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'''पंचमाक्षर''' अर्थात [[वर्णमाला (व्याकरण)|वर्णमाला]] में किसी वर्ग का पाँचवाँ [[व्यंजन (व्याकरण)|व्यंजन]]। जैसे- 'ङ', 'ञ', 'ण' आदि।
'''पंचमाक्षर''' अर्थात् [[वर्णमाला (व्याकरण)|वर्णमाला]] में किसी वर्ग का पाँचवाँ [[व्यंजन (व्याकरण)|व्यंजन]]। जैसे- 'ङ', 'ञ', 'ण' आदि। आधुनिक [[हिन्दी]] में पंचमाक्षरों का प्रयोग बहुत कम हो गया है और इसके स्थान पर अब बिन्दी (ं) का प्रचलन बढ़ गया है।
;प्रयोग
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कई शब्दों में  शिरोरेखा के ऊपर एक बिन्दु (अनुस्वार) का प्रयोग किया जाता है, जैसे-
कई शब्दों में  शिरोरेखा के ऊपर एक बिन्दु (अनुस्वार) का प्रयोग किया जाता है, जैसे-
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*गंगा (ग ड्.गा), झंडा (झण्डा), चंचल (चञ़्चल), मंद (मन्द), संबल (सम्बल) आदि वर्णों में अनुस्वार (ॱ ) के बाद आने वाले वर्ण का सम्बन्ध जिस वर्ग के साथ है, अनुस्वार उसी वर्ग के पाँचवें वर्ण के स्थान-पर प्रयुक्त हो रहा है। यही पंचम वर्ण के प्रयोग का नियम है।
*गंगा (ग ड्.गा), झंडा (झण्डा), चंचल (चञ़्चल), मंद (मन्द), संबल (सम्बल) आदि वर्णों में अनुस्वार (ॱ ) के बाद आने वाले वर्ण का सम्बन्ध जिस वर्ग के साथ है, अनुस्वार उसी वर्ग के पाँचवें वर्ण के स्थान-पर प्रयुक्त हो रहा है। यही पंचम वर्ण के प्रयोग का नियम है।<ref>{{cite web |url= http://www.hindicbse.com/p/blog-page_44.html|title= पंचमाक्षर प्रयोग|accessmonthday=16 अगस्त|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=हिन्दीसीबीएसई.कॉम|language=हिन्दी}}</ref>
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!वर्ग
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|‘क’ वर्ग
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|'''‘च’ वर्ग'''
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|'''‘ट‘ वर्ग'''
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|‘त’ वर्ग
|'''‘त’ वर्ग'''
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|प्      फ्    ब्    भ्  म्
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==बिन्दी का प्रयोग==
आजकल पंचमाक्षरों के बदले में बिन्दी का प्रयोग बढ़ता जा रहा है। इसका प्रयोग निम्नानुसार होता है-
*'क' वर्ग के पहले चार अक्षरों (क, ख, ग, घ) के साथ जब इसका पंचमाक्षर 'ङ' संयुक्त होता है, तब ङ् (आधा ङ) के बदले में बिन्दी का प्रयोग होता है।<ref>{{cite web |url= http://jaydeepshekhar.blogspot.in/2011/01/blog-post_15.html|title=हिन्दी हमारी |accessmonthday=16 अगस्त|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=कभी कभार |language= हिन्दी}}</ref>
;उदाहरण: अङ्क = अंक, शङ्ख = शंख, गङ्गा = गंगा, सङ्घ = संघ।
*'च' वर्ग के पहले चार अक्षरों (च, छ, ज, झ) के साथ जब इसका पंचमाक्षर 'ञ' संयुक्त होता है, तब ञ् (आधा ञ) के बदले में बिन्दी का प्रयोग होता है।
;उदाहरण: चञ्चल = चंचल, अञ्जन = अंजन
*'ट' वर्ग के पहले चार अक्षरों (ट, ठ, ड, ढ) के साथ जब इसका पंचमाक्षर 'ण' संयुक्त होता है, तब ण् (आधा ण) के बदले में बिन्दी का प्रयोग होता है।
;उदाहरण: घण्टी = घंटी, कण्ठ = कंठ, ठण्ड = ठंड
*'त' वर्ग के पहले चार अक्षरों (त, थ, द, ध) के साथ जब इसका पंचमाक्षर 'न' संयुक्त होता है, तब न् (आधा न) के बदले में बिन्दी का प्रयोग होता है।
;उदाहरण: दन्त = दंत, ग्रन्थ = ग्रंथ, हिन्दी = हिंदी, गन्ध = गंध।
*'प' वर्ग के पहले चार अक्षरों (प, फ, ब, भ) के साथ जब इसका पंचमाक्षर 'म' संयुक्त होता है, तब म् (आधा म) के बदले में बिन्दी का प्रयोग होता है।
;उदाहरण: चम्पा = चंपा, गुम्फ = गुंफ, अम्बा = अंबा, आरम्भ = आरंभ। 
उपर्युक्त नियम संस्कृतनिष्ठ शब्दों पर लागू होते हैं। अन्य शब्दों पर बिन्दी का इस्तेमाल धड़ल्ले से किया जा सकता है। जहाँ पंचमाक्षर अपने वर्ग के चार अक्षरों के अतिरिक्त किसी और अक्षर के साथ संयुक्त हो रहा हो, वहाँ बिन्दी के प्रयोग की अनुमति नहीं है। जैसे- वाङ्मय, अन्य, उन्मुख इत्यादि। पंचम वर्ण जब दुबारा आये, तब भी बिन्दी का प्रयोग नहीं होता, जैसे- अन्न, सम्मेलन, सम्मति इत्यादि।


