हे पृथापुत्र अर्जुन[1] ! जो पुरुष इस आत्मा को नाशरहित, नित्य, अजन्मा और अव्यय जानता है, वह पुरुष कैसे किसको मरवाता है और कैसे किसको मारता है ।।21।।
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Arjuna, the man who knows this soul to be imperishable, eternal and free from birth and decay, - how and whom will he cause to be killed, how and whom will he kill ? (21)
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