"गीता 2:30": अवतरणों में अंतर
छो (1 अवतरण) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - " मे " to " में ") |
||
पंक्ति 9: | पंक्ति 9: | ||
'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
---- | ---- | ||
यहाँ तक भगवान् ने सांख्य योग के अनुसार अनेक युक्तियों द्वारा नित्य, शुद्ध, बुद्ध, सम, निर्विकार और अकर्ता आत्मा के एकत्व, नित्यत्व, अविनाशित्व आदि का प्रतिपादन करके तथा शरीरों को विनाशशील बतलाकर आत्मा के या शरीरों के लिये अथवा शरीर और आत्मा के वियोग के लिये शोक करना अनुचित सिद्ध किया । साथ ही प्रसंग वश आत्मा को जन्मने-मरनेवाला मानने पर शोक करने के अनौचित्का प्रतिपादन किया और अर्जुन को युद्ध करने के लिये आज्ञा दी । अब सात श्लोकों द्वारा क्षत्रिय धर्म के अनुसार शोक करना अनुचित सिद्ध करते हुए <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर | यहाँ तक भगवान् ने सांख्य योग के अनुसार अनेक युक्तियों द्वारा नित्य, शुद्ध, बुद्ध, सम, निर्विकार और अकर्ता आत्मा के एकत्व, नित्यत्व, अविनाशित्व आदि का प्रतिपादन करके तथा शरीरों को विनाशशील बतलाकर आत्मा के या शरीरों के लिये अथवा शरीर और आत्मा के वियोग के लिये शोक करना अनुचित सिद्ध किया । साथ ही प्रसंग वश आत्मा को जन्मने-मरनेवाला मानने पर शोक करने के अनौचित्का प्रतिपादन किया और अर्जुन को युद्ध करने के लिये आज्ञा दी । अब सात श्लोकों द्वारा क्षत्रिय धर्म के अनुसार शोक करना अनुचित सिद्ध करते हुए <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला वो ही था। | ||
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> को उस के लिये उत्साहित करते हैं– | ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> को उस के लिये उत्साहित करते हैं– | ||
---- | ---- |
07:51, 20 फ़रवरी 2011 का अवतरण
गीता अध्याय-2 श्लोक-30 / Gita Chapter-2 Verse-30
|
||||
|
||||
|
||||
|