ऊ
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ऊ
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विवरण | ऊ देवनागरी वर्णमाला का छठा स्वर है। |
भाषाविज्ञान की दृष्टि से | यह ओष्ठ्य, दीर्घ (जिसका ह्रस्व रूप ‘उ’ है, पश्च, वृत्तमुखी, संवृत और मूल स्वर है तथा घोष ध्वनि है। |
मात्रा | ' ू' (जैसे- कू, चू, टू, तू, पू) |
व्याकरण | [ संस्कृत अव्+क्विप् ] पुल्लिंग- शिव, महादेव, चंद्रमा। |
संबंधित लेख | अ, आ, ई, ओ, औ, उ |
अन्य जानकारी | ु और ू की मात्रा ‘रू’ और ‘रु’ में अंतर (जैसे- रूप, रुपया; रूठना, रुष्टता; इत्यादि में) समझना महत्त्वपूर्ण है। |
ऊ देवनागरी वर्णमाला का छठा स्वर है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह ओष्ठ्य, दीर्घ (जिसका ह्रस्व रूप ‘उ’ है, पश्च, वृत्तमुखी, संवृत और मूल स्वर है तथा घोष ध्वनि है।
- विशेष-
- ‘ऊ’ की मात्रा ू व्यंजन के नीचे लगती है (जैसे- कू, घू, तू, शू, सू इत्यादि परंतु, ‘र’ से जुड़ने पर ‘र’ का रूप ’रू’ होता है जो ‘र+उ’ के रूप ‘रु’ से थोड़ा भिन्न है।
- ‘रू’ और ‘रु’ में अंतर (जैसे- रूप, रुपया; रूठना, रुष्टता; इत्यादि में) समझना महत्त्वपूर्ण है।
- [ संस्कृत अव्+क्विप् ] पुल्लिंग- शिव, महादेव, चंद्रमा।
- [ अवधी, ब्रजभाषा, बुंदेली ] सर्वनाम- वह। जैसे- ऊ गया; ऊ से कहो।[1]
ऊ अक्षर वाले शब्द
ऊ की मात्रा ू का प्रयोग
क + ू = कू |
ख + ू = खू |
ग + ू = गू |
घ + ू = घू |
ड़ + ू = ड़ू |
च + ू = चू |
छ + ू = छू |
ज + ू = जू |
झ + ू = झू |
ञ + ू = ञु |
ट + ू = टू |
ठ + ू = ठू |
ड + ू = डू |
ढ + ू = ढू |
ण + ू = णू |
त + ू = तू |
थ + ू = थू |
द + ू = दू |
ध + ू = धू |
न + ू = नू |
प + ू = पू |
फ + ू = फू |
ब + ू = बू |
भ + ू = भू |
म + ू = मू |
य + ू = यू |
र + ू = रू |
ल + ू = लू |
व + ू = वू |
श + ू = शू |
ष + ू = षू |
स + ू = सू |
ह + ू = हू |
क्ष + ू = क्षू |
त्र + ू = त्रू |
ज्ञ + ू = ज्ञू |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पुस्तक- हिन्दी शब्द कोश खण्ड-1 | पृष्ठ संख्या- 443
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