ओ
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ओ
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विवरण | ओ देवनागरी वर्णमाला का दसवाँ स्वर है। |
भाषाविज्ञान की दृष्टि से | यह दीर्घ, पश्च तथा अर्धसंवृत स्वर है और घोष ध्वनि है। इसके उच्चारण में कंठ और ओष्ठ का प्रयोग होने होने से यह कंठोष्ठ्य या ‘कंठौष्ठ्य’ वर्ण है। |
अनुनासिक रूप | ‘ओँ’ (जैसे- कोँपल/कोंपल, झोँका/झोंका) |
मात्रा | 'ो’ जैसे- कोमल, रोम। |
व्याकरण | [ संस्कृत उ+विच् ] पुल्लिंग- ब्रह्म। |
संबंधित लेख | अ, आ, इ, ई, ओ, औ, ऊ, ऋ, ऐ, अं, अ: |
अन्य जानकारी | अवधी में ‘ओ’ से बने अनेक शब्द प्रयुक्त होते हैं– ओई = वही, ओऊ = वह भी, ओकर = उसका, ओहू = वह भी। |
ओ देवनागरी वर्णमाला का दसवाँ स्वर है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह दीर्घ, पश्च तथा अर्धसंवृत स्वर है और घोष ध्वनि है। इसके उच्चारण में कंठ और ओष्ठ का प्रयोग होने होने से यह कंठोष्ठ्य या ‘कंठौष्ठ्य’ वर्ण है।
- विशेष–
- ‘ओ’ का अनुनासिक रूप ‘ओँ’ है जो प्राय: मुद्रण आदि में सुविधा के लिये ‘ओ’ लिखा जाता है। जैसे- कोँपल/कोंपल, झोँका/झोंका इत्यादि में।
- ‘ओ’ की ो मात्रा सभी व्यंजनों के दाहिनी ओर लगती है। जैसे- कोमल, रोम इत्यादि में।
- [ संस्कृत उ+विच् ] पुल्लिंग ब्रह्म।
- [ अव्ययीभाव समास- 1. पुकारने में प्रयुक्त एक शब्द। जैसे– ओ भगवान्! 2. विस्मय के अर्थ में प्रयुक्त एक शब्द। ओह। अरे। जैसे- ओ! तुम हो!
- सर्वनाम- वह।
- अवधी में ‘ओ’ से बने अनेक शब्द प्रयुक्त होते हैं– ओई = वही, ओऊ = वह भी, ओकर = उसका, ओहू = वह भी।[1]
ओ अक्षर वाले शब्द
ओ की मात्रा ो का प्रयोग
क + ो = को |
ख + ो = खो |
ग + ो = गो |
घ + ो = घो |
ड़ + ो = ड़ो |
च + ो = चो |
छ + ो = छो |
ज + ो = जो |
झ + ो = झो |
ञ + ो = ञो |
ट + ो = टो |
ठ + ो = ठो |
ड + ो = डो |
ढ + ो = ढो |
ण + ो = णो |
त + ो = तो |
थ + ो = थो |
द + ो = दो |
ध + ो = धो |
न + ो = नो |
प + ो = पो |
फ + ो = फो |
ब + ो = बो |
भ + ो = भो |
म + ो = मो |
य + ो = यो |
र + ो = रो |
ल + ो = लो |
व + ो = वो |
श + ो = शो |
ष + ो = षो |
स + ो = सो |
ह + ो = हो |
क्ष + ो = क्षो |
त्र + ो = त्रो |
ज्ञ + ो = ज्ञो |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पुस्तक- हिन्दी शब्द कोश खण्ड-1 | पृष्ठ संख्या- 475
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