"चरित्र (सूक्तियाँ)": अवतरणों में अंतर
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14:18, 30 जून 2017 के समय का अवतरण
क्रमांक | सूक्तियाँ | सूक्ति कर्ता |
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(1) | तुम बर्फ़ के समान विशुद्ध रहो और हिम के समान स्थिर तो भी लोक निन्दा से नहीं बच पाओगे। | |
(2) | अच्छी आदतों से शक्ति की बचत होती है, अवगुण से बर्बादी। | जेम्स एलन |
(3) | हमारी दुनिया को सबसे ज़्यादा एक नए नैतिक ढांचे की दरकार है। | ह्यूगो शावेज |
(4) | चरित्र एक वृक्ष है, मान एक छाया। हम हमेशा छाया की सोचते हैं, लेकिन असलियत तो वृक्ष ही है। | अब्राहम लिंकन |
(5) | किसी व्यक्ति के चरित्र को उसके द्वारा प्रयुक्त विशेषणों से जाना जा सकता है। | मार्क ट्वेन |
(6) | बुद्धि के साथ सरलता, नम्रता तथा विनय के योग से ही सच्चा चरित्र बनता है। | |
(7) | आचरण अच्छा हो तो मन में अच्छे विचार ही आते हैं। | |
(8) | सुन्दर आचरण, सुन्दर देह से अच्छा है। | इमर्सन |
(9) | जैसे आचरण की तुम दूसरों से अपेक्षा रखते हो, वैसा ही आचरण तुम दूसरों के प्रति करो। | ल्यूक |
(10) | अपकीर्ति दण्ड में नहीं, अपितु अपराध में है। | एलफिरी |
(11) | दूसरों को क्षति पंहुचाकर अपनी भलाई कि आशा नहीं करनी चाहिए। | |
(12) | चरित्रवान व्यक्ति अपने पद और शक्ति का अनुचित लाभ नहीं उठाते। | |
(13) | चरित्र आत्मसम्मान की नींव है। | |
(14) | अपने चारित्रिक सुधार का आर्किटेक्ट खुद को बनना होगा। | |
(15) | जैसा अन्न, वैसा मन। | |
(16) | अपकीर्ति अमर है, जब कोई उसे मृतक समझता है, तब भी वह जीवित रहती है। | प्ल्यूटस |
(17) | जो मानव अपने अवगुण और दूसरों के गुण देखता है, वही महान् व्यक्ति बन सकता है। | सुकरात |
(18) | बहता पानी और रमता जोगी ही शुद्ध रहते हैं। | स्वामी विवेकानंद |
(19) | आत्म निर्भरता सद् व्यवहार की आधारशिला है। | इमर्सन |
(19) | वृक्ष, सरोवर, सज्जन और मेघ-ये चारों परमार्थ हेतु देह धारण करते हैं। | महात्मा कबीर |
(20) | चरित्र की शुद्धि ही सारे ज्ञान का ध्येय होनी चाहिए। | महात्मा गांधी |
(21) | संयम और श्रम मानव के दो सर्वोत्तम चिकित्सक हैं। | रूसो |
(22) | अच्छा स्वभाव, सोंदर्य के अभाव को पूरा कर देता है। | एडीसन |
(23) | व्यवहार वह दर्पण है, जिसमें प्रत्ये़क का प्रतिबिम्ब देखा जा सकता है। | गेटे |
(24) | चरित्र वृक्ष है और प्रतिष्ठा उसकी छाया। | अब्राहम लिंकन |
(25) | चरित्र के बिना ज्ञान बुराई की ताकत बन जाता है, जैसे कि दुनिया के कितने ही 'चालाक चोरों' और 'भले मानुष बदमाशों' के उदाहरण से स्पष्ट है। | महात्मा गाँधी |
(26) | दुर्बल चरित्र का व्यक्ति उस सरकंडे जैसा है जो हवा के हर झौंके पर झुक जाता है। | माघ |
(27) | चरित्र मनुष्य के अन्दर रहता है, यश उसके बाहर। | अज्ञात |
(28) | स्वास की क्रिया के सामन हमारे चरित्र में एक ऐसी सहज क्षमता होनी चाहिए जिसके बल पर जो कुछ प्राप्य है वह अनायास ग्रहण कर लें और जो त्याज्य है वह बिना क्षोभ के त्याग सकें। | रविन्द्र नाथ टैगोर |
