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विवरण | प देवनागरी वर्णमाला का पवर्ग का पहला व्यंजन है। |
भाषाविज्ञान की दृष्टि से | यह द्वि-ओष्ठय (द्वयोष्ठ्य) स्पर्श, अघोष और अल्पप्राण है। इसका महाप्राण रूप 'फ' है। |
व्याकरण | [ संस्कृत (धातु) पत् + णिच / ड ] पुल्लिंग- वायु, पत्र, पत्ता, अंडा। |
विशेष | 'प' अल्पप्राण व्यंजन है अत: 'प' का द्वित्व हो सकता है। प्+प को 'प्प' के रूप में लिखा जाता है। जैसे- गप्पी, ठप्प। |
संबंधित लेख | फ, ब, भ, म |
अन्य जानकारी | व्यंजन-गुच्छ के रूप में 'प' जिन व्यंजनों से पहले आता है। उनमें वह प्राय: खड़ी रेखा छोड़कर मिलता है। जैसे- आप्त, प्लीहा परन्तु 'र' से पहले आने पर 'प्र' के रूप में लिखा जाता है। जैसे- प्रलय, प्राचार्य, प्रीति, प्रेम। |
प देवनागरी वर्णमाला का पवर्ग का पहला व्यंजन है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह द्वि-ओष्ठय (द्वयोष्ठ्य) स्पर्श, अघोष और अल्पप्राण है। इसका महाप्राण रूप 'फ' है।
- विशेष-
- व्यंजन-गुच्छ के रूप में 'प' जिन व्यंजनों से पहले आता है। उनमें वह प्राय: खड़ी रेखा छोड़कर मिलता है। जैसे- आप्त, प्लीहा परन्तु 'र' से पहले आने पर 'प्र' के रूप में लिखा जाता है। जैसे- प्रलय, प्राचार्य, प्रीति, प्रेम।
- व्यंजन-गुच्छों में, प से पहले आकर मिलने वाले व्यंजन प्राय: अपनी खड़ी रेखा को छोड़कर मिलते हैं और 'प' यथावत् रहता है। जैसे- उत्पन्न, सम्पत्ति परन्तु 'प' के पहले आने वाला 'र' मिलने पर संयुक्त रूप 'र्प' बनाता है। जैसे- समर्पण, सर्पिल, दर्पी।
- 'प' अल्पप्राण व्यंजन है अत: 'प' का द्वित्व हो सकता है। प्+प को 'प्प' के रूप में लिखा जाता है। जैसे- गप्पी, ठप्प।
- [ संस्कृत (धातु) पत् + णिच / ड ] पुल्लिंग- वायु, पत्र, पत्ता, अंडा।
- संगीत में 'प' पंचम स्वर के संक्षिप्त रूप में मान्य है।
- [ संस्कृत (धातु) पा + क ] विशेषण- पीने वाला। जैसे- पादक (=पैरों से जल पीने वाला = वृक्ष); मद्यप, रक्षक, शासक या पालक। जैसे- गोप, नृप, क्षितिप।[1]
प की बारहखड़ी
प | पा | पि | पी | पु | पू | पे | पै | पो | पौ | पं | पः |
प अक्षर वाले शब्द
- पानी
- पानीपत
- पश्चिम बंगाल
- पीला रंग
- पत्र
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पुस्तक- हिन्दी शब्द कोश खण्ड-2 | पृष्ठ संख्या- 1451
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