"अनमोल वचन 6": अवतरणों में अंतर
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* केवल बुद्धि के द्वारा ही मानव का मनुष्यत्व प्रकट होता है। ~ प्रेमचंद | * केवल बुद्धि के द्वारा ही मानव का मनुष्यत्व प्रकट होता है। ~ प्रेमचंद | ||
* कार्यकुशल व्यक्ति की सभी जगह जरुरत पड़ती है। ~ प्रेमचंद | * कार्यकुशल व्यक्ति की सभी जगह जरुरत पड़ती है। ~ प्रेमचंद | ||
* गुण छोटे लोगों में द्वेष और | * गुण छोटे लोगों में द्वेष और महान् व्यक्तियों में स्पर्धा पैदा करता है। ~ फील्डिंग | ||
* कार्यकुशल व्यक्ति के लिए यश और धन की कमी नहीं है। ~ अज्ञात | * कार्यकुशल व्यक्ति के लिए यश और धन की कमी नहीं है। ~ अज्ञात | ||
* मनुष्य अपने गुणों से आगे बढता है न कि दूसरों कि कृपा से। ~ लाला लाजपतराय | * मनुष्य अपने गुणों से आगे बढता है न कि दूसरों कि कृपा से। ~ लाला लाजपतराय | ||
* यदि तुम अपने आपको योग्य बना लो, तो सहायता स्वयमेव तुम्हे आ मिलेगी। ~ स्वामी रामतीर्थ | * यदि तुम अपने आपको योग्य बना लो, तो सहायता स्वयमेव तुम्हे आ मिलेगी। ~ स्वामी रामतीर्थ | ||
* | * महान् व्यक्ति न किसी का अपमान करता है ओर न उसको सहता है। ~ होम | ||
* नैतिक बल के द्वारा ही मनुष्य दूसरों पर अधिकार कर सकता है। ~ स्वामी रामदास | * नैतिक बल के द्वारा ही मनुष्य दूसरों पर अधिकार कर सकता है। ~ स्वामी रामदास | ||
* मनुष्य धन अथवा कुल से नहीं, दिव्य स्वभाव और भव्य आचरण से | * मनुष्य धन अथवा कुल से नहीं, दिव्य स्वभाव और भव्य आचरण से महान् बनता है। ~ आविद | ||
* ज्ञानी वह है, जो वर्तमान को ठीक प्रकार समझे और परिस्थिति के अनुसार आचरण करे। ~ विनोबा भावे | * ज्ञानी वह है, जो वर्तमान को ठीक प्रकार समझे और परिस्थिति के अनुसार आचरण करे। ~ विनोबा भावे | ||
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* क्रोध को जीतने में मौन सबसे अधिक सहायक है। ~ महात्मा गांधी | * क्रोध को जीतने में मौन सबसे अधिक सहायक है। ~ महात्मा गांधी | ||
* मूर्ख मनुष्य क्रोध को जोर-शोर से प्रकट करता है, किंतु बुद्धिमान शांति से उसे वश में करता है। ~ बाइबिल | * मूर्ख मनुष्य क्रोध को जोर-शोर से प्रकट करता है, किंतु बुद्धिमान शांति से उसे वश में करता है। ~ बाइबिल | ||
* क्रोध करने का मतलब है, दूसरों की | * क्रोध करने का मतलब है, दूसरों की ग़लतियों कि सजा स्वयं को देना। | ||
* जब क्रोध आए तो उसके परिणाम पर विचार करो। ~ कन्फ्यूशियस | * जब क्रोध आए तो उसके परिणाम पर विचार करो। ~ कन्फ्यूशियस | ||
* क्रोध से धनि व्यक्ति घृणा और निर्धन तिरस्कार का पात्र होता है। ~ कहावत | * क्रोध से धनि व्यक्ति घृणा और निर्धन तिरस्कार का पात्र होता है। ~ कहावत | ||
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==सौंदर्य, सुंदरता, शबाब (Beauty)== | ==सौंदर्य, सुंदरता, शबाब (Beauty)== | ||
* सुन्दरता बिना श्रृंगार के मन मोहती है। ~ सादी | * सुन्दरता बिना श्रृंगार के मन मोहती है। ~ सादी | ||
* वास्तविक सोन्दर्य | * वास्तविक सोन्दर्य हृदय की पवित्रता में है। ~ महात्मा गांधी | ||
* सुन्दर वही हो सकता है जो कल्याणकारी हो। ~ भगवतीचरण वर्मा | * सुन्दर वही हो सकता है जो कल्याणकारी हो। ~ भगवतीचरण वर्मा | ||
* सोंदर्य आकार और सममिति पर निर्भर होता है। चाहे कोई जीव छोटा हो या बेहद बड़ा वह ख़ूबसूरती को परिभाषित नहीं करता, क्योंकि उसको एक दृष्टि मात्र में देखने पर उसकी स्पष्ट नहीं होती है, इसलिए वे परिपूर्ण की श्रेणी में नहीं आते। ~ अरस्तु | * सोंदर्य आकार और सममिति पर निर्भर होता है। चाहे कोई जीव छोटा हो या बेहद बड़ा वह ख़ूबसूरती को परिभाषित नहीं करता, क्योंकि उसको एक दृष्टि मात्र में देखने पर उसकी स्पष्ट नहीं होती है, इसलिए वे परिपूर्ण की श्रेणी में नहीं आते। ~ अरस्तु | ||
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* ख़ूबसूरती एक अनुभव है, इसके सिवा कुछ भी नही| इसे बयां करने के लिए स्थापित मानक नहीं हैं, न ही नाक – नक्श का वणर्न करना काफ़ी है। ~ डी. एच. लॉरेंस़ | * ख़ूबसूरती एक अनुभव है, इसके सिवा कुछ भी नही| इसे बयां करने के लिए स्थापित मानक नहीं हैं, न ही नाक – नक्श का वणर्न करना काफ़ी है। ~ डी. एच. लॉरेंस़ | ||
* ख़ूबसूरती चेहरे पर नहीं होती| ये तो दिल की रोशनी है, बहुत ध्यान से देखनी पड़ती है। ~ खलील जिब्रान | * ख़ूबसूरती चेहरे पर नहीं होती| ये तो दिल की रोशनी है, बहुत ध्यान से देखनी पड़ती है। ~ खलील जिब्रान | ||
* जो सुंदरता आंखों द्वारा देखी जाती है, वह कुछ ही पल कि होती है, यह | * जो सुंदरता आंखों द्वारा देखी जाती है, वह कुछ ही पल कि होती है, यह ज़रूरी भी नहीं कि हमारे भीतर से भी वही ख़ूबसूरती दिखाई दे। ~ जॉर्ज सेंड | ||
* दुनिया की सबसे अच्छी और ख़ूबसूरत | * दुनिया की सबसे अच्छी और ख़ूबसूरत चीज़ें कभी देखी या छुई नहीं गई, वे बस दिल के साथ घुल – मिल गईं। ~ हेलेन कलर | ||
* सुंदर चीजों पर यकीन बनाये रखिये| याद रहे- सूरज डूब गया तो वसंत भी नहीं आएगा। ~ गिल्सन| | * सुंदर चीजों पर यकीन बनाये रखिये| याद रहे- सूरज डूब गया तो वसंत भी नहीं आएगा। ~ गिल्सन| | ||
* एक शख़्स हर दिन संगीत सुने, थोड़ी सी कविता पढ़े और अपने जीवन की सुंदर तस्वीर रोज देखे … उसे सुंदरता की परिभाषा तलाशने की ज़रूरत ही नहीं, क्योंकि भगवान ने सरे संसार का सौंदर्य उसकी झोली में डाल रखा है। ~ गोयथे| | * एक शख़्स हर दिन संगीत सुने, थोड़ी सी कविता पढ़े और अपने जीवन की सुंदर तस्वीर रोज देखे … उसे सुंदरता की परिभाषा तलाशने की ज़रूरत ही नहीं, क्योंकि भगवान ने सरे संसार का सौंदर्य उसकी झोली में डाल रखा है। ~ गोयथे| | ||
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* विचारों के युद्ध में, पुस्तकें ही अस्त्र हैं। ~ जार्ज बर्नार्ड शॉ | * विचारों के युद्ध में, पुस्तकें ही अस्त्र हैं। ~ जार्ज बर्नार्ड शॉ | ||
* आज के लिए और सदा के लिए सबसे बड़ा मित्र है अच्छी पुस्तक। ~ टसर | * आज के लिए और सदा के लिए सबसे बड़ा मित्र है अच्छी पुस्तक। ~ टसर | ||
* अच्छा ग्रंथ एक | * अच्छा ग्रंथ एक महान् आत्मा का अमूल्य जीवन रक्त है। ~ मिल्टन | ||
==परिवर्तन, बदलना, अस्थिर (Change)== | ==परिवर्तन, बदलना, अस्थिर (Change)== | ||
* बदलाव से पूरी मुक्ति मतलब | * बदलाव से पूरी मुक्ति मतलब ग़लतियों से पूरी मुक्ति है, लेकिन यह तो अकेली सर्वज्ञता का विशेषाधिकार है। ~ सी सी काल्टन | ||
* सिर्फ अतीत की जुगाली करने से कोई लाभ नहीं है। | * सिर्फ अतीत की जुगाली करने से कोई लाभ नहीं है। | ||
* हर चीज़ बदलती है, नष्ट कोई चीज़ नहीं होती। ~ अरविन्द घोस | * हर चीज़ बदलती है, नष्ट कोई चीज़ नहीं होती। ~ अरविन्द घोस | ||
पंक्ति 98: | पंक्ति 98: | ||
* जैसा अन्न, वैसा मन। | * जैसा अन्न, वैसा मन। | ||
* अपकीर्ति अमर है, जब कोई उसे मृतक समझता है, तब भी वह जीवित रहती है। ~ प्ल्यूटस | * अपकीर्ति अमर है, जब कोई उसे मृतक समझता है, तब भी वह जीवित रहती है। ~ प्ल्यूटस | ||
* जो मानव अपने अवगुण और दूसरों के गुण देखता है, वही | * जो मानव अपने अवगुण और दूसरों के गुण देखता है, वही महान् व्यक्ति बन सकता है। ~ सुकरात | ||
* बहता पानी और रमता जोगी ही शुद्ध रहते हैं। ~ स्वामी विवेकानंद | * बहता पानी और रमता जोगी ही शुद्ध रहते हैं। ~ स्वामी विवेकानंद | ||
* आत्म निर्भरता सद् व्यवहार की आधारशिला है। ~ इमर्सन | * आत्म निर्भरता सद् व्यवहार की आधारशिला है। ~ इमर्सन | ||
पंक्ति 144: | पंक्ति 144: | ||
* आत्मविश्वास के साथ आप गगन चूम सकते हैं और आत्मविश्वास के बिना मामूली सी उपलिब्धयां भी पकड़ से परे हैं। ~ जिम लोहर | * आत्मविश्वास के साथ आप गगन चूम सकते हैं और आत्मविश्वास के बिना मामूली सी उपलिब्धयां भी पकड़ से परे हैं। ~ जिम लोहर | ||
* पेड़ की शाखा पर बैठा पंछी कभी भी इसलिए नहीं डरता कि डाल हिल रही है, क्योंकि पंछी डाली में नहीं अपने पंखों पर भरोसा करता है। | * पेड़ की शाखा पर बैठा पंछी कभी भी इसलिए नहीं डरता कि डाल हिल रही है, क्योंकि पंछी डाली में नहीं अपने पंखों पर भरोसा करता है। | ||
* आत्मविश्वास हमारे उत्साह को जगाकर हमें जीवन में | * आत्मविश्वास हमारे उत्साह को जगाकर हमें जीवन में महान् उपलब्धियों के मार्ग पर ले जाता है। | ||
* अनुभूतियों के सरोवर में, आत्म-विश्वास के कमाल खिलते हैं। ~ अमृतलाल नागर | * अनुभूतियों के सरोवर में, आत्म-विश्वास के कमाल खिलते हैं। ~ अमृतलाल नागर | ||
* आत्मविश्वासी व्यक्ति अपने कार्य को पूरा करके ही छोड़ता है। ~ स्वेट मार्डेन | * आत्मविश्वासी व्यक्ति अपने कार्य को पूरा करके ही छोड़ता है। ~ स्वेट मार्डेन | ||
पंक्ति 158: | पंक्ति 158: | ||
* आत्मविश्वास, आत्मज्ञान और आत्मसंयम केवल यही तीन जीवन को परम शांति सम्पन्न बना देते हैं। ~ टेनीसन | * आत्मविश्वास, आत्मज्ञान और आत्मसंयम केवल यही तीन जीवन को परम शांति सम्पन्न बना देते हैं। ~ टेनीसन | ||
* जिसने अपने को वश में कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते। ~ महात्मा बुद्ध | * जिसने अपने को वश में कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते। ~ महात्मा बुद्ध | ||
* मनुष्य अपनी क्षमताओं की कभी क़दर नहीं करता, वह हमेश उस | * मनुष्य अपनी क्षमताओं की कभी क़दर नहीं करता, वह हमेश उस चीज़ की आस लगाये रहता है जो उसके पास नहीं है। ~ हेलेन कलर की किताब 'स्टोरी आफ लाइफ़' | ||
==साहस, हिम्मत, पराक्रम (Courage)== | ==साहस, हिम्मत, पराक्रम (Courage)== | ||
पंक्ति 172: | पंक्ति 172: | ||
* वह सच्चा साहसी है, जो कभी निराश नहीं होता। | * वह सच्चा साहसी है, जो कभी निराश नहीं होता। | ||
* साहसे खलु श्री वसति। (साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं) | * साहसे खलु श्री वसति। (साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं) | ||
* | * ज़रूरी नहीं है कि कोई साहस लेकर जन्मा हो, लेकिन हरेक शक्ति लेकर जन्मता है। | ||
* बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है। ~ आर. जी. इंगरसोल | * बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है। ~ आर. जी. इंगरसोल | ||
* बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते। हम कृपालु, दयालु, सत्यवादी, उदार या इमानदार नहीं बन सकते। | * बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते। हम कृपालु, दयालु, सत्यवादी, उदार या इमानदार नहीं बन सकते। | ||