(29) | समाज के प्रचलित विधि विधानों के उल्लंघन केवल चरित्र-बल पर ही सहन किया जा सकता है। | शरतचंद्र |
(30) | कठिनाइयों को जीतने, वासनाओ का दमन करने और दुखों को सहन करने से चरित्र उच्च सुदृढ़ और निर्मल होता है। | अज्ञात |
(31) | चरित्र को बनाए रखना आसान है, उस के भ्रष्ट हो जाने के बाद उसे सुधारना कठिन है। | टॉमस पेन (1737-1809), लेखक एवं राजनीतिक सिद्धांतकार |
(32) | अपने चरित्र में सुधार करने का प्रयास करते हुए, इस बात को समझें कि क्या काम आपके बूते का है और क्या आपके बूते से बाहर है। | फ्रांसिस थामसन |
(33) | एक जो वह दिखाता है, दूसरा जो उसके पास होता है, तीसरी जो वह सोचता है कि उसके पास है। | अलफ़ॉसो कार |
(34) | प्यार कभी निष्फल नहीं होता, चरित्र कभी नहीं हारता और धैर्य व दृढ़ता से सपने अवश्य सच हो जाते हैं। | पीट मेराविच |
(35) | चरित्र ही मनुष्य की श्रेष्ठता का उत्तम मापदण्ड है। | |
(36) | चोर, उचक्के, व्यसनी, जुआरी भी अपनी बिरादरी निरंतर बढ़ाते रहते हैं । इसका एक ही कारण है कि उनका चरित्र और चिंतन एक होता है। दोनों के मिलन पर ही प्रभावोत्पादक शक्ति का उद्भव होता है। किंतु आदर्शों के क्षेत्र में यही सबसे बड़ी कमी है। | |
(37) | अच्छा व ईमानदार जीवन बिताओ और अपने चरित्र को अपनी मंज़िल मानो। | |
(38) | भाग्य पर नहीं, चरित्र पर निर्भर रहो। | |
(39) | व्यक्ति का चिंतन और चरित्र इतना ढीला हो गया है कि स्वार्थ के लिए अनर्थ करने में व्यक्ति चूकता नहीं। | |
(40) | योग्यता आपको सफलता की ऊँचाई तक पहुँचा सकती है किन्तु चरित्र आपको उस ऊँचाई पर बनाये रखती है। | |
(41) | बुरी मंत्रणा से राजा, विषयों की आसक्ति से योगी, स्वाध्याय न करने से विद्वान, अधिक प्यार से पुत्र, दुष्टों की संगती से चरित्र, प्रदेश में रहने से प्रेम, अन्याय से ऐश्वर्य, प्रेम न होने से मित्रता तथा प्रमोद से धन नष्ट हो जाता है; अतः बुद्धिमान अपना सभी प्रकार का धन संभालकर रखता है, बुरे समय का हमें हमेशा ध्यान रहता है। | |
(42) | ज्ञान का अंतिम लक्ष्य चरित्र निर्माण ही है। | |
(43) | मनुष्य की महानता उसके कपडों से नहीं बल्कि उसके चरित्र से आँकी जाती है। | स्वामी विवेकानन्द |
(44) | अत्याचार और अनाचार को सिर झुकाकर वे ही सहन करते हैं जिनमें नैतिकता और चरित्र का अभाव होता है। | कमलापति त्रिपाठी |
(45) | अपना चरित्र उज्जवल होने पर भी सज्जन, अपना दोष ही सामने रखते हैं, अग्नि का तेज उज्जवल होने पर भी वह पहले धुंआ ही प्रकट करता है। | कर्णपूर |
(46) | जब आप अपने मित्रों का चयन करते हैं तो चरित्र के स्थान पर व्यक्तित्व को न चुनें। | डब्ल्यू सोमरसेट मोघम |
(47) | अपने विचारों पर ध्यान दो, वे शब्द बन जाते हैं। अपने शब्दों पर ध्यान दो, वे क्रिया बन जाते हैं। अपनी क्रियाओं पर ध्यान दो, वे आदत बन जाती हैं। अपनी आदतों पर ध्यान दो, वे तुम्हारा चरित्र बनाती हैं। अपने चरित्र पर ध्यान दो, वह तुम्हारी नियति का निर्माण करता है। | लाओ-त्जु |
(48) | अपने सम्मान की बजाय अपने चरित्र के प्रति अधिक गम्भीर रहें, आपका चरित्र ही यह बताता है कि आप वास्तव में क्या हैं जबकि आपका सम्मान केवल यही दर्शाता है कि दूसरे आपके बारे में क्या सोचते हैं। | जॉन वुडन |
