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* यहाँ हम भारत के विभिन्न धर्मों से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
* यहाँ हम भारत की विभिन्न भाषाओं से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
* भारतीय संस्कृति की मूल विशेषता यह रही है कि व्यक्ति अपनी परिस्थितियों के अनुरूप मूल्यों की रक्षा करते हुए कोई भी मत, विचार अथवा धर्म अपना सकता है।  
* एक भाषा कई लिपियों में लिखी जा सकती है, और दो या अधिक भाषाओं की एक ही लिपि हो सकती है।
{{प्रांगण नोट}}
* भाषा संस्कृति का वाहन है और उसका अंग भी। -'''रामविलास शर्मा'''
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* यहाँ हिन्दू धर्म के अगणित रूपों और संप्रदायों के अतिरिक्त, बौद्ध, जैन, सिक्ख, इस्लाम, ईसाई, यहूदी आदि धर्मों की विविधता का भी एक सांस्कृतिक समायोजन देखने को मिलता है।
* भाषा वह साधन है, जिसके माध्यम से हम सोचते है और अपने विचारों को व्यक्त करते हैं।
* आध्यात्मिकता हमारी संस्कृति का प्राणतत्त्व है। इनमें ऐहिक अथवा भौतिक सुखों की तुलना में आत्मिक अथवा पारलौकिक सुख के प्रति आग्रह देखा जा सकता है।
* मनुष्य अपने विचार, भावनाओं एवं अनुभुतियों को भाषा के माध्यम से ही व्यक्त करता है।  
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<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[हिन्दी भाषा]]'''</div>
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[वेद]]'''</div>
<div id="rollnone"> [[चित्र:Hindi-Alphabhet.jpg|right|150px|हिन्दी वर्णमाला|link=हिन्दी भाषा]] </div>
<div id="rollnone"> [[चित्र:Ved-merge.jpg|right|150px|वेद|link=वेद]] </div>
*हिन्दी भारतीय गणराज की राजकीय और मध्य भारतीय आर्य भाषा है।
*'वेद' [[हिन्दू धर्म]] के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है, जिससे वैदिक [[संस्कृति]] प्रचलित हुई।
*सन [[1991]] ई. की जनगणना के अनुसार, '''23.342 करोड़ भारतीय हिन्दी का उपयोग मातृभाषा''' के रूप में करते हैं, जबकि लगभग 33.727 करोड़ लोग इसकी लगभग 50 से अधिक बोलियों में से एक इस्तेमाल करते हैं।
*वेद प्राचीन [[भारत]] के '''वैदिक काल की वाचिक परम्परा की अनुपम कृति''' है जो पीढी दर पीढी पिछले चार-पाँच हज़ार वर्षों से चली आ रही है।
*हिन्दी की प्रमुख बोलियों में [[अवधी भाषा|अवधी]], [[भोजपुरी भाषा|भोजपुरी]], [[ब्रज भाषा]], छत्तीसगढ़ी, गढ़वाली, हरियाणवी, कुमांऊनी, मागधी और मारवाड़ी शामिल हैं।
*वेद ही हिन्दू धर्म के सर्वोच्च और सर्वोपरि धर्मग्रन्थ हैं। '''वेद के असल मन्त्र भाग को संहिता कहते हैं।'''
*हिन्दी की आदि जननि [[संस्कृत]] है। संस्कृत पालि, [[प्राकृत भाषा]] से होती हुई अपभ्रंश तक पहुँचती है।
*वर्तमान काल में वेद चार माने जाते हैं। उनके नाम हैं- '''[[ॠग्वेद]], [[यजुर्वेद]], [[सामवेद]] और [[अथर्ववेद]]।'''
*हिन्दी के आधुनिक काल में प्रारम्भ में एक ओर [[उर्दू]] का प्रचार होने और दूसरी ओर काव्य की भाषा ब्रजभाषा होने के कारण '''खड़ी बोली''' को अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करना पड़ा।