पंक्ति 212: | पंक्ति 212: | ||
* दान के लिए वर्तमान ही सबसे उचित समय है। | * दान के लिए वर्तमान ही सबसे उचित समय है। | ||
* युधिस्तर के पास एक भिखारी आया। उन्होंने उसे अगले दिन आने के लिए कह दिया। इस पर भीम हर्षित हो उठे। उन्होंने सोचा कि उनके भाई ने कल तक के लिए मृत्यु पर विजय प्राप्त कर ली है। ~ महाभारत | * युधिस्तर के पास एक भिखारी आया। उन्होंने उसे अगले दिन आने के लिए कह दिया। इस पर भीम हर्षित हो उठे। उन्होंने सोचा कि उनके भाई ने कल तक के लिए मृत्यु पर विजय प्राप्त कर ली है। ~ महाभारत | ||
* विनम्र भाव से ऐसे दान करना चाहिए जैसे उसके लेने से आप कृतज्ञ हुए। ~ | * विनम्र भाव से ऐसे दान करना चाहिए जैसे उसके लेने से आप कृतज्ञ हुए। ~ डॉ. के. के. अग्रवाल | ||
==सपना, ख़याल (Dream)== | ==सपना, ख़याल (Dream)== | ||
* हमारे कई सपने शुरू में असंभव लगते हैं, फिर असंभाव्य और फिर जब हमें संकल्पशक्ति आती है तो ये सपने अवश्यंभावी हो जाते हैं। ~ क्रिस्टोफर रीव | * हमारे कई सपने शुरू में असंभव लगते हैं, फिर असंभाव्य और फिर जब हमें संकल्पशक्ति आती है तो ये सपने अवश्यंभावी हो जाते हैं। ~ क्रिस्टोफर रीव | ||
* सपने देखना बेहद | * सपने देखना बेहद ज़रूरी है, लेकिन केवल सपने देखकर ही मंज़िल को हासिल नहीं किया जा सकता, सबसे ज़्यादा ज़रूरी है ज़िंदगी में खुद के लिए कोई लक्ष्य तय करना। ~ डॉ. अब्दुल कलाम | ||
* स्वप्न | * स्वप्न द्रष्टाऔर यथार्थ के स्रष्टा बनिए। ~ अज्ञात | ||
* अभिलाषा तभी फलदायक होती है, जब वह दृढ निश्चय में परिणित कर दे जाती है। ~ स्वेट मार्डेन | * अभिलाषा तभी फलदायक होती है, जब वह दृढ निश्चय में परिणित कर दे जाती है। ~ स्वेट मार्डेन | ||
* सपने देखना बेहद | * सपने देखना बेहद ज़रूरी है, लेकिन केवल सपने देखकर ही मंज़िल को हासिल नहीं किया जा सकता। सबसे ज़्यादा ज़रूरी है ज़िंदगी में खुद के लिए कोई लक्ष्य तय करना। ~ डॉ. अब्दुल कलाम | ||
==कर्तव्य, धर्म, फर्ज़ (Duty)== | ==कर्तव्य, धर्म, फर्ज़ (Duty)== | ||
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* फल की इच्छा छोड़कर निरंतर कर्त्तव्य करो, जो फल की अभिलाषा छोड़कर कर्त्तव्य करतें उन्हें अवश्य मोक्ष प्राप्त होता है। - गीता | * फल की इच्छा छोड़कर निरंतर कर्त्तव्य करो, जो फल की अभिलाषा छोड़कर कर्त्तव्य करतें उन्हें अवश्य मोक्ष प्राप्त होता है। - गीता | ||
* कर्मो की आवाज़ शब्दों से ऊंची होती है। - कहावत | * कर्मो की आवाज़ शब्दों से ऊंची होती है। - कहावत | ||
* कर्म वह आईना है जो हमारा | * कर्म वह आईना है जो हमारा स्वरूप हमें दिखा देता है इसलिए हमें कर्म का एहसानमंद होना चाहिए। - विनोबा | ||
* मनुष्य का कर्त्तव्य है की वह उदार बनाने से पहले त्यागी बने। - डिकेंस | * मनुष्य का कर्त्तव्य है की वह उदार बनाने से पहले त्यागी बने। - डिकेंस | ||
* मैंने कर्म से ही अपने को बहुगुणित किया है। - नेपोलियन | * मैंने कर्म से ही अपने को बहुगुणित किया है। - नेपोलियन | ||
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==शिक्षा (Education)== | ==शिक्षा (Education)== | ||
* शिक्षा जीवन की परिस्थितियों का सामना करने की योग्यता का नाम है। ~ जॉन जी. हिबन | * शिक्षा जीवन की परिस्थितियों का सामना करने की योग्यता का नाम है। ~ जॉन जी. हिबन | ||
* बच्चों को शिक्षित करना तो | * बच्चों को शिक्षित करना तो ज़रूरी है ही, उन्हें अपने आप को शिक्षित करने के लिए छोड़ देना भी उतना ही ज़रूरी है। ~ अर्नेस्ट डिमनेट | ||
* संसार में जितने प्रकार की प्राप्तियां हैं, शिक्षा सब से बढ़कर है। ~ सूर्यकांत त्रिपाठी | * संसार में जितने प्रकार की प्राप्तियां हैं, शिक्षा सब से बढ़कर है। ~ सूर्यकांत त्रिपाठी | ||
* शिक्षा जीवन की तैयारी का शिक्षण काल है। ~ विल्मट | * शिक्षा जीवन की तैयारी का शिक्षण काल है। ~ विल्मट | ||
पंक्ति 246: | पंक्ति 246: | ||
==दुश्मन, शत्रु, विरोधी (Enemy)== | ==दुश्मन, शत्रु, विरोधी (Enemy)== | ||
* अहिंसा अच्छी | * अहिंसा अच्छी चीज़ है, लेकिन शत्रुहीन होना अच्छी बात है। ~ विमल मित्र | ||
* दुश्मन का लोहा गर्म भले ही हो ,पर हथौड़ा तो ठंडा ही काम दे सकता है। ~ सरदार पटेल | * दुश्मन का लोहा गर्म भले ही हो ,पर हथौड़ा तो ठंडा ही काम दे सकता है। ~ सरदार पटेल | ||
पंक्ति 260: | पंक्ति 260: | ||
* जैसे ही भय आपकी ओर बढ़े, उस पर आक्रमण करते हुए उसे नष्ट कर दो। ~ चाणक्य | * जैसे ही भय आपकी ओर बढ़े, उस पर आक्रमण करते हुए उसे नष्ट कर दो। ~ चाणक्य | ||
* जो चुनौतियों का सामना करने से डरता है, उसका असफल होना तय है। ~ अज्ञात | * जो चुनौतियों का सामना करने से डरता है, उसका असफल होना तय है। ~ अज्ञात | ||
* भय से ही | * भय से ही दु:ख आते हैं, भय से ही मृत्यु होती है और भय से ही बुराइयां उत्पन्न होती हैं। ~ [[विवेकानंद]] | ||
* तावत् भयस्य भेतव्यं , यावत् भयं न आगतम् । आगतं हि भयं वीक्ष्य , प्रहर्तव्यं अशंकया ॥ | * तावत् भयस्य भेतव्यं , यावत् भयं न आगतम् । आगतं हि भयं वीक्ष्य , प्रहर्तव्यं अशंकया ॥ | ||
* भय से तब तक ही दरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो। आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर प्रहार करना चाहिये। ~ पंचतंत्र | * भय से तब तक ही दरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो। आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर प्रहार करना चाहिये। ~ पंचतंत्र | ||
* जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं होते। ~ पंचतंत्र | * जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी संताप को प्राप्त नहीं होते। ~ पंचतंत्र | ||
* ‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी | * ‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी माँ बर्बरता के प्रति बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी माँ के चरणों में डाल जाते हैं। ~ बर्ट्रेंड रसेल | ||
* डर सदैव अज्ञानता से पैदा होता है। ~ एमर्सन | * डर सदैव अज्ञानता से पैदा होता है। ~ एमर्सन | ||
* आदमी सिर्फ़ दो लीवर के द्वारा चलता रहता है : डर तथा स्वार्थ। ~ नेपोलियन | * आदमी सिर्फ़ दो लीवर के द्वारा चलता रहता है : डर तथा स्वार्थ। ~ नेपोलियन | ||
पंक्ति 273: | पंक्ति 273: | ||
* अत्याचारी से बढ़कर अभागा व्यक्ति दूसरा नहीं, क्योंकि विपत्ति के समय कोई उसका मित्र नहीं होता। | * अत्याचारी से बढ़कर अभागा व्यक्ति दूसरा नहीं, क्योंकि विपत्ति के समय कोई उसका मित्र नहीं होता। | ||
* सच्चा प्रेम दुर्लभ है, सच्ची मित्रता और भी दुर्लभ है। | * सच्चा प्रेम दुर्लभ है, सच्ची मित्रता और भी दुर्लभ है। | ||
* ज्ञानी दोस्त | * ज्ञानी दोस्त ज़िंदगी का सबसे बड़ा वरदान है। ~ यूरीपिडीज | ||
* कृतज्ञता मित्रता को चिरस्थायी रखती है और नए मित्र बनाती है। ~ फ्रेंकलिन | * कृतज्ञता मित्रता को चिरस्थायी रखती है और नए मित्र बनाती है। ~ फ्रेंकलिन | ||
* झूठे मित्र साये की तरह होते हैं। धूप में साथ चलते हैं और अंधेरे में साथ छोड़ देते हैं। ~ अज्ञात | * झूठे मित्र साये की तरह होते हैं। धूप में साथ चलते हैं और अंधेरे में साथ छोड़ देते हैं। ~ अज्ञात | ||
पंक्ति 281: | पंक्ति 281: | ||
==मज़ाकिया, अजीब (Funny)== | ==मज़ाकिया, अजीब (Funny)== | ||
* कामयाब व्यक्ति की आधुनिक परिभाषा: जो पहली बीवी की वजह से कामयाबी हासिल करता है और कामयाबी की वजह से दूसरी बीवी। | * कामयाब व्यक्ति की आधुनिक परिभाषा: जो पहली बीवी की वजह से कामयाबी हासिल करता है और कामयाबी की वजह से दूसरी बीवी। | ||
* एक सरकारी | * एक सरकारी दफ़्तर के बोर्ड पर लिखा था कृप्या शोर न करें। किसी ने उसके नीचे लिख दिया। वरना हम जाग जायेंगे। | ||
* हर विषय को मिनी स्कर्ट की तरह होना चाहिये। इतना छोटा कि लोगों का इन्ट्रस्ट बना रहे और | * हर विषय को मिनी स्कर्ट की तरह होना चाहिये। इतना छोटा कि लोगों का इन्ट्रस्ट बना रहे और ज़रूरी चीज़े भी कवर हो जाये। | ||
* किशोरावस्था :ऐसी आयु जिसमें लड़के लड़कियों को ताड़ने लगते हैं और लड़कियां ताड़ने लगती हैं कि लड़के उन्हें ताड़ने लगे हैं। | * किशोरावस्था :ऐसी आयु जिसमें लड़के लड़कियों को ताड़ने लगते हैं और लड़कियां ताड़ने लगती हैं कि लड़के उन्हें ताड़ने लगे हैं। | ||
* आदर्श पत्नी :जो बरतन, कपड़े, झाड़ू, पोंछा … कहने का मतलब घर के सभी काम, करने में पति की मदद करे। | * आदर्श पत्नी :जो बरतन, कपड़े, झाड़ू, पोंछा … कहने का मतलब घर के सभी काम, करने में पति की मदद करे। | ||
पंक्ति 305: | पंक्ति 305: | ||
* ईश्वर एक है और वह एकता को पसंद करता है। - हज़रत मोहम्मद | * ईश्वर एक है और वह एकता को पसंद करता है। - हज़रत मोहम्मद | ||
* ईश्वर के अस्तित्व के लिए बुद्धि से प्रमाण नहीं मिल सकता क्योंकि ईश्वर भ्द्धि से परे है। - महात्मा गाँधी | * ईश्वर के अस्तित्व के लिए बुद्धि से प्रमाण नहीं मिल सकता क्योंकि ईश्वर भ्द्धि से परे है। - महात्मा गाँधी | ||
* यदि ईश्वर नहीं है तो उसका अविष्कार कर लेना | * यदि ईश्वर नहीं है तो उसका अविष्कार कर लेना ज़रूरी है। - वाल्टेयर | ||
* ईश्वर एक शाश्वत बालक है जो शाश्वत बाग़ में शाश्वत खेल खेल रहा है। - अरविन्द | * ईश्वर एक शाश्वत बालक है जो शाश्वत बाग़ में शाश्वत खेल खेल रहा है। - अरविन्द | ||
* ईश्वर बड़े साम्राज्यों से विमुख हो सकता है पर छोटे छोटे फूलों से कभी खिन्न नहीं होता। - टैगोर | * ईश्वर बड़े साम्राज्यों से विमुख हो सकता है पर छोटे छोटे फूलों से कभी खिन्न नहीं होता। - टैगोर | ||
पंक्ति 311: | पंक्ति 311: | ||
* ईश्वर एक ही है, भक्ति उसे अलग-अलग रूप में वर्णन करती है। - उपनिषद् | * ईश्वर एक ही है, भक्ति उसे अलग-अलग रूप में वर्णन करती है। - उपनिषद् | ||
* जो प्रभु कृपा में सच्चा विशवास रखता है, उसके लिएँ अनंत कृपा बहती है। - माताजी | * जो प्रभु कृपा में सच्चा विशवास रखता है, उसके लिएँ अनंत कृपा बहती है। - माताजी | ||
* परमात्मा हमेशा दयालु है। जो शुद्ध | * परमात्मा हमेशा दयालु है। जो शुद्ध हृदय से उसकी मदद मांगता है उसे वह अवश्य देता है। - स्वामी विवेकानंद | ||
