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विवरण देवनागरी वर्णमाला में टवर्ग का प्रथम व्यंजन है।
भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह मूर्धन्य, स्पर्श, अघोष तथा अल्पप्राण व्यंजन है।
व्याकरण [ संस्कृत (धातु) टल्‌ + ड ] पुल्लिंग- धनुष की टंकार, पृथ्वी, शपथ, क़सम, बौना, शब्द, ध्वनि, आवाज़।
विशेष 'ट्‌' के बाद 'स' और 'ट्‌' से पहले 'क्‌', 'र' और 'स्‌' अँग्रेज़ी आदि से आगत शब्दों में ही जुड़ते हैं। इनमें 'र' का शिरोरेखा के ऊपर रेफ के रूप में रहना ध्यान देने योग्य है। जैसे- थर्ड, बर्ड।
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अन्य जानकारी 'ट' वर्ण के बाद आकर गुच्छ बनाने वाले व्यंजनों में प्राय: 'ट्‌', 'ठ्‌', 'य', 'र' और 'स' ही आते हैं और उन्हें सट्‌टा, लट्‌ठा, नाट्‌य, राष्ट्र, नोट्‌स' के समान लिखा जाता है। 'ट्र' (ट्‌+र) विशेष ध्यान देने योग्य है।

देवनागरी वर्णमाला में टवर्ग का प्रथम व्यंजन है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह मूर्धन्य, स्पर्श, अघोष तथा अल्पप्राण व्यंजन है।

विशेष-
  • 'ट' वर्ण के बाद आकर गुच्छ बनाने वाले व्यंजनों में प्राय: 'ट्‌', 'ठ्‌', 'य', 'र' और 'स' ही आते हैं और उन्हें सट्‌टा, लट्‌ठा, नाट्‌य, राष्ट्र, नोट्‌स' के समान लिखा जाता है। 'ट्र' (ट्‌+र) विशेष ध्यान देने योग्य है।
  • 'ट' से पहले आकर गुच्छ बनाने वाले व्यंजनों में प्राय: 'क', 'ट', 'ण', 'र', 'ल', 'ष' और 'स' आते हैं उन्हें 'ऐक्ट, पट्‌ट, चण्ट्‌/चंट, शर्ट, बेल्ट, कष्ट, पोस्ट' के समान लिखा जाता है।
  • 'ट्‌' के बाद 'स' और 'ट्‌' से पहले 'क्‌', 'र' और 'स्‌' अँग्रेज़ी आदि से आगत शब्दों में ही जुड़ते हैं। इनमें 'र' का शिरोरेखा के ऊपर रेफ के रूप में रहना ध्यान देने योग्य है। जैसे- थर्ड, बर्ड।
  • [ संस्कृत (धातु) टल्‌ + ड ] पुल्लिंग- धनुष की टंकार, पृथ्वी, शपथ, क़सम, (किसी वस्तु का) चौथा भाग, चतुर्थांश, नारियल का खोपड़ा, वामन, बौना, शब्द, ध्वनि, आवाज़।[1]

ट की बारहखड़ी

टा टि टी टु टू टे टै टो टौ टं टः

ट अक्षर वाले शब्द



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पुस्तक- हिन्दी शब्द कोश खण्ड-1 | पृष्ठ संख्या- 1049

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