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|  class="headbg20" style="border:1px solid #FBE773;padding:10px;" valign="top" | <div class="headbg19" style="padding-left:8px;">'''विशेष आलेख'''</div>  
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<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[मूर्ति कला मथुरा]]'''</div>
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[रक्षाबन्धन]]'''</div>
[[चित्र:Buddha-3.jpg|right|70px|बुद्ध|link=बुद्ध]]
<div id="rollnone"> [[चित्र:Raksha-Bandhan.jpg|right|150px|रक्षाबन्धन|link=रक्षाबन्धन]] </div>
चीनी यात्री [[हुएनसांग]] के लेखानुसार यहाँ पर [[अशोक]] के बनवाये हुये कुछ स्तूप 7वीं शताब्दी में विद्यमान थे। परन्तु आज हमें इनके विषय में कुछ भी ज्ञान नहीं है। लोक-कला की दृष्टि से देखा जाय तो मथुरा और उसके आसपास के भाग में इसके मौर्यकालीन नमूने विद्यमान हैं। लोक-कला की ये मूर्तियां [[यक्ष|यक्षों]] की हैं। यक्षपूजा तत्कालीन लोकधर्म का एक अभिन्न अंग थी। संस्कृत, पाली और प्राकृत साहित्य यक्षपूजा के उल्लेखों से भरा पड़ा है । [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार यक्षों का कार्य पापियों को विघ्न करना, उन्हें दुर्गति देना और साथ ही साथ अपने क्षेत्र का संरक्षण करना था।<balloon title="वामनपुराण, 34.44; 35.38।" style="color:blue">*</balloon>  मथुरा से इस प्रकार के यक्ष और यक्षणियों की छह प्रतिमाएं मिल चुकी हैं ।  '''[[मूर्ति कला मथुरा|.... और पढ़ें]]'''
*रक्षाबन्धन [[भारत]] में भाई-बहन को स्नेह की डोर से बांधने वाला हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। [[श्रावण]] शुक्ल की [[पूर्णिमा]] को 'रक्षाबन्धन' मनाया जाता हैं। 
*रक्षाबंधन का अर्थ है (रक्षा+बंधन) अर्थात किसी को अपनी रक्षा के लिए बांध लेना।
*भारतीय परम्परा में विश्वास का बन्धन ही मूल है और रक्षाबन्धन इसी विश्वास का बन्धन है।
*यह पर्व मात्र रक्षा-सूत्र के रूप में [[राखी]] बाँधकर रक्षा का वचन ही नहीं देता वरन् प्रेम, समर्पण, निष्ठा व संकल्प के जरिए हृदयों को बाँधने का भी वचन देता है।  
*रक्षाबंधन के दिन देश में कई स्थानों पर ब्राह्मण, पुरोहित भी अपने यजमान की समृद्धि हेतु उन्हें रक्षा बाँधते हैं, जिसकी उन्हें दक्षिणा भी मिलती है।
*[[मुंबई]] में रक्षाबंधन पर्व को नारली (नारियल) पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। जल के देवता [[वरुण देवता|वरुण]] को प्रसन्न करने के लिए समुद्र को (नारियल) अर्पित किए जाते हैं। [[रक्षाबन्धन|.... और पढ़ें]]
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<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[नृत्य कला]]'''</div>
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[ईद-उल-फ़ितर]]'''</div>
<div id="rollnone"> [[चित्र:Birju-Maharaj-1.jpg|right|100px|बिरजू महाराज|link=बिरजू महाराज]] </div>
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*रत्न आकर्षक [[खनिज]] का एक टुकड़ा होता है जो कटाई और पॉलिश करने के बाद गहने और अन्य अलंकरण बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
*ईद-उल-फ़ितर मुसलमानों का पवित्र त्योहार है। [[रमज़ान]] के पूरे महीने में [[मुसलमान]] रोज़े रखकर अर्थात भूखे-प्यासे रहकर पूरा महीना अल्लाह की इबादत में गुज़ार देते हैं।
*रत्न अपनी '''चमक और अन्य भौतिक गुणों''' के सौंदर्य की वजह से गहने में उपयोग किया जाता है।
*रमज़ान के पूरे महीने को अल्लाह की इबादत में गुज़ार कर जब वे रोज़ों से फ़ारिग हो जाते हैं तो चांद की पहली तारीख़ अर्थात जिस दिन चांद दिखाई देता है, उस रोज़ को छोड़कर दूसरे दिन ईद का त्योहार अर्थात ‘बहुत ख़ुशी का दिन’ मनाया जाता है।  
*रत्न का रंग ही उसकी सबसे स्पष्ट और आकर्षक विशेषता है। रत्नों को गर्म कर के उसके रंग की स्पष्टता बढ़ाई जाती है।
*ईद का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन मुसलमान किसी पाक साफ़ जगह पर जिसे 'ईदगाह' कहते हैं, वहाँ इकट्ठे होकर दो रक्आत नमाज़ शुक्राने की अदा करते हैं।
*रत्नों का इतिहास अत्यंत ही प्राचीन है। [[भारत]] की तरह अन्य देशों में भी इनके जन्म सम्बंधी अनगिनत कथाएं प्रचलित हैं।
*ईदगाह में नमाज़ पढ़ने के लिए जाने से पहले मुसलमान लोग 'फ़ितरा' अर्थात 'जान व माल का सदक़ा' लेकर जाते है, जो हर मुसलमान पर फ़र्ज होता है, वह ग़रीबों में बांटा जाता है। '''[[ईद-उल-फ़ितर|.... और पढ़ें]]'''
*भारतीय मान्यता के अनुसार '''कुल 84 रत्न''' पाए जाते हैं, जिनमें [[माणिक्य]], [[हीरा]], [[मोती]], [[नीलम]], [[पन्ना]], [[मूँगा]], [[गोमेद]], तथा वैदूर्य ([[लहसुनिया]]) को नवरत्न माना गया है।
*रत्नों को तीन श्रेणियों '''पाषाण रत्न''', '''प्राणिज रत्न''' और '''वनस्पतिक रत्न''' में बांटा गया है। '''[[रत्न|.... और पढ़ें]]'''
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10:36, 5 दिसम्बर 2010 का अवतरण

