"धर्मपाल बौद्ध": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
('{{पुनरीक्षण}} {{tocright}} '''धर्मपाल''' संस्कृत क...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
पंक्ति 24: पंक्ति 24:
{{बौद्ध धर्म}}
{{बौद्ध धर्म}}
[[Category:बौद्ध धर्म]]
[[Category:बौद्ध धर्म]]
[[Category:बौद्ध धर्म कोश]]
[[Category:बौद्ध धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]]
[[Category:नया पन्ना अप्रॅल-2012]]
[[Category:नया पन्ना अप्रॅल-2012]]


__INDEX__
__INDEX__

13:45, 21 मार्च 2014 का अवतरण

इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"

धर्मपाल संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ है 'धार्मिक विधि का रक्षक'। तिब्बती में द्रग-ग्शेद (निर्दयी, निष्ठुर जल्लाद), तिब्बती बौद्ध धर्म में आठ देवताओं में से एक। वह कल्याणकारी हैं, लेकिन दुष्ट आत्माओं में भय उत्पन्न करने के लिये उन्हें विकराल और क्रूर दिखाया जाता है।

आठवीं शताब्दी में संत पद्मसंभव ने धर्मपाल की आराधना शुरू की थी और कहा जाता है कि उन्होंने तिब्बत में सभी अहितकारी देवताओं पर विजय प्राप्त करके उन्हें बौद्ध और बौद्ध धर्म की रक्षा का संकल्प लेने को मजबूर कर दिया था। धर्मपालों में से कई को हिंदू, बॉन (तिब्ब्त का मूल धर्म) या लोक देवताओं से संबंधित माना जा सकता है।

आकृति

धर्मपाल के चित्रों, मूर्तियों और नर्तकों द्वारा प्रयुक्त मुखौटों में तीसरी आंख, अस्तव्यस्त बाल, खोपड़ियों का ताज पहने और मुंडों का हार डाले ख़ूंखार स्वरूप में अपनी सहचरियों के साथ इंसानों और पशुओं पर पांव रख कर चलते हुये दिखाया जाता है। इन्हें अकेले या समूह, जिसे ‘आठ भयंकर स्वरूप वाले’ कहा जाता है, में पूजा जाता है, जिनमें आमतौर पर निम्न सम्मिलित हैं:-

  1. ल्हा-मो (तिब्बती में देवी, संस्कृत में श्रीदेवी या कला देवी) ल्हासा की स्थानीय प्रचंड देवी – देवताओ के समूह में एकमात्र महिला है
  2. त्शांग्स-पा-द्कर-पो (तिब्बती में श्वेत ब्रह्मा, संस्कृत में सीता-ब्रह्मा)
  3. बेग-त्से (तिब्बती में पात्रों का छिपा हुआ पन्ना)
  4. यम (संस्कृत, तिब्बती में ग्शिन र्-जे), मृत्यु के देवता, जिनके साथ उनकी बहन यमि हो सकती हैं
  5. कुबेर या वैश्रावण (तिब्बती में ‘र्-नाम-थोस-सरास), धन के ईश्वर और आठ में से केवल एक, जिन्हें कभी भी प्रचंड स्वरूप में नहीं दिखाया जाता
  6. महाकाल (संस्कृत में काले रंग का विशाल, तिब्बती ‘मगोन-पो)
  7. हयग्रीव (संस्कृत में घोड़े की गर्दन, तिब्बती में ‘र्-ता-म्गरिन)
  8. यमांतक (संस्कृत में यम या मृत्यु का विजेता, तिब्बती में ‘ग्शिन-र्-जे-ग्शेद’)

पूजा

धर्मपालों की पूजा अर्द्ध भूमिगत कमरे, म्गोन खंग में होती है, जिसके प्रवेश द्वार पर प्राय: भूसा भरे हुए जंगली याकों या तेंदुओं का पहरा रहता है। पुरोहित विशेष वस्त्र पहनते हैं और धार्मिक अनुष्ठान के लिये अक्सर मनुष्य की हड्डियों या चमड़ी से बनी वस्तुओं का इस्तेमाल करते हैं। पूजा में मुखौटा नृत्य (चाम) भी किया जाता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख