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==परिचय==
==परिचय==

12:28, 13 जुलाई 2021 का अवतरण

यशपाल शर्मा

यशपाल शर्मा (अंग्रेज़ी: Yashpal Sharma, जन्म- 11 अगस्त, 1954; मृत्यु- 13 जुलाई, 2021) प्रसिद्ध भारतीय क्रिकेटर थे। वह उस टीम इंडिया का हिस्सा रहे थे, जिसने साल 1983 में पहली बार 'क्रिकेट विश्वकप' जीता था। यशपाल शर्मा 1978 से 1985 तक भारतीय टीम के लिए खेले। उन्होंने 37 वनडे और 42 टेस्ट में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। उन्होंने 42 मैच की 40 पारियों में 883 रन बनाए, जिसमें उनका सर्वाधिक स्कोर 89 रन रहा। यशपाल शर्मा ने अपने कॅरियर में चार अर्धशतक भी लगाए। वह 1979-1983 तक भारतीय मध्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे।

परिचय

यशपाल शर्मा मूल रूप से पंजाब के रहने वाले थे। उनका जन्म 11 अगस्त, 1954 को लुधियाना, पंजाब में हुआ था। पंजाब के स्कूल की ओर से खेलते हुए यशपाल शर्मा ने 260 रनों का पहाड़ सा स्कोर बनाया था, जिसके बाद से ही वह निगाह में आ गये थे।

यशपाल शर्मा ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू चिर प्रतिद्वंदी टीम पाकिस्तान के खिलाफ साल 1978 में किया था। इसके बाद वह इंग्लैंड में खेले गए 1983 के विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा थे, जहां भारत ने वेस्टइंडीज को हराकर इतिहास रचा था। 1985 में अपने करियर का आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले यशपाल शर्मा को सात साल के अंतराल में कभी कोई गेंदबाज वनडे क्रिकेट में शून्य पर आउट नहीं कर सका।[1]

कॅरियर

दाएं हाथ के बल्लेबाज यशपाल शर्मा ने अपने कॅरियर में 42 वनडे इंटरनेशनल मैच खेले। इनकी 40 पारियों में उन्होंने 9 बार नाबाद रहते हुए 883 रन बनाए। हालांकि, वनडे क्रिकेट में वे कभी शतक नहीं ठोक पाए, लेकिन 4 बार अर्धशतकीय पारियां उन्होंने जरूर खेलीं। उनका सर्वाधिक स्कोर एकदिवसीय क्रिकेट में 89 रन था। वहीं, विश्व कप के सेमीफाइनल में उन्होंने 61 रन की बेजोड़ पारी खेली थीं, जिसके दम पर भारत फाइनल में पहुंचा था।

यशपाल शर्मा के टेस्ट कॅरियर की बात करें तो उन्होंने 1979 से 1983 तक कुल 37 टेस्ट मैच खेले, जिनकी 59 पारियों में उन्होंने कुल 1606 रन बनाए। इसमें दो शतक और 9 अर्धशतक उन्होंने जड़े। यशपाल शर्मा थोड़ी बहुत गेंदबाजी भी करते थे, लेकिन बतौर गेंदबाज उनके नाम ज्यादा सफलता नहीं थी, क्योंकि वे सिर्फ क्रिकेट के उस समय के दोनों प्रारूपों में सिर्फ एक-एक ही विकेट निकाल सके थे।[1]

तकनीकी सीमाएं

यशपाल शर्मा की तकनीकी सीमाएं थीं, लेकिन वह कमी उनके साहस, एकाग्रता, दृढ़ संकल्प और धैर्य, गुणों के सामने नहीं आईं। उन्होंने 1979 से 1983 तक भारतीय मध्य क्रम के लिए खेला। मुश्किल के वक्त यशपाल शर्मा की बल्लेबाजी टीम के काफी काम आई। 1977-78 में दलीप ट्रॉफी में दक्षिण क्षेत्र के खिलाफ उत्तर क्षेत्र के लिए 173 के स्कोर ने उन्हें राष्ट्रीय पहचान के करीब ला दिया। उन्होंने अगले सत्र में पाकिस्तान का दौरा किया, लेकिन टेस्ट टीम में जगह नहीं बना पाए। 1979 में इंग्लैंड दौरे पर उन्होंने शानदार खेल दिखाया और 58.93 की औसत से 884 रन बनाए। उन्होंने इस दौरान चार में से तीन टेस्ट खेले। 1979-80 के दौरान ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान के खिलाफ सीरीज में वह टीम के नियमित सदस्य बने। उन्होंने दिल्ली में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने पहले टेस्ट शतक सहित सीरीज में बहुमूल्य योगदान दिया।

हालांकि, अगले सीजन में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में उदासीन प्रदर्शन के बाद उन्होंने अपना स्थान खो दिया। इसके बाद उन्होंने 1981-1982 में इंग्लैंड के खिलाफ बाउंस बैक किया और मद्रास में 140 रन बनाए। उन्होंने इस दौरान जीआर विश्वनाथ के साथ 316 रन की रिकॉर्ड साझेदारी भी की। यह दोनों खिलाड़ी मैच के दूसरे दिन पूरा वक्त बल्लेबाजी करते रहे। यशपाल शर्मा 1982 में इंग्लैंड के दौरे पर और 1982-1983 में पाकिस्तान और वेस्टइंडीज के दौरे पर टीम के नियमित सदस्य बने रहे। वह गेंदबाजों के लिए हमेशा एक मुश्किल बल्लेबाज रहे।

मृत्यु

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व बल्लेबाज यशपाल शर्मा का निधन 13 जुलाई, 2021 को हुआ। 66 वर्षीय यशपाल शर्मा का निधन हार्ट अटैक के कारण हुआ।

कई पूर्व क्रिकेटरों ने यशपाल शर्मा के निधन पर अपना शोक व्यक्त किया। टीम इंडिया के पूर्व बल्लेबाज युवराज सिंह ने ट्वीट किया, "यशपाल शर्मा पाजी के असामयिक निधन की खबर बेहद दुखद है। उनकी आत्मा को शांति मिले। उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति मेरी संवेदनाएं"।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 नहीं रहे वर्ल्ड कप 1983 के 'हीरो' यशपाल शर्मा (हिंदी) jagran.com। अभिगमन तिथि: 13 जुलाई, 2021। सन्दर्भ त्रुटि: <ref> अमान्य टैग है; "pp" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है

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