साँचा:प्रांगण

♦ विश्‍व का सातवाँ बड़ा देश होने के नाते भारत शेष एशिया से अलग दिखता है जिसकी विशेषता पर्वत और समुद्र ने तय की है और ये इसे विशिष्‍ट भौगोलिक पहचान देते हैं।
♦ उत्तर में विशाल पर्वत श्रृंखला हिमालय से घिरा यह कर्क रेखा से आगे संकरा होता जाता है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर तथा दक्षिण में हिन्‍द महासागर इसकी सीमा निर्धारित करते हैं।

संस्कृति मुखपृष्ठ

♦ भारत कृषि में आत्‍मनिर्भर बन चुका है और अब दुनिया के सबसे औद्योगीकृत देशों की श्रेणी में भी इसकी गिनती की जाती है।
♦ भारत का क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग कि.मी. है, जो हिमाच्‍छादित हिमालय की ऊँचाइयों से शुरू होकर दक्षिण के विषुवतीय वर्षा वनों तक फैला हुआ है।

विशेष आलेख

रक्षाबन्धन
रक्षाबन्धन
  • रक्षाबन्धन भारत में भाई-बहन को स्नेह की डोर से बांधने वाला हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। श्रावण शुक्ल की पूर्णिमा को 'रक्षाबन्धन' मनाया जाता हैं।
  • रक्षाबंधन का अर्थ है (रक्षा+बंधन) अर्थात किसी को अपनी रक्षा के लिए बांध लेना।
  • भारतीय परम्परा में विश्वास का बन्धन ही मूल है और रक्षाबन्धन इसी विश्वास का बन्धन है।
  • यह पर्व मात्र रक्षा-सूत्र के रूप में राखी बाँधकर रक्षा का वचन ही नहीं देता वरन् प्रेम, समर्पण, निष्ठा व संकल्प के जरिए हृदयों को बाँधने का भी वचन देता है।
  • रक्षाबंधन के दिन देश में कई स्थानों पर ब्राह्मण, पुरोहित भी अपने यजमान की समृद्धि हेतु उन्हें रक्षा बाँधते हैं, जिसकी उन्हें दक्षिणा भी मिलती है।
  • मुंबई में रक्षाबंधन पर्व को नारली (नारियल) पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। जल के देवता वरुण को प्रसन्न करने के लिए समुद्र को (नारियल) अर्पित किए जाते हैं। .... और पढ़ें
चयनित लेख
ईद पर नमाज़ पढ़ते लोग
ईद पर नमाज़ पढ़ते लोग
  • ईद-उल-फ़ितर मुसलमानों का पवित्र त्योहार है। रमज़ान के पूरे महीने में मुसलमान रोज़े रखकर अर्थात भूखे-प्यासे रहकर पूरा महीना अल्लाह की इबादत में गुज़ार देते हैं।
  • रमज़ान के पूरे महीने को अल्लाह की इबादत में गुज़ार कर जब वे रोज़ों से फ़ारिग हो जाते हैं तो चांद की पहली तारीख़ अर्थात जिस दिन चांद दिखाई देता है, उस रोज़ को छोड़कर दूसरे दिन ईद का त्योहार अर्थात ‘बहुत ख़ुशी का दिन’ मनाया जाता है।
  • ईद का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन मुसलमान किसी पाक साफ़ जगह पर जिसे 'ईदगाह' कहते हैं, वहाँ इकट्ठे होकर दो रक्आत नमाज़ शुक्राने की अदा करते हैं।
  • ईदगाह में नमाज़ पढ़ने के लिए जाने से पहले मुसलमान लोग 'फ़ितरा' अर्थात 'जान व माल का सदक़ा' लेकर जाते है, जो हर मुसलमान पर फ़र्ज होता है, वह ग़रीबों में बांटा जाता है। .... और पढ़ें


कुछ चुने हुए लेख
संस्कृति श्रेणी वृक्ष
चयनित चित्र

लट्ठामार होली, बरसाना
लट्ठामार होली, बरसाना

संबंधित लेख

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