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विवरण | इ देवनागरी वर्णमाला का तीसरा स्वर है। |
भाषाविज्ञान की दृष्टि से | 'तालव्य', 'ह्रस्व' (जिसका दीर्घ रूप 'ई' है), अग्र, अवृत्तमुखी, संवृत, तथा 'मूल' स्वर है और 'घोष' ध्वनि है। |
अनुनासिक रूप | 'इँ' (जैसे- इँचना, इँडुरी) |
मात्रा | 'ि' (जैसे- कि, ति, रि) |
व्याकरण | [ संस्कृत अ + इञ् ] पुल्लिंग- कामदेव, क्रोध, दया, आश्चर्य और भर्त्सना का सूचक एक शब्द; सम्बोधनवाची एक शब्द। |
संबंधित लेख | अ, आ, ई, ओ, औ |
इ देवनागरी वर्णमाला का तीसरा स्वर है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह 'तालव्य', 'ह्रस्व' (जिसका दीर्घ रूप 'ई' है), अग्र, अवृत्तमुखी, संवृत, तथा 'मूल' स्वर है और 'घोष' ध्वनि है।
- विशेष-
- 'इ' का अनुनासिक रूप 'इँ' है। जैसे- इँचना, इँडुरी आदि।
- 'इ' की मात्रा 'ि' है जो व्यंजन के बायीं और लगती है। जैसे- कि, ति, रि इत्यादि में।
- [ संस्कृत अ + इञ् ] पुल्लिंग- कामदेव, क्रोध, दया, आश्चर्य और भर्त्सना का सूचक एक शब्द; सम्बोधनवाची एक शब्द।[1]
इ अक्षर वाले शब्द
इ की मात्रा 'ि' का प्रयोग
क + ि = कि |
ख + ि = खि |
ग + ि = गि |
घ + ि = घि |
ड़ + ि = ड़ि |
च + ि = चि |
छ + ि = छि |
ज + ि = जि |
झ + ि = झि |
ञ + ि = ञि |
ट + ि = टि |
ठ + ि = ठि |
ड + ि = डि |
ढ + ि = ढि |
ण + ि = णि |
त + ि = ति |
थ + ि = थि |
द + ि = दि |
ध + ि = धि |
न + ि = नि |
प + ि = पि |
फ + ि = फि |
ब + ि = बि |
भ + ि = भि |
म + ि = मि |
य + ि = यि |
र + ि = रि |
ल + ि = लि |
व + ि = वि |
श + ि = शि |
ष + ि = षि |
स + ि = सि |
ह + ि = हि |
क्ष + ि = क्षि |
त्र + ि = त्रि |
ज्ञ + ि = ज्ञि |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पुस्तक- हिन्दी शब्द कोश खण्ड-1 | पृष्ठ संख्या- 344
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