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* इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है। ~ जेम्स के. फिंक | * इंजिनीयर इतिहास का निर्माता रहा है, और आज भी है। ~ जेम्स के. फिंक | ||
* वैज्ञानिक इस संसार का, जैसे है उसी रूप में, अध्ययन करते हैं। इंजिनीयर वह संसार बनाते हैं जो कभी था ही नहीं। ~ थियोडोर वान कार्मन | * वैज्ञानिक इस संसार का, जैसे है उसी रूप में, अध्ययन करते हैं। इंजिनीयर वह संसार बनाते हैं जो कभी था ही नहीं। ~ थियोडोर वान कार्मन | ||
* मशीनीकरण करने के लिये यह | * मशीनीकरण करने के लिये यह ज़रूरी है कि लोग भी मशीन की तरह सोचें। ~ सुश्री जैकब | ||
* इंजिनीररिंग संख्याओं में की जाती है। संख्याओं के बिना विश्लेषण मात्र राय है। | * इंजिनीररिंग संख्याओं में की जाती है। संख्याओं के बिना विश्लेषण मात्र राय है। | ||
* जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं, यदि आप उसे माप सकते हैं और संख्याओं में व्यक्त कर सकते हैं तो आप अपने विष्य के बारे में कुछ जानते हैं; लेकिन यदि आप उसे माप नहीं सकते तो आप का ज्ञान बहुत सतही और असंतोषजनक है। ~ लॉर्ड केल्विन | * जिसके बारे में आप बात कर रहे हैं, यदि आप उसे माप सकते हैं और संख्याओं में व्यक्त कर सकते हैं तो आप अपने विष्य के बारे में कुछ जानते हैं; लेकिन यदि आप उसे माप नहीं सकते तो आप का ज्ञान बहुत सतही और असंतोषजनक है। ~ लॉर्ड केल्विन | ||
* आवश्यकता डिजाइन का आधार है। किसी चीज़ को | * आवश्यकता डिजाइन का आधार है। किसी चीज़ को ज़रूरत से अल्पमात्र भी बेहतर डिजाइन करने का कोई औचित्य नहीं है। | ||
* तकनीक के उपर ही तकनीक का निर्माण होता है। हम तकनीकी रूप से विकास नहीं कर सकते यदि हममें यह समझ नहीं है कि सरल के बिना जटिल का अस्तित्व सम्भव नहीं है। | * तकनीक के उपर ही तकनीक का निर्माण होता है। हम तकनीकी रूप से विकास नहीं कर सकते यदि हममें यह समझ नहीं है कि सरल के बिना जटिल का अस्तित्व सम्भव नहीं है। | ||
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* कविता गाकर रिझाने के लिए नहीं समझ कर खो जाने के लिए है। ~ [[रामधारी सिंह दिनकर]] | * कविता गाकर रिझाने के लिए नहीं समझ कर खो जाने के लिए है। ~ [[रामधारी सिंह दिनकर]] | ||
* कविता का बाना पहन कर सत्य और भी चमक उठता है। ~ अज्ञात | * कविता का बाना पहन कर सत्य और भी चमक उठता है। ~ अज्ञात | ||
* कवि और चित्रकार में भेद है। कवि अपने स्वर में और चित्रकार अपनी रेखा में जीवन के तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है। ~ [[ | * कवि और चित्रकार में भेद है। कवि अपने स्वर में और चित्रकार अपनी रेखा में जीवन के तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है। ~ [[डॉ. रामकुमार वर्मा]] | ||
* जो कला आत्मा को आत्मदर्शन करने की शिक्षा नहीं देती वह कला नहीं है। ~ महात्मा गाँधी | * जो कला आत्मा को आत्मदर्शन करने की शिक्षा नहीं देती वह कला नहीं है। ~ महात्मा गाँधी | ||
* कला ईश्वर की परपौत्री है। ~ दांते | * कला ईश्वर की परपौत्री है। ~ दांते | ||