* परमात्मा की शक्ति अमर्याद है, सिर्फ हमारी श्रद्दा अल्प होती है। - महावीर स्वामी | * परमात्मा की शक्ति अमर्याद है, सिर्फ हमारी श्रद्दा अल्प होती है। - महावीर स्वामी | ||
पंक्ति 332: | पंक्ति 332: | ||
* प्रसन्न करने का उपाय है, स्वयं प्रसन्न रहना। | * प्रसन्न करने का उपाय है, स्वयं प्रसन्न रहना। | ||
* हर्ष के साथ शोक और भय इस प्रकार लगे हैं जैसे प्रकाश के संग छाया, सच्चा सुखी वही है जिसकी दृष्टि में दोनों समान हैं। ~ धम्मपद | * हर्ष के साथ शोक और भय इस प्रकार लगे हैं जैसे प्रकाश के संग छाया, सच्चा सुखी वही है जिसकी दृष्टि में दोनों समान हैं। ~ धम्मपद | ||
* प्रसन्नता बसन्त की तरह, | * प्रसन्नता बसन्त की तरह, हृदय की सब कलियां खिला देती है। ~ जीनपॉल | ||
* जो व्यक्ति सभी को खुश रखना चाहेगा, वह किसी को खुश नहीं रख सकता। | * जो व्यक्ति सभी को खुश रखना चाहेगा, वह किसी को खुश नहीं रख सकता। | ||
* सुख सर्वत्र मौजूद है, उसका स्त्रोत हमारे | * सुख सर्वत्र मौजूद है, उसका स्त्रोत हमारे हृदयों में है। ~ रस्किन | ||
* सुख का रहस्य त्याग में है। ~ एण्ड्रयू कारनेगी | * सुख का रहस्य त्याग में है। ~ एण्ड्रयू कारनेगी | ||
* सुख बाहर से मिलने की | * सुख बाहर से मिलने की चीज़ नहीं, मगर अहंकार छोड़े बगैर इसकी प्राप्ति भी होने वाली नहीं। ~ महात्मा गांधी | ||
* जीवन का वास्तविक सुख, दूसरों को सुख देने में हैं, उनका सुख लूटने में नहीं। ~ मुंशी प्रेमचंद | * जीवन का वास्तविक सुख, दूसरों को सुख देने में हैं, उनका सुख लूटने में नहीं। ~ मुंशी प्रेमचंद | ||
* जीवन के प्रति जिस व्यक्ति कि कम से कम शिकायतें है, वही इस | * जीवन के प्रति जिस व्यक्ति कि कम से कम शिकायतें है, वही इस जगत् में अधिक से अधिक सुखी है। | ||
* मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा। ~ पुरुषोत्तमदास टंडन | * मेरी हार्दिक इच्छा है कि मेरे पास जो भी थोड़ा-बहुत धन शेष है, वह सार्वजनिक हित के कामों में यथाशीघ्र खर्च हो जाए। मेरे अंतिम समय में एक पाई भी न बचे, मेरे लिए सबसे बड़ा सुख यही होगा। ~ पुरुषोत्तमदास टंडन | ||
* चाहे राजा हो या किसान, वह सबसे ज़्यादा सुखी है जिसको अपने घर में शान्ति प्राप्त होती है। ~ गेटे | * चाहे राजा हो या किसान, वह सबसे ज़्यादा सुखी है जिसको अपने घर में शान्ति प्राप्त होती है। ~ गेटे | ||
पंक्ति 352: | पंक्ति 352: | ||
* जो सच्चाई पर निर्भर है वह किसी से घृणा नहीं करता। ~ नेपोलियन | * जो सच्चाई पर निर्भर है वह किसी से घृणा नहीं करता। ~ नेपोलियन | ||
* घृणा और प्रेम दोनों अंधे हैं। ~ कहावत | * घृणा और प्रेम दोनों अंधे हैं। ~ कहावत | ||
* घृणा | * घृणा हृदय का पागलपन है। ~ बायरन | ||
* घृणा घृणा से कभी कम नहीं होती, प्रेम से ही होती है। ~ बुद्ध | * घृणा घृणा से कभी कम नहीं होती, प्रेम से ही होती है। ~ बुद्ध | ||
* ईर्ष्या करने वालों का सबसे बड़ा शत्रु उसकी ईर्ष्या ही है। ~ तिरुवल्लुवर | * ईर्ष्या करने वालों का सबसे बड़ा शत्रु उसकी ईर्ष्या ही है। ~ तिरुवल्लुवर | ||
पंक्ति 365: | पंक्ति 365: | ||
* अच्छा मजाक आत्मा का स्वास्थ्य है, चिंता उसका विष। ~ स्टैनली | * अच्छा मजाक आत्मा का स्वास्थ्य है, चिंता उसका विष। ~ स्टैनली | ||
==दिल, | ==दिल, हृदय (Heart)== | ||
* एक टूटा हुआ दिल, टूटे हुए शीशे के समान होता है। इसको टूटा हुआ छोड़ देना ज़्यादा बेहतर होता, क्योंकि दोनों को जोड़ने में खुद को ज़्यादा | * एक टूटा हुआ दिल, टूटे हुए शीशे के समान होता है। इसको टूटा हुआ छोड़ देना ज़्यादा बेहतर होता, क्योंकि दोनों को जोड़ने में खुद को ज़्यादा दु:ख पहुंचता है। | ||
* चेहरा | * चेहरा हृदय का प्रतिबिम्ब है। ~ कहावत | ||
* सुन्दर | * सुन्दर हृदय का मूल्य सोने से भी बढ़कर है। ~ शेक्सपियर | ||
* भरे दिल में सबके लिए जगह होती है पर ख़ाली दिल में किसी के लिए नहीं। | * भरे दिल में सबके लिए जगह होती है पर ख़ाली दिल में किसी के लिए नहीं। | ||
पंक्ति 395: | पंक्ति 395: | ||
==मनुष्य, मानव (Human)== | ==मनुष्य, मानव (Human)== | ||
* किसी भी देश की संस्कृति उसके लोगों के | * किसी भी देश की संस्कृति उसके लोगों के हृदय और आत्मा में बसती है। ~ महात्मा गांधी | ||
* अकृतज्ञता मनुष्यत्व का विष है। ~ सर पी. सिडनी | * अकृतज्ञता मनुष्यत्व का विष है। ~ सर पी. सिडनी | ||
* मानव द्वारा अपनाया जाने वाला विवेक व माधुर्य समाज को प्रसन्नता प्रदान करता है। ~ अज्ञात | * मानव द्वारा अपनाया जाने वाला विवेक व माधुर्य समाज को प्रसन्नता प्रदान करता है। ~ अज्ञात | ||
पंक्ति 421: | पंक्ति 421: | ||
* अगर हम अपनी क्षमता के अनुसार कर्म करें तो हम अपने-आप को ही अचंभित कर डालेंगे। ~ थॉमस एडीसन | * अगर हम अपनी क्षमता के अनुसार कर्म करें तो हम अपने-आप को ही अचंभित कर डालेंगे। ~ थॉमस एडीसन | ||
* संकल्प ही मनुष्य का बल है। | * संकल्प ही मनुष्य का बल है। | ||
* संपूर्ण लेखन जैसी कोई | * संपूर्ण लेखन जैसी कोई चीज़ नहीं होती। ठीक वैसे ही जैसे संपूर्ण निराशा नहीं होती। – हारुकि मुराकामी | ||
* अपने शक्तियो पर भरोसा करने वाला कभी असफल नहीं होता। | * अपने शक्तियो पर भरोसा करने वाला कभी असफल नहीं होता। | ||
* वह सच्चा साहसी है जो कभी भी निराश नहीं होता। | * वह सच्चा साहसी है जो कभी भी निराश नहीं होता। | ||
* | * मंज़िल तो मिल ही जायेगी भटक कर ही सही, गुमराह तो वो हैं जो घर से निकला ही नहीं करते। | ||
* वही सबसे तेज चलता है, जो अकेला चलता है। | * वही सबसे तेज चलता है, जो अकेला चलता है। | ||
* जिसने निश्चय कर लिया, उसके लिए केवल करना शेष रह जाता है। ~ इटालियन कहावत | * जिसने निश्चय कर लिया, उसके लिए केवल करना शेष रह जाता है। ~ इटालियन कहावत | ||
पंक्ति 470: | पंक्ति 470: | ||
* इंसाफ, सच और ख़ूबसूरती जैसे शब्द एक – दूसरे के दोस्त हैं| जहां ये तीनों लफ्ज़ हों, वहाँ किसी और की ज़रूरत ही नहीं है। ~ साइमन वेल | * इंसाफ, सच और ख़ूबसूरती जैसे शब्द एक – दूसरे के दोस्त हैं| जहां ये तीनों लफ्ज़ हों, वहाँ किसी और की ज़रूरत ही नहीं है। ~ साइमन वेल | ||
* अन्याय में सहयोग देना, अन्याय करने के ही समान है। ~ प्रेमचन्द | * अन्याय में सहयोग देना, अन्याय करने के ही समान है। ~ प्रेमचन्द | ||
* न्याय का मोती दया के | * न्याय का मोती दया के हृदय में मिलता है। ~ जर्मन कहावत | ||
* मनुष्य का कर्त्तव्य है की वह उदास बनने से पूर्व त्यागी बने। ~ डिकेंस | * मनुष्य का कर्त्तव्य है की वह उदास बनने से पूर्व त्यागी बने। ~ डिकेंस | ||
* जब से मुझे पता चला है की मखमल के गद्दे पर सोनेवालों के सपने ज़मीन पर सोनेवालों के सपने से मधुर नहीं होते, तब से मुझे न्यायप्रभु के न्याय में श्रद्धा हो गयी है। ~ खलील जिब्रान | * जब से मुझे पता चला है की मखमल के गद्दे पर सोनेवालों के सपने ज़मीन पर सोनेवालों के सपने से मधुर नहीं होते, तब से मुझे न्यायप्रभु के न्याय में श्रद्धा हो गयी है। ~ खलील जिब्रान | ||
पंक्ति 484: | पंक्ति 484: | ||
* अल्प ज्ञान खतरनाक होता है। | * अल्प ज्ञान खतरनाक होता है। | ||
* उपदेश देना सरल है, उपाय बताना कठिन। | * उपदेश देना सरल है, उपाय बताना कठिन। | ||
* जो दूसरों को जानता है, वह | * जो दूसरों को जानता है, वह विद्वान् है। जो स्वयं को जानता है वह ज्ञानी। - लाओत्से | ||
* सब दानों में ज्ञान का दान ही श्रेष्ठ दान है। ~ मनुस्मृति | * सब दानों में ज्ञान का दान ही श्रेष्ठ दान है। ~ मनुस्मृति | ||
* प्रतिभावान का गुण यह है कि वह मान्यताओं को हिला देता है। ~ गेटे | * प्रतिभावान का गुण यह है कि वह मान्यताओं को हिला देता है। ~ गेटे | ||
पंक्ति 522: | पंक्ति 522: | ||
* विष से भी अमृत तथा बालक से भी सुभाषित ग्रहण करें। ~ मनु | * विष से भी अमृत तथा बालक से भी सुभाषित ग्रहण करें। ~ मनु | ||
* यदि मनुष्य सीखना चाहे, तो उसकी हर भूल उसे कुछ शिक्षा दे सकती है। ~ महात्मा गांधी | * यदि मनुष्य सीखना चाहे, तो उसकी हर भूल उसे कुछ शिक्षा दे सकती है। ~ महात्मा गांधी | ||
* नई | * नई चीज़ सिखने कि जिसने आशा छोड़ दे, वह बुढा है। ~ विनोबा भावे | ||
* मनुष्य सफलता से कुछ नहीं सीखता, विफलता से बहुत कुछ सीखता है। ~ अरबी लोकोक्ति | * मनुष्य सफलता से कुछ नहीं सीखता, विफलता से बहुत कुछ सीखता है। ~ अरबी लोकोक्ति | ||
==झूठ, असत्य, चालबाज़ी (Lie)== | ==झूठ, असत्य, चालबाज़ी (Lie)== | ||
* जो बात सिद्धांतः | * जो बात सिद्धांतः ग़लत है, वह व्यवहार में भी उचित नहीं है। ~ डॉ. राजेंद्र प्रसाद | ||
* थोडा सा झूठ भी मनुष्य का नाश कर सकता है। ~ महात्मा गाँधी | * थोडा सा झूठ भी मनुष्य का नाश कर सकता है। ~ महात्मा गाँधी | ||
* झूठ कि सजा यह नहीं कि उसका विश्वास नहीं किया जाता बलिक वह किसी का विश्वास नहीं कर सकता। ~ शेक्सपियर | * झूठ कि सजा यह नहीं कि उसका विश्वास नहीं किया जाता बलिक वह किसी का विश्वास नहीं कर सकता। ~ शेक्सपियर | ||
पंक्ति 534: | पंक्ति 534: | ||
==जीवन, प्राण (Life)== | ==जीवन, प्राण (Life)== | ||
* आदर्श, अनुशासन, मर्यादा, परिश्रम, ईमानदारी तथा उच्च मानवीय मूल्यों के बिना किसी का जीवन | * आदर्श, अनुशासन, मर्यादा, परिश्रम, ईमानदारी तथा उच्च मानवीय मूल्यों के बिना किसी का जीवन महान् नहीं बन सकता है। ~ स्वामी विवेकानंद | ||
* हम जीवन से वही सीखते हैं, जो उससे वास्तव में सीखना चाहते हैं। ~ जैक्सन ब्राऊन | * हम जीवन से वही सीखते हैं, जो उससे वास्तव में सीखना चाहते हैं। ~ जैक्सन ब्राऊन | ||
* आत्मज्ञान, आत्मसम्मान, आत्मसंयम यह तीनों ही जीवन को परम सम्पन्न बनाते हैं। ~ टेनीसन | * आत्मज्ञान, आत्मसम्मान, आत्मसंयम यह तीनों ही जीवन को परम सम्पन्न बनाते हैं। ~ टेनीसन | ||
* साझा की गई खुशी दुगनी होती है, साझा किया गया | * साझा की गई खुशी दुगनी होती है, साझा किया गया दु:ख आधा होता है। ~ स्वीडन की कहावत | ||
* ज़िन्दगी जीने के दो तरीके होते है! पहला: जो पसंद है उसे हासिल करना सीख लो! दूसरा: जो हासिल है उसे पसंद करना सीख लो! | * ज़िन्दगी जीने के दो तरीके होते है! पहला: जो पसंद है उसे हासिल करना सीख लो! दूसरा: जो हासिल है उसे पसंद करना सीख लो! | ||
* | * ज़िंदगी की जड़ें जब स्पष्ट जीवनमूल्यों, उद्देश्य और समर्पण में होती हैं, वह दृढ और अडिग होती है। | ||
* जब से मैंने जाना कि जीवन क्षणभंगुर है, में करुणा में डूब गया। ~ जेरेक्स | * जब से मैंने जाना कि जीवन क्षणभंगुर है, में करुणा में डूब गया। ~ जेरेक्स | ||
