"ख़लील जिब्रान के अनमोल वचन": अवतरणों में अंतर
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* कभी यह न सोचना कि तुम प्रेम का पथ निर्धारित कर सकते हो। क्योंकि प्रेम यदि तुमको उसका अधिकारी समझता है, तो तुम्हारी राह वह स्वयं निर्धारित करता है। | * कभी यह न सोचना कि तुम प्रेम का पथ निर्धारित कर सकते हो। क्योंकि प्रेम यदि तुमको उसका अधिकारी समझता है, तो तुम्हारी राह वह स्वयं निर्धारित करता है। | ||
* तुम भले हो जब तुम अपने लक्ष्य की ओर दृढ़ता और साहसपूर्वक क़दम बढ़ाते हो। लेकिन तब भी तुम बुरे नहीं हो जब तुम उस तरफ सिर्फ लंगड़ाते हुए जाते हो। इस तरह जानेवाले भी पीछे की तरफ नहीं जाते, आगे ही बढ़ते हैं। | * तुम भले हो जब तुम अपने लक्ष्य की ओर दृढ़ता और साहसपूर्वक क़दम बढ़ाते हो। लेकिन तब भी तुम बुरे नहीं हो जब तुम उस तरफ सिर्फ लंगड़ाते हुए जाते हो। इस तरह जानेवाले भी पीछे की तरफ नहीं जाते, आगे ही बढ़ते हैं। | ||
* तुम्हारा | * तुम्हारा दु:ख उस छिलके का तोड़ा जाना है, जिसने तुम्हारे ज्ञान को अपने भीतर छिपा रखा है। | ||
* मैंने सत्य को पा लिया, ऐसा मत कहो, बल्कि कहो, मैंने अपने मार्ग पर चलते हुए आत्मा के दर्शन किए हैं। | * मैंने सत्य को पा लिया, ऐसा मत कहो, बल्कि कहो, मैंने अपने मार्ग पर चलते हुए आत्मा के दर्शन किए हैं। | ||
* तुम्हारा शरीर तुम्हारी आत्मा का सितार है। यह तुम्हारे हाथ की बात है कि तुम उससे मधुर स्वर झंकृत करो या बेसुरी आवाजें निकालो। | * तुम्हारा शरीर तुम्हारी आत्मा का सितार है। यह तुम्हारे हाथ की बात है कि तुम उससे मधुर स्वर झंकृत करो या बेसुरी आवाजें निकालो। |
14:02, 2 जून 2017 के समय का अवतरण
ख़लील जिब्रान के अनमोल वचन |
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इन्हें भी देखें: अनमोल वचन, कहावत लोकोक्ति मुहावरे एवं सूक्ति और कहावत
टीका टिप्पणी और संदर्भ