*ऋग्वेद में '''मण्डल 10 हैं, 1028 सूक्त हैं और 11 हज़ार मन्त्र हैं।''' इसमें 5 शाखायें हैं - शाकल्प, वास्कल, अश्वलायन, शांखायन, मंडूकायन।
*भाषा के सर्वांगीण मानकीकरण का प्रश्न सबसे पहले 1950 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग ने ही उठाया।
*अथर्ववेद में जादू, चमत्कार, आरोग्य, [[यज्ञ]] के लिये मन्त्र हैं, इसमें 20 काण्ड हैं। अथर्ववेद में आठ खण्ड आते हैं जिनमें '''भेषज वेद एवं धातु वेद''' ये दो नाम स्पष्ट प्राप्त हैं।
*'''केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय''' ने लिपि के मानकीकरण पर अधिक ध्यान दिया और '[[देवनागरी लिपि]]' तथा 'हिन्दी वर्तनी का मानकीकरण' (1983 ई.) का प्रकाशन किया।  '''[[हिन्दी|.... और पढ़ें]]'''
*सुप्रसिद्ध वेदभाष्यकार महान पण्डित [[सायणाचार्य]] अपने वेदभाष्य में लिखते हैं कि ''''इष्टप्राप्त्यनिष्टपरिहारयोरलौकिकमुपायं यो ग्रन्थो वेदयति स वेद:'''' '''[[वेद|.... और पढ़ें]]'''
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| class="bgdharm7" style="border:1px solid #B0B0FF; padding:10px; -moz-border-radius: 6px;-webkit-border-radius: 6px; border-radius: 6px; " valign="top" | <div style="padding-left:8px; background:#e9d1fc; border:thin solid #d196ff">'''चयनित लेख'''</div>
| style="border:1px solid #c4f4d1;padding:10px; background:#f2fbf5; -moz-border-radius: 6px;-webkit-border-radius: 6px; border-radius: 6px; " valign="top" | <div style="padding-left:8px; background:#cce9ff; border:thin solid #a6d4f7">'''चयनित लेख'''</div>
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[पुराण]]'''</div>
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[देवनागरी लिपि]]'''</div>
<div id="rollnone"> [[चित्र:Puran-1.png|right|150px|पुराण|link=पुराण]] </div>
<div id="rollnone"> [[चित्र:Devnagari.jpg|right|150px|देवनागरी लिपि|link=देवनागरी लिपि]] </div>
*पुराणों की रचना वैदिक काल के काफ़ी बाद की है, ये स्मृति विभाग में रखे जाते हैं। पुराणों को '''मनुष्य के भूत, भविष्य, वर्तमान का दर्पण''' भी कहा जा सकता है।
*देवनागरी लिपि [[भारत]] में सर्वाधिक प्रचलित लिपि है जिसमें [[संस्कृत]], [[हिन्दी]] और [[मराठी भाषा|मराठी]] भाषाएँ लिखी जाती हैं।
*पुराणों में हिन्दू देवी-देवताओं का और पौराणिक मिथकों का बहुत अच्छा वर्णन है। इनकी '''भाषा सरल और कथा कहानी''' की तरह है।
*देवनागरी शब्द का '''सबसे पहला उल्लेख 453 ई. में [[जैन]] ग्रंथों में मिलता है'''। एक अन्य मत के अनुसार, [[गुजरात]] के नागर [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] द्वारा सर्वप्रथम उपयोग किये जाने के कारण इसका नाम 'नागरी' पड़ा।
*पुराण वस्तुतः वेदों का विस्तार हैं। वेद बहुत ही जटिल तथा शुष्क भाषा-शैली में लिखे गए हैं। [[वेदव्यास]] जी ने पुराणों की रचना और पुनर्रचना की।
