लामा
लामा
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विवरण | 'लामा' तिब्बती बौद्ध धर्म में धर्म गुरु या आध्यात्मिक नेता को कहा जाता है। तिब्बती भाषा में 'लामा' को 'ब्ला-मा' कहा जाता है, अर्थात 'श्रेष्ठतर व्यक्ति'। |
विशेष | कुछ लामाओं को उनके पूर्ववर्तियों का पुनर्अवतार माना जाता है, उन्हें 'टुल्कु लामा' कहा जाता है, जो उन्नत लामाओं से अलग होते हैं। |
संबंधित लेख | बौद्ध धर्म, दलाईलामा तेनजिन ग्यात्सो |
अन्य जानकारी | अवतरित लामाओं की वंशावली में सबसे उच्च 'दलाई लामा' हैं, जो 1959 में निर्वासित किए जाने तक तिब्बत के लौकिक शासक थे। |
लामा तिब्बत में बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक नेता या धर्म गुरु को कहा जाता है। इनकी कई कोटियाँ होती हैं। तिब्बती भाषा में 'लामा' को 'ब्ला-मा' कहा जाता है, अर्थात 'श्रेष्ठतर व्यक्ति'।
- मूल रूप से 'गुरु'[1] के अनुवाद के लिए लामा शब्द प्रयुक्त होता है। इस प्रकार यह केवल मठाधीशों या महान अध्यापकों के लिए प्रयोज्य है।
- 'लामा' शब्द अब शिष्टाचारवश किसी भी सम्मानित बौद्ध भिक्षु या पुजारी के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
- पश्चिमी शब्द 'लामाइज्म' और 'लामासरी', वास्तव में तिब्बती बौद्ध धर्म और तिब्बती मठों के लिए प्रयुक्त किए जाने वाले ग़लत शब्द हैं।[2]
अवतार
कुछ लामाओं को उनके पूर्ववर्तियों का पुनर्अवतार माना जाता है, उन्हें 'टुल्कु लामा' कहा जाता है, जो उन्नत लामाओं से अलग होते हैं, जिनका सम्मान उनके द्वारा हासिल आध्यात्मिक विकास के लिए किया जाता है।
दलाई लामा
अवतरित लामाओं की वंशावली में सबसे उच्च 'दलाई लामा' हैं, जो 1959 में निर्वासित किए जाने तक तिब्बत के लौकिक शासक थे। दलाई लामा तिब्बती बौद्धों के प्रमुख संघ 'गेलुग् पा' ('पीला टोप संप्रदाय') के प्रमुख हैं। उन्हें करुणामय बोधिसत्व अवलोकितेश्वर की दैहित अभिव्यक्ति माना जाता है।
पंचेन लामा
अनुक्रमण में दूसरे स्थान पर पंचेन लामा आते है, जो 'ताशिलहुंपो मठ' के प्रमुख मठाधीश होते हैं और स्वयंभू बुद्ध 'अमिताभ' का अवतार माने जाते हैं। अन्य छोटे टुल्कु लामाओं को महान संतों या शिक्षकों का अवतार माना जाता है, जिन्हें दलाई लामा महान, मध्यम या लद्यु अवतारों में श्रेणीबद्ध करते हैं। यह धारणा संभवत: 84 महासिद्धों या महायोगियों की परंपरा से उत्पन्न हुई है, जिनमें से कइयों को पूर्ववर्ती संतों का अवतरण माना जाता है, जो पुनर्जन्म में बौद्धों की आस्था का प्रतीक है।[2]
लामा का पुनर्जन्म
तिब्बत में चीनी शासन की स्थापना से पहले पुनर्अवतरित लामा के पुनर्जन्म का पता लगाने की प्रक्रिया अक्सर व्यापक और कठिन होती थी, विशेषकर दलाई लामा के चयन में, जिसके कई राजनीतिक निहितार्थ होते हैं। पूर्ववर्ती लामा की मृत्यु के बाद किसी भी समय, दिन या सालों में पुनर्जन्म हो सकता है। नवजात दलाई लामा का पता लगाने के लिए 'नेछुंग' में राज्य के दिव्य वक्ता से संपर्क किया जाता है। दलाई लामा द्वारा अपनी मृत्यु से पहले की गई टिप्पणियों को अक्सर उनके पुनर्जन्म के स्थान का संकेत माना जाता है। उसी तरह दलाई लामा की मृत्यु या मृत्यु के बाद किसी के जन्म के समय हुई किसी भी असाधारण घटना को भी संकेत माना जाता है।
चयन तथा शिक्षा
अक्सर दो या ज़्यादा उम्मीदवारों की कठिन शारीरिक एवं मानसिक परीक्षा ली जाती है, जिसमें पूर्वलामा की व्यक्तिगत वस्तुओं की पहचान शामिल है। संदेह की स्थिति में पर्चियां निकाली जाती हैं। चयन के बाद बच्चे को कम आयु से ही मठ संबंधी गहन शिक्षा दी जाती है। नव अवतरित लामा की तलाश एवं शिक्षा के दौरान उनकी जगह शासन के लिए एक प्रतिनिधि नियुक्त किया जाता है।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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