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− | + | '''अनुराधपुर''' सिंहल ([[लंका]]) देश की राजधानी है। अनुराधपुर का उल्लेख [[बौद्ध]] ग्रंथ [[महावंश]] में हुआ है। इस नगर का स्थापना [[काल]] '''500 [[वर्ष]]''' ईसा पूर्व बताया जाता है। | |
− | *इस नगर को एक भारतीय राजकुमार विजय के अनुरोध नामक सामंत ने वर्तमान मलवत्तुओय नदी के तट पर बसाया था। | + | *इस नगर को एक भारतीय [[राजकुमार]] विजय, जो [[भारत]] से [[सिंहल]] जाकर बस गया था, के '''अनुरोध''' नामक सामंत ने वर्तमान '''मलवत्तुओय नदी''' के तट पर बसाया था। |
− | *महावंश से यह विदित होता है कि यह नगर अनुराधा नक्षत्र में बसाया गया था, इसलिए इसका नामकरण | + | *[[महावंश]] से यह विदित होता है कि यह नगर [[अनुराधा नक्षत्र]] में बसाया गया था, इसलिए इसका नामकरण '''अनुराधपुर''' हुआ। |
− | *[[सम्राट अशोक]] के पुत्र महेन्द्र व पुत्री [[संघमित्रा]] द्वारा [[बौद्ध धर्म]] के प्रचार हेतु लाई गयी बोधिवृक्ष की टहनी | + | *[[सम्राट अशोक]] के [[पुत्र]] [[महेंद्र (अशोक का पुत्र)|महेन्द्र]] व [[पुत्री]] [[संघमित्रा]] द्वारा [[बौद्ध धर्म]] के प्रचार हेतु लाई गयी बोधिवृक्ष की टहनी अनुराधपुर में स्थित [[महाविहार]] में लगायी गयी थी। जो आज भी मौजूद है। |
− | *चौथी शताब्दी ईस्वी में [[बुद्ध|महात्मा बुद्ध]] का एक [[दाँत]] दंतपुरा (पुरी) से | + | *चौथी शताब्दी ईस्वी में [[बुद्ध|महात्मा बुद्ध]] का एक [[दाँत]] दंतपुरा (पुरी) से अनुराधपुर लाया गया था, जिसे अशोक द्वारा निर्मित धूपाराम [[स्तूप]] में रखा गया था। |
− | *अनुराधापुर के खण्डहरों में | + | *अनुराधापुर के खण्डहरों में '''देवानाम् प्रिय तिस्सा''' (सम्राट अशोक) द्वारा लगभग 250 ई.पू. में बनवाया गया धूपाराम स्तूप, दुत्तुजेमुनु द्वारा निर्मित रूआवेलिसिया और सावती स्तूप और तिस्सा के पुत्र वातागामनीक द्वारा निर्मित '''अभयगिरि स्तूप''' मुख्य हैं। |
+ | * यह प्राचीन नगर देश का '''व्यापारिक''' तथा '''व्यावसायिक''' केंद्र है, यहाँ आटा पीसने की [[चक्की|चक्कियाँ]] तथा अन्य बहुत से छोटे-मोटे उधोग धंधे हैं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=125 |url=}}</ref> | ||
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अनुराधपुर सिंहल (लंका) देश की राजधानी है। अनुराधपुर का उल्लेख बौद्ध ग्रंथ महावंश में हुआ है। इस नगर का स्थापना काल 500 वर्ष ईसा पूर्व बताया जाता है।
- इस नगर को एक भारतीय राजकुमार विजय, जो भारत से सिंहल जाकर बस गया था, के अनुरोध नामक सामंत ने वर्तमान मलवत्तुओय नदी के तट पर बसाया था।
- महावंश से यह विदित होता है कि यह नगर अनुराधा नक्षत्र में बसाया गया था, इसलिए इसका नामकरण अनुराधपुर हुआ।
- सम्राट अशोक के पुत्र महेन्द्र व पुत्री संघमित्रा द्वारा बौद्ध धर्म के प्रचार हेतु लाई गयी बोधिवृक्ष की टहनी अनुराधपुर में स्थित महाविहार में लगायी गयी थी। जो आज भी मौजूद है।
- चौथी शताब्दी ईस्वी में महात्मा बुद्ध का एक दाँत दंतपुरा (पुरी) से अनुराधपुर लाया गया था, जिसे अशोक द्वारा निर्मित धूपाराम स्तूप में रखा गया था।
- अनुराधापुर के खण्डहरों में देवानाम् प्रिय तिस्सा (सम्राट अशोक) द्वारा लगभग 250 ई.पू. में बनवाया गया धूपाराम स्तूप, दुत्तुजेमुनु द्वारा निर्मित रूआवेलिसिया और सावती स्तूप और तिस्सा के पुत्र वातागामनीक द्वारा निर्मित अभयगिरि स्तूप मुख्य हैं।
- यह प्राचीन नगर देश का व्यापारिक तथा व्यावसायिक केंद्र है, यहाँ आटा पीसने की चक्कियाँ तथा अन्य बहुत से छोटे-मोटे उधोग धंधे हैं।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 22| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
- ↑ हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 125 |