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| * कर्म की उत्पत्ति विचार में है, अतः विचार ही महत्वपूर्ण हैं। ~ साई बाबा
| | {{seealso|अनमोल वचन 1|अनमोल वचन 2|अनमोल वचन 3|अनमोल वचन 4|अनमोल वचन 5|अनमोल वचन 6|अनमोल वचन 7|अनमोल वचन 8|अनमोल वचन 10|कहावत लोकोक्ति मुहावरे|सूक्ति और कहावत}} |
| | <div style="float:right; width:98%; border:thin solid #aaaaaa; margin:10px"> |
| | {| width="98%" class="bharattable-purple" style="float:right"; |
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| | ! width="100%"| अनमोल वचन |
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| * इतने मधुर न हों कि लोग आपको निगल लें, इतने कटु भी नहीं कि वे आपको उगल दें। ~ पश्तो की कहावत | | * इतने मधुर न हों कि लोग आपको निगल लें, इतने कटु भी नहीं कि वे आपको उगल दें। ~ पश्तो की कहावत |
| * सम्पत्ति उस व्यक्ति की होती है जो इसका आनन्द लेता है न कि उस व्यक्ति को जो इसे अपने पास रखता है। ~ अफगानी कहावत | | * सम्पत्ति उस व्यक्ति की होती है जो इसका आनन्द लेता है न कि उस व्यक्ति को जो इसे अपने पास रखता है। ~ अफ़ग़ानी कहावत |
| * जो जानता नही कि वह जानता नही, वह मुर्ख है - उसे दुर भगाओ। जो जानता है कि वह जानता नही, वह सीधा है - उसे सिखाओ। जो जानता नही कि वह जानता है, वह सोया है - उसे जगाओ। जो जानता है कि वह जानता है, वह सयाना है - उसे गुरू बनाओ। ~ अरबी कहावत
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| * जिसके पास स्वास्थ्य है, उसके पास आशा है तथा जिसके पास आशा है, उसके पास सब कुछ है। ~ अरबी कहावत
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| * मौन के वृक्ष पार शान्ति का फल उगता है। ~ अरबी कहावत
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| * निश्चंत मन, भरी थैली से अच्छा है। ~ अरबी कहावत
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| * हरेक बर्तन से वही छलकता है जो कि उसमें होता है। ~ अरबी कहावत
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| * 'अल-मिस्ल फ़िल कलाम कल-मिल्ह फ़ित-तआम' यानी बातों में कहावतों या मुहावरों और उक्तियों की उतनी ही ज़रूरत है जितनी कि खाने में नमक की। ~ अरबी कहावत
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| * मनुष्य भूलों का अवतार है। ~ अरबी कहावत
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| * परमात्मा जब किसी आदमी को बनाता है, और दुनिया मे भेजने से पहले उसके कान में कहता है की, मैंने तुझसे अच्छा, तुझसे श्रेष्ट किसी को नहीं बनाया है और आदमी इसी मजाक के सहारे सारी जिन्दगी काट लेता है पर शिष्ठाचारवश किसी को कुछ नहीं कहता। पर शायद उसे पता नही की परमात्मा ने यही बात सबके कान में कही हुई है। ~ अरबी कहावत
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| * परमेश्वर पर भरोसा रखिए, लेकिन अपने ऊंट को भी खूंटे से कस कर बांधे रखिए। ~ फ़ारसी कहावत
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| * ‘हर सुख़न मौक़ा व हर नुक़्ता मुक़ामे दारद’ यानी हर बात और बिंदु की अपनी एक जगह होती है। ~ फ़ारसी कहावत
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| * ख़ुशबू को इत्र बेचने वाले की सिफ़ारिश की ज़रूरत नहीं होती। ~ फ़ारसी कहावत
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| * जो तुम पर छोटा पत्थर फेंके तुम उस पर उससे बड़ा पत्थर फेंको। ~ फ़ारसी कहावत
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| * "कूह बे कूह नेमी रसद अम्मा आदम बे आदम मी रसद"- एक पहाड़ दूसरे पहाड़ के हाथ नहीं लगता किंतु आदमी तो कभी न कभी आदमी के हाथ आवश्य लगता है। ~ फ़ारसी कहावत
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| * 'दाख़िलेमून ख़ुदेमून रो कुश्त व बीरूनेमून मर्दुम रो', जिसका तात्पर्य है, विदित रूप से किसी रोचक वस्तु को देख कर उससे ईर्ष्या करना किंतु उसे प्राप्त करने में आने वाली कठिनाइयों की अनदेखी कर देना। ~ फ़ारसी कहावत
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| * 'जहाँ-दीदा बिस्यार गोयद दरोग़' यानी अधिक दुनिया घूमा हुआ अधिक झूठ बोलता है। ~ फ़ारसी कहावत
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| * 'तुख़्मे मुर्ग़ दुज़्द, शुतुर दुज़्द मीशे' - मुर्ग़ी का अण्डा चुराने वाला अंततः ऊंट की चोरी करता है। ~ फ़ारसी कहावत
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| * सबकी मौत तो जश्न के क़ाबिल होती है। ~ फ़ारसी कहावत
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| * कोई भी जो़डा लगातार तीस दिनों तक शहद और पानी का सेवन करता है तो उनकी वैवाहिक जीवन बहुत सुखमय और स्वर्गिक आनंद से भरा हुआ होता है। ~ फ़ारसी कहावत
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| * नक़ल के लिए भी कुछ अकल चाहिए। ~ फ़ारसी कहावत
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| * 'तन हम दाग, दाग सूद, पम्बा कुजा नेहाम' (पूरे बदन पर दाग ही दाग हैं) में कितनी जगह फाया रखूं। ~ फ़ारसी कहावत
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| * झूटे की याद दाश्त बहुत कमज़ोर होती है। ~ फ़ारसी कहावत
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| * 'हरचे आमद इमारते नो साख्त' मतलब कि जो भी आया उसने एक नई इमारत बनवाई। ~ फ़ारसी कहावत
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| * अवसर पर दुश्मन को न लगाया हुआ थप्पड़ अपने मुह पर लगता है। ~ फ़ारसी कहावत
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| * 'दरमियाने कअरे दरिया, तख्ताबंदम कर दइ, वाज मी गोई की दामन तर मकुन हुशियार वाश' अर्थात ये नाविक तूने मुझे नदी के बीच लाकर पटक दिया है और कहता है देख हुशियार रहना तेरा दामन गीला न होने पाए। ~ फ़ारसी कहावत
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| * जो ऊपर जाता है वह नीचे भी आता है। ~ फ़ारसी कहावत
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| * जबान के घाव सबसे गहरे होते हैं। ~ फ़ारसी कहावत
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| * 'सामने बैठे मूर्ख को कभी मूर्ख न कहो क्योंकि वह मूर्ख है' वरना मुसीबत लाजमी है। ~ फ़ारसी कहावत
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| * हमारी पहचान हमेशा हमारे द्वारा छोड़ी गई उपलब्धियों से होती है। ~ अमरीकी कहावत | | * हमारी पहचान हमेशा हमारे द्वारा छोड़ी गई उपलब्धियों से होती है। ~ अमरीकी कहावत |
| | * सत्य को जानो, वह तुम्हें मुक्त करेगा। ~ अमरीकी कहावत |
| | * 'अमेरीकी माने बेस बॉल का खेल, मा और ऐप्पल पाई'। ~ अमरीकी कहावत |
| * यदि आपको भगवान का भय है, तो आपको मनुष्यों से डर नहीं लगेगा। ~ अल्बानियाई कहावत | | * यदि आपको भगवान का भय है, तो आपको मनुष्यों से डर नहीं लगेगा। ~ अल्बानियाई कहावत |
| * हमारे आँगन में भी सूरज की धूप अवश्य आएगी। ~ रूसी कहावत
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| * हमारे पास जो है हम उसकी परवाह नहीं करते, लेकिन जब उसे खो देते हैं तो शोक मनाते हैं। ~ रूसी कहावत
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| * राहगीर ही रास्तों को जीतते हैं यानी यात्री ही राह को पार करते हैं। लेकिन किसी भी राह पर प्रारम्भिक कदम उठाना हमेशा बड़ा कठिन होता है। ~ रूसी कहावत
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| * भगवान से प्रार्थना करो लेकिन नाव को किनारे तक खेना ना रोको" जीसका मतलब है कि भगवान पर भरोसा रखो लेकिन खुदकी मदद कि जिम्मेदारी सिर्फ आपकी है। ~ रूसी कहावत
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| * दो नए दोस्त एक पुराने दोस्त के बराबर होते हैं। ~ रूसी कहावत
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| * आप तब तक किसी को जान नहीं सकते, जब तक कि उसके साथ आपने एक पुड (वजन का नाप, जो तकरीबन 16 किलो के बराबर होता है) नमक न खाया हो। ~ रूसी कहावत
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| * मुसीबत लोगों को एक दूसरे के क़रीब लाती है और उनमें एक दूसरे की सहायता करने के लिए भावनाएँ भर देती है। ~ रूसी कहावत
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| * सोती लोमड़ी सपने में मुर्गियाँ ही गिनती रहती है, क्योंकि जागते हुए वह इसी उधेड़बुन में लगी रहती है कि मुर्गियों को कैसे पकड़े। इसी तरह किसी काम या उलझन में होने पर व्यक्ति को उठते-बैठते, खाते-पीते, सोते-जागते उस काम के सिवाय कुछ नहीं सूझता। ~ रूसी कहावत
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| * भिखारी की गठरी और जेल से कोई बच न पायेगा। ~ रूसी कहावत
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| * अगर आप कांटे फैलाते हैं तो नंगे पैर न चलें। ~ इटली की कहावत | | * अगर आप कांटे फैलाते हैं तो नंगे पैर न चलें। ~ इटली की कहावत |
| * दूसरों के मामलों में न्याय हो यह सभी को भाता है। ~ इटली की कहावत | | * दूसरों के मामलों में न्याय हो यह सभी को भाता है। ~ इटली की कहावत |
| * ऐसे कानून व्यर्थ हैं जिनके अमल की व्यवस्था ही न हो। ~ इटली की कहावत | | * ऐसे क़ानून व्यर्थ हैं जिनके अमल की व्यवस्था ही न हो। ~ इटली की कहावत |
| * सभी जो चर्च जाते हैं संत नहीं होते। ~ इटली की कहावत | | * सभी जो चर्च जाते हैं संत नहीं होते। ~ इटली की कहावत |
