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*'सहबइयापथरी', 'मोरहनापथरी', 'बागापथरी' तथा 'लकहरपथरी' नामक पहाड़ियों में इस प्रकार की लगभग सौ गुफ़ाएँ पाई गई हैं।
 
*'सहबइयापथरी', 'मोरहनापथरी', 'बागापथरी' तथा 'लकहरपथरी' नामक पहाड़ियों में इस प्रकार की लगभग सौ गुफ़ाएँ पाई गई हैं।
 
*गुफ़ाओं के अंदर भित्तियों पर [[लाल रंग|लाल]], [[पीला रंग|पीले]] और [[सफ़ेद रंग|श्वेत]] रंगों में चार-पाँच सहस्र [[वर्ष]] प्राचीन चित्रकारी देखी जा सकती है। ये चित्र [[प्रागैतिहासिक काल]] में इस वन्य भूखंड के आदिम निवासियों द्वारा बनाए गए थे।
 
*गुफ़ाओं के अंदर भित्तियों पर [[लाल रंग|लाल]], [[पीला रंग|पीले]] और [[सफ़ेद रंग|श्वेत]] रंगों में चार-पाँच सहस्र [[वर्ष]] प्राचीन चित्रकारी देखी जा सकती है। ये चित्र [[प्रागैतिहासिक काल]] में इस वन्य भूखंड के आदिम निवासियों द्वारा बनाए गए थे।
*कुछ विद्वानों का मत है कि इस प्रकार के चित्र जादू-टोने से संबधित हैं।
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*कुछ विद्वानों का मत है कि इस प्रकार के चित्र जादू-टोने से संबंधित हैं।
 
*एक जगह सुसज्जित द्वार के भीतर एक विचित्र मनुष्य चित्रित है, जिसका मुख पक्षी की चोंच के आकार का है। उसके सामने बैठे हुए दो मनुष्य उसकी [[पूजा]] कर रहे हैं।
 
*एक जगह सुसज्जित द्वार के भीतर एक विचित्र मनुष्य चित्रित है, जिसका मुख पक्षी की चोंच के आकार का है। उसके सामने बैठे हुए दो मनुष्य उसकी [[पूजा]] कर रहे हैं।
 
*इन चित्रों से सभ्यता के विकास के पूर्व के मानव का आचार-विचार ज्ञात होता है।
 
*इन चित्रों से सभ्यता के विकास के पूर्व के मानव का आचार-विचार ज्ञात होता है।

08:24, 13 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण

लहोरियादह मिर्जापुर ज़िला, उत्तर प्रदेश का एक छोटा-सा ग्राम है। ऐतिहासिक दृष्टि से यह ग्राम महत्त्वपूर्ण है। मिर्जापुर से रीवा जाने वाली सड़क ग्रेट दकन मार्ग पर, मिर्जापुर से प्रायः 45 मील दूर इस छोटे-से ग्राम के निकट, सड़क से कुछ ही दूरी पर अनेक प्रागैतिहासिक गुफ़ाएँ अवस्थित हैं।[1]

  • 'सहबइयापथरी', 'मोरहनापथरी', 'बागापथरी' तथा 'लकहरपथरी' नामक पहाड़ियों में इस प्रकार की लगभग सौ गुफ़ाएँ पाई गई हैं।
  • गुफ़ाओं के अंदर भित्तियों पर लाल, पीले और श्वेत रंगों में चार-पाँच सहस्र वर्ष प्राचीन चित्रकारी देखी जा सकती है। ये चित्र प्रागैतिहासिक काल में इस वन्य भूखंड के आदिम निवासियों द्वारा बनाए गए थे।
  • कुछ विद्वानों का मत है कि इस प्रकार के चित्र जादू-टोने से संबंधित हैं।
  • एक जगह सुसज्जित द्वार के भीतर एक विचित्र मनुष्य चित्रित है, जिसका मुख पक्षी की चोंच के आकार का है। उसके सामने बैठे हुए दो मनुष्य उसकी पूजा कर रहे हैं।
  • इन चित्रों से सभ्यता के विकास के पूर्व के मानव का आचार-विचार ज्ञात होता है।
  • संभव है कि इन गुफ़ाओं के तथा इस प्रकार के अन्य चित्रों के अध्ययन से वर्तमान आदिवासियों के जीवन तथा प्रागैतिहासिक मनुष्यों के रहन-सहन में समानता की कुछ बातें मिलें।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 814 |

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