साहित्य कोश
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
उपश्रेणियाँ
इस श्रेणी की कुल 7 में से 7 उपश्रेणियाँ निम्नलिखित हैं।
उ
- उड़िया साहित्य (1 पृ)
ऐ
- ऐतिहासिक कृतियाँ (7 पृ)
क
- कन्नड़ साहित्य (1 पृ)
ज
- जॉर्ज ग्रियर्सन पुरस्कार (1 पृ)
न
- नज़्म (18 पृ)
र
- राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान (15 पृ)
स
- स्वतंत्र लेखन (220 पृ)
"साहित्य कोश" श्रेणी में पृष्ठ
इस श्रेणी की कुल 13,935 में से 200 पृष्ठ निम्नलिखित हैं।
(पिछला पृष्ठ) (अगला पृष्ठ)ज
- जहँ तहँ नर रघुपति गुन गावहिं
- जहँ तहँ नारि निछावरि करहीं
- जहँ तहँ भागि चले कपि रीछा
- जहँ तहँ भूधर बिटप उपारी
- जहँ तहँ लोगन्ह डेरा कीन्हा
- जहँ बैठें देखहिं सब नारी
- जहँ लगि जगत सनेह सगाई
- जहँ लगि रहे अपर मुनि बृंदा
- जहँ लगि साधन बेद बखानी
- जहँ लगिनाथ नेह अरु नाते
- जहँ लगिबेद कही बिधि करनी
- जहँ लजि कहे पुरान
- जहँ सिंसुपा पुनीत तर
- जहँ सिय रामु लखनु निसि सोए
- जहाँ जनक गुरु गति मति भोरी
- जहाँ बैठि मुनिगन सहित
- जहाँआरा -जयशंकर प्रसाद
- जहाँगीरजसचन्द्रिका
- ज़ंजीर पहनाना
- ज़बाँ हिलाओ तो हो जाए, फ़ैसला दिल का -दाग़ देहलवी
- ज़बान का कच्चा
- ज़बान का कड़ा
- ज़बान का झूठा
- ज़बान का तेज़
- ज़बान का शेर
- ज़बान काटना
- ज़बान कैंची की तरह चलाना
- ज़बान को फ़ालिज मार जाना
- ज़बान को मुँह में रखना
- ज़बान ख़राब करना
- ज़बान खींचना
- ज़बान खुलना
- ज़बान खोलना
- ज़बान गज़ भर की होना
- ज़बान घिस जाना
- ज़बान चटोरी होना
- ज़बान चलना
- ज़बान चलाना
- ज़बान चलाने की रोटी खाना
- ज़बान चूक जाना
- ज़बान टूटना
- ज़बान डालना
- ज़बान तले ज़बान होना
- ज़बान तालू से लिपटना
- ज़बान थामना
- ज़बान देना
- ज़बान न खोलना
- ज़बान न थकना
- ज़बान पर आना
- ज़बान पर चढ़ना
- ज़बान पर ताला लगना
- ज़बान पर धरा रहना
- ज़बान पर मुहर लगा देना
- ज़बान पर रखना
- ज़बान पर लगाम न होना
- ज़बान पर लाना
- ज़बान पर होना
- ज़बान फेरना
- ज़बान बंद करना
- ज़बान बंद होना
- ज़बान बंदी करना
- ज़बान बदलना
- ज़बान बिगड़ना
- ज़बान मुँह में रखना
- ज़बान में लगाम न होना
- ज़बान रोकना
- ज़बान लड़ाना
- ज़बान लेना
- ज़बान सँभालकर बोलना
- ज़बान सँभालना
- ज़बान से उफ़ न करना
- ज़बान से निकलना
- ज़बान हारना
- ज़बान हिलाना
- ज़बान होना
- ज़बानी कहना
- ज़बानी जमा-खर्च करना
- ज़माना देखना
- ज़माना देखे होना
- ज़माना फिरना
- ज़माना लद जाना
- ज़माने की हवा लगना
- ज़माने पर
- ज़मीन आसमान एक करना
- ज़मीन आसमान के कुलावे मिलना
- ज़मीन का पैरों तले से खिसक जाना
- ज़मीन चूमने लगना
- ज़मीन दिखाना
- ज़मीन पकड़ना
- ज़मीन पर पैर न पड़ना
- ज़मीन पर पैर न रखना
- ज़मीन बाँधना
- ज़मीन में गड़ना
- ज़मीन सुँघाना
- ज़रदी छाना
- ज़रब आना
- ज़रा ज़रा-सी बात
- ज़रा मुस्कुरा तो दे -अशोक चक्रधर
- ज़रूरत भर
