अपदान

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  • बौद्ध धर्मग्रंथ 'त्रिपिटक' (दे.) के 'खुद्दकनिकाय' का 13 वाँ ग्रंथ जो 4 भागों में विभाजित है, (1) बुद्धापदान, (2) पच्चेकबुद्धापदान, (3) थेरापदान, (4) थेरीअपदान।
  • पालिभाषा में 'अपदान' का अर्थ 'जीवनरचित' है।
  • इन भागों में क्रमशः बुद्धों की प्रशंसा, प्रत्येकबुद्धों द्वारा कही गयी गाथाएँ, थेरों (भिक्षुओं) की गाथाएँ तथा थेरियों की गाथाएँ हैं।

इन्हें भी देखें: अवदानशतक

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