* मरते तो सभी हैं लेकिन महत्त्वपूर्ण यह हैं कि आपने अपनी | * मरते तो सभी हैं लेकिन महत्त्वपूर्ण यह हैं कि आपने अपनी ज़िंदगी किस प्रकार गुजारी हैं। | ||
* जीवन में आनन्द को कर्तव्य बनाने की अपेक्षा कर्तव्य को आनन्द बनाना अधिक महत्त्वपूर्ण हैं। | * जीवन में आनन्द को कर्तव्य बनाने की अपेक्षा कर्तव्य को आनन्द बनाना अधिक महत्त्वपूर्ण हैं। | ||
* जीवन में कभी समझौता करना पड़े तो कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि, झुकता वही है जिसमें जान होती है, अकड़ तो मुरदे की पहचान होती है। | * जीवन में कभी समझौता करना पड़े तो कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि, झुकता वही है जिसमें जान होती है, अकड़ तो मुरदे की पहचान होती है। | ||
* जीवन का सबसे बड़ा उपयोग इसे किसी ऐसी | * जीवन का सबसे बड़ा उपयोग इसे किसी ऐसी चीज़ में लगाने में है, जो इसके बाद भी रहे। ~ विलियम जेम्स | ||
* जीवन एक आग है, जो खुद को भी झुलसा देती है, लेकिन जब एक शिशु जन्म लेता है, ये आग फिर भड़क उठती है। ~ जॉर्ज बर्नार्ड शॉ | * जीवन एक आग है, जो खुद को भी झुलसा देती है, लेकिन जब एक शिशु जन्म लेता है, ये आग फिर भड़क उठती है। ~ जॉर्ज बर्नार्ड शॉ | ||
* किसी | * किसी चीज़ की कीमत यह है कि आप उसके बदले में अपनी कितनी ज़िंदगी लगा देते हैं। ~ हेनरी डेविड थोर | ||
* | * ज़िंदगी लोगों से प्रेम करने,उनकी सेवा करने,उन्हें सशक्त बनाने और उन्हें प्रोत्साहित करने का नाम है। | ||
* सार्थक जीवन में समस्याएं हो सकती हैं, परन्तु उसमें कोई पश्चाताप नहीं होना चाहिए। | * सार्थक जीवन में समस्याएं हो सकती हैं, परन्तु उसमें कोई पश्चाताप नहीं होना चाहिए। | ||
* जीवन छोटा है, पर सुंदर है। ~ सोफोक्लेस | * जीवन छोटा है, पर सुंदर है। ~ सोफोक्लेस | ||
* | * ज़िंदगी एक उबाऊ कहानी की तरह है, जिसे दो बार सुना गया हो, लेकिन एक उंघते हुए इंसान के कानों की सफाई कर देने के लिए ये बेहतरीन साधन है। ~ विलियम शेक्सपीयर | ||
* जीवन विकास का सिद्धान्त है, स्थिर रहने का नहीं। ~ जवाहरलाल नेहरू | * जीवन विकास का सिद्धान्त है, स्थिर रहने का नहीं। ~ जवाहरलाल नेहरू | ||
* | * ज़िंदगी में खुश रहना है तो हँसने का बहाना तलाशें। | ||
* | * ज़िंदगी का हर पल कुछ न कुछ सिखाता है। | ||
* जीवन एक नाटक है, यदि हम इसके कथानक को समझ ले तो सदैव प्रसन्न रह सकते हैं। | * जीवन एक नाटक है, यदि हम इसके कथानक को समझ ले तो सदैव प्रसन्न रह सकते हैं। | ||
* जीने के लिए तो एक पल ही काफ़ी है, बशर्ते आपने उसे किस तरह जिया। | * जीने के लिए तो एक पल ही काफ़ी है, बशर्ते आपने उसे किस तरह जिया। | ||
पंक्ति 575: | पंक्ति 575: | ||
* जीवन दो चीजों का नाम है, एक जमी हुई नदी और दूसरी धधकती हुई ज्वाला। धधकती हुई ज्वाला ही प्रेम है। ~ खलील जिब्रान | * जीवन दो चीजों का नाम है, एक जमी हुई नदी और दूसरी धधकती हुई ज्वाला। धधकती हुई ज्वाला ही प्रेम है। ~ खलील जिब्रान | ||
* बूंद की सार्थकता इसी में है कि उसका अस्तित्व नदी में विलीन हो जाए। ~ अल गजाली | * बूंद की सार्थकता इसी में है कि उसका अस्तित्व नदी में विलीन हो जाए। ~ अल गजाली | ||
* जीवन निकुंज में तुम्हारी रागिनी बजती रहे, सदा बजती रहे। | * जीवन निकुंज में तुम्हारी रागिनी बजती रहे, सदा बजती रहे। हृदय कमल में तुम्हारा आसन विराजित रहे, सदा विराजित रहे। ~ रविन्द्र नाथ टैगोर | ||
* खाने और सोने का नाम जीवन नहीं। जीवन नाम है सदैव आगे बढ़ने का। ~ प्रेमचंद | * खाने और सोने का नाम जीवन नहीं। जीवन नाम है सदैव आगे बढ़ने का। ~ प्रेमचंद | ||
* जीना भी एक कला है, बल्कि कला ही नहीं तपस्या है। ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी | * जीना भी एक कला है, बल्कि कला ही नहीं तपस्या है। ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी | ||
पंक्ति 587: | पंक्ति 587: | ||
* आज ऐसे जियो जैसे यह अन्तिम दिन हो। ~ बिशप कैर | * आज ऐसे जियो जैसे यह अन्तिम दिन हो। ~ बिशप कैर | ||
* जीवन अपनी इच्छा अनुकूल चलना नहीं, ईश्वर की इच्छा के अनुकूल चलने में है। ~ ताल्सतॉय | * जीवन अपनी इच्छा अनुकूल चलना नहीं, ईश्वर की इच्छा के अनुकूल चलने में है। ~ ताल्सतॉय | ||
* कहीं ऐसा न हो कि ज़िन्दगी कि अच्छी चीज़ें, | * कहीं ऐसा न हो कि ज़िन्दगी कि अच्छी चीज़ें, ज़िंदगी की सबसे अच्छी चीजों को ख़तम कर दें। ~ वाल्तैयेर | ||
* जब तक जीवन है, तब तक जीवन कला सीखते रहो। ~ सेनेका | * जब तक जीवन है, तब तक जीवन कला सीखते रहो। ~ सेनेका | ||
* जहाज़ समंदर के किनारे सर्वाधिक सुरक्षित रहता है। मगर क्या आप नहीं जानते कि उसे किनारे के लिए नहीं, बल्कि समंदर के बीच में जाने के लिए बनाया गया है ? | * जहाज़ समंदर के किनारे सर्वाधिक सुरक्षित रहता है। मगर क्या आप नहीं जानते कि उसे किनारे के लिए नहीं, बल्कि समंदर के बीच में जाने के लिए बनाया गया है ? | ||
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* प्रेम एक ऐसा फल है, जो हर मौसम में मिलता है और जिसे सभी पा सकते हैं। ~ मदर टेरेसा | * प्रेम एक ऐसा फल है, जो हर मौसम में मिलता है और जिसे सभी पा सकते हैं। ~ मदर टेरेसा | ||
* हर सच्चा क्रांतिकारी वास्तव में गहन प्रेम की भावना से संचालित होता है। ~ चे ग्वेरा | * हर सच्चा क्रांतिकारी वास्तव में गहन प्रेम की भावना से संचालित होता है। ~ चे ग्वेरा | ||
* मुहब्बत त्याग की | * मुहब्बत त्याग की माँ है, जहां जाती है, बेटे को साथ ले जाती है। ~ सुदर्शन | ||
* हम जब तक स्वयं माता-पिता नहीं बन जाएं, माता-पिता का प्यार कभी नहीं जान पाते। ~ हेनरी वार्ड बीचर | * हम जब तक स्वयं माता-पिता नहीं बन जाएं, माता-पिता का प्यार कभी नहीं जान पाते। ~ हेनरी वार्ड बीचर | ||
* अपने स्नेह का पूर्ण प्रदर्शन किए बिना आप अपना स्नेह-भाव दूसरों तक नहीं पहुंचा सकते। ~ स्वेट मार्डन | * अपने स्नेह का पूर्ण प्रदर्शन किए बिना आप अपना स्नेह-भाव दूसरों तक नहीं पहुंचा सकते। ~ स्वेट मार्डन | ||
* प्रेम की शक्ति दण्ड की शक्ति से हज़ार गुनी प्रभावशाली और स्थायी होती है। ~ महात्मा गांधी | * प्रेम की शक्ति दण्ड की शक्ति से हज़ार गुनी प्रभावशाली और स्थायी होती है। ~ महात्मा गांधी | ||
* वही समाज सदैव सुखी रहकर | * वही समाज सदैव सुखी रहकर तरक़्क़ी कर सकता है, जिसमें लोगों ने आपसी प्रेम को आत्मसात कर लिया। | ||
==भाग्य, तक़दीर, मुकद्द (Luck)== | ==भाग्य, तक़दीर, मुकद्द (Luck)== | ||
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* ज्ञानी मनुष्य दूसरों की भूलों से अपनी भूलें सुधारता है। ~ पबलिस साइरस | * ज्ञानी मनुष्य दूसरों की भूलों से अपनी भूलें सुधारता है। ~ पबलिस साइरस | ||
* अपनी भूल अपने ही हाथ सुधर जाए तो,यह उससे कहीं अच्छा है कि दूसरा उसे सुधारे। ~ प्रेमचंद | * अपनी भूल अपने ही हाथ सुधर जाए तो,यह उससे कहीं अच्छा है कि दूसरा उसे सुधारे। ~ प्रेमचंद | ||
* विवेकशील पुरुष दूसरे की | * विवेकशील पुरुष दूसरे की ग़लतीयों से अपनी ग़लती सुधारते हैं। ~ साइरस | ||
* | * ग़लतियों के लिए दूसरों को दोष देने की अपेक्षा उनसे सबक लो। ~ स्पेनिश कहावत | ||
* स्वार्थवश मनुष्य दोषों को नहीं देखता। ~ चाणक्य | * स्वार्थवश मनुष्य दोषों को नहीं देखता। ~ चाणक्य | ||
* त्रुटियां उसी से नहीं होंगी, जो कोई काम करें ही नहीं। ~ लेनिन | * त्रुटियां उसी से नहीं होंगी, जो कोई काम करें ही नहीं। ~ लेनिन | ||
* | * ग़लतियां किए बिना कोई व्यक्ति बड़ा और महान् नहीं बनता है। ~ ग्लेडस्टन | ||
* दूसरों कि | * दूसरों कि ग़लतियों से सीखिए क्योंकि आपको ग़लती करने का मौक़ा नहीं मिलेगा। | ||
* स्वयं के दोषों का निरीक्षण और दुसरों के गुणों का पर्यावलोकन करना उज्ज्वल व्यक्तित्व की पहचान है। | * स्वयं के दोषों का निरीक्षण और दुसरों के गुणों का पर्यावलोकन करना उज्ज्वल व्यक्तित्व की पहचान है। | ||
* एक गुण समस्त दोषो को ढ़क लेता है। | * एक गुण समस्त दोषो को ढ़क लेता है। | ||
* अपने आपको दोष देना सबसे बड़ा पाप हैं। | * अपने आपको दोष देना सबसे बड़ा पाप हैं। | ||
* ग़लती करने में कोई ग़लती नहीं है। ग़लती करने से डरना सबसे बडी ग़लती है। ~ एल्बर्ट हब्बार्ड | * ग़लती करने में कोई ग़लती नहीं है। ग़लती करने से डरना सबसे बडी ग़लती है। ~ एल्बर्ट हब्बार्ड | ||
* ग़लती करने का सीधा सा मतलब है कि आप | * ग़लती करने का सीधा सा मतलब है कि आप तेज़ीसे सीख रहे हैं। | ||
* बहुत सी तथा बदी ग़लतियाँ किये बिना कोई बड़ा आदमी नहीं बन सकता। ~ ग्लेडस्टन | * बहुत सी तथा बदी ग़लतियाँ किये बिना कोई बड़ा आदमी नहीं बन सकता। ~ ग्लेडस्टन | ||
* मैं इसलिये आगे निकल पाया कि मैने उन लोगों से ज़्यादा ग़लतियाँ की जिनका मानना था कि ग़लती करना बुरा था, या ग़लती करने का मतलब था कि वे मूर्ख थे। ~ राबर्ट कियोसाकी | * मैं इसलिये आगे निकल पाया कि मैने उन लोगों से ज़्यादा ग़लतियाँ की जिनका मानना था कि ग़लती करना बुरा था, या ग़लती करने का मतलब था कि वे मूर्ख थे। ~ राबर्ट कियोसाकी | ||
पंक्ति 651: | पंक्ति 651: | ||
* त्रुटियों के बीच में से ही सम्पूर्ण सत्य को ढूंढा जा सकता है। ~ सिगमंड फ्रायड | * त्रुटियों के बीच में से ही सम्पूर्ण सत्य को ढूंढा जा सकता है। ~ सिगमंड फ्रायड | ||
* ग़लतियों से भरी ज़िंदगी न सिर्फ़ सम्मनाननीय बल्कि लाभप्रद है उस जीवन से जिसमे कुछ किया ही नहीं गया। | * ग़लतियों से भरी ज़िंदगी न सिर्फ़ सम्मनाननीय बल्कि लाभप्रद है उस जीवन से जिसमे कुछ किया ही नहीं गया। | ||
* | * ग़लती करना मनुष्य का स्वाभाव है, की हुई ग़लती को मान लेना और इस प्रकार आचरण करना कि फिर ग़लती न हो, मर्दानगी है। ~ महात्मा गाँधी | ||
* जो मान गया कि उससे | * जो मान गया कि उससे ग़लती हुई और उसे ठीक नहीं करता, वह एक और ग़लती कर रहा है। ~ कन्फुस्यियस | ||
* बहुत सी तथा बड़ी | * बहुत सी तथा बड़ी ग़लती किये बिना कोई व्यक्ति बड़ा और महान् नहीं बनता। ~ ग्लेड स्टोन | ||
* अगर तुम | * अगर तुम ग़लतियों को रोकने के लिए दरवाज़े बंद कर दोगे तो सत्य भी बाहर आ जायेगा। ~ टैगोर | ||
* किसी पूर्वतन ख्याति का उत्तराधिकार प्राप्त करना एक संकट मोल लेना है। ~ टैगोर | * किसी पूर्वतन ख्याति का उत्तराधिकार प्राप्त करना एक संकट मोल लेना है। ~ टैगोर | ||
