"ञ": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
सपना वर्मा (वार्ता | योगदान) ('right|150px '''ञ''' देवनागरी लिपि का बाइसवां अक्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - "अर्थात " to "अर्थात् ") |
||
(एक दूसरे सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय | |||
|चित्र=ञ.jpg | |||
'''ञ''' [[देवनागरी | |चित्र का नाम= | ||
|विवरण='''ञ''' [[देवनागरी वर्णमाला]] में चवर्ग का पाँचवाँ [[व्यंजन (व्याकरण)|व्यंजन]] है। | |||
|शीर्षक 1=भाषाविज्ञान की दृष्टि से | |||
|पाठ 1= यह [[तालव्य व्यंजन|तालव्य]], स्पर्श, घोष, अल्पप्राण तथा नासिक्य व्यंजन है। | |||
|शीर्षक 2= व्याकरण | |||
|पाठ 2= [[पुल्लिंग]]- शुक्र, वृष, बैल, संगीत, गायन, तेढ़ी-मेढ़ी चाल, घर्घर शब्द। | |||
|शीर्षक 3=विशेष | |||
|पाठ 3='ञ' से [[हिंदी]] शब्दों का आरम्भ या अंत नहीं होता। परंतु यह महत्त्वपूर्ण ध्वनि है और अनेक भाषाओं में इसका प्रचुर प्रयोग होता है और [[हिंदी]] शब्दों में, बीच में, 'ञ' प्रयुक्त होता है। | |||
|शीर्षक 4= | |||
|पाठ 4= | |||
|शीर्षक 5= | |||
|पाठ 5= | |||
|शीर्षक 6= | |||
|पाठ 6= | |||
|शीर्षक 7= | |||
|पाठ 7= | |||
|शीर्षक 8= | |||
|पाठ 8= | |||
|शीर्षक 9= | |||
|पाठ 9= | |||
|शीर्षक 10= | |||
|पाठ 10= | |||
|संबंधित लेख=[[छ]], [[च]], [[झ]], [[ज]] | |||
|अन्य जानकारी=चवर्ग के व्यंजनों से पूर्व आकर 'ञ' उनसे संयुक्त अक्षर बनाता है। जैसे- चञ्चल, वाच्छा, रञ्जन, सञ्झा इत्यादि। 'ञ्ञ' व्यंजन-गुच्छ वाले शब्द नहीं हैं। | |||
|बाहरी कड़ियाँ= | |||
|अद्यतन= | |||
}} | |||
'''ञ''' [[देवनागरी वर्णमाला]] में चवर्ग का पाँचवाँ [[व्यंजन (व्याकरण)|व्यंजन]] है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह [[तालव्य व्यंजन|तालव्य]], स्पर्श, घोष, अल्पप्राण तथा नासिक्य व्यंजन है। | |||
;विशेष | |||
* 'ञ' से हिंदी शब्दों का आरम्भ या अंत नहीं होता। परंतु यह महत्त्वपूर्ण ध्वनि है और अनेक भाषाओं में इसका प्रचुर प्रयोग होता है और [[हिंदी]] शब्दों में, बीच में, 'ञ' प्रयुक्त होता है। | |||
* चवर्ग के व्यंजनों से पूर्व आकर 'ञ' उनसे संयुक्त अक्षर बनाता है। जैसे- चञ्चल, वाच्छा, रञ्जन, सञ्झा इत्यादि। 'ञ्ञ' व्यंजन-गुच्छ वाले शब्द नहीं हैं। | |||
* ज् और ञ का संयुक्त रूप 'ज्ञ' 'ज्ञ' (अज्ञ, ज्ञान, विज्ञापन) लिखा जाता है। | |||
* 'ज्ञ' (अर्थात् ज्ज्ञ) का अशुद्ध उच्चारण हिंदी भाषी प्राय: 'ग्य' करते हैं। उदारणार्थ, 'ज्ञान' का शुद्ध उच्चारण 'ज्ञान' होना चाहिए परंतु शताब्दियों से इसे 'ग्यान' बोला जाता रहा है। | |||
