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10:57, 6 जुलाई 2020 के समय का अवतरण

ज्ञानप्रस्थान वैभाषिकों के दार्शनिक सिद्धांतों के प्रतिपादन के निमित्त प्रधान ग्रंथ माना जाता है। इसके रचयिता आर्य कात्यायनीपुत्र थे।

  • आर्य कात्यायनीपुत्र ने इस ग्रंथ की रचना उत्तरी भारत के तामसावन विहार में की थी, जहाँ चीनी यात्री युवानच्वांग ने अपनी यात्रा के क्रम में 300 सर्वास्तुवादानुयायी भिक्षुओं को देखा था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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