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[[मथुरा]] का विख्यात [[बौद्ध]] धर्माचार्य उपगुप्त था । [[अशोक|सम्राट अशोक]] को [[बौद्ध धर्म]] का प्रचार करने और [[स्तूप]] आदि को निर्मित कराने की प्रेरणा 'धर्माचार्य उपगुप्त' ने ही दी । जब भगवान [[बुद्ध]] दूसरी बार मथुरा आये ,तब उन्होंने भविष्यवाणी की और अपने प्रिय शिष्य [[आनंद]] से कहा कि कालांतर में यहाँ उपगुप्त नाम का एक प्रसिद्ध धार्मिक विद्वान होगा, जो उन्हीं की तरह बौद्ध धर्म का प्रचार करेगा और उसके उपदेश से अनेक भिक्षु योग्यता और पद प्राप्त करेंगे । इस भविष्यवाणी के अनुसार उपगुप्त ने मथुरा के एक वणिक के घर जन्म लिया । उसका पिता सुगंधित द्रव्यों का व्यापार करता था । उपगुप्त अत्यंत रूपवान और प्रतिभाशाली था । उपगुप्त किशोरावस्था में ही विरक्त होकर बौद्ध धर्म का अनुयायी हो गया था । आनंद के शिष्य शाणकवासी ने उपगुप्त को मथुरा के नट-भट विहार में बौद्ध धर्म के '''सर्वास्तिवादी संप्रदाय''' की दीक्षा दी थी ।
[[मथुरा]] का विख्यात [[बौद्ध]] धर्माचार्य उपगुप्त था । [[अशोक|सम्राट अशोक]] को [[बौद्ध धर्म]] का प्रचार करने और [[स्तूप]] आदि को निर्मित कराने की प्रेरणा 'धर्माचार्य उपगुप्त' ने ही दी । जब भगवान [[बुद्ध]] दूसरी बार मथुरा आये ,तब उन्होंने भविष्यवाणी की और अपने प्रिय शिष्य [[आनंद]] से कहा कि कालांतर में यहाँ उपगुप्त नाम का एक प्रसिद्ध धार्मिक विद्वान होगा, जो उन्हीं की तरह बौद्ध धर्म का प्रचार करेगा और उसके उपदेश से अनेक भिक्षु योग्यता और पद प्राप्त करेंगे । इस भविष्यवाणी के अनुसार उपगुप्त ने मथुरा के एक वणिक के घर जन्म लिया । उसका पिता सुगंधित द्रव्यों का व्यापार करता था । उपगुप्त अत्यंत रूपवान और प्रतिभाशाली था । उपगुप्त किशोरावस्था में ही विरक्त होकर बौद्ध धर्म का अनुयायी हो गया था । आनंद के शिष्य शाणकवासी ने उपगुप्त को मथुरा के नट-भट विहार में बौद्ध धर्म के '''सर्वास्तिवादी संप्रदाय''' की दीक्षा दी थी ।
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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10:16, 8 अगस्त 2012 का अवतरण

मथुरा का विख्यात बौद्ध धर्माचार्य उपगुप्त था । सम्राट अशोक को बौद्ध धर्म का प्रचार करने और स्तूप आदि को निर्मित कराने की प्रेरणा 'धर्माचार्य उपगुप्त' ने ही दी । जब भगवान बुद्ध दूसरी बार मथुरा आये ,तब उन्होंने भविष्यवाणी की और अपने प्रिय शिष्य आनंद से कहा कि कालांतर में यहाँ उपगुप्त नाम का एक प्रसिद्ध धार्मिक विद्वान होगा, जो उन्हीं की तरह बौद्ध धर्म का प्रचार करेगा और उसके उपदेश से अनेक भिक्षु योग्यता और पद प्राप्त करेंगे । इस भविष्यवाणी के अनुसार उपगुप्त ने मथुरा के एक वणिक के घर जन्म लिया । उसका पिता सुगंधित द्रव्यों का व्यापार करता था । उपगुप्त अत्यंत रूपवान और प्रतिभाशाली था । उपगुप्त किशोरावस्था में ही विरक्त होकर बौद्ध धर्म का अनुयायी हो गया था । आनंद के शिष्य शाणकवासी ने उपगुप्त को मथुरा के नट-भट विहार में बौद्ध धर्म के सर्वास्तिवादी संप्रदाय की दीक्षा दी थी ।

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