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* साहित्यसंगीतकला विहीन: साक्षात् पशुः पुच्छविषाणहीनः। (साहित्य संगीत और कला से हीन पुरुष साक्षात् पशु ही है जिसके पूँछ और् सींग नहीं हैं।) ~ [[भर्तृहरि (कवि)|भर्तृहरि]] | * साहित्यसंगीतकला विहीन: साक्षात् पशुः पुच्छविषाणहीनः। (साहित्य संगीत और कला से हीन पुरुष साक्षात् पशु ही है जिसके पूँछ और् सींग नहीं हैं।) ~ [[भर्तृहरि (कवि)|भर्तृहरि]] | ||
* सच्चे साहित्य का निर्माण एकांत चिंतन और एकान्त साधना में होता है| ~ [[अनंत गोपाल शेवड़े]] | * सच्चे साहित्य का निर्माण एकांत चिंतन और एकान्त साधना में होता है| ~ [[अनंत गोपाल शेवड़े]] | ||
* साहित्य का कर्तव्य केवल ज्ञान देना नहीं है, परंतु एक नया वातावरण देना भी है। ~ [[ | * साहित्य का कर्तव्य केवल ज्ञान देना नहीं है, परंतु एक नया वातावरण देना भी है। ~ [[डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन]] | ||
==संगति / सत्संगति / कुसंगति / मित्रलाभ / सहकार / सहयोग / नेटवर्किंग / संघ== | ==संगति / सत्संगति / कुसंगति / मित्रलाभ / सहकार / सहयोग / नेटवर्किंग / संघ== | ||
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* पहाड़ की चोटी पर पंहुचने के कई रास्ते होते हैं लेकिन व्यू सब जगह से एक सा दिखता है। ~ चाइनीज कहावत | * पहाड़ की चोटी पर पंहुचने के कई रास्ते होते हैं लेकिन व्यू सब जगह से एक सा दिखता है। ~ चाइनीज कहावत | ||
* यहाँ दो तरह के लोग होते हैं - एक वो जो काम करते हैं और दूसरे वो जो सिर्फ़ क्रेडिट लेने की सोचते हैं। कोशिश करना कि तुम पहले समूह में रहो क्योंकि वहाँ कम्पटीशन कम है। ~ [[इंदिरा गांधी]] | * यहाँ दो तरह के लोग होते हैं - एक वो जो काम करते हैं और दूसरे वो जो सिर्फ़ क्रेडिट लेने की सोचते हैं। कोशिश करना कि तुम पहले समूह में रहो क्योंकि वहाँ कम्पटीशन कम है। ~ [[इंदिरा गांधी]] | ||
* हम हवा का | * हम हवा का रुख़तो नहीं बदल सकते लेकिन उसके अनुसार अपनी नौका के पाल की दिशा ज़रूर बदल सकते हैं। | ||
* सफलता सार्वजनिक उत्सव है, जबकि असफलता व्यक्तिगत शोक। | * सफलता सार्वजनिक उत्सव है, जबकि असफलता व्यक्तिगत शोक। | ||
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==व्यापार== | ==व्यापार== | ||
* व्यापारे वसते लक्ष्मी । (व्यापार में ही लक्ष्मी वसती हैं) महाजनो येन गतः स पन्थाः । (महापुरुष जिस मार्ग से गये है, वही ( उत्तम) मार्ग है) (व्यापारी वर्ग जिस मार्ग से गया है, वही ठीक रास्ता है) | * व्यापारे वसते लक्ष्मी । (व्यापार में ही लक्ष्मी वसती हैं) महाजनो येन गतः स पन्थाः । (महापुरुष जिस मार्ग से गये है, वही ( उत्तम) मार्ग है) (व्यापारी वर्ग जिस मार्ग से गया है, वही ठीक रास्ता है) | ||
* जब | * जब ग़रीब और धनी आपस में व्यापार करते हैं तो धीरे-धीरे उनके जीवन-स्तर में समानता आयेगी। ~ आदम स्मिथ, 'द वेल्थ आफ नेशन्स' में | ||
* तकनीक और व्यापार का नियंत्रण ब्रिटिश साम्राज्य का अधारशिला थी। | * तकनीक और व्यापार का नियंत्रण ब्रिटिश साम्राज्य का अधारशिला थी। | ||
* राष्ट्रों का कल्याण जितना मुक्त व्यापार पर निर्भर है उतना ही मैत्री, इमानदारी और बराबरी पर। ~ कार्डेल हल्ल | * राष्ट्रों का कल्याण जितना मुक्त व्यापार पर निर्भर है उतना ही मैत्री, इमानदारी और बराबरी पर। ~ कार्डेल हल्ल | ||