* दोष पराये देखकर चालत हसंत हसंत, अपने याद ना आवई जिनका आदि ना अंत। ~ कबीर | * दोष पराये देखकर चालत हसंत हसंत, अपने याद ना आवई जिनका आदि ना अंत। ~ कबीर | ||
पंक्ति 663: | पंक्ति 663: | ||
==नम्रता, विनयशीलता (Modesty)== | ==नम्रता, विनयशीलता (Modesty)== | ||
* नमस्कार करने वाला व्यक्ति विनम्रता को ग्रहण करता है और समाज में सभी के प्रेम का पात्र बन जाता है। ~ प्रेमचंद | * नमस्कार करने वाला व्यक्ति विनम्रता को ग्रहण करता है और समाज में सभी के प्रेम का पात्र बन जाता है। ~ प्रेमचंद | ||
* | * महान् मनुष्य की पहली पहचान उसकी नम्रता है। | ||
* नम्रता के संसर्ग से ऐश्वर्य के सोभा बढती है। ~ कालिदास | * नम्रता के संसर्ग से ऐश्वर्य के सोभा बढती है। ~ कालिदास | ||
* बड़े को छोटा बनकर रहना चाहिए, क्योंकि जो अपने आप को बड़ा मानता है वह छोटा बाह्य जाता है और जो छोटा बानाता है वह बड़ा पद पाटा है। ~ ईसा | * बड़े को छोटा बनकर रहना चाहिए, क्योंकि जो अपने आप को बड़ा मानता है वह छोटा बाह्य जाता है और जो छोटा बानाता है वह बड़ा पद पाटा है। ~ ईसा | ||
* नम्रता और खुदा के खौफ से इज्जत और ज़िन्दगी मिलती है। ~ सुलेमान | * नम्रता और खुदा के खौफ से इज्जत और ज़िन्दगी मिलती है। ~ सुलेमान | ||
* संसार के विरुद्ध खड़े रहने के लिए शक्ति प्राप्त करने की | * संसार के विरुद्ध खड़े रहने के लिए शक्ति प्राप्त करने की ज़रूरत नहीं है, ईसा दुनिया के ख़िलाफ़ खड़े रहे, बुद्ध भी अपने जमाने के ख़िलाफ़ गए, प्रहलाद ने भी वैसा ही किया, ये सब नम्रता के धनि थे, अकेले खड़े रहने की शक्ति नम्रता के बिना असंभव है। ~ महात्मा गाँधी | ||
* मेरा विश्वास है की वास्तविक | * मेरा विश्वास है की वास्तविक महान् पुरुष की पहचान उसकी नम्रता है। ~ रस्किन | ||
* नम्रता तन की शक्ति, जीतने की कला और शौर्य की पराकाष्ठा है। ~ विनोबा | * नम्रता तन की शक्ति, जीतने की कला और शौर्य की पराकाष्ठा है। ~ विनोबा | ||
* ऊंचे पाने न टिके, नीचे ही ठहराए, नीचे हो सो भरी पिबैं, ऊचां प्यासा जाय। ~ कबीर | * ऊंचे पाने न टिके, नीचे ही ठहराए, नीचे हो सो भरी पिबैं, ऊचां प्यासा जाय। ~ कबीर | ||
पंक्ति 678: | पंक्ति 678: | ||
* कुबेर भी अगर आय से ज़्यादा व्यय करे, तो कंगाल हो जाता है। ~ चाणक्य | * कुबेर भी अगर आय से ज़्यादा व्यय करे, तो कंगाल हो जाता है। ~ चाणक्य | ||
* पैसे की कमी समस्त बुराईयों की जड़ है। | * पैसे की कमी समस्त बुराईयों की जड़ है। | ||
* उस मनुष्य से | * उस मनुष्य से ग़रीब कोई नहीं जिसके पास केवल धन है। ~ कहावत | ||
* दान, भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं। जो न देता है और न ही भोगता है, उसके धन की तृतीय गति (नाश) होती है। ~ भर्तृहरि | * दान, भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं। जो न देता है और न ही भोगता है, उसके धन की तृतीय गति (नाश) होती है। ~ भर्तृहरि | ||
* हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । (सोना (धन) ही कमाओ, कलाएँ निष्फल है) ~ महाकवि माघ | * हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । (सोना (धन) ही कमाओ, कलाएँ निष्फल है) ~ महाकवि माघ | ||
पंक्ति 694: | पंक्ति 694: | ||
==मां, जननी, माता (Mother)== | ==मां, जननी, माता (Mother)== | ||
* जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से बढ़कर है। ~ वाल्मीकि रामायण | * जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से बढ़कर है। ~ वाल्मीकि रामायण | ||
* माता का | * माता का हृदय, शिशु कि पाठशाला है। ~ बीचर | ||
==प्रेरक, उत्तेजित करना (Motivational)== | ==प्रेरक, उत्तेजित करना (Motivational)== | ||
पंक्ति 705: | पंक्ति 705: | ||
==प्रकृति, क़ुदरत (Nature)== | ==प्रकृति, क़ुदरत (Nature)== | ||
* खिले हुए फूल और कुछ नहीं, बल्कि धरती की मुस्कराहट हैं। ~ ईई कमिंग्स | * खिले हुए फूल और कुछ नहीं, बल्कि धरती की मुस्कराहट हैं। ~ ईई कमिंग्स | ||
* प्रकृति की गहराई में देखें, और आप हर | * प्रकृति की गहराई में देखें, और आप हर चीज़ को बेहतर समझा पाएंगे। ~ अल्बर्ट आइंस्टीन | ||
* धुल स्वयं अपमान सह लेती है ओर बदले में फूलों का उपहार देती है। ~ रवीन्द्रनाथ टैगोर | * धुल स्वयं अपमान सह लेती है ओर बदले में फूलों का उपहार देती है। ~ रवीन्द्रनाथ टैगोर | ||
पंक्ति 714: | पंक्ति 714: | ||
* नव वर्ष आपके जीवन मे उमंग लाये। | * नव वर्ष आपके जीवन मे उमंग लाये। | ||
* नव वर्ष के आगमन पर हार्दिक बधाई। | * नव वर्ष के आगमन पर हार्दिक बधाई। | ||
* नव वर्ष मे आपकी दिन दोगुनी रात चौगुनी | * नव वर्ष मे आपकी दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक़्क़ी हो। | ||
* नया साल आपके लिये लाभदायक हो। | * नया साल आपके लिये लाभदायक हो। | ||
* नव वर्ष आपके लिये हितकारी हो। | * नव वर्ष आपके लिये हितकारी हो। | ||
पंक्ति 730: | पंक्ति 730: | ||
* समय और सागर की लहर किसी की प्रतीक्षा नहीं करती। ~ रिचर्ड ब्रेथकेट | * समय और सागर की लहर किसी की प्रतीक्षा नहीं करती। ~ रिचर्ड ब्रेथकेट | ||
* मनुष्य के लिए जीवन में सफलता पाने का रहस्य है, हर आने वाले अवसर के लिए तैयार रहना। ~ डिजरायली | * मनुष्य के लिए जीवन में सफलता पाने का रहस्य है, हर आने वाले अवसर के लिए तैयार रहना। ~ डिजरायली | ||
* ऐसा न सोचो कि अवसर तुम्हारा | * ऐसा न सोचो कि अवसर तुम्हारा दरवाज़ा दोबारा खटखटाएगा। ~ शैम्फोर्ट | ||
* कोई | * कोई महान् व्यक्ति अवसर की कमी की शिकायत कभी नहीं करता। | ||
* मुझे रास्ता मिलेगा नहीं, तो मैं बना लूँगा। ~ सर फिलिप सिडनी | * मुझे रास्ता मिलेगा नहीं, तो मैं बना लूँगा। ~ सर फिलिप सिडनी | ||
* यदि मनुष्य प्यास से मर जाए तो मर जाने के बाद उसे अमृत के सरोवर का भी क्या लाभ? यदि कोई मनुष्य अवसर पर चूक जाय, तो उसका पछताना निष्फल है। | * यदि मनुष्य प्यास से मर जाए तो मर जाने के बाद उसे अमृत के सरोवर का भी क्या लाभ? यदि कोई मनुष्य अवसर पर चूक जाय, तो उसका पछताना निष्फल है। | ||
पंक्ति 749: | पंक्ति 749: | ||
* रहिमन चुप ह्वै बैठिये, देखि दिनन को फेर । जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर ॥ | * रहिमन चुप ह्वै बैठिये, देखि दिनन को फेर । जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर ॥ | ||
* न इतराइये, देर लगती है क्या | जमाने को करवट बदलते हुए || | * न इतराइये, देर लगती है क्या | जमाने को करवट बदलते हुए || | ||
* वसंत ऋतु निश्चय ही रमणीय है। ग्रीष्म ऋतु भी रमणीय है। वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर भी रमणीय है, | * वसंत ऋतु निश्चय ही रमणीय है। ग्रीष्म ऋतु भी रमणीय है। वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर भी रमणीय है, अर्थात् सब समय उत्तम है। ~ सामवेद | ||
==धैर्य, सब्र, सहनशीलता (Patience)== | ==धैर्य, सब्र, सहनशीलता (Patience)== | ||
* धैर्य प्रतिभा का आवश्यक अंग है। ~ डिजराइली | * धैर्य प्रतिभा का आवश्यक अंग है। ~ डिजराइली | ||
* वह व्यक्ति | * वह व्यक्ति महान् है,जो शांतचित्त होकर धैर्यपूर्वक कार्य करता है। ~ डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन | ||
* धैर्य और परिश्रम से हम वह प्राप्त कर सकते हैं, जो शक्ति और शीघ्रता से कभी नहीं कर सकते। ~ ला फाण्टेन | * धैर्य और परिश्रम से हम वह प्राप्त कर सकते हैं, जो शक्ति और शीघ्रता से कभी नहीं कर सकते। ~ ला फाण्टेन | ||
* जैसे सोना अग्नि में चमकता है, वैसे ही धैर्यवान आपदा में दमकता है। | * जैसे सोना अग्नि में चमकता है, वैसे ही धैर्यवान आपदा में दमकता है। | ||
पंक्ति 760: | पंक्ति 760: | ||
* धीर गंभीर कभी उबाल नहीं खाते। ~ चाणक्य | * धीर गंभीर कभी उबाल नहीं खाते। ~ चाणक्य | ||
* कबिरा धीरज के धरे, हाथी मन भर खाय। टूक एक के कारने, स्वान घरै घर जाय॥ ~ कबीर | * कबिरा धीरज के धरे, हाथी मन भर खाय। टूक एक के कारने, स्वान घरै घर जाय॥ ~ कबीर | ||
* नीति निपुण निंदा करें या प्रशंसा करें, लक्ष्मी आए चाहे चली जाय, मृत्यु चाहे आज ही हो जाए, चाहे एक युग के बाद, परन्तु धीर | * नीति निपुण निंदा करें या प्रशंसा करें, लक्ष्मी आए चाहे चली जाय, मृत्यु चाहे आज ही हो जाए, चाहे एक युग के बाद, परन्तु धीर पुरुष न्यायमार्ग से एक पग भी विचलित नहीं होते। ~ भर्तृहरी | ||
* विकार हेतो सति विक्रियन्ते येषां न चेतांसि त एव धीराः। (वास्तव में वे ही | * विकार हेतो सति विक्रियन्ते येषां न चेतांसि त एव धीराः। (वास्तव में वे ही पुरुष धीर हैं जिनका मन विकार उत्पन्न करने वाली परिस्थिति में भी विकृत नहीं होता।) ~ कालिदास | ||
* जिसे धीरज है और जो श्रम से नहीं घबराता है, सफलता उसकी दासी है। | * जिसे धीरज है और जो श्रम से नहीं घबराता है, सफलता उसकी दासी है। | ||
* धीरज सारे आनंदों और शक्तियों का मूल है। ~ जॉन रस्किन | * धीरज सारे आनंदों और शक्तियों का मूल है। ~ जॉन रस्किन | ||
पंक्ति 773: | पंक्ति 773: | ||
==व्यक्तिगत, निजी, आत्म (Personal)== | ==व्यक्तिगत, निजी, आत्म (Personal)== | ||
* मनुष्य अपनी क्षमताओं की कभी क़दर नहीं करता, वह हमेश उस | * मनुष्य अपनी क्षमताओं की कभी क़दर नहीं करता, वह हमेश उस चीज़ की आस लगाये रहता है जो उसके पास नहीं है। ~ हेलेन केलर | ||
* कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं। ~ बालगंगाधर तिलक | * कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं। ~ बालगंगाधर तिलक | ||
* जिसने अपने को वश में कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते। ~ महात्मा बुद्ध | * जिसने अपने को वश में कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते। ~ महात्मा बुद्ध | ||
पंक्ति 784: | पंक्ति 784: | ||
* सिद्धांत न त्यागें, चाहे ऐसा करने वाले आप अकेले क्यों न हों। ~ जॉन एडम्स | * सिद्धांत न त्यागें, चाहे ऐसा करने वाले आप अकेले क्यों न हों। ~ जॉन एडम्स | ||
* मूर्खों से कभी तर्क मत कीजिये। क्योंकि पहले वे आपको अपने स्तर पर लायेंगे और फिर अपने अनुभवों से आपकी धुलाई कर देंगे। | * मूर्खों से कभी तर्क मत कीजिये। क्योंकि पहले वे आपको अपने स्तर पर लायेंगे और फिर अपने अनुभवों से आपकी धुलाई कर देंगे। | ||
* कष्ट सहने के फलस्वरूप ही हमें बुद्धि – विवेक की प्राप्ति होती है। – | * कष्ट सहने के फलस्वरूप ही हमें बुद्धि – विवेक की प्राप्ति होती है। – डॉ. राधाकृष्ण | ||