- ज़हमत गले लगना
- ज़हर उगलना
- ज़हर कर देना
- ज़हर का घूँट पीना
- ज़हर का बुझा हुआ
- ज़हर बोना
- ज़हर मार करना
- ज़हर में बुझाना
- ज़हर लगना
- ज़हर-ए-ग़म कर चुका था मेरा काम -ग़ालिब
- ज़ात पहचानना
- ज़िन्दगी से उन्स है -साहिर लुधियानवी
- ज़िन्दगी़ चार कविताएँ -कन्हैयालाल नंदन
- ज़िन्दां की एक शाम -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- ज़िम्मेदारी -लाल बहादुर शास्त्री
- ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल -अमीर ख़ुसरो
- ज़ो’फ आता है दिल को थाम तो लो -इंशा अल्ला ख़ाँ
- जा दिन तें मुनि गए लवाई
- जा दिनतें निरख्यौ नँद-नंदन -रसखान
- जाइ कपिन्ह सो देखा बैसा
- जाइ दीख रघुबंसमनि
- जाइ देखि आवहु नगरु
- जाइ न बरनि मनोहरताई
- जाइ निकट पहिचानि तरु
- जाइ पुकारे ते सब
- जाइ मुनिन्ह हिमवंतु पठाए
- जाइ सुनहु तहँ हरि गुन भूरी
- जाइत देखलि पथ नागरि सजनि गे -विद्यापति
- जाइत पेखलि नहायलि गोरी -विद्यापति
- जाउँ राम पहिं आयसु देहू
- जाकर नाम सुनत सुभ होई
- जाका गुरु भी अँधला -कबीर
- जाकी सहज स्वास श्रुति चारी
- जाके बल लवलेस तें
- जाके मथुरा कान्हांनें घागर फोरी -मीरां
- जाके लिए घर आई घिघाय -बिहारी लाल
- जाके हिरदै हरि बसै -कबीर
- जाके हृदयँ भगति जसि प्रीती
- जाकें डर अति काल डेराई
- जाकें बल बिरंचि हरि ईसा
- जाकौ जेता निरमया -कबीर
- जागइ मनोभव मुएहुँ
- जागना अपराध -माखन लाल चतुर्वेदी
- जागबलिक जो कथा सुहाई
- जागा निसिचर देखिअ कैसा
- जागिए ब्रजराज कुंवर -सूरदास
- जागिये कृपानिधान जानराय, रामचन्द्र -तुलसीदास
- जागे सकल लोग भएँ भोरू
- जागो बंसी वारे जागो मोरे ललन -मीरां
- जागो म्हांरा जगपतिरायक हंस बोलो क्यूं नहीं -मीरां
- जाचक जन जाचहिं जोइ जोई
- जाचक लिए हँकारि दीन्हि
- जाड़े की साँझ -माखन लाल चतुर्वेदी
- जात पवनसुत देवन्ह देखा
- जातक के अनमोल वचन
- जातरूप मनि रचित अटारीं
- जाता रहना
- जाति पाँति कुल धर्म बड़ाई
- जाति पाँति धनु धरमु बड़ाई
- जाति हीन अघ जन्म महि
- जाति हुती सखी गोहन में -रहीम
- जातुधान अंगद पन देखी
- जातुधान बरूथ बल भंजन
- जादू -प्रेमचंद
- जादू उतरना
- जादू करना
- जादू चढ़ना
- जादू डालना
- जादू मारना
- जादू सिर चढ़कर बोलना
- जान आदिकबि नाम प्रतापू
- जान आना
- जान आफ़त में होना
- जान एक कर देना
- जान का गाहक
- जान का जंजाल
- जान की पड़ी होना
- जान की बाज़ी लगाना
- जान के लाले पड़ना
- जान को आ पड़ना
- जान को रोना
- जान खाना
- जान खोना
- जान चुराना
- जान छिड़कना
- जान छुड़ाना
- जान छूटना
- जान जाना
- जान डालना
- जान देना
- जान न समझना
- जानउँ मैं तुम्हारि प्रभुताई
- जानउँ सदा भरत कुलदीपा
- जानकी जीवन की बलि जैहों -तुलसीदास
- जानकी प्रसाद
- जानकी मंगल -तुलसीदास
- जानकी लघु भगिनी सकल
- जानकी वल्लभ शास्त्री
- जानकीपरिणय
- जानकीहरण (महाकाव्य)
- जानत नहिं लगि मैं -बिहारी लाल