"महायान": अवतरणों में अंतर
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*इस मत के अनुसार 'बुद्धत्व' की प्राप्ति सर्वोपरि लक्ष्य है। | *इस मत के अनुसार 'बुद्धत्व' की प्राप्ति सर्वोपरि लक्ष्य है। | ||
*महायान संप्रदाय ने गृहस्थों के लिए भी सामाजिक उन्नति का मार्ग निर्दिष्ट किया। | *महायान संप्रदाय ने गृहस्थों के लिए भी सामाजिक उन्नति का मार्ग [[निर्दिष्ट]] किया। | ||
*भक्ति और पूजा की भावना के कारण इसकी ओर लोग सरलता से आकृष्ट हुए। | *भक्ति और पूजा की भावना के कारण इसकी ओर लोग सरलता से आकृष्ट हुए। | ||
*महायान मत के प्रमुख विचारकों में [[अश्वघोष]], [[नागार्जुन बौद्धाचार्य|नागार्जुन]] और [[असंग बौद्धाचार्य|असंग]] के नाम प्रमुख हैं। | *महायान मत के प्रमुख विचारकों में [[अश्वघोष]], [[नागार्जुन बौद्धाचार्य|नागार्जुन]] और [[असंग बौद्धाचार्य|असंग]] के नाम प्रमुख हैं। |
09:48, 18 मार्च 2011 का अवतरण
- महायान शब्द का वास्तविक अर्थ इसके दो खण्डों (महा+यान) से स्पष्ट हो जाता है। 'यान' का अर्थ मार्ग और 'महा' का श्रेष्ठ , बड़ा या प्रशस्त समझा जाता है।
- महायान बुद्ध की पूजा करता है।
- ये थेरावादियों को "हीनयान" (छोटी गाड़ी) कहते हैं।
- बौद्ध धर्म की एक प्रमुख शाखा है जिसका आरंभ पहली शताब्दी के आस-पास माना जाता है।
- ईसा पूर्व पहली शताब्दी में वैशाली में बौद्ध-संगीति हुई जिसमें पश्चिमी और पूर्वी बौद्ध पृथक हो गए।
- पूर्वी शाखा का ही आगे चलकर 'महायान' नाम पड़ा।
- देश के दक्षिणी भाग में इस मत का प्रसार देखकर कुछ विद्वानों की मान्यता है कि इस विचारधारा का आरंभ उसी अंचल से हुआ।
- महायान भक्ति प्रधान मत है।
- इसी मत के प्रभाव से बुद्ध की मूर्तियों का निर्माण आंरभ हुआ।
- इसी ने बौद्ध धर्म में बोधिसत्व की भावना का समावेश किया।
- यह भावना सदाचार, परोपकार, उदारता आदि से सम्पन्न थी।
- इस मत के अनुसार 'बुद्धत्व' की प्राप्ति सर्वोपरि लक्ष्य है।
- महायान संप्रदाय ने गृहस्थों के लिए भी सामाजिक उन्नति का मार्ग निर्दिष्ट किया।
- भक्ति और पूजा की भावना के कारण इसकी ओर लोग सरलता से आकृष्ट हुए।
- महायान मत के प्रमुख विचारकों में अश्वघोष, नागार्जुन और असंग के नाम प्रमुख हैं।
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