च
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च
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विवरण | च देवनागरी वर्णमाला में चवर्ग का प्रथम व्यंजन है। |
भाषाविज्ञान की दृष्टि से | यह तालव्य, स्पर्श–संघर्षों, अघोष तथा अल्पप्राण वर्ण है। |
व्याकरण | [ चण् / (धातु) चि + ड ] पुल्लिंग- शिव, महादेव, चंद्रमा, कछुआ, चोर। |
विशेष | ‘च’ से पहले आने वाले व्यंजनों में ञ्, र् और श् जो सन्युक्त रूप बनाते हैं, वे ध्यान देने योग्य हैं- ञ्च, ‘र्च’ श्च (पञ्च, सञ्चय; अर्चन, खर्चा; पश्च, आश्चर्य)। |
संबंधित लेख | छ, ज, झ, ञ |
अन्य जानकारी | प्राय: ‘च’ वर्ण हिंदी-शब्दों के आदि और मध्य में आता है (चपल, प्राचीन, नाच, च्युत, वाच्य) परंतु अंत में उसका प्रयोग बहुत कम होता है, प्राय: तत्सम शब्दों में ही। |
च देवनागरी वर्णमाला में चवर्ग का प्रथम व्यंजन है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह तालव्य, स्पर्श–संघर्षों, अघोष तथा अल्पप्राण वर्ण है।
- विशेष-
- ‘च्’ वर्ण अपने बाद आने वाले व्यंजन से मिलने के लिए अपनी खड़ी रेखा छोड़कर सन्युक्त रूप बनाता है, जैसे—च्च, च्छ, च्य, च्व। [(उच्च, कच्चा, अच्छ,च्यवन, प्राच्य, च्वाइस (अ)]।
- ‘च’ से पहले आने वाले व्यंजनों में ञ्, र् और श् जो सन्युक्त रूप बनाते हैं, वे ध्यान देने योग्य हैं- ञ्च, ‘र्च’ श्च (पञ्च, सञ्चय; अर्चन, खर्चा; पश्च, आश्चर्य)।
- ‘ञ्च’ के ‘ञ्’ के स्थान पर अनुस्वार के समान बिंदी लगाकर लिखना भी मुद्रण आदि की सुविधा के लिए, प्रचलित है (पञ्च/पंच, सञ्चय/संचय)।
- प्राय: ‘च’ वर्ण हिंदी-शब्दों के आदि और मध्य में आता है (चपल, प्राचीन, नाच, च्युत, वाच्य) परंतु अंत में उसका प्रयोग बहुत कम होता है, प्राय: तत्सम शब्दों में ही।
- [ चण् / (धातु) चि + ड ] पुल्लिंग- शिव, महादेव, चंद्रमा, कछुआ, चोर।[1]
च की बारहखड़ी
च | चा | चि | ची | चु | चू | चे | चै | चो | चौ | चं | चः |
च अक्षर वाले शब्द
- चम्मच
- चक्रा नदी
- चक्रधनु
- चक्र अस्त्र
- चण्डीगढ़
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पुस्तक- हिन्दी शब्द कोश खण्ड-1 | पृष्ठ संख्या- 829
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