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* आज का व्यापार सायकिल चलाने जैसा है - या तो आप चलाते रहिये या गिर जाइये। | * आज का व्यापार सायकिल चलाने जैसा है - या तो आप चलाते रहिये या गिर जाइये। | ||
* कार्पोरेशन : व्यक्तिगत उत्तर्दायित्व के बिना ही लाभ कमाने की एक चालाकी से भरी युक्ति। ~ द डेविल्स डिक्शनरी | * कार्पोरेशन : व्यक्तिगत उत्तर्दायित्व के बिना ही लाभ कमाने की एक चालाकी से भरी युक्ति। ~ द डेविल्स डिक्शनरी | ||
* अपराधी, दस्यु | * अपराधी, दस्यु प्रवृत्ति वाला एक ऐसा व्यक्ति है जिसके पास कारपोरेशन शुरू करने के लिये पर्याप्त पूँजी नहीं है। | ||
==राजनीति / शासन / सरकार== | ==राजनीति / शासन / सरकार== | ||
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==प्रश्न / शंका / जिज्ञासा / आश्चर्य== | ==प्रश्न / शंका / जिज्ञासा / आश्चर्य== | ||
* वैज्ञानिक मस्तिष्क उतना अधिक उपयुक्त उत्तर नहीं देता जितना अधिक उपयुक्त वह प्रश्न पूछता है। | * वैज्ञानिक मस्तिष्क उतना अधिक उपयुक्त उत्तर नहीं देता जितना अधिक उपयुक्त वह प्रश्न पूछता है। | ||
* भाषा की खोज प्रश्न पूछने के लिये की गयी थी। उत्तर तो संकेत और हाव-भाव से भी दिये जा सकते हैं, पर प्रश्न करने के लिये बोलना | * भाषा की खोज प्रश्न पूछने के लिये की गयी थी। उत्तर तो संकेत और हाव-भाव से भी दिये जा सकते हैं, पर प्रश्न करने के लिये बोलना ज़रूरी है। जब आदमी ने सबसे पहले प्रश्न पूछा तो मानवता परिपक्व हो गयी। प्रश्न पूछने के आवेग के अभाव से सामाजिक स्थिरता जन्म लेती है। ~ एरिक हाफर | ||
* प्रश्न और प्रश्न पूछने की कला, शायद सबसे शक्तिशाली तकनीक है। | * प्रश्न और प्रश्न पूछने की कला, शायद सबसे शक्तिशाली तकनीक है। | ||
* सही प्रश्न पूछना मेधावी बनने का मार्ग है। | * सही प्रश्न पूछना मेधावी बनने का मार्ग है। | ||
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* जो प्रश्न पूछता है वह पाँच मिनट के लिये मूर्ख बनता है लेकिन जो नहीं पूछता वह जीवन भर मूर्ख बना रहता है। | * जो प्रश्न पूछता है वह पाँच मिनट के लिये मूर्ख बनता है लेकिन जो नहीं पूछता वह जीवन भर मूर्ख बना रहता है। | ||
* सबसे चालाक व्यक्ति जितना उत्तर दे सकता है, सबसे बड़ा मूर्ख उससे अधिक पूछ सकता है। | * सबसे चालाक व्यक्ति जितना उत्तर दे सकता है, सबसे बड़ा मूर्ख उससे अधिक पूछ सकता है। | ||
* मैं | * मैं छह ईमानदार सेवक अपने पास रखता हूँ| इन्होंने मुझे वह हर चीज़ सिखाया है जो मैं जानता हू| इनके नाम हैं – क्या, क्यों, कब, कैसे, कहाँ और कौन| ~ रुडयार्ड किपलिंग | ||
* यह कैसा समय है? मेरे कौन मित्र हैं? यह कैसा स्थान है। इससे क्या लाभ है और क्या हानि? मैं कैसा हूं। ये बातें बार-बार सोचें (जब कोई काम हाथ में लें)। ~ नीतसार | * यह कैसा समय है? मेरे कौन मित्र हैं? यह कैसा स्थान है। इससे क्या लाभ है और क्या हानि? मैं कैसा हूं। ये बातें बार-बार सोचें (जब कोई काम हाथ में लें)। ~ नीतसार | ||
* शंका नहीं बल्कि आश्चर्य ही सारे ज्ञान का मूल है। ~ अब्राहम हैकेल | * शंका नहीं बल्कि आश्चर्य ही सारे ज्ञान का मूल है। ~ अब्राहम हैकेल | ||