| * अच्छे पत्ते जिसे मिले हों वह कभी नहीं कहेगा कि गलत बांटे हैं। ~ आयरलैंड की कहावत | | * जो धीरे चलते हैं, वे दूर तक जाते हैं। ~ इटली की कहावत |
| | * अच्छी हंसी और गहरी नींद डॉक्टरों की किताब में सबसे अच्छा उपचार हैं। ~ आयरिश कहावत |
| | * अच्छे पत्ते जिसे मिले हों वह कभी नहीं कहेगा कि ग़लत बांटे हैं। ~ आयरलैंड की कहावत |
| | * जो आपके साथ दूसरों की बातें करते हैं वे आपके बारे में भी बातें करेंगे। ~ आयरलैंड की कहावत |
| * ऐसा व्यक्ति जो अनुशासन के बिना जीवन जीता है वह सम्मान रहित मृत्यु मरता है। ~ आईसलैण्ड की कहावत | | * ऐसा व्यक्ति जो अनुशासन के बिना जीवन जीता है वह सम्मान रहित मृत्यु मरता है। ~ आईसलैण्ड की कहावत |
| * जो आपके साथ दूसरों की बातें करते हैं वे आपके बारे में भी बातें करेंगे। ~ आयरलैंड की कहावत
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| * कड़े गोश्त के लिए - पैने दाँत। ~ तुर्की की कहावत | | * कड़े गोश्त के लिए - पैने दाँत। ~ तुर्की की कहावत |
| * अच्छे मित्र के साथ कोई भी मार्ग लंबा नहीं होता है। ~ तुर्की की कहावत | | * अच्छे मित्र के साथ कोई भी मार्ग लंबा नहीं होता है। ~ तुर्की की कहावत |
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| * हमेशा अच्छा नाम छोड़ कर जाएँ, हो सकता है आप वापस आएँ। ~ केन्या की लोकोक्ति | | * हमेशा अच्छा नाम छोड़ कर जाएँ, हो सकता है आप वापस आएँ। ~ केन्या की लोकोक्ति |
| * आपके पास जो आटा है आप उसी की रोटी बना सकते है। ~ डेन्मार्क की लोकोक्ति | | * आपके पास जो आटा है आप उसी की रोटी बना सकते है। ~ डेन्मार्क की लोकोक्ति |
| | * अगर तुम घर में शान्ति चाहते हो, तो तुम्हें वह करना चाहिए जो गृहिणी चाहती है। ~ डेनिश कहावत |
| * उस्ताद वह नहीं जो आरंभ करता है, बल्कि वह है जो पूर्ण करता है। ~ स्लोवाकिया की कहावत | | * उस्ताद वह नहीं जो आरंभ करता है, बल्कि वह है जो पूर्ण करता है। ~ स्लोवाकिया की कहावत |
| * जिस चीज को आप बदल नहीं सकते हैं, आपको उसे अवश्य ही सहन करना चाहिए। ~ स्पेनी कहावत | | * जिस चीज़ को आप बदल नहीं सकते हैं, आपको उसे अवश्य ही सहन करना चाहिए। ~ स्पेनी कहावत |
| * अपने स्वास्थ्य की देखभाल करने के लिए समय न निकालने वाला व्यक्ति ऐसे मिस्त्री के समान होता है तो अपने औजारों की ही देखभाल में व्यस्त रहता है ~ स्पेन की कहावत | | * अपने स्वास्थ्य की देखभाल करने के लिए समय न निकालने वाला व्यक्ति ऐसे मिस्त्री के समान होता है तो अपने औजारों की ही देखभाल में व्यस्त रहता है ~ स्पेन की कहावत |
| | * सुन्दर नारी या तो मूर्ख होती नहीं या अभिमानी। ~ स्पेनी कहावत |
| | * एक छंटाक ख़ून किलो भर दोस्ती से ज़्यादा क़ीमती होता है। ~ स्पेनी कहावत |
| | * माल कैसा भी हो हांक हमेशा ऊंची लगानी चाहिए। ~ स्पेनी कहावत |
| | * जो वस्तु हमें पसंद होती है, ज़रूरी नहीं कि वह हमें मिल ही जाये,, इसलिए जो मिलता है, उसे ही पसंद कर लिया जाना चाहिए। ~ स्पेनी कहावत |
| * विचार से कर्म की उत्पत्ति होती है, कर्म से आदत की उत्पत्ति होती है, आदत से चरित्र की उत्पत्ति होती है और चरित्र से आपके प्रारब्ध की उत्पत्ति होती है। ~ बौद्ध कहावत | | * विचार से कर्म की उत्पत्ति होती है, कर्म से आदत की उत्पत्ति होती है, आदत से चरित्र की उत्पत्ति होती है और चरित्र से आपके प्रारब्ध की उत्पत्ति होती है। ~ बौद्ध कहावत |
| * धर्महीन व्यक्ति बिना नकेल वाले घोड़े की तरह होता है। ~ लातिनी कहावत | | * धर्महीन व्यक्ति बिना नकेल वाले घोड़े की तरह होता है। ~ लातिनी कहावत |
| * एक झूठ हजार सच्चाईयों का नाश कर देता है। ~ घाना की कहावत | | * एक झूठ हज़ार सच्चाईयों का नाश कर देता है। ~ घाना की कहावत |
| * मित्रता आनन्द को दुगुना और दुःख को आधा कर देती है। ~ मिस्र की कहावत | | * मित्रता आनन्द को दुगुना और दुःख को आधा कर देती है। ~ मिस्र की कहावत |
| * यदि आप सात बार गिरते हैं, तो आठ बार खड़ें हों। ~ जापानी कहावत | | * 'नोलोम तो येएलो इहीबूह', इसका अर्थ है, हम उन्हें बता रहे हैं कि यह बैल है, लेकिन वे फिर भी दूध दुहने की बात करते हैं। ~ मिस्र की कहावत |
| * एक मीठा बोल सर्दी के तीन महीनों को ऊष्मा दे सकता है। ~ जापानी कहावत
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| * ज़िंदगी तो कुल एक पीढ़ी भर की होती है, पर नेक काम पीढ़ी दर पीढ़ी चलता है। ~ जापानी कहावत
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| * असफलता से सफलता की शिक्षा मिलती है। ~ जापनी कहावत
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| * बीमारी की कड़वाहट से व्यक्ति स्वास्थ्य की मधुरता समझ पाता है। ~ कैतालियाई कहावत | | * बीमारी की कड़वाहट से व्यक्ति स्वास्थ्य की मधुरता समझ पाता है। ~ कैतालियाई कहावत |
| * विवाह एक ढका हुआ पकवान है। ~ स्विस कहावत | | * विवाह एक ढका हुआ पकवान है। ~ स्विस कहावत |
| * बांट लेने से सुख दूना होता है और दु:ख आधा। ~ स्वीडन की कहावत | | * बांट लेने से सुख दूना होता है और दु:ख आधा। ~ स्वीडन की कहावत |
| * साझा की गई खुशी दुगनी खुशी होती है; साझा किया गया दुख आधा होता है। ~ स्वीडन की कहावत | | * साझा की गई खुशी दुगनी खुशी होती है; साझा किया गया दु:ख आधा होता है। ~ स्वीडन की कहावत |
| * शरीर के मामले में जो स्थान साबुन का है, वही आत्मा के संदर्भ में आंसू का। ~ यहूदी कहावत | | * शरीर के मामले में जो स्थान साबुन का है, वही आत्मा के संदर्भ में आंसू का। ~ यहूदी कहावत |
| * समझदार व्यक्ति एक शब्द सुनता हैं और दो शब्द समझता हैं। ~ यहुदी कहावत | | * समझदार व्यक्ति एक शब्द सुनता हैं और दो शब्द समझता हैं। ~ यहुदी कहावत |
| * क्रोध की अति तो कटार से भी विनाशकारी है। ~ भारत की कहावत
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| * उच्च खेती, मध्यम व्यापार और नीच नौकरी। ~ भारत की कहावत
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| * समय की रेत पर कदमों के निशान बैठकर नहीं बनाये जा सकते। ~ कहावत
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| | ==चीनी कहावत== |
| * शिक्षक द्वार खोलते हैं; लेकिन प्रवेश आपको स्वयं ही करना होता है। ~ चीनी कहावत | | * शिक्षक द्वार खोलते हैं; लेकिन प्रवेश आपको स्वयं ही करना होता है। ~ चीनी कहावत |
| * अध्यापक मार्गदर्शक का काम करते हैं, चलता आपको स्वयं पड़ता है। ~ चीनी कहावत | | * अध्यापक मार्गदर्शक का काम करते हैं, चलता आपको स्वयं पड़ता है। ~ चीनी कहावत |
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| * रईस जहां मौजूद होते हैं वहां की हवा की खुशबू बदल जाती है। ~ चीनी कहावत | | * रईस जहां मौजूद होते हैं वहां की हवा की खुशबू बदल जाती है। ~ चीनी कहावत |
| * यदि आप ग़ुस्से के एक क्षण में धैर्य रखते हैं, तो आप दुःख के सौ दिन से बच जाएंगे। ~ चीनी कहावत | | * यदि आप ग़ुस्से के एक क्षण में धैर्य रखते हैं, तो आप दुःख के सौ दिन से बच जाएंगे। ~ चीनी कहावत |
| * ऐसा छात्र जो प्रश्न पूछता है, वह पांच मिनट के लिए मूर्ख रहता है, लेकिन जो पूछता ही नहीं है वह जिंदगी भर मूर्ख ही रहता है। ~ चीनी कहावत | | * ऐसा छात्र जो प्रश्न पूछता है, वह पांच मिनट के लिए मूर्ख रहता है, लेकिन जो पूछता ही नहीं है वह ज़िंदगी भर मूर्ख ही रहता है। ~ चीनी कहावत |
| * अच्छा क्या है, इसे सीखने के लिए एक हजार दिन भी अपर्याप्त हैं; लेकिन बुरा क्या है, यह सीखने के लिए एक घंटा भी ज्यादा है। ~ चीनी कहावत | | * अच्छा क्या है, इसे सीखने के लिए एक हज़ार दिन भी अपर्याप्त हैं; लेकिन बुरा क्या है, यह सीखने के लिए एक घंटा भी ज़्यादा है। ~ चीनी कहावत |
| * उदार मन वाले विभिन्न धर्मों में सत्य देखते हैं। संकीर्ण मन वाले केवल अंतर देखते हैं। ~ चीनी कहावत | | * उदार मन वाले विभिन्न धर्मों में सत्य देखते हैं। संकीर्ण मन वाले केवल अंतर देखते हैं। ~ चीनी कहावत |
| * हजारों मील की यात्रा भी प्रथम चरण से ही आरम्भ होती है। ~ चीनी कहावत | | * हजारों मील की यात्रा भी प्रथम चरण से ही आरम्भ होती है। ~ चीनी कहावत |
| * सबसे बड़ी यात्रा एक अकेले कदम से शुरू होती है। ~ चीनी कहावत | | * सबसे बड़ी यात्रा एक अकेले क़दम से शुरू होती है। ~ चीनी कहावत |
| * हजार मील की यात्रा एक छोटे कदम से शुरू होती है। ~ चीनी कहावत | | * हज़ार मील की यात्रा एक छोटे क़दम से शुरू होती है। ~ चीनी कहावत |
| * लंबे से लंबे सफर की शुरुआत एक छोटे से कदम से होती है। ~ चीनी कहावत | | * लंबे से लंबे सफर की शुरुआत एक छोटे से क़दम से होती है। ~ चीनी कहावत |
| * सबसे ऊंचे पहाड़ पर चढ़ने की शुरूआत एक छोटे से कदम से होती है। ~ चीनी कहावत | | * सबसे ऊंचे पहाड़ पर चढ़ने की शुरुआत एक छोटे से क़दम से होती है। ~ चीनी कहावत |
| * आहिस्ता चलने से नहीं, सिर्फ चुपचाप खड़े रहने से डर। ~ चीनी कहावत | | * आहिस्ता चलने से नहीं, सिर्फ चुपचाप खड़े रहने से डर। ~ चीनी कहावत |
| * आप अपने पास दुखों को आने से नहीं रोक सकते हैं, लेकिन आप उन दुखों से घबराएं नहीं, ऐसा तो आप कर सकते हैं। ~ चीनी कहावत | | * आप अपने पास दुखों को आने से नहीं रोक सकते हैं, लेकिन आप उन दुखों से घबराएं नहीं, ऐसा तो आप कर सकते हैं। ~ चीनी कहावत |
| * मोती समुद्र के किनारे पर नहीं मिलते अगर आपको मोती पाना हैं तो आपके समुद्र में गोता लगाना होगा। ~ चीनी कहावत | | * मोती समुद्र के किनारे पर नहीं मिलते अगर आपको मोती पाना हैं तो आपके समुद्र में गोता लगाना होगा। ~ चीनी कहावत |
| * गज में कब्जा करने से बेहतर है इंच में कब्जा करना। ~ चीनी कहावत | | * गज में क़ब्ज़ा करने से बेहतर है इंच में क़ब्ज़ा करना। ~ चीनी कहावत |
