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विवरण देवनागरी वर्णमाला का नवाँ स्वर है।
भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह दीर्घ, अग्र, अवृत्तमुखी, अर्धसंवृत, स्वर है और घोष ध्वनि है। इसके उच्चारण-स्थान कंठ और तालू होने से यह ‘कंठ्य-तालव्य’ है।
अनुनासिक रूप ‘ऐँ’ (मुद्रण आदि की सुविधा के लिए ‘ऐं’ भी लिखा जाता है।)
मात्रा 'ै’ (जैसे- कै, चै, टै, तै, पै)
व्याकरण [ संस्कृत आ (धातु) इ + विच्‌ ] पुल्लिंग- शिव, महादेव। अव्ययीभाव समास- स्मरण, बुलावा तथा सम्बोधन-बोधक शब्द।
संबंधित लेख , , , , , , , , अं, अ:

देवनागरी वर्णमाला का नवाँ स्वर है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह दीर्घ, अग्र, अवृत्तमुखी, अर्धसंवृत, स्वर है और घोष ध्वनि है। इसके उच्चारण-स्थान कंठ और तालू होने से यह ‘कंठ्य-तालव्य’ है।

विशेष-
  1. ‘ऐ’ का अनुनासिक रूप ‘ऐँ’ है जिसे मुद्रण आदि की सुविधा के लिए ‘ऐं’ भी लिखा जाता है।
  2. ‘ऐ’ की मात्रा 'ै' व्यंजन की शिरोरेखा के ऊपर लगती है। (जैसे- कै, गै, मै, चै, टै, पै, वै)।
  3. [ संस्कृत आ (धातु) इ + विच्‌ ] पुल्लिंग- शिव, महादेव। अव्ययीभाव समास- स्मरण, बुलावा तथा सम्बोधन-बोधक शब्द।
  4. अव्यय- 1. विस्मय का सूचक एक शब्द। अरे। 2. सम्बोधन सूचक एक शब्द। हे।
  5. सर्वनाम, विशेषण- 1. यह। जैसे- ऐई। 2. इस। जैसे- ऐ से काम नहीं चलेगा।
  6. ‘ऐ परि’ = इतने पर भी। फिर भी। उदाहरण- वारियै कोरिक प्रान सुजान हौं ऐ परि मरियैगो मसोसनि। -घनानंद[1]

ऐ अक्षर वाले शब्द

ऐ की मात्रा ै का प्रयोग

क + ै = कै
ख + ै = खै
ग + ै = गै
घ + ै = घै
ड़ + ै = ड़ै
च + ै = चै
छ + ै = छै
ज + ै = जै
झ + ै = झै
ञ + ै = ञै
ट + ै = टै
ठ + ै = ठै
ड + ै = डै
ढ + ै = ढै
ण + ै = णै
त + ै = तै
थ + ै = थै
द + ै = दै
ध + ै = धै
न + ै = नै
प + ै = पै
फ + ै = फै
ब + ै = बै
भ + ै = भै
म + ै = मै
य + ै = यै
र + ै = रै
ल + ै = लै
व + ै = वै
श + ै = शै
ष + ै = षै
स + ै = सै
ह + ै = है
क्ष + ै = क्षै
त्र + ै = त्रै
ज्ञ + ै = ज्ञै


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पुस्तक- हिन्दी शब्द कोश खण्ड-1 | पृष्ठ संख्या- 470

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