्‍मनिर्भर बन चुका है और अब दुनिया के सबसे औद्योगीकृत देशों की श्रेणी में भी इसकी गिनती की जाती है। <br />
भारत का क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग कि.मी. है, जो हिमाच्‍छादित हिमालय की ऊँचाइयों से शुरू होकर दक्षिण के विषुवतीय वर्षा वनों तक फैला हुआ है।  
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<div style="padding-left:8px; background:#efeabd; border:thin solid #d2cd9f;">'''विशेष आलेख'''</div>  
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[मूर्ति कला मथुरा]]'''</div>
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[दीपावली]]'''</div>
[[चित्र:Buddha-3.jpg|right|70px|बुद्ध|link=बुद्ध]]
[[चित्र:Lakshmi-Ganesh-Saraswati.jpg|right|120px|right|लक्ष्मी, गणेश, सरस्वती |link=दीपावली]]
चीनी यात्री [[हुएनसांग]] के लेखानुसार यहाँ पर [[अशोक]] के बनवाये हुये कुछ स्तूप 7वीं शताब्दी में विद्यमान थे। परन्तु आज हमें इनके विषय में कुछ भी ज्ञान नहीं है। लोक-कला की दृष्टि से देखा जाय तो मथुरा और उसके आसपास के भाग में इसके मौर्यकालीन नमूने विद्यमान हैं। लोक-कला की ये मूर्तियां [[यक्ष|यक्षों]] की हैं। यक्षपूजा तत्कालीन लोकधर्म का एक अभिन्न अंग थी। संस्कृत, पाली और प्राकृत साहित्य यक्षपूजा के उल्लेखों से भरा पड़ा है । [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार यक्षों का कार्य पापियों को विघ्न करना, उन्हें दुर्गति देना और साथ ही साथ अपने क्षेत्र का संरक्षण करना था।<balloon title="वामनपुराण, 34.44; 35.38।" style="color:blue">*</balloon>  मथुरा से इस प्रकार के यक्ष और यक्षणियों की छह प्रतिमाएं मिल चुकी हैं ।  '''[[मूर्ति कला मथुरा|.... और पढ़ें]]'''
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        '''[[दीपावली]]''' अथवा '''दिवाली''' [[भारत]] के प्रमुख त्योहारों में से एक है। त्योहारों का जो वातावरण [[धनतेरस]] से प्रारम्भ होता है, वह दिवाली के दिन पूरे चरम पर आता है। दीपावली की रात्रि को घरों तथा दुकानों पर भारी संख्या में [[दीपक]], मोमबत्तियां और बल्ब जलाए जाते हैं। दीपावली [[भारत]] के त्योहारों में अपना विशिष्ट स्थान रखती है। इस दिन [[महालक्ष्मी देवी|लक्ष्मी]] के पूजन का विशेष विधान है। रात्रि के समय प्रत्येक घर में धनधान्य की अधिष्ठात्री देवी [[महालक्ष्मी देवी|महालक्ष्मीजी]], विघ्न-विनाशक [[गणेश]] जी और विद्या एवं कला की देवी मातेश्वरी [[सरस्वती देवी]] की पूजा-आराधना की जाती है। [[ब्रह्मपुराण]] के अनुसार [[कार्तिक]] [[अमावस्या]] की इस अंधेरी रात्रि अर्थात अर्धरात्रि में महालक्ष्मी स्वयं भूलोक में आती हैं और प्रत्येक सद्गृहस्थ के घर में विचरण करती हैं। धर्मग्रंथों के अनुसार [[कार्तिक]] [[अमावस्या]] को भगवान श्री [[राम|रामचंद्रजी]] चौदह वर्ष का वनवास काटकर तथा असुरी वृत्तियों के प्रतीक [[रावण]] का संहार करके [[अयोध्या]] लौटे थे तब अयोध्यावासियों ने राम के राज्यारोहण पर दीपमालाएं जलाकर महोत्सव मनाया था। इसीलिए दीपावली [[हिंदू|हिंदुओं]] के प्रमुख त्योहारों में से एक है। [[दीपावली|.... और पढ़ें]]
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| class="bgsanskrati2" style="border:1px solid #fbe773;padding:10px;" valign="top" | '''चयनित लेख'''