| * दूल्हे के लायक है, उसके हाथ की ताकत। ~ चीनी कहावत | | * दूल्हे के लायक़ है, उसके हाथ की ताकत। ~ चीनी कहावत |
| * अगर तुम्हारे पास दो रुपये हो तो एक से रोटी खरीदो, दूसरे से फूल। रोटी तुम्हे जिन्दगी देगी और फूल तुम्हे जीने की कला सिखाएगा। ~ चीनी कहावत | | * अगर तुम्हारे पास दो रुपये हो तो एक से रोटी ख़रीदो, दूसरे से फूल। रोटी तुम्हे ज़िन्दगी देगी और फूल तुम्हे जीने की कला सिखाएगा। ~ चीनी कहावत |
| * अपने दूर रहने वाले रिश्तेदारों से अधिक महत्व अपने पड़ोसियों को दीजिए। ~ चीनी कहावत | | * अपने दूर रहने वाले रिश्तेदारों से अधिक महत्व अपने पड़ोसियों को दीजिए। ~ चीनी कहावत |
| * केवल बातों से चांवल पकते नहीं। ~ चीनी कहावत | | * केवल बातों से चांवल पकते नहीं। ~ चीनी कहावत |
| * यदि कोई व्यक्ति अच्छा जीवन जीता है तो वह भारत में पुनर्जन्म लेगा। ~ चीनी कहावत | | * यदि कोई व्यक्ति अच्छा जीवन जीता है तो वह भारत में पुनर्जन्म लेगा। ~ चीनी कहावत |
| * यदि आपको एक दिन की खुशी चाहिए, तो एक घंटा ज्यादा सोएं। यदि एक हफ्ते की खुशी चाहिए, तो एक दिन पिकनिक पर अवश्य जाएं। यदि एक माह की खुशी चाहिए, तो अपने लोगों से मिलें। यदि एक साल के लिए खुशियां चाहिए, तो शादी कर लें और जिंदगी भर की खुशियां चाहिए तो किसी अनजान व्यक्ति की सहायता करें। ~ चीनी कहावत | | * यदि आपको एक दिन की खुशी चाहिए, तो एक घंटा ज़्यादा सोएं। यदि एक हफ्ते की खुशी चाहिए, तो एक दिन पिकनिक पर अवश्य जाएं। यदि एक माह की खुशी चाहिए, तो अपने लोगों से मिलें। यदि एक साल के लिए खुशियां चाहिए, तो शादी कर लें और ज़िंदगी भर की खुशियां चाहिए तो किसी अनजान व्यक्ति की सहायता करें। ~ चीनी कहावत |
| * इंसान बूढ़ा होता है और मोती पीले पड़ते जाते हैं, इनसे बचने का कोई उपाय नहीं है। लेकिन इन परिस्थितियों के लिए तैयारी करने के उपाय तो हैं। ~ चीनी कहावत | | * इंसान बूढ़ा होता है और मोती पीले पड़ते जाते हैं, इनसे बचने का कोई उपाय नहीं है। लेकिन इन परिस्थितियों के लिए तैयारी करने के उपाय तो हैं। ~ चीनी कहावत |
| * अंधेरे को कोसने से बेहतर है मोमबत्ती जलाओ। यानी कोसने से बेहतर करना है। ~ चीनी कहावत | | * अंधेरे को कोसने से बेहतर है मोमबत्ती जलाओ। यानी कोसने से बेहतर करना है। ~ चीनी कहावत |
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| * लड़ाई के जो तीन सौ सतरह पैंतरे ज्ञानियों ने गिनवाये हैं, उनमें जो पैंतरा सबसे उपयोगी बताया गया है वो यह है कि भाग लो। ~ चीनी कहावत | | * लड़ाई के जो तीन सौ सतरह पैंतरे ज्ञानियों ने गिनवाये हैं, उनमें जो पैंतरा सबसे उपयोगी बताया गया है वो यह है कि भाग लो। ~ चीनी कहावत |
| * बालक माता-पिता की विरासत लेकर चलता है, सिर्फ आर्थिक की नहीं, उनका रवैया, चरित्र और आचरण भी। यानी उसकी सबसे पहली नींव माता-पिता रचते हैं। ~ चीनी कहावत | | * बालक माता-पिता की विरासत लेकर चलता है, सिर्फ आर्थिक की नहीं, उनका रवैया, चरित्र और आचरण भी। यानी उसकी सबसे पहली नींव माता-पिता रचते हैं। ~ चीनी कहावत |
| * एक तस्वीर हजार शब्दों से ज्यादा अर्थवान होती है। ~ चीनी कहावत | | * एक तस्वीर हज़ार शब्दों से ज़्यादा अर्थवान होती है। ~ चीनी कहावत |
| * कुत्ते के ढेला मारने से पहले यह दरियाफ्त कर लेनी चाहिए कि इसका मालिक कौन है। ~ चीनी कहावत | | * कुत्ते के ढेला मारने से पहले यह दरियाफ्त कर लेनी चाहिए कि इसका मालिक कौन है। ~ चीनी कहावत |
| * कौन जाने क्या अच्छा, क्या बुरा। ~ चीनी कहावत | | * कौन जाने क्या अच्छा, क्या बुरा। ~ चीनी कहावत |
| * इंसान को कंघी तब मिलती है, जब वह गंजा हो जाता है। ~ चीनी कहावत | | * इंसान को कंघी तब मिलती है, जब वह गंजा हो जाता है। ~ चीनी कहावत |
| * सख्त शिक्षा से श्रेष्ठ शिष्य निकलते हैं। ~ चीनी कहावत | | * सख्त शिक्षा से श्रेष्ठ शिष्य निकलते हैं। ~ चीनी कहावत |
| * खाली गिलास को ही भरा जा सकता है, भरे हुए गिलास में कुछ भी डालो छलक ही पड़ेगा। ~ चीनी कहावत | | * ख़ाली गिलास को ही भरा जा सकता है, भरे हुए गिलास में कुछ भी डालो छलक ही पड़ेगा। ~ चीनी कहावत |
| * जब हाथी बीमार पड़ता है, तो नन्ही चीटियां भी उसे लात मार जाती हैं। ~ चीनी कहावत | | * जब हाथी बीमार पड़ता है, तो नन्ही चीटियां भी उसे लात मार जाती हैं। ~ चीनी कहावत |
| * अगर आप किसी को एक दिन का खाना देते हो तो उसका पेट एक दिन के लिए ही भरता है, परन्तु अगर आप उसे कमाना सिखा देते हो तो फिर उसे किसी से खाना मांगना नही पड़ता । ~ चीनी कहावत | | * अगर आप किसी को एक दिन का खाना देते हो तो उसका पेट एक दिन के लिए ही भरता है, परन्तु अगर आप उसे कमाना सिखा देते हो तो फिर उसे किसी से खाना मांगना नहीं पड़ता। ~ चीनी कहावत |
| * बिना सद गुणों के सुन्दरता अभिशाप हैं। ~ चीनी कहावत | | * बिना सद गुणों के सुन्दरता अभिशाप हैं। ~ चीनी कहावत |
| * अच्छे व्यक्ति व वस्तुओं की अच्छाई भविष्य में ही पता चलती है। ~ चीनी कहावत | | * अच्छे व्यक्ति व वस्तुओं की अच्छाई भविष्य में ही पता चलती है। ~ चीनी कहावत |
| * चीनी लोग हर उस चीज को खाते हैं जो उड़ती हो, चलती हो, या तैरती हो. सिवा हवाई जहाज, मोटर गाड़ी और कुर्सी मेज के। ~ चीनी कहावत | | * चीनी लोग हर उस चीज़ को खाते हैं जो उड़ती हो, चलती हो, या तैरती हो. सिवा हवाई जहाज, मोटर गाड़ी और कुर्सी मेज के। ~ चीनी कहावत |
| * जितनी सावधानी से छोटी मछली के व्यजंन पकाए जाते हैं, उतनी ही नजाकत से संभालना पड़ता है एक परिवार को। ~ चीनी कहावत | | * जितनी सावधानी से छोटी मछली के व्यजंन पकाए जाते हैं, उतनी ही नजाकत से संभालना पड़ता है एक परिवार को। ~ चीनी कहावत |
| * दस हज़ार किताबों को पढने से बेहतर, दस हज़ार मील की यात्रा करना है। ~ चीनी कहावत | | * दस हज़ार किताबों को पढ़ने से बेहतर, दस हज़ार मील की यात्रा करना है। ~ चीनी कहावत |
| * पीड़ा अनिवार्य है, पर पीड़ित होना वैकल्पिक। ~ चीनी कहावत | | * पीड़ा अनिवार्य है, पर पीड़ित होना वैकल्पिक। ~ चीनी कहावत |
| * भोजन का स्वाद पहले आँखों से, फिर नासिका से और फिर मुंह से लिया जाना चाहिए। ~ चीनी कहावत | | * भोजन का स्वाद पहले आँखों से, फिर नासिका से और फिर मुंह से लिया जाना चाहिए। ~ चीनी कहावत |
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| | ==जापानी कहावत== |
| | * यदि आप सात बार गिरते हैं, तो आठ बार खड़ें हों। ~ जापानी कहावत |
| | * एक मीठा बोल सर्दी के तीन महीनों को ऊष्मा दे सकता है। ~ जापानी कहावत |
| | * ज़िंदगी तो कुल एक पीढ़ी भर की होती है, पर नेक काम पीढ़ी दर पीढ़ी चलता है। ~ जापानी कहावत |
| | * असफलता से सफलता की शिक्षा मिलती है। ~ जापनी कहावत |
| | * अगर कोई कर सकता हैं, तुम भी कर सकते हो, अगर कोई नहीं कर सकता तो तुम्हे जरुर करना हैं। ~ जापानी कहावत |
| | * हंसी के साथ समय गुजारने का अर्थ है ईश्वर के साथ समय गुजारना। यानी हंसी में है सबसे बड़ी खुशी। ~ जापानी कहावत |
| | * कर्म का ध्वनी शब्द से भी ऊंचा है। ~ जापानी कहावत |
| | * हममें से कोई उतना स्मार्ट नहीं है, जितने हम सब हैं। ~ जापानी कहावत |
| | * बन्दर पेड़ से ज़मीन पर गिर पड़े, फिर भी बन्दर ही रहता है, सो वह भी टार्जन की तरह। ~ जापानी कहावत |
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| | ==रूसी कहावत== |
| | * हमारे आँगन में भी सूरज की धूप अवश्य आएगी। ~ रूसी कहावत |
| | * हमारे पास जो है हम उसकी परवाह नहीं करते, लेकिन जब उसे खो देते हैं तो शोक मनाते हैं। ~ रूसी कहावत |
| | * राहगीर ही रास्तों को जीतते हैं यानी यात्री ही राह को पार करते हैं। लेकिन किसी भी राह पर प्रारम्भिक क़दम उठाना हमेशा बड़ा कठिन होता है। ~ रूसी कहावत |
| | * भगवान से प्रार्थना करो लेकिन नाव को किनारे तक खेना ना रोको" जीसका मतलब है कि भगवान पर भरोसा रखो लेकिन खुदकी मदद कि ज़िम्मेदारी सिर्फ आपकी है। ~ रूसी कहावत |
| | * दो नए दोस्त एक पुराने दोस्त के बराबर होते हैं। ~ रूसी कहावत |
| | * आप तब तक किसी को जान नहीं सकते, जब तक कि उसके साथ आपने एक पुड (वजन का नाप, जो तक़रीबन 16 किलो के बराबर होता है) नमक न खाया हो। ~ रूसी कहावत |
| | * मुसीबत लोगों को एक दूसरे के क़रीब लाती है और उनमें एक दूसरे की सहायता करने के लिए भावनाएँ भर देती है। ~ रूसी कहावत |
| | * सोती लोमड़ी सपने में मुर्गियाँ ही गिनती रहती है, क्योंकि जागते हुए वह इसी उधेड़बुन में लगी रहती है कि मुर्गियों को कैसे पकड़े। इसी तरह किसी काम या उलझन में होने पर व्यक्ति को उठते-बैठते, खाते-पीते, सोते-जागते उस काम के सिवाय कुछ नहीं सूझता। ~ रूसी कहावत |
| | * भिखारी की गठरी और जेल से कोई बच न पायेगा। ~ रूसी कहावत |
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| | ==फ़ारसी कहावत== |
| | * परमेश्वर पर भरोसा रखिए, लेकिन अपने ऊंट को भी खूंटे से कस कर बांधे रखिए। ~ फ़ारसी कहावत |
| | * ‘हर सुख़न मौक़ा व हर नुक़्ता मुक़ामे दारद’ यानी हर बात और बिंदु की अपनी एक जगह होती है। ~ फ़ारसी कहावत |
| | * ख़ुशबू को इत्र बेचने वाले की सिफ़ारिश की ज़रूरत नहीं होती। ~ फ़ारसी कहावत |
| | * जो तुम पर छोटा पत्थर फेंके तुम उस पर उससे बड़ा पत्थर फेंको। ~ फ़ारसी कहावत |
| | * 'कूह बे कूह नेमी रसद अम्मा आदम बे आदम मी रसद' - एक पहाड़ दूसरे पहाड़ के हाथ नहीं लगता किंतु आदमी तो कभी न कभी आदमी के हाथ आवश्य लगता है। ~ फ़ारसी कहावत |
| | * 'दाख़िलेमून ख़ुदेमून रो कुश्त व बीरूनेमून मर्दुम रो', जिसका तात्पर्य है, विदित रूप से किसी रोचक वस्तु को देख कर उससे ईर्ष्या करना किंतु उसे प्राप्त करने में आने वाली कठिनाइयों की अनदेखी कर देना। ~ फ़ारसी कहावत |
