क्योंकि समबुद्धि से युक्त ज्ञानी जन कर्मों से उत्पन्न होने वाले फल को त्याग कर जन्म रूप बन्धन से मुक्त हो निर्विकार परम पद को प्राप्त हो जाते हैं ।।51।।
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For wise men possessing an equiposied mind, renouncing the fruit of from the shackles of birth, attain the blissful supreme state. (51)
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