==राजनीति, राजनीतिक, सियासी (Political)== | ==राजनीति, राजनीतिक, सियासी (Political)== | ||
पंक्ति 794: | पंक्ति 794: | ||
* सफल क्रांतिकारी, राजनीतिज्ञ होता है; असफल अपराधी। ~ एरिक फ्रॉम | * सफल क्रांतिकारी, राजनीतिज्ञ होता है; असफल अपराधी। ~ एरिक फ्रॉम | ||
==गरीब, | ==गरीब, ग़रीबी, निर्धन, निर्धनता, तंगी (Poverty)== | ||
* कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है। ~ चाणक्य | * कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है। ~ चाणक्य | ||
* | * ग़रीबों के बहुत से बच्चे होते हैं, अमीरों के सम्बन्धी। ~ एनॉन | ||
* | * ग़रीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है। ~ महात्मा गाँधी | ||
* | * ग़रीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं। ~ डेनियल | ||
* निर्धनता से मनुष्य मे लज्जा आती है। लज्जा से आदमी तेजहीन हो जाता है। निस्तेज मनुष्य का समाज तिरस्कार करता है। तिरष्कृत मनुष्य में वैराग्य भाव उत्पन्न हो जाते हैं और तब मनुष्य को शोक होने लगता है। जब मनुष्य शोकातुर होता है तो उसकी बुद्धि क्षीण होने लगती है और बुद्धिहीन मनुष्य का सर्वनाश हो जाता है। ~ वासवदत्ता, मृच्छकटिकम में | * निर्धनता से मनुष्य मे लज्जा आती है। लज्जा से आदमी तेजहीन हो जाता है। निस्तेज मनुष्य का समाज तिरस्कार करता है। तिरष्कृत मनुष्य में वैराग्य भाव उत्पन्न हो जाते हैं और तब मनुष्य को शोक होने लगता है। जब मनुष्य शोकातुर होता है तो उसकी बुद्धि क्षीण होने लगती है और बुद्धिहीन मनुष्य का सर्वनाश हो जाता है। ~ वासवदत्ता, मृच्छकटिकम में | ||
* | * ग़रीबी लज्जा नहीं है, लेकिन ग़रीबी से लज्जित होना लज्जा की बात है। ~ कहावत | ||
* | * ग़रीबी मेरा अभिमान है। ~ हज़रत मोहम्मद | ||
* जो | * जो ग़रीबों पर दया करता है वह अपने कार्य से ईश्वर को ऋणी बनाता है। ~ बाइबल | ||
==प्रशंसा, प्रोत्साहन, बड़ाई (Praise)== | ==प्रशंसा, प्रोत्साहन, बड़ाई (Praise)== | ||
पंक्ति 826: | पंक्ति 826: | ||
* हमारी अधिकतर बाधाएं पिघल जाएंगी, अगर उनके सामने दुबकने की बजाय हम उनसे निडरतापूर्वक निपटने का मानस बनाएं। ~ ओरिसन स्वेट मार्डन | * हमारी अधिकतर बाधाएं पिघल जाएंगी, अगर उनके सामने दुबकने की बजाय हम उनसे निडरतापूर्वक निपटने का मानस बनाएं। ~ ओरिसन स्वेट मार्डन | ||
* हम अपनी समस्याओं को उसी सोच के साथ नहीं सुलझा सकतें, जिस सोच के साथ हमने उनका निर्माण किया था। ~ अल्बर्ट आइंस्टीन | * हम अपनी समस्याओं को उसी सोच के साथ नहीं सुलझा सकतें, जिस सोच के साथ हमने उनका निर्माण किया था। ~ अल्बर्ट आइंस्टीन | ||
* इस दुनिया की असली समस्या यह है कि मूर्ख और अड़ियल लोग तो अपने बारे में हमेशा पक्के होते हैं (कि वे सही हैं) किंतु बुद्धिमान लोग हमेशा संदेह में रहते हैं (कि मैं | * इस दुनिया की असली समस्या यह है कि मूर्ख और अड़ियल लोग तो अपने बारे में हमेशा पक्के होते हैं (कि वे सही हैं) किंतु बुद्धिमान लोग हमेशा संदेह में रहते हैं (कि मैं ग़लत तो नहीं हूं)। | ||
* विकट परिस्थितियां ही महापुरुषों का विधालय है। ~ अरस्तू | * विकट परिस्थितियां ही महापुरुषों का विधालय है। ~ अरस्तू | ||
* आनंद विनोद के सामने कठिनाईयां पिघल जाती है। ~ स्वेट मार्डेन | * आनंद विनोद के सामने कठिनाईयां पिघल जाती है। ~ स्वेट मार्डेन | ||
पंक्ति 841: | पंक्ति 841: | ||
* नारी की उन्नति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्धारित है। | * नारी की उन्नति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्धारित है। | ||
* भारत को अपने अतीत की जंज़ीरों को तोड़ना होगा। हमारे जीवन पर मरी हुई, घुन लगी लकड़ियों का ढेर पहाड़ की तरह खड़ा है। वह सब कुछ बेजान है जो मर चुका है और अपना काम खत्म कर चुका है, उसको खत्म हो जाना, उसको हमारे जीवन से निकल जाना है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने आपको हर उस दौलत से काट लें, हर उस चीज़ को भूल जायें जिसने अतीत में हमें रोशनी और शक्ति दी और हमारी ज़िंदगी को जगमगाया। ~ जवाहरलाल नेहरू | * भारत को अपने अतीत की जंज़ीरों को तोड़ना होगा। हमारे जीवन पर मरी हुई, घुन लगी लकड़ियों का ढेर पहाड़ की तरह खड़ा है। वह सब कुछ बेजान है जो मर चुका है और अपना काम खत्म कर चुका है, उसको खत्म हो जाना, उसको हमारे जीवन से निकल जाना है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने आपको हर उस दौलत से काट लें, हर उस चीज़ को भूल जायें जिसने अतीत में हमें रोशनी और शक्ति दी और हमारी ज़िंदगी को जगमगाया। ~ जवाहरलाल नेहरू | ||
* सब से अधिक आनंद इस भावना में है कि हमने मानवता की प्रगति में कुछ योगदान दिया है। भले ही वह कितना कम, यहां तक कि बिल्कुल ही तुच्छ क्यों न हो? ~ | * सब से अधिक आनंद इस भावना में है कि हमने मानवता की प्रगति में कुछ योगदान दिया है। भले ही वह कितना कम, यहां तक कि बिल्कुल ही तुच्छ क्यों न हो? ~ डॉ. राधाकृष्णन | ||
* | * हृदय की विशालता ही उन्नति की नीव है। ~ जवाहरलाल नेहरु | ||
* यदि एक मनुष्य की उन्नति होती है तो सारे संसार की उन्नति होती है और अगर एक व्यक्ति का पतन होता है तो सारे संसार का पतन होता है। ~ महात्मा गाँधी | * यदि एक मनुष्य की उन्नति होती है तो सारे संसार की उन्नति होती है और अगर एक व्यक्ति का पतन होता है तो सारे संसार का पतन होता है। ~ महात्मा गाँधी | ||
* वही उन्नति कर सकता है जो अपने आप को उपदेश देता है। ~ रामतीर्थ | * वही उन्नति कर सकता है जो अपने आप को उपदेश देता है। ~ रामतीर्थ | ||
पंक्ति 871: | पंक्ति 871: | ||
* धार्मिक व्यक्ति दुःख को सुख में बदलना जानता है। ~ आचार्य तुलसी | * धार्मिक व्यक्ति दुःख को सुख में बदलना जानता है। ~ आचार्य तुलसी | ||
* धार्मिक वृत्ति बनाये रखने वाला व्यक्ति कभी दुखी नहीं हो सकता और धार्मिक वृत्ति को खोने वाला कभी सुखी नहीं हो सकता। ~ आचार्य तुलसी | * धार्मिक वृत्ति बनाये रखने वाला व्यक्ति कभी दुखी नहीं हो सकता और धार्मिक वृत्ति को खोने वाला कभी सुखी नहीं हो सकता। ~ आचार्य तुलसी | ||
* अहिंसा ही धर्म है, वही | * अहिंसा ही धर्म है, वही ज़िंदगी का एक रास्ता है। ~ महात्मा गांधी | ||
* अभागा वह है, जो संसार के सबसे पवित्र धर्म कृतज्ञता को भूल जाती है। ~ जयशंकर प्रसाद | * अभागा वह है, जो संसार के सबसे पवित्र धर्म कृतज्ञता को भूल जाती है। ~ जयशंकर प्रसाद | ||
पंक्ति 893: | पंक्ति 893: | ||
==त्याग, न्योछावर, बलिदान (Sacrifice)== | ==त्याग, न्योछावर, बलिदान (Sacrifice)== | ||
* प्राणों का मोह त्याग करना, वीरता का रहस्य है। ~ जयशंकर प्रसाद | * प्राणों का मोह त्याग करना, वीरता का रहस्य है। ~ जयशंकर प्रसाद | ||
* | * महान् त्याग से ही महान् कार्य सम्भव है। ~ स्वामी विवेकानंद | ||
* यश त्याग से मिलता है, धोखाधड़ी से नहीं। ~ प्रेमचन्द | * यश त्याग से मिलता है, धोखाधड़ी से नहीं। ~ प्रेमचन्द | ||
* अच्छे व्यवहार छोटे-छोटे त्याग से बनते है। ~ एमर्सन | * अच्छे व्यवहार छोटे-छोटे त्याग से बनते है। ~ एमर्सन | ||
पंक्ति 906: | पंक्ति 906: | ||
* किसी दुःखी व्यक्ति के लिए थोड़ी सहायता, ढेरों उपदेशों से कहीं ज़्यादा अच्छी है। ~ बुलवर | * किसी दुःखी व्यक्ति के लिए थोड़ी सहायता, ढेरों उपदेशों से कहीं ज़्यादा अच्छी है। ~ बुलवर | ||
* आज के कष्ट का सामना करने वाले के पास आगामी कल के कष्ट आने से घबराते हैं। ~ अज्ञात | * आज के कष्ट का सामना करने वाले के पास आगामी कल के कष्ट आने से घबराते हैं। ~ अज्ञात | ||
* ईश्वर जिसे प्यार करते हैं उन्हें रगड़कर | * ईश्वर जिसे प्यार करते हैं उन्हें रगड़कर साफ़ करतें हैं। ~ इंजील | ||
* हमारे कष्ट पापों का प्रायश्चित हैं। ~ हज़रत मोहम्मद | * हमारे कष्ट पापों का प्रायश्चित हैं। ~ हज़रत मोहम्मद | ||
* संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख के कारण उनकी आंखों में आनेवाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं। अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है। ~ खलील जिब्रान | * संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख के कारण उनकी आंखों में आनेवाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं। अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है। ~ खलील जिब्रान | ||
* संसार के दुखियों में पहला दुखी निर्धन है, उससे दुखी वह है जिसे किसी का ऋण चुकाना हो, इन दोनों से अधिक दुखी वह है जो सदा रोगी रहता हो और सबसे दुखी वह है जिसकी पत्नी दुष्टा हो। ~ विदुरनीति | * संसार के दुखियों में पहला दुखी निर्धन है, उससे दुखी वह है जिसे किसी का ऋण चुकाना हो, इन दोनों से अधिक दुखी वह है जो सदा रोगी रहता हो और सबसे दुखी वह है जिसकी पत्नी दुष्टा हो। ~ विदुरनीति | ||
* रहिमन बिपदा हुँ भली, जो थोरे दिन होय । हित अनहित वा | * रहिमन बिपदा हुँ भली, जो थोरे दिन होय । हित अनहित वा जगत् में, जानि परत सब कोय ॥ ~ रहीम | ||
* तपाया और जलाया जाता हुआ लौहपिण्ड दूसरे से जुड़ जाता है, वैसे ही | * तपाया और जलाया जाता हुआ लौहपिण्ड दूसरे से जुड़ जाता है, वैसे ही दु:ख से तपते मन आपस में निकट आकर जुड़ जाते हैं। ~ लहरीदशक | ||
* मनुष्य के जीवन में दो तरह के दुःख होते हैं - एक यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी नहीं हुई और दूसरा यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई। ~ बर्नार्ड शॉ | * मनुष्य के जीवन में दो तरह के दुःख होते हैं - एक यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी नहीं हुई और दूसरा यह कि उसके जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई। ~ बर्नार्ड शॉ | ||
* विचित्र बात है कि सुख की अभिलाषा मेरे दुःख का एक अंश है। ~ खलील जिब्रान | * विचित्र बात है कि सुख की अभिलाषा मेरे दुःख का एक अंश है। ~ खलील जिब्रान | ||
पंक्ति 966: | पंक्ति 966: | ||
* आत्मा ही अपना स्वर्ग और नरक है। ~ उमर खैयाम | * आत्मा ही अपना स्वर्ग और नरक है। ~ उमर खैयाम | ||
* आत्मा एक चेतन का तत्त्व है, जो अपने रहने के लिए उपयुक्त शक्ति का आश्रय लेता है और एक शरीर से दुसरे शरीर में जाता है। भौतिक शरीर इस आत्मा को धारण करने के लिए विवश होता है। ~ गेटे | * आत्मा एक चेतन का तत्त्व है, जो अपने रहने के लिए उपयुक्त शक्ति का आश्रय लेता है और एक शरीर से दुसरे शरीर में जाता है। भौतिक शरीर इस आत्मा को धारण करने के लिए विवश होता है। ~ गेटे | ||