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* माता, पिता, गुरु, स्वामी, भ्राता, पुत्र और मित्र का कभी क्षण भर के लिए विरोध या अपकार नहीं करना चाहिए। ~ शुक्रनीति | * माता, पिता, गुरु, स्वामी, भ्राता, पुत्र और मित्र का कभी क्षण भर के लिए विरोध या अपकार नहीं करना चाहिए। ~ शुक्रनीति | ||
* मनुष्य जिस समय पशु तुल्य आचरण करता है, उस समय वह पशुओं से भी नीचे गिर जाता है। ~ टैगोर | * मनुष्य जिस समय पशु तुल्य आचरण करता है, उस समय वह पशुओं से भी नीचे गिर जाता है। ~ टैगोर | ||
* शास्त्र पढ़कर भी लोग मूर्ख होते हैं किन्तु जो उसके अनुसार आचरण करता है वोही वस्तुतः | * शास्त्र पढ़कर भी लोग मूर्ख होते हैं किन्तु जो उसके अनुसार आचरण करता है वोही वस्तुतः विद्वान् है। ~ अज्ञात | ||
* रोगियों के लिए भली भांति सोचकर निश्चित की गयी औषधि नाम उच्चारण करने मात्र से किसी को निरोगी नहीं कर सकती। ~ हितोपदेश | * रोगियों के लिए भली भांति सोचकर निश्चित की गयी औषधि नाम उच्चारण करने मात्र से किसी को निरोगी नहीं कर सकती। ~ हितोपदेश | ||
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* अविवेकी और चंचल आदमी की इंद्रियां बेखबर सारथी के दुष्ट घोड़ों की तरह बेकाबू हो जाती हैं। ~ कठोपनिषद | * अविवेकी और चंचल आदमी की इंद्रियां बेखबर सारथी के दुष्ट घोड़ों की तरह बेकाबू हो जाती हैं। ~ कठोपनिषद | ||
* जब मनुष्य अपनी इंद्रियों को विषयों से खींच लेता है तभी उसकी बुद्धि स्थिर होती है। ~ महाभारत | * जब मनुष्य अपनी इंद्रियों को विषयों से खींच लेता है तभी उसकी बुद्धि स्थिर होती है। ~ महाभारत | ||
* सब इंद्रियों को बश में रखकर सर्वत्र समत्व का पालन करके जो दृढ अचल और अचिन्त्य, सर्वव्यापी, स्वर्णीय, अविनाशी | * सब इंद्रियों को बश में रखकर सर्वत्र समत्व का पालन करके जो दृढ अचल और अचिन्त्य, सर्वव्यापी, स्वर्णीय, अविनाशी स्वरूप की उपसना करते हैं, वे सब प्राणियों के हित में लगे हुए मुझे ही पाते हैं। ~ भगवन कृष्ण | ||
==उत्साह== | ==उत्साह== | ||
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* उत्साह मनुष्य की भाग्यशीलता का पैमाना है। ~ तिरुवल्लुवर | * उत्साह मनुष्य की भाग्यशीलता का पैमाना है। ~ तिरुवल्लुवर | ||
* यह मेरा है यह तेरा है ऐसा संकीर्ण हृदय वाले मानते हैं, उदार चित्त वाले तो सरे संसार को एक कुटुंब समझते हैं। ~ हितोपदेश | * यह मेरा है यह तेरा है ऐसा संकीर्ण हृदय वाले मानते हैं, उदार चित्त वाले तो सरे संसार को एक कुटुंब समझते हैं। ~ हितोपदेश | ||
* उदार व्यक्ति दे-देकर अमीर बनता है, लोभी जोड़ जोड़ कर | * उदार व्यक्ति दे-देकर अमीर बनता है, लोभी जोड़ जोड़ कर ग़रीब होता है। ~ जर्मन कहावत | ||
* चार तरह के लोग होते हैं- (1) मख्खिचूस - जो ना आप खाएं ना दूसरों को खाने दें, (2) कंजूस - जो आप खाएं पर दूसरों को ना दें, (3) उदार - जो आप भी खाएं और दूसरों को भी दें, (4) दाता - जो आप ना खाएं पर दूसरों को दें, सब लोग दाता नहीं तो कम से कम उदार तो बन ही सकते हैं। ~ अफलातून | * चार तरह के लोग होते हैं- (1) मख्खिचूस - जो ना आप खाएं ना दूसरों को खाने दें, (2) कंजूस - जो आप खाएं पर दूसरों को ना दें, (3) उदार - जो आप भी खाएं और दूसरों को भी दें, (4) दाता - जो आप ना खाएं पर दूसरों को दें, सब लोग दाता नहीं तो कम से कम उदार तो बन ही सकते हैं। ~ अफलातून | ||