*देवनागरी लिपि, '''भाषा [[विज्ञान]] की शब्दावली में यह 'अक्षरात्मक' लिपि कहलाती''' है। यह विश्व में प्रचलित सभी लिपियों की अपेक्षा अधिक पूर्णतर है। प्रत्येक ध्वनि संकेत यथावत लिखा जाता है।
*पुराण शब्द ‘पुरा’ एवं ‘अण’ शब्दों की संधि से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ -‘पुराना’ अथवा ‘प्राचीन’ होता है। ‘पुरा’ शब्द का अर्थ है - अनागत एवं अतीत और ‘अण’ शब्द का अर्थ होता है- कहना या बतलाना।
*देवनागरी लिपि में कुल '''52 अक्षर हैं, जिसमें 14 [[स्वर (व्याकरण)|स्वर]] और 38 [[व्यंजन (व्याकरण)|व्यंजन]]''' हैं। [[अक्षर|अक्षरों]] की क्रम व्यवस्था (विन्यास) भी बहुत ही वैज्ञानिक है।
*संसार की रचना करते समय [[ब्रह्मा]] जी ने एक ही पुराण की रचना की थी। जिसमें एक '''अरब श्लोक''' थे। यह पुराण बहुत ही विशाल और कठिन था। '''[[पुराण|.... और पढ़ें]]'''
*देवनागरी को '''[[स्वर (व्याकरण)|स्वर]] चिह्नों के बिना भी लिखा जाता रहा है'''। यह एक ध्वन्यात्मक लिपि है जो प्रचलित लिपियों (रोमन, [[अरबी भाषा|अरबी]], चीनी आदि) में सबसे अधिक वैज्ञानिक है।
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*देवनागरी की विशेषता '''अक्षरों के शीर्ष पर लंबी क्षैतिज रेखा है''', जो आधुनिक उपयोग में सामान्य तौर पर जुड़ी हुई होती है, जिससे लेखन के दौरान शब्द के ऊपर अटूट क्षैतिक रेखा का निर्माण होता है।
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*देवनागरी लिपि, लेखन की दृष्टि से सरल और वाचन की दृष्टि से सुपाठ्य है। '''देवनागरी को बाएं से दाहिनी ओर लिखा जाता है।''' '''[[देवनागरी लिपि|.... और पढ़ें]]'''
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<div style="padding-left:8px; background:#e9d1fc; border:thin solid #d196ff">'''कुछ लेख'''</div>
* [[हिन्दू धर्म]]
* [[इस्लाम धर्म]]
* [[जैन धर्म]]
* [[बौद्ध धर्म]]
* [[पारसी धर्म]]
* [[ईसाई धर्म]]
* [[सिक्ख धर्म]]
* [[वैष्णव सम्प्रदाय]]
* [[वल्लभ संप्रदाय]]
* [[माध्व सम्प्रदाय]]
* [[पुराण]]
* [[रामायण]]
* [[महाभारत]]
* [[वेद]]
* [[ईद-उल-फ़ितर]]
* [[दर्शन शास्त्र]]
* [[बौद्ध दर्शन]]
* [[गीता]]
* [[उपनिषद]]
* [[ब्राह्मण साहित्य|ब्राह्मण ग्रन्थ]]
* [[गुरु नानक|नानक देव, गुरु]]
* [[जैन दर्शन और उसका उद्देश्य|जैन दर्शन]]
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<div style="padding-left:8px; background:#ccf4d7; border:thin solid #afeac0">'''कुछ लेख'''</div>
* [[हिन्दी अकादमी]]
* [[हिन्दी संस्थान]]
* [[हिन्दी]]
* [[हिन्दी सामान्य ज्ञान]]
* [[सूक्ति और कहावत]]
* [[खरोष्ठी|खरोष्ठी लिपि]]
* [[पालि भाषा]]
* [[ब्राह्मी लिपि अशोक-काल]]
* [[ब्राह्मी लिपि]]
* [[अशोक के शिलालेख]]
* [[पाणिनि]]
* [[अष्टाध्यायी]]
* [[संस्कृत भाषा]]
* [[देवनागरी लिपि]]
* [[रसखान का कला-पक्ष]]
* [[रसखान की भाषा]]
* [[राजस्थानी भाषा]]
* [[अरबी भाषा]]
* [[ब्रजभाषा]]
* [[कश्मीरी भाषा]]
* [[अंग्रेज़ी भाषा]]
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<div style="padding-left:8px; background:#ccf4d7; border:thin solid #afeac0">'''भाषा श्रेणी वृक्ष'''</div>