| | * 'जहाँ-दीदा बिस्यार गोयद दरोग़' यानी अधिक दुनिया घूमा हुआ अधिक झूठ बोलता है। ~ फ़ारसी कहावत |
| | * 'तुख़्मे मुर्ग़ दुज़्द, शुतुर दुज़्द मीशे' - मुर्ग़ी का अण्डा चुराने वाला अंततः ऊंट की चोरी करता है। ~ फ़ारसी कहावत |
| | * सबकी मौत तो जश्न के क़ाबिल होती है। ~ फ़ारसी कहावत |
| | * कोई भी जो़डा लगातार तीस दिनों तक शहद और पानी का सेवन करता है तो उनकी वैवाहिक जीवन बहुत सुखमय और स्वर्गिक आनंद से भरा हुआ होता है। ~ फ़ारसी कहावत |
| | * नक़ल के लिए भी कुछ अकल चाहिए। ~ फ़ारसी कहावत |
| | * 'तन हम दाग, दाग़ सूद, पम्बा कुजा नेहाम' (पूरे बदन पर दाग़ ही दाग़ हैं) में कितनी जगह फाया रखूं। ~ फ़ारसी कहावत |
| | * झूटे की याद दाश्त बहुत कमज़ोर होती है। ~ फ़ारसी कहावत |
| | * 'हरचे आमद इमारते नो साख्त' मतलब कि जो भी आया उसने एक नई इमारत बनवाई। ~ फ़ारसी कहावत |
| | * अवसर पर दुश्मन को न लगाया हुआ थप्पड़ अपने मुह पर लगता है। ~ फ़ारसी कहावत |
| | * 'दरमियाने कअरे दरिया, तख्ताबंदम कर दइ, वाज मी गोई की दामन तर मकुन हुशियार वाश' अर्थात् ये नाविक तूने मुझे नदी के बीच लाकर पटक दिया है और कहता है देख हुशियार रहना तेरा दामन गीला न होने पाए। ~ फ़ारसी कहावत |
| | * जो ऊपर जाता है वह नीचे भी आता है। ~ फ़ारसी कहावत |
| | * जबान के घाव सबसे गहरे होते हैं। ~ फ़ारसी कहावत |
| | * 'सामने बैठे मूर्ख को कभी मूर्ख न कहो क्योंकि वह मूर्ख है' वरना मुसीबत लाजमी है। ~ फ़ारसी कहावत |
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| | ==अरबी कहावत== |
| | * जो जानता नहीं कि वह जानता नही, वह मुर्ख है - उसे दुर भगाओ। जो जानता है कि वह जानता नही, वह सीधा है - उसे सिखाओ। जो जानता नहीं कि वह जानता है, वह सोया है - उसे जगाओ। जो जानता है कि वह जानता है, वह सयाना है - उसे गुरु बनाओ। ~ अरबी कहावत |
| | * जिसके पास स्वास्थ्य है, उसके पास आशा है तथा जिसके पास आशा है, उसके पास सब कुछ है। ~ अरबी कहावत |
| | * मौन के वृक्ष पार शान्ति का फल उगता है। ~ अरबी कहावत |
| | * निश्चंत मन, भरी थैली से अच्छा है। ~ अरबी कहावत |
| | * हरेक बर्तन से वही छलकता है जो कि उसमें होता है। ~ अरबी कहावत |
| | * 'अल-मिस्ल फ़िल कलाम कल-मिल्ह फ़ित-तआम' यानी बातों में कहावतों या मुहावरों और उक्तियों की उतनी ही ज़रूरत है जितनी कि खाने में नमक की। ~ अरबी कहावत |
| | * मनुष्य भूलों का अवतार है। ~ अरबी कहावत |
| | * परमात्मा जब किसी आदमी को बनाता है, और दुनिया मे भेजने से पहले उसके कान में कहता है की, मैंने तुझसे अच्छा, तुझसे श्रेष्ट किसी को नहीं बनाया है और आदमी इसी मजाक के सहारे सारी ज़िन्दगी काट लेता है पर शिष्ठाचारवश किसी को कुछ नहीं कहता। पर शायद उसे पता नहीं की परमात्मा ने यही बात सबके कान में कही हुई है। ~ अरबी कहावत |
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| * प्रशंसा सब को अच्छी लगती है,शायद ही कोई होगा जिसे प्रशंसा सुनना अच्छा नहीं लगता है, प्रशंसा आवश्यक है, अच्छे कार्य की प्रशंसा नहीं करना अनुचित है पर ये कतई आवश्यक नहीं है, कि अच्छा करने पर ही प्रशंसा की जाए, प्रोत्साहन के लिए साधारण कार्य की प्रशंसा भी कई बार बेहतर करने को प्रेरित करती है,पर देखा गया है लोग झूंठी प्रशंसा भी करते हैं, खुश करने के लिए या कडवे सत्य से बचने के लिए या दिखावे के लिए। पर इसके परिणाम घातक हो सकते हैं। व्यक्ति सत्य से दूर जा सकता है, एवं वह अति आत्मविश्वाश और भ्रम का शिकार हो सकता है, जो घातक सिद्ध हो सकता है। वास्तविक स्पर्धा में वह पीछे रह सकता है या असफल हो सकता है इसलिए प्रशंसा कब और कितनी करी जाए, यह जानना भी आवश्यक है। साथ ही झूंठी प्रशंसा को पहचानना भी आवश्यक है। इसलिए सहज भाव से संयमित प्रशंसा करें, और सुनें, प्रशंसा से अती आत्मविश्वाश से ग्रसित होने से बचें। प्रशंसा करने में कंजूसी भी नहीं बरतें। - डा.राजेंद्र तेला,"निरंतर"
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| * विपत्ती के समय में इंसान विवेक खो देता है, स्वभाव में क्रोध और चिडचिडापन आ जाता है। बेसब्री में सही निर्णय लेना व उचित व्यवहार असंभव हो जाता है। लोग व्यवहार से खिन्न होते हैं, नहीं चाहते हुए भी समस्याएं सुलझने की बजाए उलझ जाती हैं जिस तरह मिट्टी युक्त गन्दला पानी अगर बर्तन में कुछ देर रखा जाए तो मिट्टी और गंद पैंदे में नीचे बैठ जाती है, उसी तरह विपत्ती के समय शांत रहने और सब्र रखने में ही भलाई है। धीरे धीरे समस्याएं सुलझने लगेंगी एक शांत मष्तिष्क ही सही फैसले आर उचित व्यवहार कर सकता है। - डा.राजेंद्र तेला," निरंतर ''
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| * मनुष्य निरंतर दूसरों का अनुसरण करता है, उनके जीवन से प्रभावित हो कर या उनके कार्य कलापों से प्रभावित होता है अधिकतर अन्धानुकरण ही होता है। क्यों किसी ने कुछ कहा? किन परिस्थितियों में कुछ करा या कहा कभी नहीं सोचता। परिस्थितियाँ और कारण सदा इकसार नहीं होते, महापुरुषों का अनुसरण अच्छी बात है फिर भी अपने विवेक और अनुभव का इस्तेमाल भी आवश्यक है। यह भी निश्चित है जो भी ऐसा करेगा उसे विरोध का सामना भी करना पडेगा। उसे इसके लिए तैयार रहना पडेगा। अगर ऐसा नहीं हुआ होता तो केवल मात्र एक या दो ही महापुरुष होते। नया कोई कभी पैदा नहीं होता। इसलिए मेरा मानना है जितना ज़िन्दगी को करीब से देखोगे। अपने को दूसरों की स्थिती में रखोगे तो स्थितियों को बेहतर समझ सकोगे, जीवन की जटिलताएं स्वत: सुलझने लगेंगी। - राजेंद्र तेला
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| * समस्या तभी पैदा होती है जब दिनचर्या का महत्त्व ज्यादा हो जाता है सोच नेपथ्य में रह जाता है, धीरे धीरे खो जाता है, केवल भ्रम रह जाता है भौतिक सुख, अपने से ज्यादा" लोग क्या कहेंगे "की चिंता प्रमुख हो जाते हैं आदमी स्वयं, स्वयं नहीं रहता कठपुतली की तरह नाचता रहता, जो करना चाहता, कभी नहीं कर पाता, जो नहीं करना चाहता, उसमें उलझा रहता, जितना दूर भागता उतना ही फंसता जाता। - राजेंद्र तेला
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| | * प्रशंसा सब को अच्छी लगती है,शायद ही कोई होगा जिसे प्रशंसा सुनना अच्छा नहीं लगता है, प्रशंसा आवश्यक है, अच्छे कार्य की प्रशंसा नहीं करना अनुचित है पर ये क़तई आवश्यक नहीं है, कि अच्छा करने पर ही प्रशंसा की जाए, प्रोत्साहन के लिए साधारण कार्य की प्रशंसा भी कई बार बेहतर करने को प्रेरित करती है,पर देखा गया है लोग झूंठी प्रशंसा भी करते हैं, खुश करने के लिए या कडवे सत्य से बचने के लिए या दिखावे के लिए। पर इसके परिणाम घातक हो सकते हैं। व्यक्ति सत्य से दूर जा सकता है, एवं वह अति आत्मविश्वाश और भ्रम का शिकार हो सकता है, जो घातक सिद्ध हो सकता है। वास्तविक स्पर्धा में वह पीछे रह सकता है या असफल हो सकता है इसलिए प्रशंसा कब और कितनी करी जाए, यह जानना भी आवश्यक है। साथ ही झूंठी प्रशंसा को पहचानना भी आवश्यक है। इसलिए सहज भाव से संयमित प्रशंसा करें, और सुनें, प्रशंसा से अती आत्मविश्वाश से ग्रसित होने से बचें। प्रशंसा करने में कंजूसी भी नहीं बरतें। - डॉ.राजेंद्र तेला,"निरंतर" |
| | * विपत्ती के समय में इंसान विवेक खो देता है, स्वभाव में क्रोध और चिडचिडापन आ जाता है। बेसब्री में सही निर्णय लेना व उचित व्यवहार असंभव हो जाता है। लोग व्यवहार से खिन्न होते हैं, नहीं चाहते हुए भी समस्याएं सुलझने की बजाए उलझ जाती हैं जिस तरह मिट्टी युक्त गन्दला पानी अगर बर्तन में कुछ देर रखा जाए तो मिट्टी और गंद पैंदे में नीचे बैठ जाती है, उसी तरह विपत्ती के समय शांत रहने और सब्र रखने में ही भलाई है। धीरे धीरे समस्याएं सुलझने लगेंगी एक शांत मष्तिष्क ही सही फैसले आर उचित व्यवहार कर सकता है। - डॉ.राजेंद्र तेला," निरंतर '' |
| | * मनुष्य निरंतर दूसरों का अनुसरण करता है, उनके जीवन से प्रभावित हो कर या उनके कार्य कलापों से प्रभावित होता है अधिकतर अन्धानुकरण ही होता है। क्यों किसी ने कुछ कहा? किन परिस्थितियों में कुछ करा या कहा कभी नहीं सोचता। परिस्थितियाँ और कारण सदा इकसार नहीं होते, महापुरुषों का अनुसरण अच्छी बात है फिर भी अपने विवेक और अनुभव का इस्तेमाल भी आवश्यक है। यह भी निश्चित है जो भी ऐसा करेगा उसे विरोध का सामना भी करना पडेगा। उसे इसके लिए तैयार रहना पडेगा। अगर ऐसा नहीं हुआ होता तो केवल मात्र एक या दो ही महापुरुष होते। नया कोई कभी पैदा नहीं होता। इसलिए मेरा मानना है जितना ज़िन्दगी को क़रीब से देखोगे। अपने को दूसरों की स्थिती में रखोगे तो स्थितियों को बेहतर समझ सकोगे, जीवन की जटिलताएं स्वत: सुलझने लगेंगी। - राजेंद्र तेला |
| | * समस्या तभी पैदा होती है जब दिनचर्या का महत्त्व ज़्यादा हो जाता है सोच नेपथ्य में रह जाता है, धीरे धीरे खो जाता है, केवल भ्रम रह जाता है भौतिक सुख, अपने से ज़्यादा" लोग क्या कहेंगे "की चिंता प्रमुख हो जाते हैं आदमी स्वयं, स्वयं नहीं रहता कठपुतली की तरह नाचता रहता, जो करना चाहता, कभी नहीं कर पाता, जो नहीं करना चाहता, उसमें उलझा रहता, जितना दूर भागता उतना ही फंसता जाता। - राजेंद्र तेला |
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| जरूरत से ज्यादा ईमानदारी ठीक नहीं: चाणक्य नीति