(49) | हर सुबह जब आप जागते हैं तो अपने भगवान को धन्यवाद दें तथा आप अनुभव करते है कि आपने वह कार्य करना है जिसे अवश्य किया जाना चाहिए, चाहे आप इसे पसंद करें या नहीं, इससे चरित्र का निर्माण होता है। | एमरसन |
(50) | चरित्र एक वृक्ष है और मान एक छाया। हम हमेशा छाया की सोचते हैं; लेकिन असलियत तो वृक्ष ही है। | अब्राहम लिंकन |
(51) | चरित्र वृक्ष के समान है तो प्रतिष्ठा, उसकी छाया है। हम अक्सर छाया के, बारे में सोचते हैं, जबकि असल, चीज़ तो वृक्ष ही है। | अब्राहम लिंकन |
(52) | आप हर इंसान का चरित्र बता सकते हैं यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे प्रभावित होता है। | सेनेका |
(53) | विचार से कर्म की उत्पत्ति होती है, कर्म से आदत की उत्पत्ति होती है, आदत से चरित्र की उत्पत्ति होती है और चरित्र से आपके प्रारब्ध की उत्पत्ति होती है। | बौद्ध कहावत |
(54) | बालक माता-पिता की विरासत लेकर चलता है, सिर्फ आर्थिक की नहीं, उनका रवैया, चरित्र और आचरण भी। यानी उसकी सबसे पहली नींव माता-पिता रचते हैं। | चीनी कहावत |
(55) | कर्म को बोओ और आदत की फसल काटो। आदत को बोओ और चरित्र की फसल काटो। चरित्र को बोकर भाग्य की फसल काटो। | बोर्डमैन |
(56) | स्माइल्स | |
(57) | चरित्र परिवर्तित नहीं होता, विचार परिवर्तित होते हैं, किंतु चरित्र विकसित किया जा सकता है। | डिजराइली |
(58) | जो साधक चरित्र के गुण से हीन है, वह बहुत से शास्त्र पढ़ लेने पर भी संसार-समुद्र में डूब जाता है। | आचार्य भद्रबाहु |
(59) | बुद्धिमत्ता का लक्ष्य स्वतंत्रता है। संस्कृति का लक्ष्य पूर्णता है। ज्ञान का लक्ष्य प्रेम है। शिक्षा का लक्ष्य चरित्र है। | सत्य साईं बाबा |
(60) | उत्कृष्ट मनुष्यों को उनका असाधारण चरित्र प्रतिष्ठा देता है, उनका कुल नहीं। | अज्ञात |
(61) | यह स्त्री है, यह पुरुष है- यह निरर्थक बात है। वास्तव में तो सत्पुरुषों का चरित्र ही पूजा योग्य होता है। | कालिदास |
(62) | उत्कृष्ट मनुष्यों को उनका असाधारण चरित्र प्रतिष्ठा देता है, उनका कुल नहीं। | वल्लभदेव |
(63) | मनुष्य के चरित्र का सबसे सही परिचय इससे मिलता है कि वह किन बातों पर हंसता है। | ओलिवर होम्स |
(64) | यह मेरा बंधु है और यह नहीं है, यह क्षुद चित्त वालों की बात होती है। उदार चरित्र वालों के लिए तो सारा संसार ही अपना कुटुंब होता है। | महोपनिषद |
(65) | संगत से चरित्र में परिवर्तन नहीं होता। ढाल और तलवार सदा एक साथ रहती है, पर फिर भी एक घातक है और दूसरी रक्षक। दोनों का स्वभाव भिन्न है। | दयाराम |
(66) | यह मेरा बंधु है और यह नहीं है, यह क्षुद्र चित्त वालों की बात होती है। उदार चरित्र वालों के लिए तो सारा संसार ही अपना कुटुंब होता है। | महोपनिषद |
(67) | मनुष्य के चरित्र का सबसे सही परिचय इससे मिलता है कि वह किन बातों पर हंसता है। | ओलिवर होम्स |
(68) | ज्ञान का अंतिम लक्ष्य चरित्र-निर्माण होना चाहिए। | महात्मा गांधी |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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