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==संबंधित लेख==
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[[Category:प्रांगण]]
[[Category:प्रांगण]]

05:17, 3 मार्च 2011 का अवतरण

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भाषा श्रेणी के सभी लेख

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विशेष आलेख
हिन्दी वर्णमाला
हिन्दी वर्णमाला
  • हिन्दी भारतीय गणराज की राजकीय और मध्य भारतीय आर्य भाषा है।
  • सन 1991 ई. की जनगणना के अनुसार, 23.342 करोड़ भारतीय हिन्दी का उपयोग मातृभाषा के रूप में करते हैं, जबकि लगभग 33.727 करोड़ लोग इसकी लगभग 50 से अधिक बोलियों में से एक इस्तेमाल करते हैं।
  • हिन्दी की प्रमुख बोलियों में अवधी, भोजपुरी, ब्रज भाषा, छत्तीसगढ़ी, गढ़वाली, हरियाणवी, कुमांऊनी, मागधी और मारवाड़ी शामिल हैं।
  • हिन्दी की आदि जननि संस्कृत है। संस्कृत पालि, प्राकृत भाषा से होती हुई अपभ्रंश तक पहुँचती है।
  • हिन्दी के आधुनिक काल में प्रारम्भ में एक ओर उर्दू का प्रचार होने और दूसरी ओर काव्य की भाषा ब्रजभाषा होने के कारण खड़ी बोली को अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करना पड़ा।
  • भाषा के सर्वांगीण मानकीकरण का प्रश्न सबसे पहले 1950 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग ने ही उठाया।
  • केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय ने लिपि के मानकीकरण पर अधिक ध्यान दिया और 'देवनागरी लिपि' तथा 'हिन्दी वर्तनी का मानकीकरण' (1983 ई.) का प्रकाशन किया। .... और पढ़ें
चयनित लेख
देवनागरी लिपि
देवनागरी लिपि
  • देवनागरी लिपि भारत में सर्वाधिक प्रचलित लिपि है जिसमें संस्कृत, हिन्दी और मराठी भाषाएँ लिखी जाती हैं।
  • देवनागरी शब्द का सबसे पहला उल्लेख 453 ई. में जैन ग्रंथों में मिलता है। एक अन्य मत के अनुसार, गुजरात के नागर ब्राह्मणों द्वारा सर्वप्रथम उपयोग किये जाने के कारण इसका नाम 'नागरी' पड़ा।
  • देवनागरी लिपि, भाषा विज्ञान की शब्दावली में यह 'अक्षरात्मक' लिपि कहलाती है। यह विश्व में प्रचलित सभी लिपियों की अपेक्षा अधिक पूर्णतर है। प्रत्येक ध्वनि संकेत यथावत लिखा जाता है।
  • देवनागरी लिपि में कुल 52 अक्षर हैं, जिसमें 14 स्वर और 38 व्यंजन हैं। अक्षरों की क्रम व्यवस्था (विन्यास) भी बहुत ही वैज्ञानिक है।
  • देवनागरी को स्वर चिह्नों के बिना भी लिखा जाता रहा है। यह एक ध्वन्यात्मक लिपि है जो प्रचलित लिपियों (रोमन, अरबी, चीनी आदि) में सबसे अधिक वैज्ञानिक है।
  • देवनागरी की विशेषता अक्षरों के शीर्ष पर लंबी क्षैतिज रेखा है, जो आधुनिक उपयोग में सामान्य तौर पर जुड़ी हुई होती है, जिससे लेखन के दौरान शब्द के ऊपर अटूट क्षैतिक रेखा का निर्माण होता है।
  • देवनागरी लिपि, लेखन की दृष्टि से सरल और वाचन की दृष्टि से सुपाठ्य है। देवनागरी को बाएं से दाहिनी ओर लिखा जाता है। .... और पढ़ें
चयनित चित्र

ब्राह्मी लिपि
ब्राह्मी लिपि

कुछ लेख
भाषा श्रेणी वृक्ष

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