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| आज से करीब 2300 साल पहले पैदा हुए चाणक्य भारतीय राजनीति और अर्थशास्त्र के पहले विचारक माने जाते हैं। पाटलिपुत्र (पटना) के शक्तिशाली नंद वंश को उखाड़ फेंकने और अपने शिष्य चंदगुप्त मौर्य को बतौर राजा स्थापित करने में चाणक्य का अहम योगदान रहा। ज्ञान के केंद्र तक्षशिला विश्वविद्यालय में आचार्य रहे चाणक्य राजनीति के चतुर खिलाड़ी थे और इसी कारण उनकी नीति कोरे आदर्शवाद पर नहीं, बल्कि व्यावहारिक ज्ञान पर टिकी है। आगे दिए जा रहीं उनकी कुछ बातें भी चाणक्य नीति की इसी विशेषता के दर्शन होते हैं :
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| * किसी भी व्यक्ति को जरूरत से ज्यादा ईमानदार नहीं होना चाहिए। सीधे तने वाले पेड़ ही सबसे काटे जाते हैं और बहुत ज्यादा ईमानदार लोगों को ही सबसे ज्यादा कष्ट उठाने पड़ते हैं। | | ;ज़रूरत से ज़्यादा ईमानदारी ठीक नहीं: चाणक्य नीति |
| * अगर कोई सांप जहरीला नहीं है, तब भी उसे फुफकारना नहीं छोड़ना चाहिए। उसी तरह से कमजोर व्यक्ति को भी हर वक्त अपनी कमजोरी का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए। | | |
| | आज से क़रीब 2300 साल पहले पैदा हुए चाणक्य भारतीय राजनीति और अर्थशास्त्र के पहले विचारक माने जाते हैं। पाटलिपुत्र (पटना) के शक्तिशाली नंद वंश को उखाड़ फेंकने और अपने शिष्य चंदगुप्त मौर्य को बतौर राजा स्थापित करने में चाणक्य का अहम योगदान रहा। ज्ञान के केंद्र तक्षशिला विश्वविद्यालय में आचार्य रहे चाणक्य राजनीति के चतुर खिलाड़ी थे और इसी कारण उनकी नीति कोरे आदर्शवाद पर नहीं, बल्कि व्यावहारिक ज्ञान पर टिकी है। आगे दिए जा रहीं उनकी कुछ बातें भी चाणक्य नीति की इसी विशेषता के दर्शन होते हैं : |
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| | * किसी भी व्यक्ति को ज़रूरत से ज़्यादा ईमानदार नहीं होना चाहिए। सीधे तने वाले पेड़ ही सबसे काटे जाते हैं और बहुत ज़्यादा ईमानदार लोगों को ही सबसे ज़्यादा कष्ट उठाने पड़ते हैं। |
| | * अगर कोई सांप ज़हरीला नहीं है, तब भी उसे फुफकारना नहीं छोड़ना चाहिए। उसी तरह से कमज़ोर व्यक्ति को भी हर वक्त अपनी कमज़ोरी का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए। |
| * सबसे बड़ा गुरुमंत्र : कभी भी अपने रहस्यों को किसी के साथ साझा मत करो, यह प्रवृत्ति तुम्हें बर्बाद कर देगी। | | * सबसे बड़ा गुरुमंत्र : कभी भी अपने रहस्यों को किसी के साथ साझा मत करो, यह प्रवृत्ति तुम्हें बर्बाद कर देगी। |
| * हर मित्रता के पीछे कुछ स्वार्थ जरूर छिपा होता है। दुनिया में ऐसी कोई दोस्ती नहीं जिसके पीछे लोगों के अपने हित न छिपे हों, यह कटु सत्य है, लेकिन यही सत्य है। | | * हर मित्रता के पीछे कुछ स्वार्थ ज़रूर छिपा होता है। दुनिया में ऐसी कोई दोस्ती नहीं जिसके पीछे लोगों के अपने हित न छिपे हों, यह कटु सत्य है, लेकिन यही सत्य है। |
| * अपने बच्चे को पहले पांच साल दुलार के साथ पालना चाहिए। अगले पांच साल उसे डांट-फटकार के साथ निगरानी में रखना चाहिए। लेकिन जब बच्चा सोलह साल का हो जाए, तो उसके साथ दोस्त की तरह व्यवहार करना चाहिए। बड़े बच्चे आपके सबसे अच्छे दोस्त होते हैं। | | * अपने बच्चे को पहले पांच साल दुलार के साथ पालना चाहिए। अगले पांच साल उसे डांट-फटकार के साथ निगरानी में रखना चाहिए। लेकिन जब बच्चा सोलह साल का हो जाए, तो उसके साथ दोस्त की तरह व्यवहार करना चाहिए। बड़े बच्चे आपके सबसे अच्छे दोस्त होते हैं। |
| * दिल में प्यार रखने वाले लोगों को दुख ही झेलने पड़ते हैं। दिल में प्यार पनपने पर बहुत सुख महसूस होता है, मगर इस सुख के साथ एक डर भी अंदर ही अंदर पनपने लगता है, खोने का डर, अधिकार कम होने का डर आदि-आदि। मगर दिल में प्यार पनपे नहीं, ऐसा तो हो नहीं सकता। तो प्यार पनपे मगर कुछ समझदारी के साथ। संक्षेप में कहें तो प्रीति में चालाकी रखने वाले ही अंतत: सुखी रहते हैं। | | * दिल में प्यार रखने वाले लोगों को दु:ख ही झेलने पड़ते हैं। दिल में प्यार पनपने पर बहुत सुख महसूस होता है, मगर इस सुख के साथ एक डर भी अंदर ही अंदर पनपने लगता है, खोने का डर, अधिकार कम होने का डर आदि-आदि। मगर दिल में प्यार पनपे नहीं, ऐसा तो हो नहीं सकता। तो प्यार पनपे मगर कुछ समझदारी के साथ। संक्षेप में कहें तो प्रीति में चालाकी रखने वाले ही अंतत: सुखी रहते हैं। |
| * ऐसा पैसा जो बहुत तकलीफ के बाद मिले, अपना धर्म-ईमान छोड़ने पर मिले या दुश्मनों की चापलूसी से, उनकी सत्ता स्वीकारने से मिले, उसे स्वीकार नहीं करना चाहिए। | | * ऐसा पैसा जो बहुत तकलीफ के बाद मिले, अपना धर्म-ईमान छोड़ने पर मिले या दुश्मनों की चापलूसी से, उनकी सत्ता स्वीकारने से मिले, उसे स्वीकार नहीं करना चाहिए। |
| * नीच प्रवृति के लोग दूसरों के दिलों को चोट पहुंचाने वाली, उनके विश्वासों को छलनी करने वाली बातें करते हैं, दूसरों की बुराई कर खुश हो जाते हैं। मगर ऐसे लोग अपनी बड़ी-बड़ी और झूठी बातों के बुने जाल में खुद भी फंस जाते हैं। जिस तरह से रेत के टीले को अपनी बांबी समझकर सांप घुस जाता है और दम घुटने से उसकी मौत हो जाती है, उसी तरह से ऐसे लोग भी अपनी बुराइयों के बोझ तले मर जाते हैं। | | * नीच प्रवृत्ति के लोग दूसरों के दिलों को चोट पहुंचाने वाली, उनके विश्वासों को छलनी करने वाली बातें करते हैं, दूसरों की बुराई कर खुश हो जाते हैं। मगर ऐसे लोग अपनी बड़ी-बड़ी और झूठी बातों के बुने जाल में खुद भी फंस जाते हैं। जिस तरह से रेत के टीले को अपनी बांबी समझकर सांप घुस जाता है और दम घुटने से उसकी मौत हो जाती है, उसी तरह से ऐसे लोग भी अपनी बुराइयों के बोझ तले मर जाते हैं। |
| * जो बीत गया, सो बीत गया। अपने हाथ से कोई गलत काम हो गया हो तो उसकी फिक्र छोड़ते हुए वर्तमान को सलीके से जीकर भविष्य को संवारना चाहिए। | | * जो बीत गया, सो बीत गया। अपने हाथ से कोई ग़लत काम हो गया हो तो उसकी फ़िक्र छोड़ते हुए वर्तमान को सलीके से जीकर भविष्य को संवारना चाहिए। |
| * असंभव शब्द का इस्तेमाल बुजदिल करते हैं। बहादुर और बुद्धिमान व्यक्ति अपना रास्ता खुद बनाते हैं। | | * असंभव शब्द का इस्तेमाल बुजदिल करते हैं। बहादुर और बुद्धिमान व्यक्ति अपना रास्ता खुद बनाते हैं। |
| * संकट काल के लिए धन बचाएं। परिवार पर संकट आए तो धन कुर्बान कर दें। लेकिन अपनी आत्मा की हिफाजत हमें अपने परिवार और धन को भी दांव पर लगाकर करनी चाहिए। | | * संकट काल के लिए धन बचाएं। परिवार पर संकट आए तो धन कुर्बान कर दें। लेकिन अपनी आत्मा की हिफाजत हमें अपने परिवार और धन को भी दांव पर लगाकर करनी चाहिए। |
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| अन्तर्दृष्टि
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| * हाथ की शोभा दान से है। सिर की शोभा अपने से बड़ो को प्रणाम करने से है। मुख की शोभा सच बोलने से है। दोनों भुजाओं की शोभा युद्ध में वीरता दिखाने से है। हृदय की शोभा स्वच्छता से है। कान की शोभा शास्त्र के सुनने से है। यही ठाट बाट न होने पर भी सज्जनों के भूषण हैं। - चाणक्य
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| * संकट के समय धैर्य, अभ्युदय के समय क्षमा अर्थात सब सहन करने की सामर्थ्य, सभा में अच्छा बोलना और युद्ध में वीरता शोभा देती है। - भतृहरि
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| * किसी मनुष्य में जन साधारण से विशेष गुण या शक्ति का विकास देखकर उसके संबंध में जो एक स्थायी आनंद पद्बति हृदय में स्थापित हो जाती है उसे श्रद्धा कहते हैं। - रामचंद्र शुक्ल
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| * शौर्य किसी में बाहर से पैदा नहीं किया जा सकता। वह तो मनुष्य के स्वभाव में होना चाहिए। - महात्मा गांधी
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| जन के ऊपर कुछ नहीं
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| * अत्याचारी के न्याय विवेक पर भरोसा करना राजनीति के विरुद्ध है। इतिहास इसका ज्वलंत प्रमाण है। - हिंदू पंच, बलिदान अंक
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| * पापी की परिभाषा व्यक्ति के आचरण पर निर्भर करती है। अत्याचार करने वाले से सहने वाला अधिक पापी है। - कंचनलता सब्बरवाल
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| * अन्यायी और अत्याचारी की करतूतें मनुष्यता के नाम खुली चुनौती हैं जिन्हें वीरों को स्वीकार करना ही चाहिए। - श्रीराम शर्मा आचार्य
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| * प्रशासन की जन के प्रति दुर्भावना भी एक प्रकार का अत्याचार ही है। जनतंत्र में जन से ऊपर कुछ नहीं। - भगवतीचरण वर्मा
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| जागरण का अर्थ
| | {{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक= |माध्यमिक=माध्यमिक1 |पूर्णता= |शोध= }} |
| * जागरण का अर्थ है कर्मक्षेत्र में अवतीर्ण होना और कर्मक्षेत्र क्या है? जीवन का संग्राम। - जयशंकर प्रसाद
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| * जगद्गुरु कौन होता है? जो सब में बिना किसी भेदभाव के अपने सद्भाव और आनंद भाव का प्रकार करे। उसके लिए सब अपने हैं। सब कुछ अपना स्वरूप है। - स्वामी अखंडानंद
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| * दुनिया का अस्तित्व शस्त्रबल पर नहीं, बल्कि सत्य, दया और आत्मबल पर है। - महात्मा गांधी
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| * दुख में अपने स्वजनों को देखते ही दुख उसी प्रकार बढ़ जाता है, जैसे रुकी वस्तु को बाहर निकलने के लिए बड़ा द्वार मिल जाए। - कालिदास
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| डरपोक प्राणियों में सत्य भी गूंगा हो जाता है...