* अहम् की मृत्यु द्वारा आत्मा का वर्जन करते करते अपने रुपातित | * अहम् की मृत्यु द्वारा आत्मा का वर्जन करते करते अपने रुपातित स्वरूप को आत्मा प्रकाशित करता है। ~ टैगोर | ||
==अध्ययन, पढ़ना (Study)== | ==अध्ययन, पढ़ना (Study)== | ||
* दिमाग के लिए अध्ययन कि उतनी ही | * दिमाग के लिए अध्ययन कि उतनी ही ज़रूरत है,जितनी शरीर को व्यायाम कि। ~ जोसफ एडिसन | ||
* इतिहास के अध्ययन से मनुष्य बुद्धिमान बनता है। ~ बेकन | * इतिहास के अध्ययन से मनुष्य बुद्धिमान बनता है। ~ बेकन | ||
* चरित्रहीन शिक्षा, मानवताविहीन विज्ञान ओर नैतिकताविहीन व्यापार खतरनाक होते हैं। ~ सत्य साईंबाबा | * चरित्रहीन शिक्षा, मानवताविहीन विज्ञान ओर नैतिकताविहीन व्यापार खतरनाक होते हैं। ~ सत्य साईंबाबा | ||
पंक्ति 976: | पंक्ति 976: | ||
* वस्तुएं बल से छीनी या धन से ख़रीदी जा सकती हैं, किंतु ज्ञान केवल अध्ययन से ही प्राप्त हो सकता है। | * वस्तुएं बल से छीनी या धन से ख़रीदी जा सकती हैं, किंतु ज्ञान केवल अध्ययन से ही प्राप्त हो सकता है। | ||
* जितना अध्ययन करते हैं, उतना ही हमें अपने अज्ञान का आभास होता जाता है। ~ स्वामी विवेकानंद | * जितना अध्ययन करते हैं, उतना ही हमें अपने अज्ञान का आभास होता जाता है। ~ स्वामी विवेकानंद | ||
* प्रकृति की अपेक्षा अध्ययन के द्वारा अधिक मनुष्य | * प्रकृति की अपेक्षा अध्ययन के द्वारा अधिक मनुष्य महान् बने हैं। ~ सिसरो | ||
* भविष्य का अनुमान लगाने के लिए अतीत का अध्ययन करो। ~ कन्फ्यूशियस | * भविष्य का अनुमान लगाने के लिए अतीत का अध्ययन करो। ~ कन्फ्यूशियस | ||
* सत्ग्रंथ इस लोक की चिंतामणि नहीं उनके अध्ययन से साडी कुचिंताएं मिट जाती हैं। संशय पिशाच भाग जाते हैं और मन में सद्भाव जागृत होकर परम शांति प्राप्त होती है। | * सत्ग्रंथ इस लोक की चिंतामणि नहीं उनके अध्ययन से साडी कुचिंताएं मिट जाती हैं। संशय पिशाच भाग जाते हैं और मन में सद्भाव जागृत होकर परम शांति प्राप्त होती है। | ||
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* हमें अपनी असफलताओं पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए। सफलता के बारे में दूसरे बात करें तो ज़्यादा अच्छा होता है। लोग आपसे आपकी असफलता के बारें में नहीं पूछते, यह सवाल तो आपको अपने आप से पूछना होता है। ~ बोमन ईरानी | * हमें अपनी असफलताओं पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए। सफलता के बारे में दूसरे बात करें तो ज़्यादा अच्छा होता है। लोग आपसे आपकी असफलता के बारें में नहीं पूछते, यह सवाल तो आपको अपने आप से पूछना होता है। ~ बोमन ईरानी | ||
* ऊद्यम ही सफलता की कुंजी है। | * ऊद्यम ही सफलता की कुंजी है। | ||
* | * महान् संकल्प ही महान् फल का जनक होता है। ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी | ||
* एकाग्रता से ही विजय मिलती है। | * एकाग्रता से ही विजय मिलती है। | ||
* सफलता अत्यधिक परिश्रम चाहती है। | * सफलता अत्यधिक परिश्रम चाहती है। | ||
पंक्ति 1,011: | पंक्ति 1,011: | ||
* सफलता कर्म करने से मिलती है। | * सफलता कर्म करने से मिलती है। | ||
* अपनी असफलताओं को खुद पर हावी मत होने दो, बल्कि असफलताओं को ही अपनी सफलता की सीढी के रूप में इस्तेमाल करो। | * अपनी असफलताओं को खुद पर हावी मत होने दो, बल्कि असफलताओं को ही अपनी सफलता की सीढी के रूप में इस्तेमाल करो। | ||
* दुनिया आपको मुफ़्त में कुछ नहीं देती। सफलता जैसी बेशकीमती | * दुनिया आपको मुफ़्त में कुछ नहीं देती। सफलता जैसी बेशकीमती चीज़ तो बिलकुल नहीं। अतः सफलता का पकवान चखने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। | ||
* सफल व्यक्ति वही है जो सुबह उठकर पहले यह तय करता है कि आज उसे क्या-क्या काम करने है और रात तक वह उन सारे कामों को कई परेशानियों के बाद भी पूरा कर लेता है। | * सफल व्यक्ति वही है जो सुबह उठकर पहले यह तय करता है कि आज उसे क्या-क्या काम करने है और रात तक वह उन सारे कामों को कई परेशानियों के बाद भी पूरा कर लेता है। | ||
* सफलता के तीन रहस्य हैं - योग्यता, साहस और कोशिश। | * सफलता के तीन रहस्य हैं - योग्यता, साहस और कोशिश। | ||
पंक्ति 1,032: | पंक्ति 1,032: | ||
* हर सुबह मैं अपनी आँखे खोलता हूँ उस भविष्य को सँवारने के लिए जो मेरे लिए ख़ास है। हर रात मैं अपनी आँखे बंद कर लेता हूँ और देखता हूँ कि मेरा लक्ष्य थोड़ा और मेरे पास है। | * हर सुबह मैं अपनी आँखे खोलता हूँ उस भविष्य को सँवारने के लिए जो मेरे लिए ख़ास है। हर रात मैं अपनी आँखे बंद कर लेता हूँ और देखता हूँ कि मेरा लक्ष्य थोड़ा और मेरे पास है। | ||
* प्रयासरत रहिये, सुख संजोइए | * प्रयासरत रहिये, सुख संजोइए | ||
* सफल लोग अपने मस्तिष्क को इस तरह का बना लेते हैं कि उन्हें हर | * सफल लोग अपने मस्तिष्क को इस तरह का बना लेते हैं कि उन्हें हर चीज़ सकारात्मक व ख़ूबसूरत लगती है। | ||
* असल में सफल लोग अपने निरंतर विश्वास से जीतते हैं लेकिन वे असफलताओं का मुकाबला भी उसी विश्वास से करते हैं। | * असल में सफल लोग अपने निरंतर विश्वास से जीतते हैं लेकिन वे असफलताओं का मुकाबला भी उसी विश्वास से करते हैं। | ||
* सफलता के लिए विश्वास पैदा कीजिये। असफल होने पर भी उस विश्वास को | * सफलता के लिए विश्वास पैदा कीजिये। असफल होने पर भी उस विश्वास को क़ायम रखिये। | ||
* सफलता सार्वजनिक उत्सव है, जबकि असफलता व्यक्तिगत शोक। -थामस जेफरसन | * सफलता सार्वजनिक उत्सव है, जबकि असफलता व्यक्तिगत शोक। -थामस जेफरसन | ||
* सफल व्यक्ति सकारात्मक ढंग से प्रशंसा करते हैं और हँसी मजाक पर बुरा नहीं मानते। वे उत्साह फैलाते हैं। उनकी सकारात्मकता चारो तरफ़ फैलती है और उसकी खुशबु हर जगह बिखरती रहती है। | * सफल व्यक्ति सकारात्मक ढंग से प्रशंसा करते हैं और हँसी मजाक पर बुरा नहीं मानते। वे उत्साह फैलाते हैं। उनकी सकारात्मकता चारो तरफ़ फैलती है और उसकी खुशबु हर जगह बिखरती रहती है। | ||
पंक्ति 1,065: | पंक्ति 1,065: | ||
* अपने जीवन का कोई लक्ष्य बनाइये, क्योंकि लक्ष्यविहीन जीवन बिना पतवार की नाव के समान इधर-उधर भटकता रहता है। | * अपने जीवन का कोई लक्ष्य बनाइये, क्योंकि लक्ष्यविहीन जीवन बिना पतवार की नाव के समान इधर-उधर भटकता रहता है। | ||
* हमारा जीवन पक्षी है, केवल थोड़ी ही दूर तक उड़ सकता है, इसने पंख फैला दिए है, देखो, जल्दी से इसकी दिशा सोच लो। | * हमारा जीवन पक्षी है, केवल थोड़ी ही दूर तक उड़ सकता है, इसने पंख फैला दिए है, देखो, जल्दी से इसकी दिशा सोच लो। | ||
* ध्येय जितना | * ध्येय जितना महान् होता है, उसका रास्ता उतना ही लम्बा और बीहड़ होता है। | ||
* यदि परिस्तिथियाँ अनुकूल हो तो सीधे अपने ध्येय कि ओर चलो, लेकिन परिस्तिथियाँ अनुकूल ना हो तो उस राह पर चलो जिसमे सबसे कम बाधा आने कि संभावना हो। ~ तिरुवल्लुवर | * यदि परिस्तिथियाँ अनुकूल हो तो सीधे अपने ध्येय कि ओर चलो, लेकिन परिस्तिथियाँ अनुकूल ना हो तो उस राह पर चलो जिसमे सबसे कम बाधा आने कि संभावना हो। ~ तिरुवल्लुवर | ||
* अपने लक्ष्य को ना भूलो अन्यथा जो कुछ मिलेगा उसमे संतोष मानने लगोगे। ~ बर्नार्ड शा | * अपने लक्ष्य को ना भूलो अन्यथा जो कुछ मिलेगा उसमे संतोष मानने लगोगे। ~ बर्नार्ड शा | ||
पंक्ति 1,084: | पंक्ति 1,084: | ||
* व्यक्ति के पास जितने अधिक विचार होते हैं, उतने ही कम शब्दों में वह उनको अभिव्यक्त कर देता है। | * व्यक्ति के पास जितने अधिक विचार होते हैं, उतने ही कम शब्दों में वह उनको अभिव्यक्त कर देता है। | ||
* अच्छे विचार रखना भीतरी सुन्दरता है। ~ स्वामी रामतीर्थ | * अच्छे विचार रखना भीतरी सुन्दरता है। ~ स्वामी रामतीर्थ | ||
* मनुष्य अपने | * मनुष्य अपने हृदय में जैसा विचारता है, वैसा ही बन जाता है। ~ बाइबिल | ||
* | * महान् विचार कार्यरूप में परिणत होकर महान् कृतियां बन जाते हैं। ~ हेजलिट | ||
* अपराधी : दुनिया के बाकी लोगों जैसा ही मनुष्य, सिवाय इसके कि वह पकड़ा गया है। | * अपराधी : दुनिया के बाकी लोगों जैसा ही मनुष्य, सिवाय इसके कि वह पकड़ा गया है। | ||
* कंजूस : वह व्यक्ति जो | * कंजूस : वह व्यक्ति जो ज़िंदगी भर ग़रीबी में रहता है ताकि अमीरी में मर सके। | ||
* अवसरवादी : वह व्यक्ति, जो | * अवसरवादी : वह व्यक्ति, जो ग़लती से नदी में गिर पड़े तो नहाना शुरू कर दे। | ||
* अनुभव : भूतकाल में की गई | * अनुभव : भूतकाल में की गई ग़लतियों का दूसरा नाम। | ||
* कूटनीतिज्ञ : वह व्यक्ति जो किसी स्त्री का जन्मदिन तो याद रखे पर उसकी उम्र कभी नहीं। | * कूटनीतिज्ञ : वह व्यक्ति जो किसी स्त्री का जन्मदिन तो याद रखे पर उसकी उम्र कभी नहीं। | ||
* दूसरी शादी : अनुभव पर आशा की विजय। | * दूसरी शादी : अनुभव पर आशा की विजय। | ||
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* नयी साड़ी : जिसे पहनकर स्त्री को उतना ही नशा हो जितना पुरुष को शराब की एक पूरी बोतल पीकर होता है। | * नयी साड़ी : जिसे पहनकर स्त्री को उतना ही नशा हो जितना पुरुष को शराब की एक पूरी बोतल पीकर होता है। | ||
* आशावादी : वह शख़्स है जो सिगरेट मांगने पहले अपनी दियासलाई जला ले। | * आशावादी : वह शख़्स है जो सिगरेट मांगने पहले अपनी दियासलाई जला ले। | ||
* राजनेता : ऐसा आदमी जो धनवान से धन और | * राजनेता : ऐसा आदमी जो धनवान से धन और ग़रीबों से वोट इस वादे पर बटोरता है कि वह एक की दूसरे से रक्षा करेगा। | ||
* आमदनी : जिसमें रहा न जा सके और जिसके बगैर भी रहा न जा सके। | * आमदनी : जिसमें रहा न जा सके और जिसके बगैर भी रहा न जा सके। | ||
* सभ्य व्यवहार : मुंह बन्द करके जम्हाई लेना। | * सभ्य व्यवहार : मुंह बन्द करके जम्हाई लेना। | ||
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* समय पर किया हुआ थोड़ा सा भी कार्य उपकारी होता है। ~ योगवशिष्ठ | * समय पर किया हुआ थोड़ा सा भी कार्य उपकारी होता है। ~ योगवशिष्ठ | ||
* बिता हुआ समय और मुख से निकले शब्द कदापि वापस नहीं आते। ~ कहावत | * बिता हुआ समय और मुख से निकले शब्द कदापि वापस नहीं आते। ~ कहावत | ||
* जो अपने समय का सबसे ज़्यादा | * जो अपने समय का सबसे ज़्यादा दुरुपयोग करते हैं, वे ही समय की कमी की सबसे ज़्यादा शिकायत करते हैं। - ब्रूयर | ||