| class="bg64" style="border:1px solid #e8d79c;padding:10px; -moz-border-radius: 6px;-webkit-border-radius: 6px; border-radius: 6px;" valign="top" | <div style="padding-left:8px; background:#f5e6b2; border:thin solid #e8d79c;"> '''चयनित लेख'''</div>
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<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[वैशाखी]]'''</div>
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[नृत्य कला]]'''</div>
<div id="rollnone"> [[चित्र:Baisakhi-1.jpg|right|100px|link=वैशाखी]] </div>
<div id="rollnone"> [[चित्र:Birju-Maharaj-1.jpg|right|100px|बिरजू महाराज|link=बिरजू महाराज]] </div>
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*रत्न आकर्षक [[खनिज]] का एक टुकड़ा होता है जो कटाई और पॉलिश करने के बाद गहने और अन्य अलंकरण बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
        '''[[वैशाखी]]''' [[पंजाब]] राज्य, [[भारत]] में [[सिक्ख]] समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार है। देश विदेश में वैशाखी के अवसर पर, विशेषकर पंजाब में मेले लगते हैं। लोग सुबह-सुबह सरोवरों और नदियों में [[स्नान]] कर मंदिरों और गुरुद्वारों में जाते हैं। लंगर लगाये जाते हैं और चारों तरफ़ लोग प्रसन्न दिखलायी देते हैं। विशेषकर किसान, [[गेहूँ]] की फ़सल को देखकर उनका मन नाचने लगता है। गेहूँ को पंजाबी किसान '[[कनक]]' यानि [[सोना]] मानते हैं। यह फ़सल किसान के लिए सोना ही होती है, उसकी मेहनत का [[रंग]] दिखायी देता है। वैशाखी पर गेहूँ की कटाई शुरू हो जाती है। वैशाखी पर्व 'बंगाल में पैला (पीला) बैसाख' नाम से, दक्षिण में 'बिशु' नाम से और '[[केरल]], [[तमिलनाडु]], [[असम]] में [[बिहू]]' के नाम से मनाया जाता है। अंग्रेज़ी कलैंडर में तारीखों के बदलाव के कारण अब वैशाखी [[14 अप्रॅल]] को मनायी जाती है। [[वैशाखी|.... और पढ़ें]]
*रत्न अपनी '''चमक और अन्य भौतिक गुणों''' के सौंदर्य की वजह से गहने में उपयोग किया जाता है।
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*रत्न का रंग ही उसकी सबसे स्पष्ट और आकर्षक विशेषता है। रत्नों को गर्म कर के उसके रंग की स्पष्टता बढ़ाई जाती है।
*रत्नों का इतिहास अत्यंत ही प्राचीन है। [[भारत]] की तरह अन्य देशों में भी इनके जन्म सम्बंधी अनगिनत कथाएं प्रचलित हैं।
*भारतीय मान्यता के अनुसार '''कुल 84 रत्न''' पाए जाते हैं, जिनमें [[माणिक्य]], [[हीरा]], [[मोती]], [[नीलम]], [[पन्ना]], [[मूँगा]], [[गोमेद]], तथा वैदूर्य ([[लहसुनिया]]) को नवरत्न माना गया है।
*रत्नों को तीन श्रेणियों '''पाषाण रत्न''', '''प्राणिज रत्न''' और '''वनस्पतिक रत्न''' में बांटा गया है। '''[[रत्न|.... और पढ़ें]]'''
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<div style="padding-left:8px;" class="headbg2"><span style="color: rgb(153, 51, 0);">'''कुछ चुने हुए लेख'''</span></div>
{{robelbox|theme=1|title=संस्कृति श्रेणी वृक्ष}}
* [[कृष्ण जन्माष्टमी]]
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* [[दीपावली]]
* [[पोंगल]]
* [[करवा चौथ]]
* [[होली]]
* [[वैशाखी]]
* [[रक्षाबन्धन]]
* [[ईद-उल-फ़ितर]]
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<div style="padding-left:8px;" class="headbg2"><span style="color: rgb(153, 51, 0);">'''भूगोल श्रेणी वृक्ष'''</span></div>
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07:55, 12 मई 2021 के समय का अवतरण