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| * डरपोक प्राणियों में सत्य भी गूंगा हो जाता है। वही सीमेंट जो ईंट पर चढ़कर पत्थर हो जाता है, मिट्टी पर चढ़ा दिया जाए तो मिट्टी हो जाएगा। - प्रेमचंद
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| * डर रखने से हम अपनी जिंदगी को बढ़ा तो नहीं सकते। डर रखने से बस इतना होता है कि हम ईश्वर को भूल जाते हैं, इंसानियत को भूल जाते हैं। - विनोबा भावे
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| * तब तक ही भय से डरना चाहिए जब तक कि वह पास नहीं आ जाता। परंतु भय को अपने निकट देखकर प्रहार करके उसे नष्ट करना ही ठीक है। - चाणक्य
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| गोत्र और धन से शुद्धता नहीं
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| * कर्म, विद्या, धर्म, शील और उत्तम जीवन- इनसे ही मनुष्य शुद्ध होते हैं, गोत्र और धन नहीं। - मज्झिमनिकाय
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| * शील अपरिमित बल है। शील सर्वोत्तम शस्त्र है। शील श्रेष्ठ आभूषण है और रक्षा करने वाला अद्भुत कवच है। - थेर गाथा
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| * लज्जा और संकोच होने पर ही शील उत्पन्न होता और ठहरता है। - विसुद्धिमग्ग
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| * विप्रों का आभूषण विद्या है, पृथ्वी का आभूषण राजा है, आकाश का आभूषण चंद्रमा है, शील सबका आभूषण है। - बृहस्पतिनीतिसार
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| * जैसा मनुष्य के लिए सौजन्य रूपी अलंकार है, वैसा न तो आभूषण है, न राज्य, न पैरुष, न विद्या और न धन। - शुक्रनीति
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| आलस्य पर विजय
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| * जीवन को नियम के अधीन कर देना आलस्य पर विजय पाना और प्रमाद को सदा के लिए विदा कर देना है। - स्वामी अखंडानंद
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| * जिज्ञासा बिना ज्ञान नहीं होता। दुख बिना सुख नहीं होता। - महात्मा गांधी
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| * ईश्वर बड़े-बड़े साम्राज्यों से विमुख हो जाता है लेकिन छोटे-छोटे पुष्पों से कभी खिन्न नहीं होता। - रवींद्रनाथ टैगोर
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| * जब शरीर में सात्विक रस रूपी मेघ बरसते हैं तब आयु रूपी नदी दिन-दिन बढ़ती जाती है। - संत ज्ञानेश्वर
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| * मनुष्य की सबसे बड़ी महानता विपत्तियों को सह लेने में है। - अज्ञात
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| निर्माण सदैव बलिदानों पर टिकता है
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| * निर्माण सदैव बलिदानों पर टिकता है। और जब तक निर्माण के लिए बलिदान की खाद नहीं दी जाती तब तक विकास अंकुरित नहीं होता। - अज्ञात
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| * अगर तुम्हारे एक शब्द से भी किसी को पीड़ा पहुंचती है तो तुम अपनी सब नेकी नष्ट हुई समझो। - संत तिरुवल्लुवर
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| * अपनी बात के धनी लोगों के निश्चय मन को और नीचे गिरते हुए पानी के वेग को भला कौन फेर सकता है। - कालिदास
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| * नेक बनने में सारी आयु लग जाती है, बदनाम होने में तो एक दिन भी नहीं लगता। ऊपर चढ़ना कैसा कठिन है, इसमें कितना समय लगता है? मगर गिरना कितना आसान है, इसमें परिश्रम नहीं करना पड़ता। - सुदर्शन
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| निंदा सहना
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| * जो मनुष्य अपनी निंदा सह लेता है, उसने मानो सारे जगत पर विजय प्राप्त कर ली। - वेदव्यास
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| * मनुष्य का जीवन एक महानदी की भांति है जो अपने बहाव द्वारा नई दिशाओं में अपनी राह बना लेती है। - रवींद्रनाथ टैगोर
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| * हमारा गौरव कभी न गिरने में नहीं है, बल्कि प्रत्येक बार उठ खड़े होने में है। - कन्फ्यूशस
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| * यदि तुम चाहते हो कि लोग तुम्हारे गुणों की प्रशंसा करें तो दूसरे के गुणों को मान्यता दो। - चाणक्य
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| * चोरी का माल खाने से कोई शूरवीर नहीं, दीन बनता है। - महात्मा गांधी
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| कुल की प्रशंसा करने से क्या?
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| * कुल की प्रशंसा करने से क्या? इस लोक में शील ही महानता का कारण है। - शूदक
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| * शील की सदृशता पहले कभी न देखे हुए व्यक्ति को भी हृदय के समीप कर देती है। - बाणभट्ट
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| * शील सज्जनों का सर्वोत्तम आभूषण है। - भर्तृहरि
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| * उस स्वर्ण से भी क्या जहां चारित्र्य का खंडन हो? यदि मैं शील से विभूषित हूं तो मुझे और क्या चाहिए? - स्वयंभूदेव
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| * शील के लिए सात्विक हृदय चाहिए। - रामचंद्र शुक्ल
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| दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करो
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| * लोगों के साथ व्यवहार करते समय हमें स्मरण रखना चाहिए कि हम तर्कशास्त्रियों के साथ व्यवहार नहीं कर रहे हैं। हम ऐसे लोगों के साथ व्यवहार कर रहे हैं, जिनमें मानसिक आवेश है, पक्षपात है और जो गर्व एवं अहंकार से संचरित होते हैं। - डेल कारनेगी
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| * सच्चे और सरल कर्म को जानना आसान काम नहीं है। न्यायोचित कर्मानुकूल व्यवहार करने पर ही सच्चे और सरल कर्म को जाना जा सकता है। - रस्किन
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| * दूसरों के साथ वैसा व्यवहार करो जैसा कि तुम चाहते हो कि वे तुम्हारे साथ करें। - बाइबिल
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| * महापुरुष अपनी महत्ता का परिचय छोटे मनुष्यों के साथ किए गए अपने व्यवहार से देते हैं। - कार्लाइल
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| क्रोधाग्नि कुटुंब को जला डालती है
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| * तू निश्चित कर्म कर। कर्म न करने से कर्म करना श्रेष्ठ है और कर्म न करने से तेरे शरीर का निर्वाह होना भी कठिन हो जाएगा। - वृंद
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| * अग्नि उसी को जलाती है जो उसके पास जाता है, लेकिन क्रोधाग्नि सारे कुटुंब को जला डालती है। - संत तिरुवल्लुवर
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| * घृणा प्रेम से ही कम होती है, यही सर्वदा उसका स्वभाव रहा है। - धम्मपद
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| * गुणों से मनुष्य साधु होता है और अवगुणों से असाधु। सद्गुणों को ग्रहण करो और दुर्गुणों को छोड़ दो। - भगवान महावीर
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| * क्षमा में जो महत्ता है, जो औदार्य है, वह क्रोध और प्रतिकार में कहां? - सेठ गोविंददास
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| विरोध हर सरकार के लिए जरूरी है
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| * विरोध हर सरकार के लिए जरूरी है। कोई भी सरकार प्रबल विरोध के बिना अधिक दिन टिक नहीं सकती। - डिजरायली
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| * जो हमसे कुश्ती लड़ता है, हमारे अंगों को मजबूत करता है। वह हमारे गुणों को तेज करता है। एक तरह से हमारा विरोधी हमारी मदद ही करता है। - बर्क
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| * विकास के लिए यूं तो कई चीजें जरूरी होती हैं, लेकिन कठिनाई और विरोध वह देसी मिट्टी है जिसमें पराक्रम और आत्मविश्वास का विकास होता है। - जॉन नेल
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| * विरोध बहुत रचनात्मक होता है। वह उत्साहियों को सदैव उत्तेजित करता है, उन्हें बदलता नहीं। - शिलर
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| * विपत्ति ही ऐसी तुला है जिस पर हम मित्रों को तोल सकते हैं। सुदिन अच्छी तुला नहीं है। - प्लूटार्क
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| आलोचना एक भयानक चिंगारी है
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| * समकालीन व्यक्ति गुण की अपेक्षा मनुष्य की प्रशंसा करते हैं, आने वाले समय में पीढ़ियां मनुष्य की अपेक्षा उसके गुणों का सम्मान किया करेंगी। - कोल्टन
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| * गुण ग्राहकता और चापलूसी में अंतर है। गुण ग्राहकता सच्ची होती है और चापलूसी झूठी। गुणग्राहकता ह्रदय से निकलती है और चापलूसी दांतों से। एक नि:स्वार्थ होती है और दूसरी स्वार्थमय। एक की संसार में सर्वत्र प्रशंसा होती है और दूसरे की सर्वत्र निंदा। - डेल कारनेगी
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| * आलोचना एक भयानक चिंगारी है-ऐसी चिंगारी, जो अहंकार रूपी बारूद के गोदाम में विस्फोट उत्पन्न कर सकती है और वह विस्फोट कभी-कभी मृत्यु को शीघ्र ले आता है। - डेल कारनेगी
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| * जो मनुष्य दूसरे का उपकार करता है वह अपना भी उपकार न केवल परिणाम में अपितु उसी कर्म में करता है, क्योंकि अच्छा कर्म करने का भाव ही स्वयं उचित पुरस्कार है। - सेनेका
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| * प्रसन्नता न हमारे अंदर है और न बाहर बल्कि यह ईश्वर के साथ हमारी एकता स्थापित करने वाला एक तत्व है। - पास्कल
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| * गरीब वह नहीं है जिसके पास धन नहीं है बल्कि वह है जिसकी अभिलाषाएं बढ़ी हुई हैं। - डेनियल
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| हमारी श्रद्धा अखंड बत्ती जैसी होनी चाहिए
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| * एक कृष्ण वसुदेव का बेटा, एक कृष्ण घट-घट में लेटा। एक कृष्ण जो सकल पसारा, एक कृष्ण जो सबसे न्यारा।। - अज्ञात
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| * हमारी श्रद्धा अखंड बत्ती जैसी होनी चाहिए। वह हमको तो प्रकाश देती ही है, आसपास भी देती है। - महात्मा गांधी
