"तुलसीदास के अनमोल वचन": अवतरणों में अंतर

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* अधिक कहने से रस नहीं रह जाता, जैसे गूलर के फल को फोड़ने पर रस नहीं निकलता।   
* अधिक कहने से रस नहीं रह जाता, जैसे गूलर के फल को फोड़ने पर रस नहीं निकलता।   
* धैर्य, धर्म, मित्र और नारी की परीक्षा आपात स्थिति में होती है।   
* धैर्य, धर्म, मित्र और नारी की परीक्षा आपात स्थिति में होती है।   
* जिसके मन में राग-द्वेष नहीं है और जो तृष्णा को त्याग कर शील तथा संतोष को ग्रहण किए हुए है, वह संत पुरुष जगत के लिए जहाज़ है।   
* जिसके मन में राग-द्वेष नहीं है और जो तृष्णा को त्याग कर शील तथा संतोष को ग्रहण किए हुए है, वह संत पुरुष जगत् के लिए जहाज़ है।   
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13:47, 30 जून 2017 के समय का अवतरण

तुलसीदास के अनमोल वचन
  • किसी की भी जीभ पकड़ी नहीं जा सकती। जिसको जैसा समझ में आए, वैसा कहता रहे।
  • अधिक कहने से रस नहीं रह जाता, जैसे गूलर के फल को फोड़ने पर रस नहीं निकलता।
  • धैर्य, धर्म, मित्र और नारी की परीक्षा आपात स्थिति में होती है।
  • जिसके मन में राग-द्वेष नहीं है और जो तृष्णा को त्याग कर शील तथा संतोष को ग्रहण किए हुए है, वह संत पुरुष जगत् के लिए जहाज़ है।


इन्हें भी देखें: अनमोल वचन, कहावत लोकोक्ति मुहावरे एवं सूक्ति और कहावत



टीका टिप्पणी और संदर्भ


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