  • यहाँ हम भारतीय संस्कृति से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। भारतीय संस्कृति विश्व की प्रधान संस्कृति है, यह कोई गर्वोक्ति नहीं, बल्कि वास्तविकता है। भारतीय संस्कृति को देव संस्कृति कहकर सम्मानित किया गया है।
  • भारत के अनेकों धर्मों तथा परम्पराओं और उनका आपस में संमिश्रण ने विश्व के अनेकों स्थानों को भी प्रभावित किया है। हजारों वर्षों से भारत की सांस्कृतिक प्रथाओं, भाषाओं, रीति-रिवाजों आदि में विविधता बनी रही है जो कि आज भी विद्यमान है, और यही अनेकता में एकता भारतीय संस्कृति की महान विशेषता है।
  • भारतकोश पर लेखों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती रहती है जो आप देख रहे वह "प्रारम्भ मात्र" ही है...
मुख्य आकर्षण- संस्कृति कोश · भारतीय संस्कृति
विशेष आलेख
लक्ष्मी, गणेश, सरस्वती
लक्ष्मी, गणेश, सरस्वती

        दीपावली अथवा दिवाली भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। त्योहारों का जो वातावरण धनतेरस से प्रारम्भ होता है, वह दिवाली के दिन पूरे चरम पर आता है। दीपावली की रात्रि को घरों तथा दुकानों पर भारी संख्या में दीपक, मोमबत्तियां और बल्ब जलाए जाते हैं। दीपावली भारत के त्योहारों में अपना विशिष्ट स्थान रखती है। इस दिन लक्ष्मी के पूजन का विशेष विधान है। रात्रि के समय प्रत्येक घर में धनधान्य की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मीजी, विघ्न-विनाशक गणेश जी और विद्या एवं कला की देवी मातेश्वरी सरस्वती देवी की पूजा-आराधना की जाती है। ब्रह्मपुराण के अनुसार कार्तिक अमावस्या की इस अंधेरी रात्रि अर्थात अर्धरात्रि में महालक्ष्मी स्वयं भूलोक में आती हैं और प्रत्येक सद्गृहस्थ के घर में विचरण करती हैं। धर्मग्रंथों के अनुसार कार्तिक अमावस्या को भगवान श्री रामचंद्रजी चौदह वर्ष का वनवास काटकर तथा असुरी वृत्तियों के प्रतीक रावण का संहार करके अयोध्या लौटे थे तब अयोध्यावासियों ने राम के राज्यारोहण पर दीपमालाएं जलाकर महोत्सव मनाया था। इसीलिए दीपावली हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। .... और पढ़ें

चयनित लेख

        वैशाखी पंजाब राज्य, भारत में सिक्ख समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार है। देश विदेश में वैशाखी के अवसर पर, विशेषकर पंजाब में मेले लगते हैं। लोग सुबह-सुबह सरोवरों और नदियों में स्नान कर मंदिरों और गुरुद्वारों में जाते हैं। लंगर लगाये जाते हैं और चारों तरफ़ लोग प्रसन्न दिखलायी देते हैं। विशेषकर किसान, गेहूँ की फ़सल को देखकर उनका मन नाचने लगता है। गेहूँ को पंजाबी किसान 'कनक' यानि सोना मानते हैं। यह फ़सल किसान के लिए सोना ही होती है, उसकी मेहनत का रंग दिखायी देता है। वैशाखी पर गेहूँ की कटाई शुरू हो जाती है। वैशाखी पर्व 'बंगाल में पैला (पीला) बैसाख' नाम से, दक्षिण में 'बिशु' नाम से और 'केरल, तमिलनाडु, असम में बिहू' के नाम से मनाया जाता है। अंग्रेज़ी कलैंडर में तारीखों के बदलाव के कारण अब वैशाखी 14 अप्रॅल को मनायी जाती है। .... और पढ़ें

संस्कृति श्रेणी वृक्ष
चयनित चित्र

खपरैल से निर्मित छत
खपरैल से निर्मित छत

खपरैल से निर्मित छत

संबंधित लेख

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