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* पेट भरे पर उपवास का उपदेश देना सरल है। ~ कहावत | * पेट भरे पर उपवास का उपदेश देना सरल है। ~ कहावत | ||
* जिसने स्वयं को समझ लिया हो वह दूसरों सो समझाने नहीं जायेगा। ~ धम्मपद | * जिसने स्वयं को समझ लिया हो वह दूसरों सो समझाने नहीं जायेगा। ~ धम्मपद | ||
* लोगों की समझ शक्ति के | * लोगों की समझ शक्ति के मुताबिक़ उपदेश देना चाहिए। ~ हदीस | ||
* उपदेश देना सरल है उपाय बताना कठिन है। ~ टैगोर | * उपदेश देना सरल है उपाय बताना कठिन है। ~ टैगोर | ||
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* पराधीनता समाज के समस्त मौलिक नियमों के विरुद्ध है। - मान्तेस्क्यु | * पराधीनता समाज के समस्त मौलिक नियमों के विरुद्ध है। - मान्तेस्क्यु | ||
* जिन्हें हम हीन या नीच बनाये रखते है वो भी क्रमशः हमें हेय और दीन बना देता हैं। - टैगोर | * जिन्हें हम हीन या नीच बनाये रखते है वो भी क्रमशः हमें हेय और दीन बना देता हैं। - टैगोर | ||
* ग़ुलामी में रखना इंसान के शान के ख़िलाफ़ है, जिस ग़ुलाम को अपनी दशा का मान है और फिर भी जंजीरों को तोड़ने का प्रयास नहीं करता वह पशु से हीन है, अन्तः करण से प्रार्थना | * ग़ुलामी में रखना इंसान के शान के ख़िलाफ़ है, जिस ग़ुलाम को अपनी दशा का मान है और फिर भी जंजीरों को तोड़ने का प्रयास नहीं करता वह पशु से हीन है, अन्तः करण से प्रार्थना करने वाला कभी ग़ुलामी को बर्दास्त नहीं कर सकता। - महात्मा गाँधी | ||
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* पर हित सरिस धर्म नहिं भाई। पर-पीड़ा सम नहिं अधमाई। - संत तुलसीदास | * पर हित सरिस धर्म नहिं भाई। पर-पीड़ा सम नहिं अधमाई। - संत तुलसीदास | ||
* मनुष्य की धार्मिक वृत्ति ही उसकी सुरक्षा करती है। - आचार्य तुलसी | * मनुष्य की धार्मिक वृत्ति ही उसकी सुरक्षा करती है। - आचार्य तुलसी | ||
* धर्मो रक्षति रक्षतः | * धर्मो रक्षति रक्षतः अर्थात् मनुष्य धर्म की रक्षा करे तो धर्म भी उसकी रक्षा करता है। - महाभारत | ||
* धार्मिक व्यक्ति दुःख को सुख में बदलना जानता है। - आचार्य तुलसी | * धार्मिक व्यक्ति दुःख को सुख में बदलना जानता है। - आचार्य तुलसी | ||
* धार्मिक वृत्ति बनाये रखने वाला व्यक्ति कभी दुखी नहीं हो सकता और धार्मिक वृत्ति को खोने वाला कभी सुखी नहीं हो सकता। - आचार्य तुलसी | * धार्मिक वृत्ति बनाये रखने वाला व्यक्ति कभी दुखी नहीं हो सकता और धार्मिक वृत्ति को खोने वाला कभी सुखी नहीं हो सकता। - आचार्य तुलसी |
10:05, 11 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
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इन्हें भी देखें: अनमोल वचन 1, अनमोल वचन 2, अनमोल वचन 3, अनमोल वचन 5, अनमोल वचन 6, अनमोल वचन 7, अनमोल वचन 8, कहावत लोकोक्ति मुहावरे एवं सूक्ति और कहावत
अनमोल वचन |
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