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| * जितने से काम चल जाए उतना ही शरीरधारियों का अपना है। - भागवत
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| * प्रेम का एक-एक कण भी सारे संसार से बढ़कर मूल्य रखता है। - फरीदुद्दीन अत्तार
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| * माया सबको मोहित करती है, परंतु भगवान के भक्त से वह हारी हुई है। - अज्ञात
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| अनर्थ अवसर की ताक में रहते हैं
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| * अनर्थ अवसर की ताक में रहते हैं। - कालिदास
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| * विपत्ति में पड़े हुए मनुष्यों का प्रिय करने वाले दुर्लभ होते हैं। - शूदक
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| * जब विनाश का समय आता है, जब जीवन पर संकट आता है, तब प्राणी पास के पड़े हुए जाल और फंदे को भी नहीं देखता। - जातक
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| * विपत्ति में प्रकृति बदल देना अच्छा है, पर अपने आश्रय के प्रतिकूल चेष्टा करना अच्छा नहीं। - अभिनंद
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| * विपत्ति में ही लोगों की असल परीक्षा होती है, समृद्धि में नहीं। - अज्ञात
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| सुंदर दिखना
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| * यदि सुंदर दिखाई देना है तो तुम्हें भड़कीले कपड़े नहीं पहनना चाहिए। बल्कि अपने सदगुणों को बढ़ाना चाहिए। - महात्मा गांधी
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| * सुंदरता चलती है तो साथ ही देखने वाली आंख, सुनने वाले कान और अनुभव करने वाले ह्रदय चलते हैं। - सुदर्शन
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| * जो अहित करने वाली चीज है, वह थोड़ी देर के लिए सुंदर बनाने पर भी असुंदर है, क्योंकि वह अकल्याणकारी है। सुंदर वही हो सकता है जो कल्याणकारी हो। - भगवतीचरण वर्मा
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| * सुंदर वस्तु सर्वदा आनंद देने वाली होती है। उसका आकर्षण निरंतर बढ़ता जाता है। उसका कभी ह्रास नहीं होने पाता। - अज्ञात
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| अहिंसा- तलवार की धार
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| * अहिंसा का मार्ग तलवार की धार पर चलने जैसा है। जरा सी गफलत हुई कि नीचे आ गिरे। घोर अन्याय करने वाले पर भी गुस्सा न करें, बल्कि उसे प्रेम करें, उसका भला चाहें। लेकिन प्रेम करते हुए भी अन्याय के वश में न हो। - महात्मा गांधी
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| * जिस भांति भौंरा फूलों की रक्षा करता हुआ मधु को ग्रहण करता है, उसी प्रकार मनुष्य को हिंसा न करते हुए अर्थों को ग्रहण करना चाहिए। - विदुर
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| * हममें दया, प्रेम, त्याग ये सब प्रवृत्तियां मौजूद हैं। इन प्रवृत्तियों को विकसित करके अपने सत्य को और मानवता के सत्य को एकरूप कर देना, यही अहिंसा है। - भगवतीचरण वर्मा
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| मनुष्य की चाहत
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| * एकाएक बिना विचारे कोई काम नहीं करना चाहिए। सम्यक विचार न करना परम आपत्ति का उत्पादक होता है। गुण के ऊपर अपने आप को समर्पण करने वाली संपत्तियां विचारवान पुरुष को स्वयं मनोनीत करती हैं। - भारवि
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| * मनुष्य जितना चाहता है, उतनी ही उसकी प्राप्त करने की शक्ति बढ़ती जाती है। अभाव पर विजय पाना ही जीवन की सफलता है। उसे स्वीकार कर के उसकी गुलामी करना ही कायरपन है। - शरतचंद्र
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| * जो नेक काम करता है और नाम की इच्छा नहीं करता उसकी चित्त-शुद्धि होती जाती है। उसका काम सहज ही परमशक्ति को अर्पण हो जाता है। - विनाबा भावे
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| * कार्य उसी का सिद्ध होता है जो समय को विचार कर कार्य करता है। वह खिलाड़ी कभी नहीं हारता जो दांव पर विचार कर खेलता है। - वृंद
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| नीति का जानकार
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| * संसार में ऐसा कोई भी नहीं है जो नीति का जानकार न हो, परंतु ज्यादातर लोग उसके प्रयोग से विहीन होते हैं। - कल्हण
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| * कभी-कभी समय के फेर से मित्र शत्रु बन जाता है और शत्रु भी मित्र हो जाता है, क्योंकि स्वार्थ बड़ा बलवान है। - वेदव्यास
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| * जहां स्थूल जीवन का स्वार्थ समाप्त होता है, वहीं मनुष्यता प्रारंभ होती है। - हजारी प्रसाद द्विवेदी
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| * शिक्षा का सबसे बड़ा उद्देश्य आत्मनिर्भर बनाना है। - सैमुअल स्माइल्स
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| * नीच व्यक्ति किसी प्रशंसनीय पद पर पहुंचने के बाद सबसे पहले अपने स्वामी को ही मारने को उद्यत होता है। - नारायण पंडित
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| अतिथि से प्रेमपूर्वक बोलें
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| * अविचारशील मनुष्य दुख को प्राप्त होते हैं। - ऋग्वेद
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| * आत्म-विजय अनेक आत्मोत्सर्गों से भी श्रेष्ठतर है। - स्वामी रामतीर्थ
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| * अनाथ बच्चों का हृदय उस चित्र की भांति होता है जिस पर एक बहुत ही साधारण परदा पड़ा हुआ हो। पवन का साधारण झकोरा भी उसे हटा देता है। - प्रेमचन्द्र
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| * यदि कुछ न हो तो प्रेमपूर्वक बोलकर ही अतिथि का सत्कार करना चाहिए। - हितोपदेश
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| * अपना केंद्र अपने से बाहर मत बनाओ, अन्यथा ठोकरें खाते रहोगे। - अज्ञात
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| आत्मविश्वास बढ़ाने का तरीका
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| * आत्मविश्वास बढ़ाने का तरीका यह है कि तुम वह काम करो जिसे तुम करते हुए डरते हो। इस प्रकार ज्यों-ज्यों तुम्हें सफलता मिलती जाएगी तुम्हारा आत्मविश्वास बढ़ता जाएगा। - डेल कारनेगी
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| * जो मनुष्य आत्मविश्वास से सुरक्षित है वह उन चिंताओं और आशंकाओं से मुक्त रहता है जिनसे दूसरे आदमी दबे रहते हैं। - स्वेट मार्डेन
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| * आत्मविश्वास, आत्मज्ञान और आत्मसंयम-केवल यही तीन जीवन को परमसंपन्न बना देते हैं। - टेनीसन
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| * जिस प्रकार दूसरों के अधिकार की प्रतिष्ठा करना मनुष्य का कर्त्तव्य है, उसी प्रकार अपने आत्मसम्मान की हिफाजत करना भी उसका फर्ज है। - स्पेंसर
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| * केवल वही जीवन में उन्नति करता है, जिसका हृदय कोमल और मस्तिष्क तेज होता है और जिसके मन को शांति मिलती है। - रस्किन
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| * जो मनुष्य दूसरे का उपकार करता है वह अपना भी उपकार न केवल परिणाम में बल्कि उसी कर्म में करता है क्योंकि अच्छा कर्म करने का भाव अपने आप में उचित पुरस्कार है। - सेनेका
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| * शत्रु को उपहार देने योग्य सर्वोत्तम वस्तु है- क्षमा, विरोधी को सहनशीलता, मित्र को अपना हृदय, शिशु को उत्तम दृष्टांत, पिता को आदर और माता को ऐसा आचरण जिससे वह तुम पर गर्व करे, अपने को प्रतिष्ठा और सभी मनुष्य को उपकार। - वालफोर
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| प्रेम में चतुराई बुरी चीज
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| * प्रेम के मार्ग में चतुराई बहुत बुरी चीज है। - मौलाना रूम
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| * प्रवीणता और आत्मविश्वास अविजित सेनाएं हैं। - जॉर्ज हरबर्ट
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| * हितकारी और मनोरम बात दुर्लभ होती है। - भारवि
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| * कुल के कारण कोई बड़ा नहीं होता, विद्या ही उसे पूजनीय बनाती है। - चाणक्य
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| स्त्री विश्वास चाहती है
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| * जब मनुष्य मन में उठती हुई सभी कामनाओं का त्याग कर देता है और आत्मा द्वारा ही आत्मा में संतुष्ट रहता है, तब वह स्थितप्रज्ञ कहलाता है। - गीता
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| * स्वार्थ में मनुष्य बावला हो जाता है। - प्रेमचंद
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| * स्वार्थ की अनुकूलता और प्रतिकूलता से ही मित्र और शत्रु बना करते हैं। - वेदव्यास
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| * संदेह का भार पुरुष ढोता है, स्त्री विश्वास चाहती है। - लक्ष्मीनारायण लाल
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| * प्रेम में विश्वास से बढ़कर कुछ नहीं होता। - जैनेंद्र कुमार
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| शास्त्र पढ़कर भी लोग मूर्ख होते हैं...
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| * शास्त्र पढ़कर भी लोग मूर्ख होते हैं, किंतु जो उसके अनुसार आचरण करता है, वस्तुत: वही विद्वान है। - हितोपदेश
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| * निर्मल अंत:करण को जिस समय जो प्रतीत हो वही सत्य है। उस पर दृढ़ रहने से शुद्ध सत्य की प्राप्ति हो जाती है। - महात्मा गांधी
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| * अविश्वास से अर्थ की प्राप्ति नहीं हो सकती। और जो विश्वासपात्र नहीं है, उससे कुछ लेने को जी भी नहीं चाहता। अविश्वास के कारण सदा भय लगा रहता है और भय से जीवित मनुष्य मृतक के समान हो जाता है। - वेद व्यास
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| * जब कोई व्यक्ति अहिंसा की कसौटी पर खरा उतर जाता है तो दूसरे व्यक्ति स्वयं ही उसके पास आकर वैरभाव भूल जाते हैं। - पतंजलि
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| * मनुष्य जिस समय पशु तुल्य आचरण करता है उस समय वह पशुओं से भी नीचे गिर जाता है। - रवींद्रनाथ
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| जवानी में नासमझी की काफी गुंजाइश...
