सारिपुत्र प्रकरण
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सारिपुत्र प्रकरण अश्वघोष द्वारा रचित एक नाटक है, जिसमें सारिपुत्र के बौद्ध मत में दीक्षित होने का विवरण मिलता है।
- सारिपुत्र राजगृह निवासी था। उसने महात्मा बुद्ध के धर्म और सिद्धांतों को जन-उपकारी मानकर उनके प्रति अपनी आस्था व्यक्त की थी। वह बुद्ध का प्रबुद्ध और प्रज्ञावान शिष्य था। उसके लिए बुद्ध का कहना था- 'मेरे द्वारा संचालित चक्र, अनुपम धर्मचक्र को तथागत का अनुजात सारिपुत्र अनुचालित कर रहा है।'[1]
इन्हें भी देखें: बौद्ध दर्शन, बौद्ध परिषद, बौद्ध धार्मिक स्थल, बौद्ध संगीति एवं बुद्ध
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मज्जिम निकाय, 2.5.3