"पंचशिख" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
(''''पंचशिख''' या 'पंचशिखा' भगवान महात्मा बुद्ध के द्वार...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 +
{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=पंचशिख |लेख का नाम=पंचशिख (बहुविकल्पी)}}
 +
[[चित्र:Buddha-Kushinagar.jpg|thumb|150px|[[महात्मा बुद्ध]]]]
 
'''पंचशिख''' या 'पंचशिखा' भगवान [[महात्मा बुद्ध]] के द्वारा दी गईं पाँच सीख (शिक्षा) हैं। ये सीख हैं-
 
'''पंचशिख''' या 'पंचशिखा' भगवान [[महात्मा बुद्ध]] के द्वारा दी गईं पाँच सीख (शिक्षा) हैं। ये सीख हैं-
  
पंक्ति 8: पंक्ति 10:
  
 
महात्मा बुद्ध ने कहा कि, इन पाँचों से विरत रहने में ही लोक कल्याण निहित है।<ref>[[बुद्धचरित]], पृष्ठ 463</ref>
 
महात्मा बुद्ध ने कहा कि, इन पाँचों से विरत रहने में ही लोक कल्याण निहित है।<ref>[[बुद्धचरित]], पृष्ठ 463</ref>
 +
 +
{{seealso|महात्मा बुद्ध|बौद्ध धर्म|पिपरावा|लुम्बिनी}}
  
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

10:50, 23 जनवरी 2012 के समय का अवतरण

Disamb2.jpg पंचशिख एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- पंचशिख (बहुविकल्पी)

पंचशिख या 'पंचशिखा' भगवान महात्मा बुद्ध के द्वारा दी गईं पाँच सीख (शिक्षा) हैं। ये सीख हैं-

  1. 'प्राणवध' (प्राणातियात)
  2. चोरी (अदत्तादान)
  3. काम (मिथ्याचार)
  4. मृषावाद (असत्य भाषण)
  5. सुरापान (सुरामेरय-मद्यप्रमाद)

महात्मा बुद्ध ने कहा कि, इन पाँचों से विरत रहने में ही लोक कल्याण निहित है।[1]

इन्हें भी देखें: महात्मा बुद्ध, बौद्ध धर्म, पिपरावा एवं लुम्बिनी


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय संस्कृति कोश, भाग-2 |प्रकाशक: यूनिवर्सिटी पब्लिकेशन, नई दिल्ली-110002 |संपादन: प्रोफ़ेसर देवेन्द्र मिश्र |पृष्ठ संख्या: 461 |

  1. बुद्धचरित, पृष्ठ 463

संबंधित लेख