श्रीभगवान् बोले-
हे अर्जुन[1] ! तुझे इस असमय में यह मोह किस हेतु से प्राप्त हुआ? क्योंकि न तो यह श्रेष्ठ पुरुषों द्वारा आचरित है, न स्वर्ग को देने वाला है और न कीर्ति को करने वाला ही है ।।2।।
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Sri Krishna said:
Arjuna, how has this infatuation overtaken you at this odd hour ? It is shunned by noble souls; neither will it bring heaven, nor fame, to you. (2)
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