* 'ञ' के स्थान पर प्राय: अनुस्वार जैसी बिंदी का प्रयोग सुविधा के लिए प्रचलित है (जैसे- चंचल, वांछा, रंजन, संझा इत्यादि में) परन्तु इसे अनुस्वार समझने का भ्रम हो सकता है। | |||
* [[पुल्लिंग]]- शुक्र, वृष, बैल, संगीत, गायन, तेढ़ी-मेढ़ी चाल, घर्घर शब्द।<ref>पुस्तक- हिन्दी शब्द कोश खण्ड-1 | पृष्ठ संख्या- 1048</ref> | |||
07:43, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
ञ
| |
विवरण | ञ देवनागरी वर्णमाला में चवर्ग का पाँचवाँ व्यंजन है। |
भाषाविज्ञान की दृष्टि से | यह तालव्य, स्पर्श, घोष, अल्पप्राण तथा नासिक्य व्यंजन है। |
व्याकरण | पुल्लिंग- शुक्र, वृष, बैल, संगीत, गायन, तेढ़ी-मेढ़ी चाल, घर्घर शब्द। |
विशेष | 'ञ' से हिंदी शब्दों का आरम्भ या अंत नहीं होता। परंतु यह महत्त्वपूर्ण ध्वनि है और अनेक भाषाओं में इसका प्रचुर प्रयोग होता है और हिंदी शब्दों में, बीच में, 'ञ' प्रयुक्त होता है। |
संबंधित लेख | छ, च, झ, ज |
अन्य जानकारी | चवर्ग के व्यंजनों से पूर्व आकर 'ञ' उनसे संयुक्त अक्षर बनाता है। जैसे- चञ्चल, वाच्छा, रञ्जन, सञ्झा इत्यादि। 'ञ्ञ' व्यंजन-गुच्छ वाले शब्द नहीं हैं। |
ञ देवनागरी वर्णमाला में चवर्ग का पाँचवाँ व्यंजन है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह तालव्य, स्पर्श, घोष, अल्पप्राण तथा नासिक्य व्यंजन है।
- विशेष
- 'ञ' से हिंदी शब्दों का आरम्भ या अंत नहीं होता। परंतु यह महत्त्वपूर्ण ध्वनि है और अनेक भाषाओं में इसका प्रचुर प्रयोग होता है और हिंदी शब्दों में, बीच में, 'ञ' प्रयुक्त होता है।
- चवर्ग के व्यंजनों से पूर्व आकर 'ञ' उनसे संयुक्त अक्षर बनाता है। जैसे- चञ्चल, वाच्छा, रञ्जन, सञ्झा इत्यादि। 'ञ्ञ' व्यंजन-गुच्छ वाले शब्द नहीं हैं।
- ज् और ञ का संयुक्त रूप 'ज्ञ' 'ज्ञ' (अज्ञ, ज्ञान, विज्ञापन) लिखा जाता है।
- 'ज्ञ' (अर्थात् ज्ज्ञ) का अशुद्ध उच्चारण हिंदी भाषी प्राय: 'ग्य' करते हैं। उदारणार्थ, 'ज्ञान' का शुद्ध उच्चारण 'ज्ञान' होना चाहिए परंतु शताब्दियों से इसे 'ग्यान' बोला जाता रहा है।
- 'ञ' के स्थान पर प्राय: अनुस्वार जैसी बिंदी का प्रयोग सुविधा के लिए प्रचलित है (जैसे- चंचल, वांछा, रंजन, संझा इत्यादि में) परन्तु इसे अनुस्वार समझने का भ्रम हो सकता है।
- पुल्लिंग- शुक्र, वृष, बैल, संगीत, गायन, तेढ़ी-मेढ़ी चाल, घर्घर शब्द।[1]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पुस्तक- हिन्दी शब्द कोश खण्ड-1 | पृष्ठ संख्या- 1048
संबंधित लेख