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| * यह सच है और सभी जानते हैं कि जैसे बुढ़ापे में बुद्धिमानी होती है, वैसे ही जवानी में नासमझी की काफी गुंजाइश रहती है। - रमण
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| * जवानी जोश है, बल है, साहस है, दया है, आत्मविश्वास है, गौरव है और वह सब कुछ है जो जीवन को पवित्र, उज्जवल और पूर्ण बना देता है। - प्रेमचन्द
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| * यौवन, जीवन, मन, शरीर की छाया, धन और स्वामित्व, ये चंचल हैं। ये स्थिर होकर नहीं रहते। - अज्ञात
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| * नदी की बाढ़, वृक्षों के फूल, चंद्रमा की कलाएं नष्ट होकर फिर से आ सकती हैं, लेकिन जवानी लौटकर नहीं आती। - रामानंद
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| मृत्यु देह के लिए अनमोल वरदान है
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| * मृत्यु देह के लिए अनमोल वरदान है। - स्वामी हरिहर चैतन्य
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| * जिस देह से श्रम नहीं होता, पसीना नहीं निकलता, सौंदर्य उस देह को छोड़ देता है। - लक्ष्मीनारायण मिश्र
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| * दुखियों की दशा वही जानता है, जो अपनी परिस्थितियों से दुखी हो गया हो। - शेख सादी
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| * यदि तुम छोटे बालकों के समान नहीं बनोगे, तो स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं कर पाओगे। - नवविधान
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| * समृद्धियां पराक्रमी मनुष्य के साथ रहती हैं, अनुत्साही मनुष्य के साथ नहीं। - भारवि
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| आंदोलन समाज की सेहत के लक्षण
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| * हर सुधार का कुछ न कुछ विरोध अनिवार्य है। परंतु विरोध और आंदोलन, एक सीमा तक, समाज में स्वास्थ्य के लक्षण होते हैं। - महात्मा गांधी
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| * जो मनुष्य न किसी से द्वेष करता है, और न किसी चीज की अपेक्षा करता है, वह सदा ही संन्यासी समझने के योग्य है। - वेदव्यास
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| * सच्ची संस्कृति मस्तिष्क, हृदय और हाथ का अनुशासन है। - शिवानंद
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| * सच हजार ढंग से कहा जा सकता है, फिर भी उसका हर ढंग सच हो सकता है। - विवेकानंद
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| * आप सभी मनुष्यों को बराबर नहीं कर सकते, लेकिन हम सबको कम से कम समान अवसर तो दे सकते हैं। - जवाहरलाल नेहरू
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| सत्याग्रह की तलवार
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| * सत्याग्रह एक ऐसी तलवार है जिसके सब ओर धार है। उसे काम में लाने वाला और जिस पर वह काम में लाई जाती है, दोनों सुखी होते हैं। खून न बहाकर भी वह बड़ी कारगर होती है। उस पर न तो कभी जंग ही लगता है आर न कोई चुरा ही सकता है। - महात्मा गांधी
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| * सत्य का मुंह स्वर्ण पात्र से ढका हुआ है। हे ईश्वर, उस स्वर्ण पात्र को तू उठा दे जिससे सत्य धर्म का दर्शन हो सके। - ईशावास्योपनिषद
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| * प्रत्येक प्राणी में सत्य की एक चिंगारी है। उसके बिना कोई जीवित नहीं रह सकता। - सत्य साईं बाबा
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| * सत्य से ही सूर्य तप रहा है। सत्य पर ही पृथ्वी टिकी हुई है। सत्य भाषण सबसे बड़ा धर्म है। सत्य पर ही स्वर्ग प्रतिष्ठित है। - विश्वामित्र
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| 'क्रांति बैठे-ठालों का खेल नहीं है'
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| * जब आर्थिक परिवर्तन की प्रगति बहुत बढ़ जाती है, पर शासन तंत्र जैसा का तैसा बना रहता है, तब दोनों के बीच बहुत बड़ा अंतर आ जाता है। प्राय: यह अंतर एक आकस्मिक परिवर्तन से दूर होता है, जिसे क्रांति कहते हैं। - जवाहरलाल नेहरू
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| * क्रांति का उदय सदा पीड़ितों के हृदय और त्रस्त अंत:करण में हुआ करता है। उसके पीछे कोई निहित स्वार्थ नहीं होता। - अज्ञात
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| * क्रांतिकारी- उसकी नस नस में भगवान ने ऐसी आग जला दी है कि उन्हें चाहे जेल में ठूंस दो, चाहे सूली पर चढ़ा दो, कह न दिया कि पंचभूतों को सौंपने के सिवा और कोई सजा ही लागू नहीं होती। न तो इनमें दया है, न धर्म कर्म ही मानते हैं। - शरतचंद्र
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| * क्रांति बैठे-ठालों का खेल नहीं है। वह नई सभ्यता को जन्म देती है। - प्रेमचंद
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| साहस और धैर्य
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| * साहस और धैर्य ऐसे गुण हैं, जिनकी कठिन परिस्थितियों में बहुत आवश्यकता होती है। - महात्मा गांधी
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| * साफ पैर में कीचड़ लपेटकर धोने की अपेक्षा उसे न लगने देना ही अच्छा है। - नारायण पंडित
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| * यह मेरा बंधु है और यह नहीं है, यह क्षुद चित्त वालों की बात होती है। उदार चरित्र वालों के लिए तो सारा संसार ही अपना कुटुंब होता है। - महोपनिषद
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| * संसार में रहो, परंतु संसार को अपने अंदर मत रहने दो। यही विवेक का लक्षण है। - सत्य साईं बाबा
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| * योग्यता एक चौथाई व्यक्तित्व का निर्माण करती है। शेष की पूतिर् प्रतिष्ठा के द्वारा होती है। - मोहन राकेश
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| विश्राम की बात कैसे
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| * जैसे-जैसे हम बाह्य रूपों की विविधता में उलझते जाते हैं, वैसे-वैसे उनके मूलगत जीवन को भूलते जाते हैं। - महादेवी वर्मा
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| * विवेकी पुरुष को अपने मन में यह विचार करना चाहिए कि मैं कहां हूं, कहां जाऊंगा, मैं कौन हूं, यहां किसलिए आया हूं और किसलिए किसका शोक करूं। - वेदव्यास
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| * सभी सच्चे काम आराम हैं। - रामतीर्थ
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| * इस समय विश्राम की बात तुम कैसे कर सकते हो? जब हम लोग शरीर त्यागेंगे, तभी विश्राम करेंगे। - विवेकानंद
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| * विवेकहीन बल काल के समुद्र में ढोंगी की भांति डूब जाता है। - लक्ष्मीनारायण मिश्र
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| विचार ही कार्य का मूल है
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| * हम देवों की शुभ मति के अधीन रहें। - ऋग्वेद
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| * मर्यादा का उल्लंघन कभी मत करो। - चाणक्य
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| * सच्चे संन्यासी तो अपनी मुक्ति की भी उपेक्षा करते हैं -जगत के मंगल के लिए ही उनका जन्म होता है। - विवेकानंद
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| * अपने भीतर शांति प्राप्त हो जाने पर सारा संसार ही शांत दिखाई देने लगता है। - योगवासिष्ठ
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| * विचार ही कार्य का मूल है। विचार गया तो कार्य गया ही समझो। - महात्मा गांधी
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| चापलूसी का जहरीला प्याला
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| * चापलूसी का जहरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नहीं पहुंचा सकता, जब तक कि आपके कान उसे अमृत समझकर पी न जाएं। - प्रेमचंद
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| * मीठी बातें तो वह करता है जिसका कुछ स्वार्थ होता है, जो डरता है, जो प्रशंसा अथवा मान का भूखा रहता है। - हरिऔध
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| * घाव पर कपड़ा भी छुरी बनकर लगता है। दुखे हुए अंग को हवा भी दुखा देती है। - सुदर्शन
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| * भली स्त्री से घर की रक्षा होती है। - चाणक्य
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| पुरुषार्थी ही श्रेष्ठ आनंद पाते हैं
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| * पुरुषार्थी ही श्रेष्ठ आनंद पाते हैं। - अथर्ववेद
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| * जहां पवित्र बुद्धि होती है, वहां सारी कामनाएं सिद्ध होती हैं। - ऋग्वेद
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| * तपस्या से लोगों को विस्मित न करें, यज्ञ करके असत्य न बोलें। पीड़ित हो कर भी गुरु की निंदा न करें। और दान दे कर उसकी चर्चा न करें। - मनुस्मृति
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| शांति और सुख बाह्य वस्तुएं नहीं हैं
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| * अपनी प्रभुता के लिए चाहे जितने उपाय किए जाएं परंतु शील के बिना संसार में सब फीका है । - वेदव्यास
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| * शरीर आत्मा के रहने की जगह होने के कारण तीर्थ जैसा पवित्र है। - गांधी
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| * शांति और सुख बाह्य वस्तुएं नहीं हैं, वह तुम्हारे अंदर ही निवास करती हैं। - सत्य साईं बाबा
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| * अपने भीतर ही यदि शांति मिल गई तो सारा संसार शांतिमय प्रतीत होता है। - योगवाशिष्ठ
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| ज्ञान का लक्ष्य चरित्र-निर्माण
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| * मनुष्य जितना ज्ञान में घुल गया हो, उतना ही वह कर्म के रंग में रंग जाता है। - विनोबा
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| * अपने अज्ञान का आभाष होना ही ज्ञान की तरफ एक बड़ा कदम है। - डिजराइली
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| * ज्ञान का सार यह है कि ज्ञान रहते उसका प्रयोग करना चाहिए और उसके अभाव में अपनी अज्ञानता स्वीकार कर लेनी चाहिए। - कन्फ्यूशस
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| * ज्ञान अनुभव की बेटी है। - कहावत
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| * ज्ञान का अंतिम लक्ष्य चरित्र-निर्माण होना चाहिए। - महात्मा गांधी
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| मन नहीं मरता तो माया नहीं मरती
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| * जब तक मन नहीं मरता, माया नहीं मरती। - गुरु नानक
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| * जिसने कभी कोई शत्रु नहीं बनाया, उसका कोई मित्र भी नहीं बनता है। - टेनिसन
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| * अपने कल्याण के इच्छुक व्यक्ति को स्वेच्छाचारी नहीं होना चाहिए। - सोमदेव
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| * जितने से काम चल जाए उतना ही शरीरधारियों का अपना है। - भागवत
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| * प्राप्त हुए धन का उपयोग करने में दो भूलें हुआ करती हैं, जिन्हें ध्यान में रखना चाहिए। अपात्र को धन देना और सुपात्र को धन न देना। - वेद व्यास
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| जिसके पास बुद्धि है, उसी के पास बल है
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| * जिसकी बुद्धि नष्ट हो जाती है, वह मनुष्य सदा पाप ही करता रहता है। पुन:-पुन: किया हुआ पुण्य बुद्धि को बढ़ाता है। - वेदव्यास
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| * आकाश, पृथ्वी, दिशाएं, जल, तेज और काल - ये जिनके रूप हैं, उस महेश्वर को नमस्कार है। - शिवपुराण
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| * जिसके पास बुद्धि है, उसी के पास बल है, बुद्धिहीन में बल कहां। - विष्णु शर्मा
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| * जब तक तुम्हारे पास कुछ कथनीय न हो, तब तक किसी भी प्रकार से किसी से भी कुछ न कहो। - कार्लाइल
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| * शिक्षा का सबसे बड़ा उद्देश्य आत्मनिर्भर बनाना है। - सैमुअल स्माइल्स
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| परोपकार से पुण्य होता है
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| * जिनका मन कपटरहित है, वे ही प्राणिमात्र पर दया करते हैं। - क्षेमेंद्र
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| * दयालु लोगों का शरीर परोपकार से सुशोभित होता है, चंदन से नहीं। - भर्तृहरि
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| * परोपकार से पुण्य होता है और परपीड़न से पाप। - पंचतंत्र
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| * वृक्ष अपने सिर पर सूर्य की प्रचंड धूप सहता है, किंतु अपने आश्रितों की गर्मी अपनी छाया से दूर करता है। - कालिदास
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| * त्याग ही एकमात्र प्रशंसायोग्य गुण है। अन्य गुणों के समुदाय से क्या प्रयोजन। - आचार्य नारायण राम
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| पहले हर अच्छी बात का मजाक बनता है
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| * दूसरों पर दोषारोपण नहीं करोगे तो तुम पर भी दोषारोपण नहीं किया जाएगा। दूसरों पर क्रोध नहीं करोगे तो तुम पर भी क्रोध नहीं किया जाएगा। और दूसरों को क्षमा करोगे तो तुम्हें भी क्षमा किया जाएगा। - नवविधान
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| * यदि किसी को दूध नहीं दे सकते, तो मत दो। मगर छाछ देने में क्या हर्ज़ है? यदि किसी भूखे को अन्न देने में समर्थ नहीं हो तो कोई बात नहीं, पर प्यासे को पानी तो पिला सकते हो। - तुकाराम
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| * पहले हर अच्छी बात का मजाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है और अंत में उसको स्वीकार कर लिया जाता है। - स्वामी विवेकानंद
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| * असंयमी विद्वान अंधा मशालदार है। - शेख सादी
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| * यदि तुम स्वतंत्र नहीं हो सकते, तो जितने हो सकते हो, उतने ही हो जाओ। - एमर्सन
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