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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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==संबंधित लेख==
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07:49, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

पंचमाक्षर अर्थात् वर्णमाला में किसी वर्ग का पाँचवाँ व्यंजन। जैसे- 'ङ', 'ञ', 'ण' आदि। आधुनिक हिन्दी में पंचमाक्षरों का प्रयोग बहुत कम हो गया है और इसके स्थान पर अब बिन्दी (ं) का प्रचलन बढ़ गया है।

प्रयोग

कई शब्दों में शिरोरेखा के ऊपर एक बिन्दु (अनुस्वार) का प्रयोग किया जाता है, जैसे-

गंगा गड्.गा
झंडा झण्डा
चंचल चञ़्चल
मंद मन्द
संबल सम्बल
  • गंगा (ग ड्.गा), झंडा (झण्डा), चंचल (चञ़्चल), मंद (मन्द), संबल (सम्बल) आदि वर्णों में अनुस्वार (ॱ ) के बाद आने वाले वर्ण का सम्बन्ध जिस वर्ग के साथ है, अनुस्वार उसी वर्ग के पाँचवें वर्ण के स्थान-पर प्रयुक्त हो रहा है। यही पंचम वर्ण के प्रयोग का नियम है।[1]
वर्ग वर्ण
‘क’ वर्ग क् ख् ग् घ् ङ्
‘च’ वर्ग च् छ् ज् झ् ञ़्
‘ट‘ वर्ग ट् ठ् ड् ढ् ण्
‘त’ वर्ग त् थ् द् ध् न्
‘प’ वर्ग प् फ् ब् भ् म्

बिन्दी का प्रयोग

आजकल पंचमाक्षरों के बदले में बिन्दी का प्रयोग बढ़ता जा रहा है। इसका प्रयोग निम्नानुसार होता है-

  • 'क' वर्ग के पहले चार अक्षरों (क, ख, ग, घ) के साथ जब इसका पंचमाक्षर 'ङ' संयुक्त होता है, तब ङ् (आधा ङ) के बदले में बिन्दी का प्रयोग होता है।[2]
उदाहरण
अङ्क = अंक, शङ्ख = शंख, गङ्गा = गंगा, सङ्घ = संघ।
  • 'च' वर्ग के पहले चार अक्षरों (च, छ, ज, झ) के साथ जब इसका पंचमाक्षर 'ञ' संयुक्त होता है, तब ञ् (आधा ञ) के बदले में बिन्दी का प्रयोग होता है।
उदाहरण
चञ्चल = चंचल, अञ्जन = अंजन
  • 'ट' वर्ग के पहले चार अक्षरों (ट, ठ, ड, ढ) के साथ जब इसका पंचमाक्षर 'ण' संयुक्त होता है, तब ण् (आधा ण) के बदले में बिन्दी का प्रयोग होता है।
उदाहरण
घण्टी = घंटी, कण्ठ = कंठ, ठण्ड = ठंड
  • 'त' वर्ग के पहले चार अक्षरों (त, थ, द, ध) के साथ जब इसका पंचमाक्षर 'न' संयुक्त होता है, तब न् (आधा न) के बदले में बिन्दी का प्रयोग होता है।
उदाहरण
दन्त = दंत, ग्रन्थ = ग्रंथ, हिन्दी = हिंदी, गन्ध = गंध।
  • 'प' वर्ग के पहले चार अक्षरों (प, फ, ब, भ) के साथ जब इसका पंचमाक्षर 'म' संयुक्त होता है, तब म् (आधा म) के बदले में बिन्दी का प्रयोग होता है।
उदाहरण
चम्पा = चंपा, गुम्फ = गुंफ, अम्बा = अंबा, आरम्भ = आरंभ।

उपर्युक्त नियम संस्कृतनिष्ठ शब्दों पर लागू होते हैं। अन्य शब्दों पर बिन्दी का इस्तेमाल धड़ल्ले से किया जा सकता है। जहाँ पंचमाक्षर अपने वर्ग के चार अक्षरों के अतिरिक्त किसी और अक्षर के साथ संयुक्त हो रहा हो, वहाँ बिन्दी के प्रयोग की अनुमति नहीं है। जैसे- वाङ्मय, अन्य, उन्मुख इत्यादि। पंचम वर्ण जब दुबारा आये, तब भी बिन्दी का प्रयोग नहीं होता, जैसे- अन्न, सम्मेलन, सम्मति इत्यादि।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पंचमाक्षर प्रयोग (हिन्दी) हिन्दीसीबीएसई.कॉम। अभिगमन तिथि: 16 अगस्त, 2015।
  2. हिन्दी हमारी (हिन्दी) कभी कभार। अभिगमन तिथि: 16 अगस्त, 2015।

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