* जीवन छोटा ही क्यों न हो, समय की बर्बादी से वह और भी छोटा हो जाता है। ~ जॉनसन | * जीवन छोटा ही क्यों न हो, समय की बर्बादी से वह और भी छोटा हो जाता है। ~ जॉनसन | ||
* वर्तमान परिस्थिति में हम क्या करते, सोचते और विश्वास करते हैं, उसी से हमारा भविष्य तय होता है। | * वर्तमान परिस्थिति में हम क्या करते, सोचते और विश्वास करते हैं, उसी से हमारा भविष्य तय होता है। | ||
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* प्रकृति के सब काम धीरे-धीरे होते है। | * प्रकृति के सब काम धीरे-धीरे होते है। | ||
* समय का उचित उपयोग करना समय को बचाना है। - बेकन | * समय का उचित उपयोग करना समय को बचाना है। - बेकन | ||
* समय | * समय महान् चिकित्सक है। | ||
* एक युग विशाल नगरों का निर्माण करता है, एक क्षण उसका ध्वंस कर देता है। - सेनेका | * एक युग विशाल नगरों का निर्माण करता है, एक क्षण उसका ध्वंस कर देता है। - सेनेका | ||
* हर दिन वर्ष का सर्वोत्तम दिन है। | * हर दिन वर्ष का सर्वोत्तम दिन है। | ||
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* दौड़ना काफ़ी नहीं है, समय पर चल पड़ना चाहिए। ~ फ़्रान्सीसी कहावत | * दौड़ना काफ़ी नहीं है, समय पर चल पड़ना चाहिए। ~ फ़्रान्सीसी कहावत | ||
* समय पर थोड़ा सा प्रयत्न भी आगे की बहुत-से परेशानियों को बचाता है। - कहावत | * समय पर थोड़ा सा प्रयत्न भी आगे की बहुत-से परेशानियों को बचाता है। - कहावत | ||
* बुद्धिमान लोग अतीत की घटनाओं पर नहीं पछताते, वे भविष्य की चिन्ता नहीं करते, केवल वर्तमान | * बुद्धिमान लोग अतीत की घटनाओं पर नहीं पछताते, वे भविष्य की चिन्ता नहीं करते, केवल वर्तमान जगत् में पूर्णतया कर्म करते हैं। | ||
* सही काम करने के लिए समय हर वक्त ही ठीक होता हैं। – मार्टिन लूथर किंग जूनीयर | * सही काम करने के लिए समय हर वक्त ही ठीक होता हैं। – मार्टिन लूथर किंग जूनीयर | ||
* जैसे नदी बह जाती है और लौटकर नहीं आती, उसी प्रकार रात और दिन मनुष्य की आयु लेकर चले जाते हैं, फिर नहीं आते। – महाभारत | * जैसे नदी बह जाती है और लौटकर नहीं आती, उसी प्रकार रात और दिन मनुष्य की आयु लेकर चले जाते हैं, फिर नहीं आते। – महाभारत | ||
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* काल्ह करै सो आज कर, आज करि सो अब । पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कब ॥ ~ [[कबीरदास]] | * काल्ह करै सो आज कर, आज करि सो अब । पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कब ॥ ~ [[कबीरदास]] | ||
* समय-लाभ सम लाभ नहिं, समय-चूक सम चूक । चतुरन चित रहिमन लगी, समय-चूक की हूक ॥ | * समय-लाभ सम लाभ नहिं, समय-चूक सम चूक । चतुरन चित रहिमन लगी, समय-चूक की हूक ॥ | ||
* अपने काम पर मै सदा समय से 15 मिनट पहले पहुँचा हूँ और मेरी इसी आदत ने मुझे | * अपने काम पर मै सदा समय से 15 मिनट पहले पहुँचा हूँ और मेरी इसी आदत ने मुझे कामयाब व्यक्ति बना दिया है। | ||
* हमें यह विचार त्याग देना चाहिये कि हमें नियमित रहना चाहिये। यह विचार आपके असाधारण बनने के अवसर को लूट लेता है और आपको मध्यम बनने की ओर ले जाता है। | * हमें यह विचार त्याग देना चाहिये कि हमें नियमित रहना चाहिये। यह विचार आपके असाधारण बनने के अवसर को लूट लेता है और आपको मध्यम बनने की ओर ले जाता है। | ||
* दीर्घसूत्री विनश्यति। (काम को बहुत समय तक खीचने वाले का नाश हो जाता है) | * दीर्घसूत्री विनश्यति। (काम को बहुत समय तक खीचने वाले का नाश हो जाता है) | ||
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==एकता, योग, मेल (Unity)== | ==एकता, योग, मेल (Unity)== | ||
* एकता से हमारा अस्तित्व | * एकता से हमारा अस्तित्व क़ायम रहता है, विभाजन से हमारा पतन होता है। ~ जॉन डिकिन्सन | ||
* एकता चापलूसी से | * एकता चापलूसी से क़ायम नहीं की जा सकती। ~ महात्मा गाँधी | ||
* यदि चिड़ियाँ एकता कर लें तो शेर की खल खींच सकती हैं। ~ शेख सादी | * यदि चिड़ियाँ एकता कर लें तो शेर की खल खींच सकती हैं। ~ शेख सादी | ||
* एकता का किला सबसे सुरक्षित होता है। न वह टूटता है और न उसमें रहने वाला कभी दुखी होता है। ~ अज्ञात | * एकता का किला सबसे सुरक्षित होता है। न वह टूटता है और न उसमें रहने वाला कभी दुखी होता है। ~ अज्ञात | ||
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==काम, कार्य, कर्म, कृत्य (Work)== | ==काम, कार्य, कर्म, कृत्य (Work)== | ||
* परिश्रम वह चाबी है,जो किस्मत का | * परिश्रम वह चाबी है,जो किस्मत का दरवाज़ा खोल देती है। ~ चाणक्य | ||
* किसी कार्य को ख़ूबसूरती से करने के लिए मनुष्य को उसे स्वयं करना चाहिए। ~ नेपोलियन | * किसी कार्य को ख़ूबसूरती से करने के लिए मनुष्य को उसे स्वयं करना चाहिए। ~ नेपोलियन | ||
* ईमानदारी और बुद्धिमानी के साथ किया हुआ काम कभी व्यर्थ नहीं जाता। ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी | * ईमानदारी और बुद्धिमानी के साथ किया हुआ काम कभी व्यर्थ नहीं जाता। ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी | ||
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* सच्चा काम अहंकार और स्वार्थ को छोड़े बिना नहीं होता। ~ स्वामी रामतीर्थ | * सच्चा काम अहंकार और स्वार्थ को छोड़े बिना नहीं होता। ~ स्वामी रामतीर्थ | ||
* काम की अधिकता नहीं, अनियमितता आदमी को मार डालती है। ~ महात्मा गांधी | * काम की अधिकता नहीं, अनियमितता आदमी को मार डालती है। ~ महात्मा गांधी | ||
* | * महान् कार्य शक्ति से नहीं, अपितु उधम से सम्पन्न होते हैं। ~ जॉनसन | ||
* पहले कहना और बाद में करना, इसकी अपेक्षा पहले करना और फिर कहना अधिक श्रेयस्कर है। ~ अज्ञात | * पहले कहना और बाद में करना, इसकी अपेक्षा पहले करना और फिर कहना अधिक श्रेयस्कर है। ~ अज्ञात | ||
* कमज़ोर आदमी हर काम को असम्भव समझता है जबकि वीर साधारण। ~ मदनमोहन मालवीय | * कमज़ोर आदमी हर काम को असम्भव समझता है जबकि वीर साधारण। ~ मदनमोहन मालवीय | ||
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* जो अपने योग्य कर्म में जी जान से लगा रहता है,वही संसार में प्रशंसा का पात्र होता है। ~ ब्राह्मण ग्रन्थ | * जो अपने योग्य कर्म में जी जान से लगा रहता है,वही संसार में प्रशंसा का पात्र होता है। ~ ब्राह्मण ग्रन्थ | ||
* कार्य उद्यम से सिद्ध होते है, मनोरथो से नही। | * कार्य उद्यम से सिद्ध होते है, मनोरथो से नही। | ||
* | * ग़लत काम करने का कोई सही तरीका नहीं हैं। | ||
* जीवन में सबसे ज़्यादा आनंद उसी काम को करने में है जिसके बारे में लोग कहते हैं कि तुम नहीं कर सकते हो। | * जीवन में सबसे ज़्यादा आनंद उसी काम को करने में है जिसके बारे में लोग कहते हैं कि तुम नहीं कर सकते हो। | ||
* आपकी बुद्धि ही आपका गुरु है। | * आपकी बुद्धि ही आपका गुरु है। | ||
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* स्वार्थ ही अशुभ संकल्पों को जन्म देता है। ~ गुरु गोविन्द सिंह | * स्वार्थ ही अशुभ संकल्पों को जन्म देता है। ~ गुरु गोविन्द सिंह | ||
* स्वार्थ की माया अत्यन्त प्रबल है। ~ प्रेमचंद | * स्वार्थ की माया अत्यन्त प्रबल है। ~ प्रेमचंद | ||
* | * ग़रीबों की सेवा ही ईश्वर की सेवा है। ~ सरदार वल्लभभाई पटेल | ||
* | * महान् वह है जो दृढतम निश्चय के साथ सत्य का अनुसरण करता है। ~ सेनेका | ||
* महापुरुष की महत्ता इसी में है कि वह कभी भी निराश न हो। ~ थॉमसन | * महापुरुष की महत्ता इसी में है कि वह कभी भी निराश न हो। ~ थॉमसन | ||
* जिसने कष्ट नहीं भोगा, वह अपनी शक्ति से अनभिज्ञ रहता है। | * जिसने कष्ट नहीं भोगा, वह अपनी शक्ति से अनभिज्ञ रहता है। | ||
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* पूर्ण या आदर्श बनाने की कोशिश करने के बजाय तारीफ़ करना ज़्यादा अच्छा होता है। | * पूर्ण या आदर्श बनाने की कोशिश करने के बजाय तारीफ़ करना ज़्यादा अच्छा होता है। | ||
* सच तो यह है कि आशावाद और अपेक्षा के एहसास से भरे लोग शायद ही कभी निराश होते हैं। | * सच तो यह है कि आशावाद और अपेक्षा के एहसास से भरे लोग शायद ही कभी निराश होते हैं। | ||
* हमारी | * हमारी रुचि हमारे जीवन कि परख और हमारे मनुष्यत्व की पहचान है। ~ रस्किन | ||
* अधिकारों का उपयोग नहीं करना, खुद के शोषण को आमंत्रण देना है। ~ विलियम पिट | * अधिकारों का उपयोग नहीं करना, खुद के शोषण को आमंत्रण देना है। ~ विलियम पिट | ||
* उपहार और विरोध तो सुधारक के पुरस्कार हैं। ~ प्रेमचंद | * उपहार और विरोध तो सुधारक के पुरस्कार हैं। ~ प्रेमचंद | ||
* प्रेम के बाद सहानुभूति मानव | * प्रेम के बाद सहानुभूति मानव हृदय की पवित्रतम भावना है। ~ बर्क | ||
* पूर्ण या आदर्श बनाने की कोशिश करने की बजाए तारीफ करना ज़्यादा अच्छा होता है। | * पूर्ण या आदर्श बनाने की कोशिश करने की बजाए तारीफ करना ज़्यादा अच्छा होता है। | ||
* जो दान अपनी कीर्ति-गाथा गाने को उतावला हो उठता है, वह अहंकार एवं आडम्बर मात्र रह जाता है। ~ हुट्टन | * जो दान अपनी कीर्ति-गाथा गाने को उतावला हो उठता है, वह अहंकार एवं आडम्बर मात्र रह जाता है। ~ हुट्टन | ||
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* स्वयं को वश में रखने से ही मनुष्यत्व प्राप्त होता है। ~ हर्बर्ट स्पेन्सर | * स्वयं को वश में रखने से ही मनुष्यत्व प्राप्त होता है। ~ हर्बर्ट स्पेन्सर | ||
* विश्व ही महापुरुष हो खोजता है न कि महापुरुष विश्व को। ~ कालिदास | * विश्व ही महापुरुष हो खोजता है न कि महापुरुष विश्व को। ~ कालिदास | ||
* | * महान् लेखक, अपने पाठक का मित्र और शुभचिन्तक होता है। ~ मेकाले | ||
* सद्व्यवहार से अच्छी और सस्ती कोई अन्य वस्तु नहीं। ~ एनन | * सद्व्यवहार से अच्छी और सस्ती कोई अन्य वस्तु नहीं। ~ एनन | ||
* शक्ति का उपयोग परहित में करना चाहिए। ~ अज्ञात | * शक्ति का उपयोग परहित में करना चाहिए। ~ अज्ञात |
08:25, 10 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
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इन्हें भी देखें: अनमोल वचन 1, अनमोल वचन 2, अनमोल वचन 3, अनमोल वचन 4, अनमोल वचन 5, अनमोल वचन 7, अनमोल वचन 8, कहावत लोकोक्ति मुहावरे एवं सूक्ति और कहावत
अनमोल वचन |
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